The inspiring story of Archana Devi

 हेल्लो दोस्तों कैसे है आप सब, मैं आशा करता हूं आप सब बिलकुल मस्त और स्वस्थ होंगे और इस वसंत ऋतु को बहुत ही अच्छे से इंजॉय कर रहे होंगे। फरवरी का महीना शुरू हो चुका है, इस फरवरी में न जाने कितने रिश्ते नए बनेंगे और ना जाने कितने पुराने  रिश्ते खत्म होंगे, तो मैं आप सबको यही सलाह दूंगा इस प्यार के महीने में आप कहीं गोल्ड  को ढूंढने में अपने कोहिनूर को न को दे। कुछ भी हो सकता है इस फरवरी आपके साथ, कुछ प्यारे लंबे हो सकते है तो कुछ किसी के साथ न बांट पाने वाले दुःख होंगे, लेकिन आप बिलकुल परेशान न हो। अब आप इस superdupper फैमिली का एक अहम हिस्सा है, आप अपनी कहानी, अपने इमोशन, अपने जज्बात यहां पर बयां कर सकते है, यहां आपकी privacy का पूरा ख्याल रखा जाएगा। 

तो इस फरवरी पढ़े superdupper की रोमांटिक लव स्टोरी और शेयर करें अपने यादगार लम्हें हमारी अपनी फैमिली superdupper में हम पूरी privacy के साथ आपके यादगार लम्हों को इस प्यारी फैमिली के साथ करेंगे शेयर और बनाएंगे आपके यादगार लम्हों को और खास…….

आज मैं यहां कोई लव स्टोरी सुनाने या बताने नहीं आया हूं आज मैं आपको एक मोटिवेशनल स्टोरी बताने वाला हूं कि आप इससे पढ़ कर आप अपने लक्ष्य के प्रति एक कदम बड़े ही आत्मविश्वास के साथ बढ़ा सकेंगे।दोस्तो ये कहानी है झोपड़ी से विश्व चैंपियन का सफर तय करने वाली अर्चना देवी का, जी हां दोस्तो अंडर 19 विश्वकप के फाइनल में इंग्लैंड के सुरूवती दो विकेट झटकने वाली अर्चना देवी ने पांच साल में मिट्टी से बनी झोपड़ी से विश्व चैंपियन बनने का सफर तय किया हैं। अर्चना की सफलता के पीछे हिला देने वाले संघर्षों की दास्तान छिपी है।अर्चना देवी एक ऐसे समाज से संघर्ष करके भारत को इंटरनेशनल लेवल पर विश्व चैंपियन बनने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जहां लड़कियों को बाहर पढ़ने भेजने में अब भी न जाने लोग कितना असुरक्षित महसूस करते हैं, या डरते है, या एक ऐसी सोच लेकर भारत जी रहा है जहां एक लड़की कभी अपने सपने नही पूरे कर सकती। उस देश में जहां आज भी कहीं कहीं लड़की होना ही सबसे बड़ा अभिशाप है…….

अर्चना देवी ने बचपन में अपने पिता को खो दिया, साप काटने से भाई की मृत्यु हो गई, जब क्रिकेट खेलना शुरू किया तो पेट भरने के पैसे न थे, कभी कभी तो क्रिकेट के मैदान पर ही भूख के कारण बेहोश होकर भी गिरी। उनकी मां सावित्री देवी  ने ना जाने लोगों से कितने ताने सहे अपनी बिटिया के लिए, सिर्फ  ताने ही न सहे बल्कि मजदूरी करके बेटी को पाला। 

अर्चना देवी 2017 में कुलदीप यादव के कोच कपिल पांडे की निगरानी में क्रिकेट का ककहरा सीखने वाली अर्चना ने आखिर पहाड़ सी मुसीबतों को पीछे छोड़ सफलता की बुलंदियों को छुआ।

आज अर्चना देवी ने ना सिर्फ अपने सपने पूरे किए बल्कि आज सारी दुनिया की लड़कियों के लिए एक रोल मॉडल बन गई। आज ना जाने कितनी ही लड़कियां के सपनो को नई जान मिली होंगी जब हमारी अंडर19  महिला टीम ने विश्व चैंपियन बनकर सारे विश्व में  भारत का नाम रोशन किया।

तो दोस्तो लग जाइए पूरे जूनून के साथ अपने सपनो को उड़ान देने के लिए। जीवन में मुसीबतें कभी कम नहीं होती, सबके जीवन में कुछ न कुछ ऐसा हो रहा होगा जो नहीं होना चाहिए, लेकिन यदि मेरे दोस्त लाइफ में संघर्ष न हो तो उस लाइफ का होना भी बेकार है। 


किसी ने बहुत खूब कहा
“,कभी समस्या तो कभी समाधान है ज़िन्दगी,कभी सम्मान तो कभी बलिदान है ज़िन्दगी,

क्योकि कभी उच्च शिखर तो कभी गहरी,ढलान है ज़िन्दगी

तो दोस्तों यदि जीवन में सूरज जैसा चमकना चाहते हो तो पहले सूरज जैसा जलना भी सीखों।

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