ओटी की रेड लाइट नंदिनी को खतरा लग रही थी एक घंटे से वो लाइट नंदिनी को ऐसे घूर रही थी जैसे वो कातिल हो। तनु जब हॉस्पिटल आयी तब भी नंदिनी लाल लाइट को ही देख रही थी जैसे इससे सफाई पेश कर रही हो किसी बात की। तनु पूछने जा रही थी कि क्या हुआ?कैसे हुआ?लेकिन नंदिनी के कपड़ो पर लगे खून ने काफी कुछ बता दिया उसे । तनु ने सोचा था कि हॉस्पिटल में पुलिस होगी जो नंदिनी से पूछताछ कर रही होगी बाहर मीडिया खड़ी होगी जो ब्रेकिंग न्यूज़ बना रही होगी लेकिन ऐसा कुछ नहीं था। ना वेद के दोस्तों ने पुलिस को कॉल की और न डॉक्टर्स ने क्योंकि ओटी में जाने से पहले वेद जो शब्द बोल पाया था वो यहीं थें ,”No Media no police, ” और इसके बाद फिर बेहोश हो गया था।
हमने जितना सोचा था केस उससे ज्यादा क्रिटिकल है इसीलिए हमने एक आई स्पेशलिस्ट को बुलाया है क्योंकि पेशेन्ट की आँख के अंदर का पूरा स्ट्रक्चर क्षतिग्रस्त हो गया है। कांच के महीन-महीन टुकड़े आँख के अंदर तक जा धसे थें।हम अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहें हैं बाकी सिर्फ 5 पर्सेंट ही चान्स है कि उनकी आँख बच पाये। कहते हुए दुःख हो रहा है पर अब शायद उन्हें पूरी जिंदगी अपनी एक आँख के सहारे बितानी पड़े। इतना कहने के बाद वेद के ऑपरेशन पैनल में शामिल एक डॉक्टर फिर से वापस ओटी में चलें गए। नंदिनी दर्द और गुस्से की मूर्ति बनी ही खड़ी रह गई ।
8 लोगों का पैनल जिसमें चार नामी डॉक्टर और ये जवाब..! पढ़ा क्या हैं इन्होने डिग्री में? गंवार हैं सब, लूटते है लोगों को धोखेबाज…. एक आँख चली जाएगी….? ऐसे कैसे चली जाएगी ! एक छोटा सा ऑपरेशन उसमें भी बोलते हैं कामयाब नहीं होगा…! अरे किस लिए हैं ये लोगों को ठीक करने के लिए कि ये बोलने के लिए की हमसे नहीं होगा किसी और को बुलाया हैं……? लेकिन इसमें उनकी गलती क्या हैं? जो हुआ किया तो मैंने हैं एक हँसते खेलते परिवार के एकलौते चिराग को मैंने इस तरह की हालत में लाकर छोड़ दिया हैं। कितनी बद्दुआएं देगी उसकी माँ मुझे!अरे वो तो मेरा भला ही चाहता था और मैंने…. नंदिनी दहाड़ मारकर रोने लगी जब तक तनु उसे जाकर संभालती वो दिवार के सहारे से फिसल कर फर्श पर लोट गई और तेज-तेज चीख के रोने लगी।
तनु दौड़ के उसे सँभालने पहुँची। वेद के दो दोस्त भी थे लेकिन वो नंदिनी को कुछ खास नहीं जानते थे इसीलिए चुपचाप उसे रोता हुआ देखते रहे। एक नर्स दौड़ के आयी पहले तो प्यार से फिर गुस्से से उसे चुप होने को बोलने लगी क्योंकि बाकी पेशेन्ट्स को दिक्कत हो रही थी। जब वो ज्यादा देर चुप ना हुए तो तनु ने उसके चेहरे को अपने सीने में छुपा लिया। थोड़ी देर तो नंदिनी ऐसे ही पड़ी रही लेकिन पता नहीं उसे क्या सुझा उसने खुद को तनु से अलग किया और उठकर चल दी ।
कहाँ जा रहीं हैं आप ? नंदिनी के पीछे चलते हुए तनु ने पूछा। लेकिन वो नहीं रुकी तो तनु उसके आगे खड़ी हो गई। तनु हटो प्लीज ! पहले बताइए की कहाँ जा रहीं हैं आप?
तुम्हें कैसे बताऊँ की ये जो हुआ मेरी गलती हैं , सारी की सारी। मैंने की है वेद की ये हालत मुझे पता है शायद तुम ये न मानो लेकिन मैंने ही वेद को ……
इसमें मानने या ना मानने की कोई बात ही नहीं हैं जो उन्हें थोड़ा भी जानता हो तुरंत बता देगा कि ये आप ही ने किया है क्योंकि किसी और ने किया होता तो ओटी में उसके लिए भी एक बेड पड़ा होता।
नंदिनी की आँखों में फिर आंसू आ गए ,”हाँ मेरी ही गलती हैं इसीलिए मैं इसकी कीमत भी चुकाऊंगी । आपको क्या लगता है कि किसी की आँख कोई पैसे से खरीदने वाली चीज़ हैं ,जो कीमत देंगी उसकी आप? जो चीज़ अपनी होती है वो अपनी ही होती है उसे छीनकर बाजार का सबसे महंगा तोहफा भी देंगी तो वो किस काम का। अभी जाएँगी एक चेक साइन करेंगी बस हो जाएगा आपका तो लेकिन देंगी किसे वो? वेद लेगा आपसे कि कोई मजलूम तलाशेंगी ? आपको लगता है कि उनकी रौशनी की कीमत आप लगा सकतीं हैं ? किसी की रौशनी की कीमत लगाने की हैसियत नहीं मेरी लेकिन अपनी गलती की भरपाई करने की हिम्मत जरूर है इसीलिए counter पर जा रही हूँ ऑर्गन डोनेशन का फॉर्म लेने?
उसका क्या करेंगी आप ? अपनी एक आँख वेद को दूंगी। उसकी आँखों में फिर से आंसू छलछला पड़े।
क्या? तनु को जैसे एकदम से झटका लगा और उसे अपने कानो पर यकीन ही नहीं हुआ।वो हैरान हो नंदिनी को गौर से देखने लगी। इतने में पीछे से एक डॉक्टर और उनके साथ दो अन्य लोग लगभग दौड़ते हुए ओटी की तरह जा रहें थें। नंदिनी समझ गई की ये वही डॉक्टर हैं जिन्हें बुलाया गया है। चलिए थोड़ी देर और वहीं पे इंतजार करतें हैं फिर देखा जाएगा जो करना होगा आगे। तनु ने नंदिनी से कहा दोनों ओटी की तरफ फिर बढ़ गई क्योंकि शायद एक उम्मीद ने उन्हें खींच लिया था अपनी तरफ।
रात 11 बजे तक चले ऑपरेशन में वेद की आँख को बचा लिया गया था। वेद की आँख को कुछ नहीं हुआ,ये नंदिनी के जीवन की अब तक की सबसे बड़ी खुशखबरी थी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करें। उसका एक दिल कर रहा था कि डॉक्टर्स की फोटो लेकर अपने घर में लगा ले और सुबह शाम उन्हें देखें फिर मन हो रहा था सारे डॉक्टर्स की मूर्ति बनवा कर चौराहों पर लगवा दे ताकि लोग जान सके की डॉक्टर्स कितने महान होतें हैं क्यों उन्हें भगवान का रूप माना जाता हैं । कितने निस्वार्थ भाव से मरीजों की सेवा करतें हैं रात 10 बजे अपने घर से उठके आतें हैं, ये कोई आम इंसान थोड़ी ही कर सकता है। रात भर बेंच पर बैठ कर नन्दीनी वेद के होश में आने का इन्तजार करती रही।तनु ने कई बार उससे लेट जाने के लिए,सो जाने के लिए कहा लेकिन वो फिर भी नहीं सोई। रात में शायद तनु दो घंटे सोई भी थी लेकिन नंदिनी की आँखों में ज़रा भी नींद नहीं थी क्योंकि उसका दिमाग कुछ सोच रहा था। 13-14 दिन से उसके दिमाग ने सोचना छोड़ दिया था लेकिन आज वो सब कुछ सोच रहा था पहले की तरह ही।
सुबह 10 बजे के आसपास वेद को होश आया तो उसने नर्स से कहकर तनु को अपने पास बुलाया,नन्दिनी बाहर ही बैठी रह गई।
कैसे हैं सर अभी? अच्छा महसूस हो रहा है कि नहीं आपको? तनु स्टूल बैठ गई। हाँ मैं ठीक हूँ पूरी तरह ठीक ये बताओ नंदिनी कैसी है ? वो भी ठीक हैं बिल्कुल ठीक । तनु की आँखों में नमी सी छा गई जो शायद वेद ने देख भी ली और अपनी सफाई भी पेश की।
ओह ! I’m sorry मुझे पहले तुम्हारे बारे में पूछना चाहिए था लेकिन मैंने सोचा कि कहीं नंदिनी ने अपने साथ कुछ…… its ok sir, चलिए कोई तो है उनके पास जो खुद से पहले उनका ख्याल रखता है। तनु मैं सच कह रहा हूँ मुझे तुम्हारी भी फ़िक्र थी, हाँ लेकिन उसकी थोड़ी ज्यादा थी क्योंकि वो तुम्हारी तरह समझदार नहीं थी।
sir please मैंने कहा न कि मैंने माइंड नहीं किया तो आप क्यों बार बार सफाई पेश कर रहें हैं । आपको कोई जरुरत नहीं है मेरी फ़िक्र करने की। क्यों ? जरुरत क्यों नहीं है तुम्हारी फ़िक्र करने की क्या तुम मेरी.. जानते है एक दिल वाली नॉर्मल लड़की को 0.007 सेकण्ड से भी कम समय में आपसे प्यार हो सकता है। जोकि आप भी नहीं चाहेंगे और मैं भी नहीं। तनु ने वेद की बात बीच में ही काट दी। इसके बाद वेद चुप हो गया और तनु भी ।
वैसे ये हुआ कैसे ? तनु ने सेब काटते हुए पूछा।
बस कुछ नहीं समझाने गया था कि कम्पनी को मत बेचो। समझा दिया ! लड़ा आए पत्थर से सर अपना। अब यहाँ पड़े-पड़े सेब खाओ और हॉस्पिटल का बिल भरो। वो तो करना ही पड़ेगा , अच्छा सुनो एक काम याद आया। जी बताइए ।
ये खबर कैसे भी करके तुमको मीडिया में स्प्रेट होने से रोकनी हैं। वैसे तो आपके दोस्त इस बात पर मोर्चा लिए बैठे है ,अभी तक इस खबर को किसी भी अख़बार की हेडलाइन नहीं बनने दी है।अब मैं भी देख लूंगी थोड़ा-बहुत।
तनु उठके जाने लगी तो कुछ सोच कर वेद से पूछ लिया ,”क्या मैम को भेज दूँ? वेद तुरंत कोई जवाब नहीं दे पाया थोड़ी देर सोचता रहा फिर बोला ,”अगर फ्री हों तो ।” जैसा की नंदिनी की सदाबहार आदत रही है अपनी गलती पर सॉरी ना बोलने की वैसे ही आज भी है इतनी बड़ी गलती करने के बाद भी। वेद को उम्मीद थी कि आज तो वो सॉरी बोलेगी लेकिन नंदिनी ने कुछ नहीं बोला थोड़ी देर बैठी रही इधर-उधर की बातें की और कमरे में जैसे ही नर्स आयी वैसे ही नंदक वेद को आराम करने का बोल के निकल गई। ऐसा लग रहा था कि वो वेद के पास बैठना ही नहीं चाहती हो। वेद थोड़ी देर शांत दिमाग किए लेटा रहा फिर सोचने लगा पिछली बार जब उसे अपनी गलती का अहसास हुआ था तो नंदिनी उसे कॉफी के लिए ले गई थी अब की बार भला किस तरकीब से सॉरी बोलेगी।
To be Continued. ……
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