कहते है आदमी के पास पैसा हो तो दुनिया का कोई भी आराम खरीद सकता है। लेकिन हॉस्पिटल का आराम भला कौन खरीदना चाहेगा ? कोई नहीं वेद भी नहीं,मगर आज ICU से पर्सनल रूम में शिफ्ट हुए 3 दिन हो गएँ हैं उसको , भरपूर आराम तो मिल रहा है लेकिन सुकून नहीं मिल पा रहा। कोई बातचीत करके मन बहलाने वाला भी नहीं है। ऑफिस से कुछ यार दोस्त आतें हैं थोड़ी देर अपना सदाचार दिखाकर चलें जाते हैं नंदिनी तो 3 दिन में बस दो बार आयी है हाँ लेकिन तनु जरूर एक घंटे के लिए डेली आती है। बाकी सारा दिन बिस्तर पर पड़े-पड़े इतना बोर हो जाता है कि उसका दिल करता है कि काश उसने अपने एक्सीडेंट की खबर ही मीडिया में चलवा दी होती तो सुकून से वही पड़े-पड़े देखा करता सारा दिन। क्योंकि टीवी पर सास बहू या सूर्यवंशम उसने बार-बार नहीं देखी जा रही थी । दोपहर को 1 घंटे के लिए कोई न्यूज़ चैनल देख लेता है फिर टीवी बंद कर देता है एक तो डॉक्टर ने भी आँख पर ज्यादा जोर देने से मना किया है और दूसरी वजह तो बता ही दी है आपको।
वेद आधी रात के बाद से सही से सो नहीं पाया था क्योंकि हॉस्पिटल में काफी शोर-शराबा हो रहा था इसीलिए सुबह उसकी आँख टाइम से खुल ही नहीं पायी। ऐसे रोज़ जब नर्स दवाई देने के लिए आती थी तब वेद उसे परेशान किया करता था लेकिन आज नर्स आकर पट्टी भी बदल गई और वेद को अहसास भी नहीं हुआ। उसकी आँख तब खुली जब उसे तनु ने जगाया था।रोज़ तो इस वक्त तनु ऑफिस में होती थी लेकिन आज वेद के पास थी।
वेद की आँख खुली और जब वो आराम से उठकर बैठ गया तो तनु के उदास और डरे हुए चेहरे पर गौर किया। ” क्या हुआ? ,” के जवाब में तनु ने बस आँखों से इशारा किया। पहले तो वेद नहीं समझ पाया लेकिन तनु 4 बार जब पीछे देखने का इशारा कर चुकी तब वेद को समझ आया कि गर्दन पीछे घुमाने को बोल रही है। पीछे की तरफ देखा तो नंदिनी बैठी थी,मगर ये क्या……? नंदिनी के चेहरे पर दांई आँख पर छोटे-छोटे चार टांके लगे थें और माथे पर बैंडेज लगा था। उसने नंदिनी को देखा तो उसे समझ लिया कि नंदिनी ने जरूर अपने साथ कुछ ना कुछ गलत कर लिया है , खुद को कोई सज़ा दी है क्या इस तरह किसी को सॉरी बोलना पागलपन नहीं है ?
नंदिनी ने वेद को उठा हुआ देखा तो नजरें झुका के कमरे के बाहर निकल गई पीछे से वेद ने रोकना भी चाहा मगर जैसे उसने सुना ही ना हो। हवा की तरह सन्न से बाहर निकल गई। उस वक्त वो किसी बत्तमीज बच्चे की तरह लग रही थी जिसकी माँ उसे घबराहट से बार-बार पुकार रही हो लेकिन उसे अनसुना करने की आदत हो । नंदिनी के चले जाने के बाद वेद ने तनु की तरफ देखा तो उसने भी नजरें झुका ली । क्या हुआ उन्हें ? उन्होंने खुद की आँख को चोट पहुँचाने की कोशिश की है ना ? वेद के सवाल में बेचैनी और गुस्सा दोनों था। तनु कुछ नहीं बोली सिवाय इसके की उसे कुछ नहीं पता। इस जवाब पे वेद हैरान हुआ था क्योंकि नंदिनी की ऐसी कोई भी बात नहीं जो उसे ना पता हो। उसने जब जोर देकर पूछा तो तनु भी कल मिलने की बात कहकर कमरे से निकल गई।
सारा दिन वेद पड़े-पड़े यही सोचता रहा कि नंदिनी ने क्यों ऐसा किया ? क्या उसने सिर्फ अपनी गलती मनाने के लिए ऐसा किया या हो सकता है कि उसने मेरा दर्द महसूस करने के लिए ऐसा किया हो , वो जानना चाहती हो कि उस वक्त मैं कितना तडपा था ? ऐसा तो पुराने ज़माने में फिल्मों की हीरोइन्स करती थी जब उनके हीरो को चोट लगती थी तो खुद को भी नुकसान पहुँचा लेती थी , या खुद हीरो को चोट पहुँचा कर खुद को भी घायल कर लेती थी तो क्या वैसा ही कुछ ? हो सकता है कि वो मुझे….मेरा मतलब उस घटना के बाद कहीं….मुझसे….. हाँ हो सकता है उसे पहली दफा इस बात का अहसास हो रहा हो कि उसे मुझसे…तभी तो उसने आँखे नहीं मिलाई मुझसे वरना पहले कैसे मेरे नज़र उठाते ही आँखों मे आँखे डाल के बात करती थी मुझसे और अभी कुछ दिनों से देखो नजरे तक नहीं उठाती! क्या सच में लड़की जिस से प्यार करती है उससे नजरें नहीं मिला पाती. .?
वेद ने सारा दिन इधर-उधर का सोचते-सोचते ही बिता दिया शाम को जब उसने टीवी खोला तो उसके होश ही उड़ गएँ। वो जिस हॉस्पिटल में था उसका कवरेज चल रहा था लेकिन ब्रेकिंग न्यूज़ वो नहीं कात्यायन ब्रदर्स थें, जो इसी हॉस्पिटल में एडमिट थें जिनमें से बड़े भाई को काफी प्रयासों के बाद भी नहीं बचाया जा सका , दोपहर में ही उनकी मौत हो गई जबकि छोटे भाई की हालत अभी भी गंभीर हैं , अगर 24 घंटे में होश में नहीं आएं तो कोमा में जा सकतें हैं । वेद टीवी को आँखे फाड़ कर देखता जा रहा था। कल रात को जब दोनों भाई पार्टी से लौट रहें थें तब किसी तेज स्पीड कार ने उनका एक्सीडेंट कर दिया । कौन लोग थें? क्या मकसद था कुछ नहीं पता चल सका पुलिस उनकी तलाश कर रही है अभी भी। वेद को अब समझ आया की हॉस्पिटल में रात को इतना शोर क्यों हो रहा था।
वैसे तो बाकी लोगों की तरह सोच-सोच कर वो भी परेशान हो सकता था कि ये किया किसने ? लेकिन उसे ऐसा करने की कोई जरुरत नहीं थी नंदिनी की आँखों में जो सुबह देखा था उसने वो मोहब्बत नहीं माफ़ी थी जो उसने इस अंदाज़ में मांगी। वेद मारे ख़ुशी के रोना चाह रहा था क्योंकि वाकई में एक शेरनी थकती जरूर है टूटती नहीं है। वेद कुछ दिन पहले तक ये सोचना छोड़ चुका था कि नंदिनी कभी बिज़नेस के बारे में दोबारा सोचेगी भी लेकिन आज… टीवी पर आती न्यूज़ तरुण कात्यायन की मौत की खबर उसे ये अहसास दिला रही थीं कि क्वीन आज भी जिंदा है। ऐसा नहीं है कि उसे इस हादसे से डर नहीं लग रहा था बहुत डर रहा था वो वाकई में क्योंकि अगर ये नंदिनी ने किया है और कुछ सुबूत रह गया है तो वो जरूर फसेगी, अरुण कात्यायन का होश में आना भी उसे जेल की सलाखों के पीछे ले जा सकता था । लेकिन इस डर पर नंदिनी की फिर से पहले जैसे हो जाने की ख़ुशी हावी थी। नंदिनी फिर से पहले जैसी हो गई यानि उसे किसी वेद से कोई प्यार नहीं है ये थोड़ा दिल दुखाता है लेकिन वेद खुश है ।
रात के 8 बजे के करीब नंदिनी हॉस्पिटल में वेद से मिलने के लिए आयी थी , वेद को ज्यादा उम्मीद तो नहीं थी लेकिन उसने इतनी बार फोन किया था आने के लिए नंदिनी को कि नाउम्मीद भी नहीं था वो।
थोड़ी देर तक इधर-उधर की बातें करने के बाद वेद ने पूछा, “तुम्हें क्या लगता है ये जो हुआ है दोनों भाइयों के साथ किसने किया होगा ये ? “
इतने तो दुशमन थें इनके कोई भी कर सकता है। हाँ ये बात तो है ये काम तो तुम भी कर सकती हो ! वेद ने उसके चेहरे की तरफ देखते हुए कहा। मैं क्यों करुँगी ऐसा, मैंने नहीं किया कुछ भी। नंदिनी इधर-उधर देखते हुए बोली ।
मुझसे झूठ बोलते हुए तुम अच्छी लगती हो लेकिन तुम्हारे ऐसे झूठ पर मुझे हँसी ज्यादा आती है। हाँ किया है मैंने तो! कोई नसीहत देनी है तुम्हें? या हमेशा की तरह कहना है कि ये नहीं करना था इससे बात बन जाएगी जेल जा सकती हो सजा हो सकती है , मीडिया में छवि खराब होगी। ऐसा ही कुछ ना ? हाँ किया है मैंने ये मुझे पता है मुझे ये नहीं करना चाहिए था लेकिन फिर भी किया मैंने और इसके लिए मैं कोई भी सजा काट सकती हूँ । नंदिनी जैसे अंदर से ही भरी हुई आयी थी वेद के ज़रा पिंच करने पर ही फट पड़ी। बाप रे बाप इतना गुस्सा ? वेद ज़रा मुस्कुराया फिर सीरियस होते हुए बोला ,” तुम उन दोनों की बिज़नेस पार्टनर हो इसीलिए कल तुम उन दोनों से मिलने के लिए हॉस्पिटल आओगी। क्या बकवास है मुझे मिलना ही होता तो ….. तुम बाहर थी एक बहुत जरुरी डील के सिलसिले में लेकिन जैसे ही तुम्हें इन दोनों की खबर मिली तुम भागते हुए इंडिया वापस आयी इसीलिए आज नहीं मिल पायी उनसे और हाँ मीडिया में ये भी बोलना कि जिसने भी ये किया है उसे सजा दिलवाने के लिए तुम ज़मीन-आसमान एक कर दोगी चाहे जितना भी पैसा लगे तुम पानी की तरह बहाओगी क्योंकि तरुण सिर्फ तुम्हारे बिज़नेस पार्टनर ही नहीं थें बल्कि तुम्हारे बड़े भाई जैसे थें ,समझी। नंदिनी को उसकी बात समझ में आ गई तो उसने सर झुका लिया। उसे हमेशा खराब लगता है अगर कोई उसकी बात बीच में काट दे तो लेकिन आज उसे अहसास हुआ कभी-कभी कुछ बातें मुँह से निकलनी ही नहीं चाहिए क्योंकि कभी-कभी बातों का कोई अर्थ नहीं होता दिमाग की भड़ास होती है बस।
セックス ロボットand tell themselves they’re perfect the way they are.This is why it becomes necessary to exit the trauma bond you have with your narcissistic parent.
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