wild heart-13 (Love story in Hindi)

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 मिस्टर शुक्ला जब हॉस्पिटल में थें तो उन्हें समझ ही नहीं आ रहा था कि नंदिनी के खिलाफ Attempt to murder का केस दर्ज करवाए जाकर कि अपनी बेटी निकिता की शादी का सारा बंदोबस्त देखें। निकिता कितना चाहती थी कि शादी से पहले तो कम से कम उसके पापा उसके साथ टाइम बिताये यूँ तो अपना सारा टाइम उन्होंने सिर्फ अपनी जॉब को देना ही मुनासिब समझा। सारी जिन्दगी इतने मशगूल रहें मिस्टर शुक्ला की उन्हें पता ही नहीं चला कि उनकी बेटी बड़ी हो गई हैं, इस बात का अहसास तब हुआ जब निकिता के लिए एक NRI family से रिश्ता आया।अब निकिता शादी के बाद अपने पति के साथ चली जाएगी ना सिर्फ अपने पापा को छोड़कर बल्कि इंडिया को ही छोड़कर। इन सब बातों को याद करते ही उन्होंने नंदिनी पर केस के इरादे को टाल दिया। अभिनव अपनी नौकरी चलें जाने के सदमे में था इसीलिए उसने मिस्टर शुक्ला को प्रेशराइज भी किया नन्दिनी पर केस करने के लिए लेकिन शुक्ला ने पहले बेटी की शादी और फिर बाद में कोर्ट-कचहरी के चक्कर में पड़ना तय किया था।                     

मिस्टर शुक्ला का एक पैर गोली लगने के बाद से ही पैरालाइज्ड हो गया था इसीलिए उन्हें काफी दिक्कत हो रही थी शादी की तैयारियों में और उनका बेटा तो अभी तक आया ही नहीं था।तीसरी आफत तो ये मोल थी कि निकिता की शादी काफी बड़े कारोबारी से हो रही थी जिनके हिसाब से हर चीज़ को परफेक्ट कर पाना उन्हें मुश्किल लग रहा था। इन सारी परेशानियों में एक ही शख्स सामने आया और उसके सामने आने की उम्मीद भी नहीं थी मिस्टर शुक्ला को।   

A wild heart love story in HINDI

                                    नंदिनी, उसने ना सिर्फ निकिता की शादी में खूब खर्चा भी किया बल्कि एक बड़ी बहन बनकर उसकी विदाई तक उसके साथ रही। ऐसा क्यों किया उसने ये पता लगाना कोई मुश्किल बात नहीं, ऐसा नहीं है कि उसे गिल्ट फील हो रहा हो या मिस्टर शुक्ला पर दया आ रही हो, उसने बस ऐसा किया क्योंकि शायद कोई दूसरी नंदिनी उसे बर्दाश नहीं होती। मिस्टर शुक्ला की तरह उसके पापा भी हॉस्पिटल के बेड पर पड़े थे और चाह रहें थें कि उनके मरने से पहले उनकी बेटी किसी सुरक्षित हाथों में चली जाए। तब वो अपनी कंपनी खड़ी करने के लिए संघर्ष कर रही थी और रोज़ के रोज़ उसे धमकियां मिलना, उस पर हमला करना ये सब आम बात हो गई थी। इसीलिए बहुत डर गए थे उसके डैड।             

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बेटा मैं जानता हूँ कि मैं अब नहीं बचूंगा,कोई दवा कोई डॉक्टर मुझे ठीक नहीं कर सकता। इस वक्त मैं जिस दर्द और तकलीफ को बर्दाश कर रहा हूँ वैसा दर्द भगवान मेरे दुश्मनो को भी ना दें। मैं इस दर्द को और बर्दाश नहीं कर सकता मेरे बच्चे… मैं इस दर्द के बिना सुकून से मरना चाहता हूँ… और वो मौत सिर्फ तू दे सकती है मुझे, ये मेडिकल साइंस नहीं।                              

डैड क्या कह रहें हैं मैं जानती हूँ आप जरूर ठीक होंगे मैंने सुबह ही डॉक्टर साहब से बात की हैं वो कह रहें हैं सब ठीक हो जाएगा। नंदिनी खुद भी अंदर ही अंदर जानती थी कि अब उसके डैड नहीं बचेंगे, लास्ट स्टेज के ब्लड कैंसर के साथ भला कोई कितने दिन जी सकता हैं!                              

 तू ये झूठे दिलासे किसे दे रही हैं मुझे या खुद को, लेकिन मौत तो इन झूठे दिलासों में आएगी नहीं बेटा… कहते-कहते उनकी आँखे भर आयी। मैं जानता हूँ तुम जिद्दी हो अपने भाई को कुछ नहीं बताया होगा इसीलिए मैंने समीर से बात कर ली है और सब कुछ बता दिया हैं वो बोल रहा था इंडिया आने वाली कोई भी पहली फ्लाइट पकड़ कर वो सीधा यहाँ आ जाएगा।लेकिन मुझे उसपर ज्यादा भरोसा नहीं बेटा मैं इस दुनिया में तुझे उसके भरोसे नहीं छोड़ सकता,इसीलिए बेटा मेरे मरने से पहले मेरी अंतिम इच्छा पूरी कर दे, करेगी ना….? उनकी आवाज़ में दुनियाभर का दर्द उभर आया और नंदिनी कुछ नहीं बोल पाई बस आँखो से आते आंसुओं को जब्त किये बैठी रही और अपने डैड के चेहरे को देखती रही। वो जानती हैं कि अगर वो रोई तो पापा भी रोयेंगे और अगर वो रोयेंगे तो जीने को अगर 4 घंटे बाकी होंगे तो सिर्फ 2 घंटे ही बच पाएंगे। ।  बोलो बेटा मेरी ख्वाहिश पूरी करोगी ना मेरे जीते जी? मौत से लिपटी एक आशा झलक रही थी उन बूढ़ी आँखों से। ।             

हाँ डैड मैं आपकी हर ख्वाहिश पूरी करुँगी। ।               तो बेटा मेरी आँखों के सामने अपना घर बसा लो। ।       क्या…! नंदिनी चौक गई। हाँ बेटा मैं तुम्हें समीर के भरोसे नहीं छोड़ सकता। पर डैड ऐसा नहीं हो सकता मैं किसी से प्यार भी नहीं करती जो आपके सामने लाकर खड़ा कर दूँ उसे फिर अभी मेरी उम्र..                                       अभिनव, कितना प्यार करता है वो तुझसे अच्छा लड़का है वो हर वक्त तेरा साथ देगा।

नंदिनी के लाख समझाने के बाद भी जब उसके पिता नहीं माने तो वो अभिनव से शादी के लिए तैयार हो गई। जैसे ही ये बात अभिनव को पता चली थी वो ख़ुशी से पागल हो गया था लेकिन ख़ुशी ऐसे मौके पर मिली थी उसे कि वो जाहिर भी नहीं कर सकता था। फटाफट उसने हॉस्पिटल में ही शादी के सारे बंदोबस्त करवाने लगा। नंदिनी हॉस्पिटल के रूम में खुद को लॉक कर चीख-चीख के रोती रहीं। ऐसा नहीं है कि उसे अभिनव पसंद नहीं हैं अच्छा लगता था वो नंदिनी को।उसकी आँखें,उसके बाल उसकी हँसी उसका स्टाइल सब पसंद था नंदिनी को और उसने सोचा भी था कि अपने पैरों पर खड़ा होने के बाद अभिनव को एक बार प्रपोज जरूर करेगी लेकिन……! कभी ऐसी हालत में उसे अभिनव का हाथ थामना पड़ेगा ये नहीं सोचा था उसने। दोनों हाथों से मुँह को दबाये नंदिनी सिसक-सिसक के सारे देवी-देवताओं से किसी चमत्कार की उम्मीद कर रही थी उसे लग रहा था कि कोई अभी आएगा दरवाजे पर दस्तक देगा और कहेगा,” नंदिनी चलो तुम्हारे पापा ठीक हो गए।”

उसकी आँखे चाहे कितनी भी क्यों ना भरी थी लेकिन उसके कान दरवाजे से बिलकुल सटे हुए थे आते-जाते हर इंसान के कदमों की आहट पहचान रहें थें। उसने अपनी माँ से सुना था कि सच्चे और साफ दिल से दुआ मांगो तो भगवान खुद चलकर आतें हैं मदद करने। उसने कभी भी इस बात को नहीं माना बल्कि बोलती थी कि ये बकवास किसी बेवकूफ के लिए रखिए आप। लेकिन कहते हैं ना जब इंसान बहुत बड़े दर्द से गुजर रहा हो किसी अपने को तकलीफ में देख रहा हो तो बड़ी से बड़ी बेवकूफी करने को भी तैयार हो जाता हैं। आज नंदिनी वहीं कर रही थी। वो रोये जा रही थी और दुनिया भर की मन्नते मांगे जा रही थी।उसने अपने सपने को भी दांव पर लगा दिया था ये मन्नत मांगते हुए कि “भगवान अगर आप मेरे पापा को ठीक कर दोगे तो मैं सब कुछ छोड़ कर आपकी सेवा में लग जाउंगी बिज़नेस छोड़ दूंगी”,ये करना छोड़ दूंगी, वो करना छोड़ दूंगी और पता नहीं क्या क्या कहे जा रहीं थी उसे होश ही नहीं था। उसकी आँखे पूरी लाल हो चुकी थी और चेहरा सूज गया था।काफी दिन बाद वो ऐसे रो रही थी क्योंकि जब उसे अपने डैड की बीमारी के बारे में पता चला तो उसने आँखों को एक दायरे में बाँध दिया था ताकि आँसू उसके बाहर ना आ सके वरना उसके डैड कमज़ोर हो जाएँगे। लेकिन आज ये आंसू सारे दायरे तोड़ कर आँखों से सैलाब की तरह बहे जा रहें थे। अचानक से दरवाजे पर दस्तक हुई नंदिनी एकदम से खड़ी हो गई जैसे कोई उम्मीद दरवाजे के बाहर से उसका नाम पुकार रही हो। “नंदिनी, चलो शादी की सारी तैयारियां हो गई हैं जल्दी से बाहर आ जाओ..!” कोई उम्मीद कोई दुआ,या कोई देवता नहीं था दरवाजे के उधर, अभिनव था। इस बात का एहसास होते ही नंदिनी धम्म से अंदर बैठ गई थी।

शादी के मन्त्र चल रहें थें और नंदिनी किसी शोक के कुएं में डूबती जा रही थी उसकी निगाहें अपने डैड के चेहरे पर थीं जो काफी मुस्कुराता हुआ दिख रहा था। किसी का बाप अपनी बेटी की शादी में हँसता हैं ऐसे! नहीं, लेकिन उसके डैड हँस रहें थें। बहुत भयानक हँसी लग रही थी नंदिनी को वो क्योंकि उसके पीछे उसे मौत नाचती दिखाई दे रही थी। दुनिया में ऐसी कौन सी बेटी होगी जिसे अपने शादी के मंत्रो में मैयत पर गए जाने वाले शोकगीत याद आ रहे हो। शादी के डेढ़ दिन के बाद ही नंदिनी के डैड की मौत हो गई थी।                    वो वैसी दुल्हन नहीं बन पायी थी जैसी वो बनना चाह रही  थी इसीलिए वो चाहती थी कि कोई और जरूर वैसी ही दुल्हन बनें जैसी वो बनना चाह रही हो। इसीलिए उसने निकिता के लिए ना सिर्फ उसके पापा की जिन्दगी को सही सलामत रहने दिया बल्कि इस बात का भी ख्याल रखा की निकिता की कोई ख्वाहिश अधूरी ना रह जाए।

मिस्टर शुक्ला इस बात के लिए नंदिनी के बहुत शुक्रगुजार हो गए थे और माफ़ी मांगना चाह रहे थे इसके लिए उन्होंने बताया भी कि कैसे अभिनव ने उन्हें अपनी बातों में फंसा लिया था। लेकिन नंदिनी ने कुछ नहीं कहा बस इतना बोली,” मिस्टर शुक्ला सुना हैं आप कोई केस-वेस करने जा रहें हैं किजिये मैं आपसे फिर वहीं कोर्ट में मिलती हूँ।” 


इन सब बातों को लगभग 5 महीने बीत चुके हैं लेकिन मिस्टर शुक्ला में कोई केस नहीं किया, अभिनव ने उनपर दबाव बनाया, धमकाया लेकिन उन्होंने कोई केस फाइल नहीं किया। लेकिन नंदिनी ने आज भी केस की तैयारी कर रखी हैं क्योंकि उसे किसी पर भी यकीन नहीं आता आसानी से। तभी वेद कहता हैं की उसे शक की बीमारी हैं। ऐसा नहीं है कि कुछ होने की अंदेशा में नंदिनी के ऑफिस वर्क पर कोई असर पड़ा हो उसका काम पहले से भी ज्यादा रफ्तार में चल रहा हैं क्योंकि जबसे वेद ने अपनी पोजीशन संभाल ली हैं तो ना सिर्फ कम्पनी की इनकम में तेजी लाने की कोशिश कर रहा हैं बल्कि नंदिनी को डील्स को लेकर भी सजेशंस देता हैं। हालांकि आज नंदिनी काफी गुस्से में हैं वेद की वजह से।

To be continued…..

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