Love story in Hindi (A wild heart part- 9)

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 नंदिनी जब भी कोई इम्पोर्टेन्ट फाइल साइन कर रही होती हैं तो फोन को साइड में रखना पसंद करती हैं अगर कोई फोन आए भी तो बाद में कॉल कर लेती हैं लेकिन खुद को डिस्टर्ब नहीं होने देती। नंदिनी का ये रूटीन सालों से कायम हैं, वो घर पहुँच के दिन में आई हुई इम्पोर्टेन्ट डील्स और फाइल्स एक बार इत्मीनान से जरूर देखती है। इसीलिए ऑफिस के सारे कर्मचारी और तनु कभी भी नंदिनी के ऑफिस से घर चलें जाने के बाद उन्हें कॉल नहीं करते।

अगर आपने अभी तक इस कहानी के पिछले पार्ट नहीं पढ़े तो पहले उन्हें जरूर पढ़ें

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नंदिनी अपने फॉर्महाऊस की छत पर बैठ कर सारे जरुरी दस्तावेजों को ध्यान से देख रही थी इसीलिए फोन पर आ रही कॉल को दो बार इग्नोर भी किया उसने लेकिन तीसरी बार फिर जब फोन झनझना उठा तो उसने ये सोचकर फोन को हाथ में ले लिया कि मैसेज कर देगी कि बाद में कॉल करें लेकिन स्क्रीन पर जो नाम देखा तो बिलकुल ही चौक गईं ना चाहते हुए भी उसकी उंगलियां ग्रीन बटन की तरफ चली गईं।

हैलो!…. फिर उधर से धीरे से हँसने की आवाज आयी फिर कुछ शब्द भी सुनाई पड़े,’ कैसी हो नन्दिनी? मुझे पूरा यकीन है मेरी आवाज सुनके तुम पूरी तरह हैरान हो,है ना!’ और फिर से हँसी की आवाज गूंज गई।    

सच कहूँ तो हैरान ही हूँ, नन्दिनी ने टेबल पर एक हाथ लगा कर कुर्सी पीछे करते हुए कहा,’ हाँ हैरान हूँ मैं,क्योंकि मुसीबतें जो हैं बिना बताएं आतीं हैं पहली दफा कोई मुसीबत कॉल करके आने वाली हैं।                                     अगर तुम मुझे मुसीबत बोल रही हो तो बड़ी नादान हो तुम क्योंकि असल मुसीबत तुमने देखी कहाँ हैं नंदिनी,वो तो अब देखोगी।                                                                               तुमने इतना कुछ बुरा दिखा दिया हैं ना अभिनव कि ऐसा लगता हैं उससे बुरा कुछ बचा भी नहीं हैं दुनिया में और उससे बुरा तुम दिखा भी नहीं सकते लेकिन तुम्हारे दिल की तसल्ली के लिए चलो मैं पूछ ही लेती हूँ कि अब कौन-सी नाकाम कोशिश करने जा रहें हो मुझे हराने की? नंदिनी की आवाज में कोई उतार-चढ़ाव नहीं था बिलकुल शान्त और स्थिर था उसका गला बिलकुल बेतकल्लुफ़।                        न..न..ना तुम मुझे हमेशा गलत ही क्यों समझती हो? मैंने तो दोस्त की हैसियत से कॉल की थी तुम्हें सोचा बता दूँ ताकि तुम पहले से ही अपने जवाब तैयार कर लो क्योंकि जब मीडिआ सवाल पूछती हैं ना तो प्रिपरेशन का टाइम भी नहीं देती हैं। सोचा था आज दो साल के बाद कॉल की हैं तो सीधी बात ही करोगे लेकिन मैं भूल ही गई थी कि कुत्ते की पूँछ को 12 साल भी हांडी में रखी जाए तो सीधी नहीं होती, वही पुरानी घुमा-फिरा के बात करने की आदत साफ-साफ बोलना कभी सीख भी पाओगे अभिनव?

ओह,क्या ऐसा? मैं तो तुम्हें झटका नहीं देना चाहता था साफ-साफ बोल के आखिर पति ना सही दोस्त तो आज भी हूँ तुम्हारा लेकिन….. चलो बता ही देता हूँ … तुम्हारे पुराने और भरोसेमंद कर्मचारी जिन्हें तुमने बेइज्जत करके ऑफिस से निकाल दिया……                                                                                     क्या बकवास है ये… नंदिनी उसकी बात पूरी होने से पहले ही चिल्ला उठी,’ किसने कहाँ हैं की मैंने उन्हें निकाल दिया? मैंने उन्हें दूसरे डिपार्टमेंट में ट्रांसफर कर दिया हैं और वो वहाँ satisfy भी हैं तो प्लीज तुम ये बकवास बातें फैलाना बंद करो।

मैं बकवास कहाँ कर रहा हूँ नंदिनी मैं तो सच बता रहा हूँ तुम्हें जो कल मीडिया में मिस्टर शुक्ला भी बताएँगे कि कैसे इतने सालों तक उन्होंने मुश्किल समय में कंपनी का साथ दिया,सब कुछ भूल के बस कंपनी के लिए ही सबकुछ किया और जैसे कंपनी को उनकी जरुरत नहीं रही तो उन्हें बेइज्जत करके, धक्के मार के कंपनी से निकाल दिया वो कितना ही कहते रहें कि कोई छोटी-मोटी सी नौकरी ही दे दो लेकिन कंपनी से मत निकालो बेचारे आधी सैलरी पर भी काम करने को तैयार थे लेकिन…. कहते-कहते अभिनव रुका वो नंदिनी की बात सुनने के लिए खामोश हुआ था लेकिन नंदिनी नहीं बोली तो फिर कहने लगा,’ लेकिन तुमने किसी बाहर से आए लड़के के चक्कर में पड़कर उन्हें निकाल दिया क्योंकि उसे तुम नाराज नहीं कर सकती थी इस लिए की वो फ्लिंटाफ इंडस्ट्रीस में तुम्हें अच्छी पोस्ट दिलवा सकता हैं, क्या नाम हैं उसका उम…. हां वेद.. अमेरिका की उसी बड़ी कंपनी से काम करके लौटा हैं ना वो …?


खैर कहीं से भी लौटा हो मुझे क्या.. मैं तो तुम्हें बता रहा था कि शुक्ला जी और क्या कहेंगे, ये भी बताएँगे कि तुम्हारी कंपनी काफी घाटे में हैं, काफी कर्ज हैं तुम पर सरकारी बैंक का, इसीलिए तुम सेफ जोन में जाने के लिए उस लड़के का इस्तेमाल कर रही हो और सारे शेयर्स बेच कर तुम अमेरिका भाग जाने वाली हो। ओह..हो..हो कितना दुःख होगा ना लोगों को जो तुम पर भरोसा करतें हैं, कितनी लड़कियों के सपने टूटेंगे जब उन्हें तुम्हारी असलियत पता चलेगी ? कितना डर जाएँगे तुम्हारी कंपनी में इन्वेस्ट करने वाले इन्वेस्टर्स ? एक ही रात में तुम्हारे सारे शेयर्स धड़ाम से गिरेंगे शेयर मार्किट में?
मुझसे तो ये सब देखा नहीं जाएगा इसीलिए मैं ऑफिस ही नहीं जाऊंगा दो एक दिन वरना खिड़की से एक बार तुम्हारे केबिन की तरफ देखने को जी चाह ही जाएगा और कहीं मुझे तुम्हारा उदास चेहरा दिख गया तो ….! नहीं, देख पाऊँगा मैं भले ही मुझे अच्छा लगे मज़ा आए तुम्हारी उदासी देख के लेकिन नहीं देख पाऊँगा क्योंकि दोस्त हूँ ना तुम्हारा।                                                    मिस्टर शुक्ला ने अभी मेरी कम्पनी से रिजाइन नहीं किया…. कमाल हैं, बिना रिजाइन किये ही मेरी कंपनी में जॉब मांगने चलें आएं! एक अच्छी खासी पोस्ट क्या बता दी हमने उनको वो तो तुम्हारी कंपनी की हकीकत सबके सामने लाने को झट से तैयार हो गए। खैर कोई नहीं कल सुबह जब ऑफिस जाओगी तो टेबल पर उनका resignation letter मिल जाएगा तुम्हें उसे तहे दिल से स्वीकार करना नंदिनी मैम।   अपनी जिन्दगी में आयी हर दिक्कत को मैंने तहे दिल से ही स्वीकारा है तुम्हें भी तो कितने प्यार से स्वीकारा था ना! खैर वो हटाओ मुझे तो तुम बस इतना बता दो कम तक मुझे तुम बर्बाद करने के लिए इतना affort करते रहोगे इतना अगर अपने करिअर पर ध्यान देतें तो किसी को बदनाम करने की कोशिश नहीं कर रहे होते बल्कि लोग तुम्हें बदनाम करने के लिए कोशिश करते और यकीन मानो वहीं तुम्हारी असली सफलता भी होती। ये बैंक बैलेंस,ये इज्ज़त, ये नाम ये सब इतनी बड़ी और राहत भरी चीजें नहीं हैं जितनी राहत किसी के जलने में होती हैं अभी जैसेकि मुझे ही देख लो कितना सुकून मिलरहा हैं मुझे तुम्हारे दो कौड़ी के मुँह से ये चार कौड़ी की बातें सुनकर..   

  नंदिनी अपनी हद….                                                      just shut up… तुम्हें पता होना चाहिए कि मुझे बीच में टोकने वाले लोग बिलकुल भी पसंद नहीं और तुम तो वैसे भी नहीं, नंदिनी की आवाज़ तेज थी,’ तुम्हें क्या लगता हैं अभिनव कि इस तरह तुम मुझे धमकाओगे और मैं तुमसे रिक्वेस्ट करने लगूंगी कि ऐसा मत करो या उस शुक्ला के पैर पकड़ कर अपनी कुर्सी पर बिठा दूंगी? जानते हो 7 सालों में खड़ी हुई देश की सबसे बड़ी कंपनी को मैं यों 7 मिनट के कॉन्फ्रेन्स में किसीको बर्बाद नहीं करने दे सकती, उसके लिए मुझे चाहे कुछ भी करना पड़े मारना पड़े या मरना पड़े। बहुत अच्छा प्लान बनाया है तुम लोगों ने लेकिन हमेशा अफ़सोस रहेगा कि कामयाब नहीं हो पाया तुम्हारी तरह ही तुम्हारा प्लान भी नाकामयाब ही रहा मिस्टर अभिनव। नंदिनी ने दोनों पैर उठाकर टेबल पर रख दिए और दिमाग में अभिनव का चेहरा सोच लिया वो भी टेबल के उस तरफ बैठा हुआ।   

  तुम्हारा ये ओवरकॉन्फिडेंस ही ना मुझे बहुत अच्छा लगता है। और मुझे ये तुम्हारी झूठ बोलने की आदत अच्छी लगती है।    तो तुम्हें लगता हैं कि तुम मुझे रोक सकती हो?                          नहीं,मुझे लगता हैं कि मैं तुम्हें शूट कर सकती हूँ अभिनव, और मानो या ना मानो लेकिन मेरा ये करने का मन भी हैं/               

 ओह लेडी…. अभिनव हंसा, यार ज्यादा दिन नहीं बचे हैं वैसे भी तुम्हारे पास इस रुतबे के लिए और ऐसे में तुम मुझे ऐसे ऐटिट्यूड दिखा रही हो believe नहीं होता।                          
   कुत्ते के सामने अगर शेर गली छोड़ दे ना तो उसके शेर होने का कोई मतलब नहीं रहता। खैर चलो छोड़ो ये बातें काफी रात हो गई हैं और मैं सोने जा रही हूँ…             
  सोने….? अभिनव की आवाज़ में हैरानी थी
 क्यों रात में आप सोते नहीं क्या ? 
अरे मैं तो भूल ही गई सारी रात तो आप दूसरों को नीचे कैसे गिराए यही सोचा करते हैं तो सोने का वक्त ही कहाँ मिलता होगा आपको, पर मैं ऐसा नहीं करती मुझे सोना हैं good night… और इसके बाद फोन कट गया।

ऐसा नहीं हैं कि अभिनव सोता नहीं हैं वो भी रात में सोता हैं लेकिन इतना पक्का हैं कि आज रात नहीं सोयेगा सो ही नहीं पायेगा बेचारा। वो तो वैसे ही फोन हाथ में पकड़े खड़ा ही रह गया ऐसे कैसे उसे कोई फर्क नहीं पड़ता इतनी सारी ही तो बातें उसने बताई ज़रा भी शिकन नहीं महसूस की उसने नंदिनी के माथे पे जैसे वो कोई कहानी सुना रहा हो उसे। यही सब बातें अभिनव को आज सोने नहीं देंगी। लेकिन ऐसा भी नहीं हैं की नंदिनी को कुछ भी फर्क ही नहीं पड़ता। पड़ता है उसे भी फर्क क्योंकि वो भी एक इंसान हैं। लेकिन उसका एक रुल हैं चाहे दिल में जितना भी डर हो कभी अपने दुश्मन के सामने ना आने दो ऐसा करके आधी लड़ाई आप पहले ही जीत जाते हो।

                          To be continued……

मैं आशा करता हूं कि आपको यह स्टोरी बहुत ही  अच्छी लग रही होंगी। ऐसी ही मजेदार स्टोरीज के लिए विजिट करते रहे हमारे अपने परिवार superdupper पर।

                                       Thankyou…

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