Hello guys today I will talk about goals of psychology let’s go
जैसा कि हम जानते हैं, मनोविज्ञान मानव एवं पशु के व्यवहार एवं संज्ञानात्मक प्रक्रियाओं का वैज्ञानिक अध्ययन करता है। ऐसे अध्ययन के पीछे उसके कुछ छिपे लक्ष्य (goals) होते हैं। मनोविज्ञान के मुख्य लक्ष्य निम्नांकित तीन हैं:-
(i) मापन एवं वर्णन (Measurement and Description )
(ii) पूर्वानुमान एवं नियन्त्रण (Prediction and Control )
(iii) व्याख्या ( explanation)
इन तीनों का वर्णन निम्नांकित हैं:-
(i) मापन एवं वर्णन (Measurement and Description ) – मनोविज्ञान का सबसे प्रथम लक्ष्य प्राणी के व्यवहार एवं संज्ञानात्मक प्रक्रियाओं का वर्णन करना तथा फिर उसे मापन करना होता है। प्रमुख मनोवैज्ञानिक प्रक्रियाओं जैसे—चिंता, सीखना, मनोवृत्ति, क्षमता, बुद्धि आदि का वर्णन करने के लिए पहले उसे मापना आवश्यक होता है। इसे मापने के लिए कई तरह के परीक्षण (test) की आवश्यकता होती है। इसलिए मनोविज्ञान का एक मुख्य लक्ष्य मनोवैज्ञानिक प्रक्रियाओं को मापने के लिए परीक्षण या विशेष प्रविधि का विकास करना है। किसी भी मनोवैज्ञानिक परीक्षण या प्रविधि में कम-से-कम दो गुणों का होना अनिवार्य है-विश्वसनीयता ( reliability) तथा वैधता (validity )। विश्वसनीयता से तात्पर्य इस बात से होता है कि बार-बार मापने से व्यक्ति का प्राप्तांक में कोई परिवर्तन नहीं आता है।
जैसे-यदि कोई बुद्धि परीक्षण एक ही व्यक्ति पर क्रियान्वयन करने पर एक समय में उच्च प्राप्तांक तथा दूसरे समय में निम्न प्राप्तांक देता है, तो इसे विश्सनीय नहीं माना जायेगा। हाँ, यदि दोनों समयों में एक समान प्राप्तांक परीक्षण पर आता है, तो इसे विश्वसनीयता कहा जायेगा। परन्तु विश्वसनीयता ही काफी नहीं है। परीक्षण में वैधता ( validity) का भी गुण होना चाहिए। वैधता से तात्पर्य इस बात से होता है कि परीक्षण वही मापन कर रहा है जिसे मापने के लिए उसे बनाया गया है। जैसे-यदि कोई व्यक्ति एक लम्बाई मापने वाला फीता लगाकर व्यक्ति के सिर की परिधि को मापकर उसकी बुद्धि-लब्धि को मापता है, और प्रत्येक बार ऐसा करने पर उसे एक ही प्राप्तांक आता है ( अर्थात विश्वसनीयता है) परन्तु उसमें वैधता ( validity) नहीं होगी क्योंकि मापने की प्रविधि अर्थात फीता का बुद्धि मापन से कोई सम्बन्ध नहीं है। हाँ, यदि इसका मापन कोई उत्तम बुद्धि परीक्षण से किया जाता, तो इसमें वैधता होती।
मापने के बाद मनोवैज्ञानिक उस व्यवहार का वर्णन भी करते हैं। जैसे-बुद्धि परीक्षण द्वारा मापने पर यदि किसी व्यक्ति का बुद्धि-लब्धि ( intelligence quotient) 130 आता है तो मनोवैज्ञानिक यह समझते हैं कि वह तीव्र बद्धि का है और वह विभिन्न परिस्थितियों में बुद्धिमत्तापूर्ण व्यवहार (intelligent behaviour) कर सकता है।
(ii) पूर्वकथन एवं नियन्त्रण (Prediction and Control) मनोविज्ञान का दूसरा लक्ष्य व्यवहार के बारे में पूर्वकथन करने से होता है ताकि उसे ठीक ढंग से नियन्त्रित किया जा सके। जहाँ तक पूर्वकथन का सवाल है, इसमें मापन के सफलता मापन (measurement) की सफलता पर निर्भर करता है। सामान्यतः मनोवैज्ञानिक गत व्यवहार आधार पर ही यह पूर्वकथन करते हैं कि व्यक्ति अमुक परिस्थिति में क्या कर सकता है तथा कैसे कर सकता है?
जैसे-अगर हम किसी छात्र के सामान्य बौद्धिक स्तर का मापन करके उसके बारे में सही-सही जान लें तो हम स्कूल में उसके निष्पादन (performance ) के बारे में पूर्वकथन आसानी से कर सकते हैं। उसी तरह के किसी व्यक्ति की अभिक्षमता (aptitude) को मापकर मनोवैज्ञानिक यह पूर्वकथन करते हैं कि व्यक्ति को किस काम में लगाया जा सकता है ताकि उसे अधिक-से-अधिक सफलता मिल सके। कुछ मनोवैज्ञानिक मानव व्यवहार के बारे में पूर्व कथन करने के लिए क्षमता ( ability ), अभिक्षमता (aptitude) के अलावा अभिरुचि (interest) का भी मापन किये हैं। व्यक्ति की अभिरुचि को मापकर मनोवैज्ञानिक यह पूर्वानुमान लगाते हैं कि व्यक्ति को किस तरह के कार्य (job) में लगाना उत्तम होगा ताकि उसे अधिक-से-अधिक सफलता प्राप्त हो सके।
सचमुच में पूर्वकथन तथा नियन्त्रण साथ-साथ चलता है और मनोवैज्ञानिक जब भी किसी व्यवहार के बारे में पूर्वकथन करता है तो उसका उद्देश्य उस व्यवहार को नियंत्रण भी करना होता है। जैसे— मनश्चिकित्सक (psychotherapist)रोगी के व्यवहार को नियन्त्रित तथा परिवर्तित इसलिए करते हैं कि उसके बारे में एक पूर्वानुमान लगाया जा सके; एक औद्योगिक मनोवैज्ञानिक अपने कर्मचारियों के व्यवहार को इसलिए नियंत्रित करते हैं कि उसके बारे में वे सही-सही पूर्वानुमान लगा सके। स्पष्ट हुआ कि पूर्वकथन एवं नियन्त्रण का कार्य मनोवैज्ञानिक साथ-साथ करते हैं।
(iii) व्याख्या (Explanation ) मनोविज्ञान का अन्तिम लक्ष्य मानव व्यवहार की व्याख्या करना होता है। व्यवहार की व्याख्या करने के लिए मनोवैज्ञानिक कुछ सिद्धान्त ( theories) का निर्माण करते हैं ताकि उनकी व्याख्या वैज्ञानिक ढंग से की जा सके। ऐसे सिद्धान्त ज्ञात स्रोतों से तथ्यों को संगठित करते हैं और मनोवैज्ञानिक को उस परिस्थिति में तर्कसंगत अनुमान लगाने में मदद करते हैं जहाँ वे सही उत्तर नहीं जान पाते हैं। कुछ लोगों का मत है कि मानव व्यवहार की व्याख्या करना मनोविज्ञान का सबसे अव्वल लक्ष्य है क्योंकि जबतक मनोवैज्ञानिक यह नहीं बतला पाते हैं कि व्यक्ति अमुक व्यवहार क्यों कर रहा है, अमुक मापन प्रविधि क्यों काम कर रहा है तो वे सही-सही न तो उस व्यवहार के बारे में पूर्वकथन ही कर सकते हैं और न ही उसका ठीक ढंग से नियन्त्रण ही सम्भव है।
स्पष्ट हुआ कि मनोविज्ञान के तीन लक्ष्य हैं और ये तीनों लक्ष्य एक-दूसरे से सम्बन्धित हैं। जबतक किसी व्यवहार का ठीक ढंग से मापन तथा वर्णन नहीं होता है, हम उसके बारे में कोई उत्तम पूर्वकथन (prediction) नहीं कर सकते हैं और न ही उसका नियन्त्रण ही सम्भव है। अगर हम किसी तरह से ऐसे व्यवहार के बारे में पूर्वकथन कर भी दें, तो उसकी वैज्ञानिक व्याख्या अर्थात किसी सिद्धान्त के तहत उसकी व्याख्या हम नहीं कर पायेंगे।
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