Introduction to psychology: nature and scope of psychology in hindi

 प्राक्-वैज्ञानिक काल (pre-scientific period) में मनोविज्ञान दर्शनशास्त्र (philosophy) का एक शाखा था। जब विलहेल्म वुण्ट (Wilhelm Wundt) ने 1879 में मनोविज्ञान का पहला प्रयोगशाला खोला, मनोविज्ञान दर्शनशास्त्र के चंगुल से निकलकर एक स्वतन्त्र विज्ञान का दर्जा पा सकने में समर्थ हो सका। 

मनोविज्ञान एक ऐसा विज्ञान है जो प्राणी के व्यवहार तथा मानसिक प्रक्रियाओं (mental processes) का अध्ययन करता है। दूसरे शब्दों में, यह कहा जा सकता है कि मनोविज्ञान एक ऐसा विज्ञान है जो क्रमबद्ध रूप से (systematically ) प्रेक्षणीय व्यवहार (observable behaviour) का अध्ययन करता है तथा प्राणी के भीतर के मानसिक एवं दैहिक प्रक्रियाओं जैसे-चिन्तन, भाव आदि तथा वातावरण की घटनाओं के साथ उनका सम्बन्ध जोड़कर अध्ययन करता है। इस परिप्रेक्ष्य में मनोविज्ञान को व्यवहारएवं मानसिक प्रक्रियाओं (mental process) के अध्ययन का विज्ञान कहा गया है। व्यवहार में मानव व्यवहार तथा पशु व्यवहार दोनों ही सम्मिलित होते हैं। मानसिक प्रक्रियाओं में चिन्तन, भाव संवेग एवं अन्य तरह की अनुभूतियों का अध्ययन सम्मिलित होता है।

लिण्डजे, हॉल थॉम्पसन ( Lindzey, Hall & Thompson, 1989 ) ने मनोविज्ञान के कार्यक्षेत्र (scope ) की समीक्षा करके बतलाया है कि मनोवैज्ञानिकों को तो कई दृष्टिकोणों से श्रेणीकृत किया जाता है। उदाहरणस्वरूप, उन्हें प्राप्त प्रशिक्षण (training) (जैसे, डाक्टरीय उपाधि या एम.ए. की उपाधि आदि) के अनुसार, जहाँ वे कार्य करते हैं,  विद्यालय, अस्पताल, स्कूल, निजी सेवा के अनुसार तथा अपनी पेशा से प्राप्त आय (income) के अनुसार उन्हें कई भागों में बाँटा जाता है। परन्तु मनोविज्ञान के कार्यक्षेत्र (scope ) को सही ढंग से समझने के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण श्रेणी वह श्रेणी है जिससे यह पता चलता है कि मनोविज्ञानी क्या करते हैं? किये गये कार्य के आधार पर मनोविज्ञानियों को तीन श्रेणियों में विभक्त किया जा सकता है— पहली श्रेणी में उन मनोविज्ञानियों को रखा जाता है जो शिक्षण कार्य में व्यस्त हैं, दूसरी श्रेणी में उन मनोवैज्ञानियों को रखा जाता है जो मनोवैज्ञानिक समस्याओं पर शोध करते हैं तथा तीसरी श्रेणी में उन मनोविज्ञानियों को रखा जाता है जो मनोविज्ञानिक अध्ययनों से प्राप्त तथ्यों के आधार पर कौशलों एवं तकनीक का उपयोग वास्तविक परिस्थिति में करते हैं।

 

इस तरह से मनोविज्ञानियों का तीन प्रमुख कार्यक्षेत्र हैशिक्षण (teaching),शोध ( research) तथा उपयोग ( application ) । इन तीनों कार्य क्षेत्रों से सम्बन्धित मुख्य शाखाओं का वर्णन निम्नांकित है:

1. शैक्षिक क्षेत्र ( Academic areas ) – शिक्षण तथा शोध, मनोविज्ञान का एक प्रमुख कार्य क्षेत्र है। इस दृष्टिकोण से इस क्षेत्र के तहत निम्नांकित शाखाओं से मनोविज्ञानी अपनी अभिरुचि दिखाते हैं:-

(i) जीवन-अवधि विकासात्मक मनोविज्ञान (Life-span developmental Psychology )

(ii) मानव प्रयोगात्मक मनोविज्ञान (Human experimental Psychology )

(iii) पशु प्रयोगात्मक मनोविज्ञान ( Animal experimental Psychology )

(iv) दैहिक मनोविज्ञान (Physiological Psychology )

(v) परिणात्मक मनोविज्ञान (Quantitative Psychology ) 

(vi) व्यक्तित्व मनोविज्ञान (Personality Psychology )

(vii) समाज मनोविज्ञान (Social Psychology )

(viii) शिक्षा मनोविज्ञान (Educational Psychology )
(ix) संज्ञात्मक मनोविज्ञान (Cognitive Psychology)
(x) असामान्य मनोविज्ञान (Abnormal Psychology )
 
(i) जीवन-अवधि विकासात्मक मनोविज्ञान (Life-span developmental psychology) बाल मनोविज्ञान का प्रारम्भिक सम्बन्ध मात्र बाल विकास (child development) के अध्ययन से था परन्तु हाल के वर्षों में विकासात्मक मनोविज्ञान में किशोरावास्था, वयस्कावस्था तथा वृद्धावस्था के अध्ययन पर भी बल डाला गया है। यही कारण है कि इसे जीवन-अवधि विकासात्मक मनोविज्ञान कहा जाता है। विकासात्मक मनोविज्ञान में मनोविज्ञानी मानव के लगभग प्रत्येक क्षेत्र जैसे-बुद्धि, पेशीय विकास, सांवेगिक विकास, सामाजिक विकास, खेल, भाषा विकास का अध्ययन विकासात्मक दृष्टिकोण से करते हैं। इसमें कुछ विशेष कारक जैसे-आनुवंशिकता, परिपक्वता, पारिवारिक पर्यावरण, सामाजिक- आर्थिक अन्तर (socio-economic differences) का व्यवहार के विकास पर पड़ले वाले प्रभावों का भी अध्ययन किया जाता है। कुल मनोविज्ञानियों के 5% मनोवैज्ञानिक विकासात्मक मनोविज्ञान के क्षेत्र में कार्यरत हैं।
(ii) मानव प्रयोगात्मक मनोविज्ञान (Human experimental Psychology) – मानव प्रयोगात्मक मनोविज्ञान मनोविज्ञान का एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ मानव के उन सभी व्यवहारों का अध्ययन किया जाता है जिस पर प्रयोग करना सम्भव है। सैद्धान्तिक रूप से ऐसे तो मानव व्यवहार के किसी भी पहलू पर प्रयोग किया जा सकता है परन्तु मनोविज्ञानी उसी पहलू पर प्रयोग करने की कोशिश करते हैं जिसे पृथक किया जा सके तथा जिसके अध्ययन की प्रक्रिया सरल हो। इस तरह से दृष्टि, श्रवण, चिन्तन, सीखना आदि जैसे व्यवहारों का प्रयोगात्मक अध्ययन काफी अधिक किया गया है। मानव प्रयोगात्मक मनोविज्ञान में उन मनोवैज्ञानिकों ने भी काफी अभिरुचि दिखलाया है जिन्हें प्रयोगात्मक मनोविज्ञान का संस्थापक कहा जाता है। इनमें विलियम वुण्ट, टिचेनर तथा वाटसन आदि के नाम अधिक मशहूर हैं।

(iii) पशु प्रयोगात्मक मनोविज्ञान (Animal experimental Psychology)– मनोविज्ञान का यह क्षेत्र मानव प्रयोगात्मक मनोविज्ञान (Human experimental psychology ) के समान है। सिर्फ अन्तर इतना ही है कि यहाँ
प्रयोग पशुओं जैसे-चूहों, बिल्लियों, कुत्तों, बन्दरों, वनमानुषों आदि पर किया जाता है। पशु प्रयोगात्मक मनोविज्ञान में अधिकतर शोध सीखने की प्रक्रिया तथा व्यवहार के जैविक पहलुओं के अध्ययन में किया गया है। पशु प्रयोगात्मक मनोविज्ञान के क्षेत्र में स्कीन्नर, गधरी, पैवलव, टॉलमैन आदि का नाम प्रमुख रूप से लिया जाता है। सच्चाई यह है कि सीखने के आधुनिक सिद्धान्त तथा मानव व्यवहार के जैविक पहलू के बारे में हम आज जो कुछ भी जानते हैं, उसका आधार पशु प्रयोगात्मक मनोविज्ञान ही है। इस मनोविज्ञान में पशुओं के व्यवहारों जैसे-सीखना, चिन्तन, स्मरण आदि का अध्ययन करके मनुष्यों के ऐसे ही व्यवहारों को समझने की कोशिश की जाती है। कुछ लोगों का मत है कि यदि मनोविज्ञान का मुख्य सम्बन्ध मानव व्यवहार के अध्ययन से है तो पशुओं के व्यवहारों का अध्ययन करना कोई अधिक तर्कसंगत बात  नहीं दिखता। परन्तु मनोविज्ञानियों के पास कुछ ऐसी बाध्यताएँ हैं जिनके कारण वे पशुओं के व्यवहार में अभिरुचि दिखलाते हैं। जैसे पशु व्यवहार का अध्ययन कम खर्चीला होता है। फिर कुछ ऐसे प्रयोग हैं जो मनुष्यों पर नैतिक दृष्टिकोण से करना सम्भव नहीं है तथा पशुओं का जीवन-अवधि (life span) का लघु होना भी एक प्रमुख ऐसे कारण है। मानव एवं पशु प्रयोगात्मक मनोविज्ञान के क्षेत्र में कुल मनोविज्ञानियों की संख्या का करीब 14% मनोविज्ञानी कार्यरत हैं।
(iv) दैहिक मनोविज्ञान (Physiological psychology)—दैहिक मनोविज्ञान में मनोविज्ञानियों का कार्यक्षेत्र प्राणी के व्यवहारों के दैहिक निर्धारकों (physiological determinants) तथा उनके प्रभावों का अध्ययन करना है। इस तरह के दैहिक मनोविज्ञान मनोविज्ञान की एक ऐसी शाखा है जो जैविक विज्ञान (biological science) से काफी जुड़ा हुआ है। इसे मनोजीवविज्ञान (psychobiology) भी कहा जाता है। आजकल मस्तिष्कीय कार्य (brain functioning) तथा व्यवहार के सम्बन्धों के अध्ययन में मनोवैज्ञानिकों की रुचि अधिक हो गयी है। इससे एक नयी अन्तरविषयक विशिष्टता (interdisplinary speciality ) का जन्म हुआ है जिसे ‘न्यूरोविज्ञान’ (neuroscience) कहा जाता है। इसी तरह के दैहिक मनोविज्ञानी हारमोन्स (hormones) का व्यवहार पर पड़ने वाले प्रभावों के अध्ययन में भी अभिरुचि रखते हैं। आजकल विभिन्न तरह के औषध (drug) तथा उनका व्यवहार पर पड़ने वाले प्रभावों का भी अध्ययन दैहिक मनोविज्ञान में किया जा रहा है। इससे भी एक नयी विशिष्टता (new speciality) का जन्म हुआ है जिसे मनोफर्माकोलॉजी(Psychopharmacology) कहा जाता है तथा जिसमें विभिन्न औषधों के व्यवहारात्मक प्रभाव ( behavioural effects) से लेकर तन्त्रीय तथा चयापचय (metabolic) प्रक्रियाओं में होने वाले आणविक शोध ( molecular research) तक का अध्ययन किया जाता है।
(v) परिमाणात्मक मनोविज्ञान ( Quantitative Psychology ) – इस मनोविज्ञान का मुख्य उद्देश्य मानव व्यवहार
को समझने तथा उसका अध्ययन करने के लिए गणितीय (mathemetical), सांख्यकीय (statistical) तथा परिमाणात्मक विधियों को विकसित करना है। कई मनोविज्ञानी इस क्षेत्र में व्यवहारिक सांख्यिकी (applied statistics) जैसे विषय में अधिक अभिरुचि लेने लगे हैं। व्यवहारिक सांख्यिकी में अन्य बातों के अलावा प्रयोगों के डिजाइन तथा आँकड़ों के विश्लेषण का विशेष रूप से अध्ययन किया जाता है ताकि एक तर्कपूर्ण एवं विश्वसनीय निष्कर्ष पर पहुँचा जा सके। कुछ मनोविज्ञानी परीक्षण (tests) या मापनी (scales) विकसित करने में भी प्रयत्नशील है ताकि मानव व्यवहार के विभिन्न पहुओं का अध्ययन करने के बाद एक आंकिक प्राप्तांक (numerical score) पर पहुँचा जा सके।ऐसे प्राप्तांकों के आधार पर मानव व्यवहार के बारे में वस्तुनिष्ठ व्याख्या (objective explanation) सम्भव है। सभी मनोवैज्ञानिक परीक्षणों का विकास कार्य परिणामात्मक विधि (quantitative methods ) से पूर्णत: साहचर्यित है। अभी हाल के कुछ वर्षों में मनोविज्ञानियों ने अपना प्रयास सांख्यिकीय विश्लेषण (statistical analysis) से आगे बढ़कर कुछ ऐसे गणितीय मॉडल ( mathemetical model) के निर्माण की ओर किया है जो व्यवहार के महत्त्वपूर्ण श्रेणियों के बारे में पूर्वकथन (prediction) करते हैं। मनोविज्ञान के इस उपकरण को गणितीय मनोविज्ञान (Mathematical psychology ) कहा जाता है जिसका सबसे अधिक गहरा सम्बन्ध संवेदी मनोविज्ञान (Sensory psychology ), सीखना तथा निर्णय करने की प्रक्रिया (decision making) आदि से है।
(vi) व्यक्तित्व मनोविज्ञान ( Psychology of Personality ) व्यक्तित्व मनोविज्ञान का सम्बन्ध व्यक्ति तथा व्यक्तियों के बीच विभिन्नता के अध्ययन से है। व्यक्तित्व मनोविज्ञानी व्यवहार के अभिप्रेरणात्मक पहलू (motivational aspects) के बारे में अध्ययन करने में अधिक रुचि दिखलाते हैं। इस तरह के मनोविज्ञान में सामान्य तथा विचलित (deviant) दोनों तरह के व्यक्तित्व का अध्ययन किया जाता है। इस क्षेत्र में मनोविज्ञानियों का अधिकतर समय व्यक्तियों को उनके शीलगुणों के आधार पर वर्गीकृत करने में तथा उन आयामों या विमाओं का पता लगाने में भी किया जाता है जिसके आधार पर एक व्यक्ति की समानता या विभिन्नता दूसरे व्यक्ति से स्थापित की जा सकती है। इस क्षेत्र के मनोविज्ञानियों ने कुछ ऐसे व्यक्तिव मापों (personality measure) का भी विकास किया है जिसके आधार पर सामान्य तथा रोगात्मक (pathological) व्यवहार का वर्णन सम्भव है। इस तरह से व्यक्तित्व मनोविज्ञानियों की मुख्य अभिरुचि एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति की विभिन्नता का अध्ययन में है। इस क्षेत्र में कुछ मनोविज्ञानी तो ऐसे हैं जो व्यक्ति के अपूर्व गुणों (unique qualities) के अध्ययन को ही अपना मुख्य कार्य समझते हैं।
(vii) समाज मनोविज्ञान ( Social Psychology ) — समाज मनोविज्ञान मनुष्यों को एक सामाजिक पशु (social
animals) के रूप में अध्ययन करता है। सामाजिक पशु आपस में अन्तःक्रिया करते हैं और एक परिवार या समाज बनाकर रहते हैं। समाज मनोविज्ञान का क्षेत्र समाजशास्त्र के क्षेत्र से काफी सम्बन्धित है। यही कारण है कि बहुत सारे समाजशास्त्री भी अपने आप को समाज मनोविज्ञानी कहने में फक्र का अनुभव करते हैं। समाज मनोविज्ञानियों का अध्ययन क्षेत्र में समूह का व्यक्ति पर पड़ने वाले प्रभाव तथा व्यक्ति का समूह पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन किया जाता है। इसके अलावा वे और भी कई तरह के व्यक्तिगत अन्तःक्रियाओं ( personal interactions) का भी अध्ययन करते
हैं। जैसे—एक समाज मनोविज्ञानी के अध्ययन क्षेत्र में अन्तर्वैयक्तिक पसंद (interpersonal preference) को निर्धारित करने वाले कारक, पूर्वाग्रह तथा विभेद को सम्पोषित एवं विकसित करने वाले कारक, मनोवृत्ति परिवर्तन तथा विकास को प्रमाणित करने वाले कारक, समस्या समाधान पर समूह के पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन, सामाजिक रूप से विचलित व्यवहार आदि का अध्ययन सम्मिलित होता है। मनोविज्ञानियों के कुल संख्या के करीब 6% मनोविज्ञानी इस क्षेत्र में कार्यरत हैं।
(viii) संज्ञानात्मक मनोविज्ञान (Cognitive Psychology ) संज्ञानात्मक मनोविज्ञान में मानसिक प्रक्रियओं
जैसे— प्रत्यक्षण, चिन्तन, सीखना, बुद्धि, स्मृति आदि के अध्ययन के महत्त्व पर बल डाला जाता है। इन मनोविज्ञानियों का मत है कि मानव व्यवहार की सम्पूर्ण एवं वैज्ञानिक व्याख्या उद्दीपक अनुक्रिया सम्बन्ध ( 
connection) के रूप में संतोषजनक ढंग से नहीं की जा सकती है। इन मनोविज्ञानियों का मत है कि प्रत्येक उद्दीपक (stimulus ) के प्रति व्यक्ति कुछ निर्णय करने के बाद ही अनुक्रिया करता है। प्रत्येक निर्णय की प्रक्रिया में अन्य उद्दीपकों के साथ व्यक्ति उन उद्दीपकों की तुलना करता है जिसके प्रति उसे अनुक्रिया करना होता है, उसके अर्थ को स समाधान में मदद भी करता है।
(ix) असामान्य मनोविज्ञान ( Abnormal Psychology )—– असामान्य मनोविज्ञान मनोविज्ञानियों का ऐसा कार्यक्षेत्र है जिसमें वे कुसमायोजित व्यवहार (maladaptive behaviour) या असामान्य व्यवहार के कारणों, लक्षणों, प्रकारों आदि का अध्ययन करते हैं। व्यक्ति के कुछ व्यवहार ऐसे होते हैं जिन्हें असामान्य कहा जाता है। इन व्यवहारों के समझने के लिए मनोविज्ञानी उसके लक्षणों का क्रमबद्ध अध्ययन करते हैं तथा उत्पत्ति के कारणों को समझने के लिए व्यक्ति के जैविक पृष्ठभूमि (biological background), मनोवैज्ञानिक पृष्ठभूमि (psychological background) तथा सामाजिक-सांस्कृतिक पृष्ठभूमि (socio-cultural background) का विस्तृत रूप से अध्ययन करते हैं। अतः मनोविज्ञान के इस शाखा में अभिरुचि रखने वाले मनोविज्ञानियों के सामने एक कठिन एवं जटिल कार्य होता है क्योंकि उक्त कारकों का विश्लेषण निश्चित रूप से अपने आप में एक असाधारण कार्य है।
(x) शिक्षा मनोविज्ञान ( Educational Psychology ) — शिक्षा मनोविज्ञान का क्षेत्र एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्र है जिसमें
मनोविज्ञानियों की सक्रियता अधिक पायी गयी है। शिक्षा मनोविज्ञानी शैक्षिक प्रक्रिया के मनोवैज्ञानिक पहलुओं का विशेष अध्ययन करते हैं। सीखने के नियमों के अध्ययन के अलावा शिक्षा मनोविज्ञानी और भी कई पहलुओं पर अपना ध्यान देते हैं। जैसे—छात्रों का शैक्षिक निष्पादन किस तरह से वैयक्तिक विभिन्नता, व्यक्तित्व कारक तथा सामाजिक अन्तःक्रिया आदि से प्रभावित होता है। अपने शोध कार्य में कुछ विशेष चरों जैसे – शिक्षक छात्र अन्तः क्रिया ( teacher-student interaction) एवं सीखने तथा छात्रों के मनोबल पर पड़ने वाले प्रभावों का भी अध्ययन किया जा सकता है। कुछ बड़े पैमाने पर स्कूल के सामाजिक संगठन को तथा शिक्षकों के चयन एवं प्रशिक्षण का भी अध्ययन करते हैं। संक्षेप में, कहा जा सकता है कि शिक्षा मनोविज्ञानी का सम्बन्ध मुख्यतः सीखने तथा अभिप्रेरण के बारे में मनोवैज्ञानिक ज्ञान का उपयोग करके छात्रों में सीखने की क्षमता को बढ़ाना है। कुल मनोविज्ञानियों का करीब 6% मनोविज्ञानी इस क्षेत्र में कार्यरत हैं।
2. प्रयुक्त मनोविज्ञान के क्षेत्र ( Areas of applied Psychology ) – मनोविज्ञान का कुछ क्षेत्र ऐसा है जिसमें मनोवैज्ञानिक व्यक्तियों तथा समूह के मनोवैज्ञानिक समस्याओं के समाधान में अपने कौशल एवं शोध का उपयोग करते हैं ताकि उन समस्याओं का समाधान किया जा सके तथा व्यक्तियों का सही मार्गदर्शन किया जा सके। इस तरह के क्षेत्र को प्रयुक्त मनोविज्ञान (applied psychology) कहा जाता है। इसके तहत निम्नांकित शाखाओं में मनोविज्ञानी कार्यरत हैं:
(i) नैदानिक मनोविज्ञान (Clinical Psychology )
(ii) सामुदायिक मनोविज्ञान (Community Psychology )
(iii) परामर्श मनोविज्ञान ( Counselling Psychology )
(iv) स्कूल मनोविज्ञान (School Psychology )
(v) औद्योगिक एवं संज्ञानात्मक मनोविज्ञान (Industrial and Organisational Psychology )
(vi) सैन्य मनोविज्ञान (Military Psychology )
इन सबों का वर्णन निम्नांकित है:-
(i) नैदानिक मनोविज्ञान (Clinical Psychology )—– नैदानिक मनोविज्ञान मनोविज्ञान का सबसे प्रचलित एवं
बड़ा प्रयुक्त शाखा है। मनोवैज्ञानिकों की कुल संख्या का 45% मनोवैज्ञानिक केवल नैदानिक मनोवैज्ञानिक हैं। नैदानिक मनोविज्ञानी कई तरह के कार्य करते हैं जिनमें सबसे प्रमुख कार्य मनोवैज्ञानिक समस्या से ग्रसित लोगों को चंगा करना है ताकि वे अपने दिन-प्रतिदिन की दुनिया में ठीक ढंग से समायोजन कर सके। नैदानिक मनोविज्ञानी तो ऐसे कई क्षेत्र में सक्रिय हैं परन्तु उनके द्वारा मुख्य रूप से तीन कार्य अधिक किये जाते हैं-शोध (research), निदान ( diagnosis ) तथा उपचार (treatment) मनश्चिकित्सा (psychotherapy) के विभिन्न विधियों के माध्यम से ये लोग मानसिक रोग का उपचार करते हैं। नैदानिक मनोविज्ञानियों द्वारा बहुत तरह के निदानसूचक प्रविधियों (diagnostic tool ) जैसे—साक्षात्कार, मनोवैज्ञानिक परीक्षण आदि का उपयोग नैदानिक मूल्यांकन में किया जाता है। 
(ii) सामुदायिक मनोविज्ञान ( Community Psychology) सामुदायिक मनोविज्ञान का एक ऐसा क्षेत्र है जो मनोवैज्ञानिक नियमों, विचारों एवं तथ्यों का उपयोग सामाजिक समस्याओं के समाधान में करते हैं तथा व्यक्ति को अपने
कार्य एवं समूह में समायोजन करने में मदद करते हैं। दूसरे शब्दों में, सामुदायिक मनोविज्ञान का सम्बन्ध मनश्चिकित्सा(psychotherapy) तथा मनोनिदान (psychodiagnosis) से नहीं होता है बल्कि उस पर्यावरण परिस्थिति से होता
है जिसमें व्यवहारात्मक क्षुब्धता (behavioural disturbance) उत्पन्न होती है या उत्पन्न हो सकती है। सामुदायिक
मनोविज्ञानी पर्यावरण में परिवर्तन लाकर समस्या को दूर करने में अधिक विश्वास रखते हैं। ऐसे मनोवैज्ञानिक किसी भी व्यक्ति विशेष के व्यवहार में परिवर्तन लाने की अपेक्षा सामान्य पर्यावरण में परिवर्तन जैसे—स्कूल के संगठन तथा
प्रशासन में परिवर्तन, पूरे समाज के किशारों एवं बच्चों के अन्तःक्रिया शैली में परिवर्तन आदि करके समस्या की गम्भीरता को कम करने की कोशिश करते हैं। सचमुच में सामुदायिक मनोविज्ञानी, सामुदायिक मानसिक स्वास्थ्य आन्दोलन(Community Mental Health Movement) का विशेष भाग माने जाते हैं। कुछ सामुदायिक मनोविज्ञानी लोगों के
मानसिक स्वास्थ्य के बारे में अध्ययन न करके सामुदायिक समस्याओं (community problems) के अध्ययन के बारे
में अधिक रुचि दिखलाते हैं। इन्हें सामाजिक समस्या सामुदायिक मनोविज्ञानी (Social problem community psychologist) कहा जाता है। समुदाय के समूहों में विद्वेष, पुलिस तथा समुदाय के बीच खराब सम्बन्ध एवं रोजगार के अवसर में कमी के कारण उत्पन्न पीड़ा आदि के अध्ययन में सामाजिक समस्या सामुदायिक मनोविज्ञानी की अभिरुचि
अधिक होती है।
(iii) परामर्श मनोविज्ञान ( Counselling Psychology ) – परामर्श मनोविज्ञानी का कार्यक्षेत्र नैदानिक मनोविज्ञानी के कार्यक्षेत्र से काफी मिलता-जुलता है। मात्र अन्तर इतना ही है कि परामर्श मनोविज्ञान व्यक्ति के साधारण सांवेगिक एवं व्यक्तिगत समस्याओं को दूर करने का प्रयास करते हैं जबकि नैदानिक मनोविज्ञान में इससे थोड़ा जटिल एवं कठिन समस्याओं को दूर करने का भी प्रयास किया जाता है। दूसरे शब्दों में, यह कहा जा सकता है कि परामर्श मनोविज्ञान सामान्य व्यक्तियों को ही अपनी समायोजन क्षमता को मजबूत करने में मदद करता है। परामर्श मनोविज्ञानी व्यक्ति के
सापेक्ष कमजोरियों एवं गुणों का पर्दाफाश करता है। इस कार्य में वे मनोवैज्ञानिक परीक्षणों (psychological tes… ) का भी उपयोग करते हैं। अधिकतर परामर्श मनोविज्ञानी छात्रों को अपनी उपलब्धियों में समायोजन करने में भी मदद करते हैं तथा छात्रों को अपने भविष्य के जीवन-वृत्ति (career) के बारे में योजना तैयार कराने में भी सक्रिय भूमिका निभाते हैं। मनोविज्ञानियों की कुल संख्या का करीब 10% मनोविज्ञानी परामर्श मनोविज्ञान के क्षेत्र में कार्यरत हैं।
(iv) स्कूल मनोविज्ञान ( School Psychology)—स्कूल मनोवैज्ञानिक का कार्य सामुदायिक मानसिक स्वास्थ्य
कार्यकर्त्ताओं एवं परामर्श मनोविज्ञानी से अंशतः मिलता-जुलता है। स्कूल मनोविज्ञानी मुख्यतः प्राथमिक तथा माध्यमिक स्कूलों में कार्य करते हैं तथा वे छात्रों को अन्य विशेषज्ञों के पास विशेष उपचार के लिए भी भेजते हैं। स्कूल में वे मुख्यत:
व्यावसायिक एवं शैक्षिक परीक्षण कार्य करते हैं तथा परामर्श एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम (training programme) को संगठित करके जो शिक्षक को छात्रों एवं अन्य शिक्षकों के साथ संगठित करने में तथा स्कूल के प्रशासन की समस्याओं
से सम्बन्धित प्रश्नों का हल ढूँढ़ने में लाभदायक होता है, महत्त्वपूर्ण सेवा प्रदान करते हैं। इसके अलावा स्कूल मनोविज्ञानी नये प्रशिक्षण कार्यक्रम की प्रभावशीलता का भी अध्ययन करते हैं। शिक्षकों या छात्रों के मनोबल का अध्ययन करते हैं. गैरकानूनी औषध उपयोग के कारणों का पता लगाकर उसका निदान ढूँढ़ते हैं तथा औषध उपयोग करने के पैटर्न को परिवर्तित करने के शैक्षिक कार्यक्रम की उपयोगिता पर भी अधिक बल डालते हैं। मनोविज्ञानियों की कुल संख्या का करीब 5% मनोविज्ञानी स्कूल मनोविज्ञान के क्षेत्र में कार्यरत हैं।
(v) औद्योगिक एवं संगठनात्मक मनोविज्ञान (Industrial Psychology and Organisational Psychology
-उद्योग एक अन्य ऐसा क्षेत्र है जिसमें मनोवैज्ञानिक नियमों एवं सिद्धान्तों का उपयोग किया जाता है। औद्योगिक मनोविज्ञान में उद्योग में कार्यरत कर्मचारियों के मनोवैज्ञानिक समस्याओं का अध्ययन किया जाता है तथा उनका पर्याप्त समाधान ढूँढने का प्रयास किया जाता है। औद्योगिक मनोविज्ञान का सम्बन्ध कर्मचारियों एवं कार्यों (jobs) के विभाजन, कार्मिक चयन( personnel selection ), कार्य मूल्यांकन (job appraisal), कार्य मनोवृत्ति ( job attitude), कार्य के भौतिक
वातावरण ( physical environment of work) आदि के अध्ययन से होता है। मनोविज्ञानियों की कुल संख्या का करीब 5% मनोविज्ञानी औद्योगिक मनोविज्ञान के
क्षेत्र में कार्यरत हैं।

vi) सैन्य मनोविज्ञान (Military Psychology)—इस मनोविज्ञान में मनोवैज्ञानिक नियमों एवं सिद्धान्तों का
उपयोग सैन्य क्षेत्रों में किया जाता है। अमेरिकन सैन्य बलों (American Military Force) में मनोविज्ञान के सिद्धान्तों एवं तथ्यों का पहली बार उपयोग किया गया था। भारत में द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से भारतीय सैन्य बलों में मनोविज्ञान
का उपयोग किया जा रहा है तथा इसके लिए भारत सरकार ने रक्षा मंत्रालय के तहत एक विशेष संस्था भी खोल रखा है जिसे साइकोलॉजिकल इन्स्टीच्यूट ऑफ डिफेंस रिसर्चेज (Psychological Institute of Defence Researches) की संज्ञा दी गयी है। इस क्षेत्र के मनोवैज्ञानिकों का मुख्य कार्यक्षेत्र निम्नांकित पाँच तरह की गतिविधियों तक फैला हुआ है।
(a) विभिन्न स्तरों पर रक्षा कर्मियों का चयन
(b) विशेष कार्यक्रम का आयोजन करके ऐसे कर्मियों में नेतृत्व गुणों (leadership qualities) को विकसित
करना।
(c) विशेष ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रमों को विकसित करना जिनसे कर्मियों में सुरक्षा कौशलों (defence skills ) का विकास हो सके।
(d) सैन्य बलों में मनोबल को विकसित करने के लिए विशेष कार्यक्रम तैयार करना।
(e) कुछ विशेष सैन्य समस्याओं जैसे अधिक ऊँचे स्थानों में उचित व्यवहार करने सम्बन्धी सैनिकों की समस्याएँ, चिन्ता तथा तनाव आदि से उत्पन्न समस्याओं का अध्ययन
करना।
3. मनोविज्ञान के नये उभरते क्षेत्र (New emerging fields of Psychology ) – मनोविज्ञान लगातार विकसित हो
रहा है तथा मनोवैज्ञानिक के कार्यक्षेत्र में नयी-नयी विशिष्टताओं प्रवेश करते जा रहीं हैं। फलतः मनोविज्ञान के शाखाओं का प्रादुर्भाव हो रहा है जिनमें निम्नांकित प्रमुख कुछ नयी हैं—
(i) पर्यावरणी मनोविज्ञान (Environmental Psychology )
(ii) स्वास्थ्य मनोविज्ञान ( Health Psychology )
(iii) सुधारात्मक मनोविज्ञान (Correctional Psychology )
(iv) वायुदिक् मनोविज्ञान (Aerospace Psychology )
(v) न्यायिक मनोविज्ञान ( Forensic Psychology )
(vi) क्रीड़ा का मनोविज्ञान ( Sports Psychology )
(vii) राजनीतिक मनोविज्ञान (Political Psychology )
(viii) गिरोमनोविज्ञान ( Geropsychology )
(ix) क्रॉस-सांस्कृतिक मनोविज्ञान (Cross-cultural Psychology )
(x) महिलाओं का मनोविज्ञान (Psychology for Women )
(xi) आर्थिक मनोविज्ञान (Economic Psychology )
(xii) यातायात एवं परिवहन मनोविज्ञान (Traffic and Transport Psychology )
इन शाखाओं का वर्णन निम्नांकित है:-
(i) पर्यावरणी मनोविज्ञान (Environmental Psychology )– मनोविज्ञान के इस शाखा में पर्यावरण
( environment ) तथा उसके व्यवहार पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन किया जाता है। पर्यावरण के विभिन्न पहलुओं जैसे—स्कूल, घर, आवाज, प्रदूषण, मौसम, भीड़-भाड़ आदि का व्यवहार पर स्पष्ट प्रभाव पड़ता है। इन प्रभावों का अध्ययन पर्यावरणी मनोविज्ञान ( environmental psychology) में किया जाता है। पर्यावरण मनोविज्ञानी अपने विशेष अध्ययन तथा शोध में यह जानने की कोशिश करते हैं कि पर्यावरण के कीमती खजानों को कैसे बचाया जा सकता है तथा पर्यावरण के दोषपूर्ण पहलू से मानव को किस तरह बचाकर उनके जीवन के गुणों या विशेषताओं को उन्नत बनाया जा सकता है।
(ii) स्वास्थ्य मनोविज्ञान ( Health Psychology ) – मनोविज्ञान के इस क्षेत्र में स्वास्थ्य विशेषकर शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारकों का अध्ययन किया जाता है। दूसरे शब्दों में, स्वास्थ्य मनोविज्ञान में स्वास्थ्य तथा उन्हें प्रभावित करने वाले चरों (variables ) के बीच के सम्बन्धों पर प्रकाश डाला जाता है। इस क्षेत्र में विशेषकर तनाव, चिन्ता आदि का हृदय रोग, कैंसर आदि की उत्पत्ति में क्या भूमिका होती है या हो सकती है, का अध्ययन किया जाता है। इसमें डॉक्टर-रोगी सम्बन्ध, अस्पताल के पर्यावरण में उपलब्ध सुविधाओं तथा उनके प्रति रोगियों की प्रतिक्रियाओं का अध्ययन किया जाता है।
(iii) सुधारात्मक मनोविज्ञान (Correctional Psychology ) – मनोविज्ञान की इस शाखा में मनोविज्ञानी उन
मानव व्यवहारों का अध्ययन करते हैं जो सामाजिक नियम तथा कानून का उल्लंघन से संबद्ध होता है। मनुष्यों के ऐसे व्यवहारों को सुधारने का पर्याप्त प्रयास मनोवैज्ञानिक तथ्यों एवं विधियों द्वारा किया जाता है। इसमें अपराधी एवं किशोर अपराधियों के व्यवहारों को सुधारने का पर्याप्त प्रयास किया जाता है। अतः इस मनोविज्ञान का सम्बन्ध जेल के पर्यावरण तथा न्यायिक कोर्ट आदि के वातावरण से भी काफी होता है।
(iv) वायुदिक् मनोविज्ञान ( Aerospace Psychology ) – मनोविज्ञान की इस शाखा में व्यक्ति के व्यवहार में होने वाले उन परिवर्तनों का अध्ययन किया जाता है जब वे दिक् (space) में काफी ऊँचाई पर वायुयान में कार्यरत होते हैं। जब व्यक्ति जमीन से अधिक ऊँचाई पर चला जाता है तो वहाँ उसे पूर्णतः भिन्न तरह के मौसम तथा पर्यावरण का सामना करना पड़ता है। ऐसी परिस्थिति में उनके व्यवहार में पूर्णतः परिवर्तन आ जाता है। व्यक्ति को पर्यावरण के साथ समायोजन की समस्या खड़ी होती है। इन समस्यात्मक पहलुओं पर तथा उनके यथोचित समाधान पर इस मनोविज्ञान में अध्ययन किया जाता है।
(v) न्यायिक मनोविज्ञान (Forensic Psychology ) – मनोविज्ञान तथा कानून का सम्बन्ध पुराना है। न्यायिक
मनोविज्ञान में इन दोनों के सम्बन्धों का मनोवैज्ञानिक अध्ययन किया जाता है। किसी व्यक्ति पर मुकदमा चलाया जा सकता हैं।
vi) क्रीड़ा मनोविज्ञान ( Sports Psychology ) आधुनिक समय में क्रीड़ा या खेल-कूद में भी मनोवैज्ञानिक तथ्यों एवं सिद्धान्तों का उपयोग किया जाता है। मनोविज्ञानी इस क्षेत्र में कुछ विशेष समस्याओं का जैसे—खेल-कूद में
अधिक अभिरुचि रखने वाले व्यक्ति खेल-कूद सम्बन्धी जोखिम व्यवहार को क्यों करना चाहते हैं, खेल-खेलने वाले तथा खेल देखने वाले व्यक्ति के अभिप्रेरकों में क्या अन्तर होता है, आदि-आदि का अध्ययन किया जाता है।
(vii) राजनीति का मनोविज्ञान ( Political Psychology ) – इस मनोविज्ञान में राजनीतिक नेताओं एवं अधिकारियों तथा सामान्य व्यक्तियों के व्यवहारों के बीच सम्बन्धों का अध्ययन किया जाता है। इसमें मनोविज्ञानी राजनीतिक सम्बन्धों से जुड़े मानवीय समस्याओं का अध्ययन करते हैं। इसमें राजनैतिक नेतृत्व, प्रभावशाली राजनैतिक रणनीतियाँ, राजनैतिक
विद्रोह, दलबदली आदि के पीछे छिपे मानव अभिप्रेरणाओं एवं इच्छाओं का क्रमबद्ध अध्ययन किया जाता है।
(viii) गिरोमनोविज्ञान ( Geropsychology ) – मनोविज्ञान के इस क्षेत्र का प्रादुर्भाव आज से लगभग 30 वर्ष पहले
हुआ है जिसमें वृद्ध लोगों के मानसिक स्वास्थ्य का अध्ययन किया जाता है। इसमें विशेष रूप से यह अध्ययन किया जाता है कि वृद्ध लोगों के मानसिक स्वास्थ्य के मूल्यांकन एवं उपचार की विधियाँ क्या वयस्क लोगों के मानसिक स्वास्थ्य
के मूल्यांकन एवं उपचार की विधियों से भिन्न होतीं हैं या एक समान होती हैं। साथ ही साथ इसमें इस बात का भी अध्ययन किया जाता है कि जैसे-जैसे व्यक्ति की आयु बढ़ती है, वैसे-वैसे उसके मनोवैज्ञानिक कार्यों पर सामाजिक-आर्थिक स्तर, समूह-सम्बन्धन, व्यक्तिगत एवं प्रजननी ( generational ) इतिहास
का क्या प्रभाव पड़ता है।
आशा करता हूं कि आपको यह लेख पसंद आया होगा ऐसे ही मजेदार आर्टिकल के लिए विजिट करते रहे हमारे अपने परिवार superdupper यहां आपको psychology से जुड़ी सारी एजुकेशनल जानकारी प्रोवाइड की जाएगी ।
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