wild heart-14 (Love story in Hindi )

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 हैलो दोस्तों मैं यानी की आपका लव गुरु सुना रहा हूँ एक जिद्दी और पॉवरफुल लव स्टोरी A wild heart जिसके अभी तक आप लोग 13 भाग पढ़ चुके हैं और आज एक और भाग आप लोगों के सामने हैं।उम्मीद करता हूँ की आप ना सिर्फ इस कहानी को पढ़ ही रहें होंगे बल्कि इस स्टोरी से प्यार भी कर रहें होंगे। आपके इसी प्यार के लिए धन्यवाद करते हुए मैं शुरू करता हूँ आज का एपिसोड , अगर आप ने पिछले भाग नहीं पढ़े हैं तो प्लीज पहले उन्हें पढ़ लें वरना आगे मज़ा नहीं आने वाला कहानी में ।

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तनु मिस्टर वेद को भेज देना मेरे केबिन में। नंदिनी ने लैंडलाइन से तनु के पास कॉल करके वेद को बुलाने के लिए कहा।           

मैम! अभी तो वो मीटिंग में हैं जैसे ही फ्री होते हैं मैं उन्हें बता दूंगी। उधर से तनु बोली।                                      ओके, जल्दी भेज देना। इतना कहके नंदिनी कॉल कट करके सर पकड़ के बैठ गई। उफ्फ! इतनी बड़ी पोजीशन पर अभी 6 महीने भी नहीं हुए हैं और इनको 2 हफ्तों की छुट्टी चाहिए,वो भी तब जब नई-नई कम्पनीज़ बाज़ार में बराबर की टक्कर देने को आ चुकी हैं। कैसे? भला कैसे ये लोग काम से ऊब जाते हैं मेरा तो संडे को भी दिल नहीं करता आराम करने का। कितनी उम्मीदें लगा ली थी मैंने भी इनसे,कैसे कहा था कि मैं कंपनी को कभी नीचे नहीं होने दूँगा, खुद से पहले कंपनी का सोचूंगा। ये ऐसे सोचा जाता हैं छुट्टियां ले ले कर। नंदिनी इसी तरह अपने जेहन में खुद से ही बहस किये जा रही थी। ऐसा नहीं है कि वो छुट्टियों के मामले में बाकी बॉसेज की तरह हैं जब भी कोई छुट्टी के लिए अप्लाई करता हैं और उसका रीज़न उसे ठीक लगता है तो वह लीव एप्लीकेशन तुरंत एक्सेप्ट कर लेती हैं। लेकिन वेद ने तो छुट्टी का कारण भी मेंशन नहीं किया। दूसरा अभिनव घायल शेर की तरह घूम रहा था बाहर जबसे उसकी जॉब चली गई थी।इसीलिए अभी वो किसी भी तरह के रिस्क को अनदेखा नहीं कर सकती। पूरे शेयर मार्किट में पता है कि वेद के अनुभव से कंपनी को काफी फायदा हो रहा है इस वक्त वेद कंपनी के लिए तूरुप का इक्का बना हुआ हैं। तीसरा की कंपनी में अक्सर ये हुआ है कि कोई दो-तीन हफ्ते की छुट्टी लेता हैं तो लीव खत्म होने के बाद उसका इस्तीफा आता है वो नहीं क्योंकि इस दौरान उसने कोई नई कंपनी ढूंढ ली होती है। और जब से शहाना इंडस्ट्रीज वाला किस्सा हुआ है जिसमें नंदिनी ने सिर्फ वेद के भरोसे पर उनके शेयर्स खरीदे थे जब देश के नामी-गिरामी बिज़नेस पर्सन्स ने सबसे बड़ा लॉस मानकर उसे बंद होने के लिए छोड़ दिया था।तब उसके शेयर्स खरीद के आज उस बंद होती इंडस्ट्री को काफी महँगी इंडस्ट्री बना दिया है।तबसे काफी लोग वेद को अपनी कंपनी में लेने के लिए प्रयास कर रहें हैं। और नंदनी नहीं चाहती उसके थिंक टैंक का सबसे मेन मेम्बर किसी और की कंपनी की शान बने। नंदिनी ने अपने दिमाग के बाद किसी और को अपने विचारों जैसा पाया है तो वो वेद का ही दिमाग था। कोई और कर्मचारी होता तो उसे जाने भी देती लेकिन वेद की बौद्धिक क्षमता से वो बहुत प्रभावित थी। यही सब कारण थे कि नंदिनी को वेद की लीव एप्लीकेशन ने गुस्से से भर दीया था।              

may I co…..                                                        हाँ, हाँ आइये तबसे आप का ही इंतजार कर रही हूँ ।        जी मैम मीटिंग में था जैसे ही तनु जी ने बताया तुरंत आ गया। अच्छा किया तुरंत आ गए आइये बैठिये कुछ बात करनी है आपसे। नंदिनी ने कुर्सी की तरफ इशारा किया। ये क्या हैं? नंदिनी ने एनवलप वेद की ओर करते हुए कहा।                 

 ओह, सॉरी मैम! actually कल एपलीकेशन टाइप करते वक्त एक गलत हो गया था उसमें रीज़न नहीं लिखा था तो दूसरा टाइप करना पड़ा लेकिन मेरी बदकिस्मती देखिये सुबह जल्दबाजी में गलत वाला एनवेलप में कर दिया और वहीं आपके टेबल पर भी रख दिया। जब याद आया तो ऑफिस में ही टाइप किया ये लीजिये।इतना कह के वेद ने जेब से दूसरा एनवेलप निकाल के नंदिनी के सामने मुस्कुराते हुए रख दिया वो मतलब ही नहीं समझ पाया नंदिनी का।                             

मिस्टर भारद्वाज, आप अच्छे से जानते है कि कंपनी को अभी आपकी कितनी जरुरत हैं इस सिचुएशन में आपका ये लीव एप्लीकेशन आपको बचकाना नहीं लग रहा ज़रा भी।      

 जी…! वेद हैरान रह गया क्योंकि इतने सालों में जब से वो इस कंपनी में हैं कभी भी लीव एपलीकेशन नहीं डाली और आज डाली भी तो….. आप एक रिस्पॉन्सिबल पोस्ट पर है और आप ही इतने दिनों की छुट्टी लेंगे तो कल को आपकी देखा-देखी दूसरे एम्प्लॉईस भी ऐसा ही करने लगेंगे तब क्या हम सबको ऐसे छुट्टी देते फिरेंगे।                                                                मैम , मैं आपकी बात से पूरी तरह सहमत हूँ लेकिन मेरा लीव लेना बहुत जरुरी है क्योंकि…..                            मिस्टर वेद आपने कहा था कि कोई भी बात क्यों ना हो आप मेरी और कम्पनी को अपनी प्राथमिकता मानेंगे।      यस मैम बट …..         

 प्लीज वेद मैंने कभी किसी से रिक्वेस्ट नहीं की है लेकिन आपसे कर रही हूँ क्योंकि इस वक्त कम्पनी को आपकी जरुरत हैं।                                                             मैम , आप ये एपलीकेशन पढ़ ले उसके बाद अगर आप मेरी एपलीकेशन कैंसिल करती हैं तो कोई बात नहीं।        मैं अगर इसे पढूंगी तो आपको उम्मीद होगी की आपको छुट्टी दे सकती हूँ लेकिन मैं तब भी ऐसा ना करुँ शायद। क्योंकि एक दो दिन की बात होती तो कोई बात नहीं थी लेकिन 14 दिन मायने रखते हैं काश आपने दो-तीन दिन की लीव मांगी होती। इसके बाद वेद कुछ नहीं बोला बस कुर्सी से उठा और थैंक यू मैम बोलके निकल गया। नंदिनी ने भी एनवेलप साइड में करके अपनी फाइल्स में उलझ गई।

10-12 दिन ही बीते होंगे कि नंदिनी को फिर से वेद की लीव एप्लीकेशन मिली।जिसे देखती ही नंदिनी गुस्से से भर गई उसे फाड़ने के लिए नंदिनी ने उठाया ही था कि नीचे उसे एक और लेटर पर कुछ लिखा मिला। “मैम दो हफ्ते की ना सही लेकिन दो दिन की लीव तो मिल ही सकती हैं,और अगर वो भी नहीं देती तो कोई बात नहीं,आप मुझे निकाल सकती है फिर जॉब से।मुझे आपको जितनी प्राथमिकता देनी थी मैंने दी अब मैं आपको अपनी बहन से ज्यादा प्राथमिकता नहीं दे सकता। मेरे डैड नहीं है तो बहन के कन्यादान के लिए मैं आपकी मंजूरी का इंतजार नहीं करूँगा मैं जा रहा हूँ मन हो तो इसे एक्सेप्ट करें या फाड़ दे। नंदिनी ने एनवेलप खोला तो उसके अंदर बस आम छोटा सा लेटर था और ऐसे नॉर्मल लिखा था जैसे अंदर वाले खत को पता ही ना हो कि बाहर वाले खत में क्या लिखा है। नंदिनी ने कॉल करके तनु को अंदर बुलाया। तनु,आज सुबह वेद ऑफिस आए थें।          

 आए तो थें मैम,पर काफी जल्दी में थें तो आपके केबिन में आएं थें उसके बाद तुरंत निकल गए मैंने रोका तो बोल रहे थे कि उनकी फ्लाइट मिस हो जाएगी।                       अच्छा,ठीक है बस यही पूछना था। नंदिनी ने एक गहरी सांस लेते हुए कहा। ओके मैम, तनु वापस अपने केबिन में चली गई। क्या सच में मुझे शक करने की बीमारी हैं, नहीं मैं ऐसी नहीं हो सकती….लेकिन मैं ऐसी ही हूँ शायद।

उसने मुझे कितना यकीन दिलाया है खुद पर लेकिन मैं अब भी…. ये मैंने क्या कर दिया?तू ऐसी कब से हो गई नंदिनी? मैं भी बाकी लोगों की तरह ही बनने लगी हूँ मैं भी बस बिज़नेस को ही सब कुछ मान बैठी हूँ उसके आगे और उसके अलावा मेरे लिए कोई नहीं हैं मैं स्वार्थी हो गई हूँ। कांग्रेचुलेशन नंदिनी सिंघानिया तुम एक बिज़नेस पर्सन बन गई हो।

नंदिनी ने गर्दन उठाई और टेबल पर रखे पानी के ग्लास को एक ही सांस में खत्म कर गई। उसकी आँखे नम हो रही थी शायद इसीलिए उसने खिडकी के परदे को खोलकर दोपहर की धूप को इजाजत दे दी आँखों की नमी सुखाने की।

To be continued……

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