Wild heart episode-15 love story in Hindi

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Hello friends, कैसे हो आप लोग? कल का मैच देखने के बाद मैं अंदाजा लगा सकता हूँ कि मेरी तरह आप लोग भी ज्यादा ठीक नहीं होंगे, आपका मन भी उदास होगा। इस उदासी को ही कम करने के लिए मैं अपनी Most strong love story का 15वां भाग लाया हूँ आप लोगों के लिए। इस उम्मीद पर कि ज्यादा वक्त तो ना सही लेकिन थोड़ी देर के लिए तो आप का ध्यान उस हार से हटा ही सकता हूँ। अब तक आप इस स्टोरी के 14 भाग पढ़ चुके हैं अगर नहीं पढ़ा तो जाकर पढ़ लीजियेगा ताकि ये 15वां आपको आसानी से समझ में आ जाएं। चलिए देखते हैं कि हमारी बोल्ड लेडी नंदिनी की कहानी कहाँ तक बढ़ चुकी हैं? उन्हें ज़रा अफ़सोस भी हुआ हैं अपनी गलती का? सॉरी बोला या नहीं वेद से उसने?


रोज़ की तरह तरह आज भी गार्ड ने दौड़ के कार का दरवाजा खोला,रोज़ की तरह उसने सलाम भी किया लेकिन रोज़ की तरह नंदिनी अपनी सोच में डूबी हुई गुजर नहीं गई बल्कि उसने गार्ड के सलाम पर पूरा फोकस करते हुए मुस्कुराहट दी उसे। रोज़ की तरह बस केबिन में घुसते ही किसी फाइल में नंदिनी ने अपना सर नहीं दे मारा बल्कि शांत भाव से पर्दे हटाकर खिड़की के बाहर देखने लगी।रोज़ की तरह उसे वाइटमून इंटरनेशनल ग्रुप की बिल्डिंग ललकारती हुई नहीं लग रही थी।रोज़ की तरह उसमें कोई जल्दबाजी नहीं दिख रही थी किसी मंजिल की तरफ तेजी से भागने की। शायद दो-तीन दिनों में नंदिनी ने कुछ ज्यादा ही सोचा हैं तभी ऐसी हो गई हैं या दो-तीन दिन कुछ भी सोचा ही नहीं है तभी ऐसी हो गई हैं। शांत ,स्थिर और माफ़ी मांगने की मुद्रा में।

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गुड मॉर्निग मैम! आज की आपकी जितनी अपोइंटमेंट और कॉन्फ्रेन्स हैं उनका शेड्यूल बन गया हैं आप एक बार चेक कर ले टाइमिंग वगैरह। तनु ने टेबल पर एक लिस्ट रख दी और नंदिनी के खिडकी से हटने का इंतजार करने लगी। अगर तनु ना आयी होती तो शायद नंदिनी अभी और देर ऐसे ही खिड़की के बाहर देखती क्योंकि आज उसे सूरज से आँखे मिलाना नहीं बल्कि वाइटमून की बिल्डिंग निहारने में मज़ा आ रहा था। खड़ी तो वो बिल्डिंग मजबूती से थी लेकिन पता नहीं क्यों आज वो नंदिनी को धंसती हुई सी नज़र आ रही थी पहले ही बताया कि आज वो बिल्डिंग उसे ललकारती हुई नहीं नज़र आ रही थी। सारा शेड्यूल कैंसल कर दो तनु। खिड़की के बाहर झांकती हुई नन्दिनी बिना पलटे ही बोली।                                        

जी…! तनु के मुँह से हैरानी में बस इतना ही निकला इन 7-8 सालों में जबसे इस कंपनी की नीव रखी गई तबसे शायद ही नंदिनी ने किसी पूरे दिन का प्रोग्राम कैंसल किया हो। मैम, आप ठीक तो हैं ना कोई दिक्कत तो नहीं। नंदिनी ने इस सवाल पर तनु की आँखों में देखा फिर थोड़ी देर कुछ सोचती रही और बोली,” तनु मान लो कि तुम्हारी जगह तुम्हारा भाई मेरी कंपनी में काम  करता हैं, काफी जिम्मेदारी से हर चीज़ पर नज़र रखता हैं थोड़ा-बहुत कंपनी में उसका होना भी फायदा पहुँचाता हैं। एक दिन में लगभग 15 किस्म के काम वो देख लेता हैं।ऐसे में एक दिन वो आए और मुझसे दो हफ्ते की छुट्टी मांगे क्योंकि वो तुम्हारी शादी में हर खास पल में तुम्हारे साथ रहना चाहता हैं और मैं मना कर देती हूँ क्योंकि मुझे शादी की रस्में नहीं दिखाई दी बल्कि इन 14 दिन में शेयर्स की उठती-गिरती वैल्यू दिखाई दी। तो क्या तुम मुझे इसके लिए कभी माफ़ करोगी? बड़ी बेचैनी से उसने तनु की आँखों में जवाब तलाशने की कोशिश की।                                                          

  मैम, जवाब कैसे दूँ जब आपका सवाल ही गलत हैं। सवाल तो ये होना चाहिए कि क्या मेरा भाई आपको माफ़ करेगा उसकी बहन के कीमती लम्हों में, उसके नर्वस ब्रेकडाउन में आपने उसे अपनी बहन का साथ नहीं देने दिया वो भी तब जब मेरा भाई सिर्फ भाई ही नहीं मेरे पिता की भूमिका में भी हैं। मैम मुझे लगता है कि अगर इसके लिए आपको मेरे भाई से माफ़ी मिल जाएगी तो मेरा दिल कितने दिन नाराज रह सकेगा आपसे? और जानती हैं वो कभी माफ़ करेगा ही नहीं आपको। तनु ने तुरंत जान लिया कि नंदिनी क्या पूछना चाहती हैं क्योंकि वेद भले ही नंदिनी के लिए सिर्फ एक एप्लाई है लेकिन तनु के लिए अब वो एक अच्छा दोस्त भी है।                                               

 क्यों?क्यों नहीं माफ़ करेगा मुझे? नंदिनी की आवाज़ में डर नज़र आया एक अच्छे इंसान की नजरों में बुरा बनने का, एक बहन की नजरों में दुश्मन और एक साथी की नजरों में स्वार्थी बनने का।                                       क्योंकि माफ़ तो उसे किया जाता हैं जो गलती करता हैं और आप तो कोई गलती करती ही नहीं और जब आपने गलती की नहीं तो आप माफ़ी मांगेंगी नहीं और जब माफ़ी मांगेगी नहीं तो माफ़ी मिलेगी कहाँ से। तनु के लहजे में तंज था जिसे नंदिनी आसानी से समझ गई थी। लेकिन कुछ भी सफाई नहीं दे पायी बस चुपचाप खड़ी सोचती रही।       

                             मिस्टर वेद की फ्लाइट सुबह दिल्ली पहुँच गई थी और उनकी दो दिन की लीव भी कम्प्लीट हो गई हैं शायद वो रेस्ट करने की बजाय ऑफिस आना ज्यादा पसंद करें क्योंकि उन्हें पता हैं कि एक दो दिन में आपकी कंपनी के कितने शेयर्स गिर- बढ़ जाते हैं। तो अगर वो आतें हैं तो उन्हें मैं आपके केबिन में भेज दूंगी और मैंने उनसे लड्डू मंगाए हैं, आप कहें तो आपके लिए भिजवा दूंगी? तनु नंदिनी की तरफ देख रही थी लेकिन नंदिनी ने ना उसकी तरफ देखा ना कोई जवाब दिया जैसे कोई अपराध किया हो। थोड़ी देर तो उसने जवाब का इंतजार किया लेकिन फिर लिस्ट को स्टाम्प के नीचे दबाकर चली गई।

तनु को उम्मीद थी कि वेद के आने पर नंदिनी उसे बुलाकर शायद सॉरी बोलेगी लेकिन नंदिनी ने उसकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। तनु के केबिन से निकलने के बाद नंदिनी ने खुद को कागजी कामों में मसरूफ कर लिया।उसने सारे अपॉइंट कैंसल कर दिए थे लेकिन खुद को काम से कैंसल नहीं कर पायी थी। तनु ने उसे इतना कुछ कह दिया कि तनु को खुद पे ही अफ़सोस होने लगा कि अगर ऐसा ना कहती तो शायद नंदिनी का मूड पहले की तरह ही रहता और वो शायद वेद से माफ़ी ना मांगती लेकिन उसकी बहन के बारे में कम से कम बात तो करती। 

वेद को आते ही अपने केबिन में जाकर काम करता देख उसे दुःख हुआ कि उसकी कही बातों की वजह से नंदिनी ने वेद को देखा तक नहीं। क्या इंसान होकर कोई किसी की ख़ुशी या तकलीफ से इतना बेखबर हो सकता है? अपने सारे काम खत्म करने के बाद घड़ी ने जैसे ही 6 बजाया तनु ने अपना बैग उठाया और चुपचाप निकल ली। उसका बिलकुल मन नहीं है ये कहने जाने का कि मैम आज की ये मीटिंग करनी थी आपको, कल का शेड्यूल ये रहेगा आपका,मैम सारी फाइल्स एक बार ध्यान से देख लेना या मैम उसका फोन आया था या उनके साथ कल की आपकी अपॉइंट रख दी हैं….। लेकिन तनु जैसे ही नंदिनी के केबिन के आगे से गुजरी तो वहीं रुक गई क्योंकि केबिन में नंदिनी दिखाई नहीं दे रही थी। कमाल हैं मैम तो 10 बजे तक ऑफिस से निकलती हैं तो अभी क्यों दिख नहीं रहीं अपनी सीट पर? वो अंदर गई पूरा केबिन देखा उसे नंदिनी नहीं दिखी फिर पूरा ऑफिस नंदिनी वहाँ भी नहीं थी तो तनु ने उसे कॉल करने के लिए फोन उठा लिया और ऑफिस से बाहर आ गई। जब तक की कॉल जाती तब तक की उसकी नज़र नंदिनी की कार के पास खड़े वेद और नंदिनी पर गई , दोनों कुछ बात कर रहें थें। नंदिनी की security भी नहीं लगी थी उसके पास शायद नंदिनी ने सबको छुट्टी दे दी थी। 


तनु धीरे से दरवाजे के पीछे हो गई की उसपर उन दोनों की नज़र ना पड़े। थोड़ी देर बाद उसने देखा की वेद को नंदिनी ने ड्राइविंग सीट की बगल वाली सीट ऑफर की हैं और खुद ड्राइविंग सीट पर बैठी हैं। दोनों मुस्कुरा भी रहें थें हलके-हलके से और कार थोड़ी ही देर में स्टार्ट होकर तनु की नजरों से ओझल हो गई।

तनु चुपचाप देखती रही, कार को नहीं बल्कि नंदिनी को। उसे ख़ुशी हुई की शायद अब नंदिनी को माफ़ी मांगनी आ जाए! नंदिनी ने जिस तरह अपनी जिन्दगी से सॉरी शब्द को विदा कर दिया था वैसे तो कोई बाप भी अपनी बेटी को विदा नहीं करता। लेकिन शायद अब नंदिनी की जिन्दगी में कोई सावन आया हैं जिस तरह बाप अपनी बेटी को वापस बुलाता हैं सावन में शायद वैसे ही नंदिनी भी…….

       To be continued……..

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