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पिछले भाग में आपने पढ़ा कि नंदिनी अभिनव की कॉन्फ्रेंस में पहुँच जाती हैं जो कि उसके ही खिलाफ आयोजित की गई थी और वहाँ पहुँच कर वो पूरा पासा ही पलट देती हैं अभिनव की चाल अभिनव पर ही भारी पड़ जाती है। ये देख कर अभिनव की तबियत खराब हो जाती हैं और वो बेहोश हो जाता है अब आगे-
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अभिनव की तबियत के बारे में पता चलते ही नंदिनी ने गाड़ी अस्पताल की ओर मुड़वा दी और ड्राइवर से कार जल्दी चलाने को बोल दिया,थोड़ी बेचैन सी हो गई थी नंदिनी। कहीं ये नंदिनी का दबा-छिपा प्यार तो नहीं? हाँ ये प्यार होना चाहिए था कोई और लड़की होती तो ये पक्का प्यार ही होता लेकिन नंदिनी के मामले में..! नहीं ये प्यार बिलकुल नहीं हैं। वो अभिनव के बारे में सुनकर इसलिए परेशान हैं क्योंकि जिस फील्ड में वो है वहाँ उसे कॉम्पीटिशन देने वाला सबसे बड़ा प्रतिस्पर्धी अभिनव हैं और जब आपका कम्पटीटर give up करने लगे तो खुद की क्रिएटिविटी मरने लगती हैं, एक स्वस्थ्य प्रतिस्पर्धा के लिए एक स्वस्थ्य प्रतिस्पर्धी का होना भी जरुरी होता हैं। इसके अलावा भी अगर नंदिनी के दिलो-दिमाग में कोई ख्याल आया हो तो या तो वो जान सकती हैं या उसका भगवान।
नंदिनी ICU में पहुंची तो अभिनव की निगाह दरवाजे की तरफ थी लेकिन जैसे ही उसने नंदिनी को देखा अपनी निगाह हटाकर खिड़की के बाहर देखने लगा। क्या हुआ? अचानक तबियत कैसे खराब कर ली? नंदिनी ने उसके पास पड़ी कुर्सी पर बैठते हुए पूछा। तुमसे ये उम्मीद तो नहीं थी नंदिनी कि तुम इतनी गिर जाओगी? अभिनव की आवाज़ में भर्त्सना थी। ऊउह… मैं क्या गिर गई ज़रा बताओ तो ! तुमने खुद को बचाने के लिए उस बुड्ढे को ही शूट करवा दिया, कभी सोचा नहीं था नंदिनी कि तुम कुछ ऐसा करोगी।
मैंने भी कभी नहीं सोचा था मानती थी कि हम अलग हो गए हैं दोस्ती नहीं रही हममे लेकिन फिर भी लगता था कि थोड़ी-बहुत इज्ज़त तो करते ही होंगे मेरी तुम, लेकिन…. मैंने सच में कभी नहीं सोचा था कि तुम यूँ मेरे किरदार को गिराकर मेरे चरित्र के झूठे इश्तेहार बांटने की कोशिश करोगे आज अगर मैं ना आती तो… कहते-कहते नंदिनी का गाला रूंध गया, आज अगर मैं टाइम पे ना आती तो तुमने तो मुझमें और रेड लाइट एरिया की औरतों में कोई फर्क ही बाकी नहीं रखा था अभिनव। इतना तो सोचते कि कभी बीवी रही हूँ तुम्हारी…. नंदिनी ने दोनों हाथ अपनी आँखों पर रख लिए जैसे हाथ लगाने से उसके आंसू आँखों में ही रुक जाएँगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ उसके गाल भी भीग गए आंसूओं से। ICU से बाहर खड़े वेद ने खिड़की से ये देखा तो अंदर जाने लगा। कहाँ जा रहें हैं आप? तनु ने उसे टोकते हुए कहा। मैं सोच रहा हूँ कि मुझे अंदर जाना चाहिए। और मैं सोच रही हूँ कि आप को चुपचाप यही खड़े रहना चाहिए वो उनका पर्सनल मैटर हैं। तनु की ये बात सुन वेद दो कदम पीछे आ के फिर से वैसे ही खड़ा हो गया लेकिन ज्यादा देर चुप ना रह सका ,” अच्छा तनु,क्या नंदिनी मैम आज भी अभिनव से प्यार करती हैं? तनु ने इस सवाल पर उसे घूर कर देखा।”.
नहीं मेरा मतलब जैसे वो अभिनव के लिए रो रही हैं उससे तो यही लगता हैं….” जानते हो ये “लगता हैं” जो है ना आम लड़कियों के लिए हैं नंदिनी मैम के लिए जो लगता हैं वही नहीं होता हैं। अच्छा, बस इतना कहके वेद खामोश हो गया लेकिन ये ख़ामोशी राहत भरी थी।
खैर मैं भी कहाँ लड़कियों जैसे रो रही हूँ बल्कि मुझे तो खुश होना चाहिए कि तुम्हारी सीरत और सूरत आज दोनों मेरे सामने आ गए है ना ये मेरे लिए लक की बात। नंदिनी ने मुस्कुराने की कोशिश की। देखो नंदिनी मैं explain कर सकता हूँ…..
किस बात पर, मेरे चरित्र के चिथड़े उडाने जा रहे थे इसलिए या अपने चरित्र के चिथड़े उड़ा चुके इसलिए और क्यों? मेरा तो वास्ता नहीं रहा तुमसे कोई भी जो तुम मुझे सफाई दो मिस्टर अभिनव। नंदिनी बेफिक्री से बोली।
देखो अगर तुम सोच रही हो कि ये सब काफी पहले से है तो ऐसा कुछ नहीं हैं ये तो बस अभी दो-एक महीने से…. क्या हैं? कबसे हैं? It doesn’t matter अभिनव। क्यों बता रहे हो मुझे ये सब ।
देखो मैं तुम्हें कुछ बता नहीं रहा मैं कह रहा हूँ बहुत अच्छी लड़की हैं वो बहुत प्यार करते है उसके पापा उससे…
सभी बेटियों के बाप उन्हें बहुत प्यार करते हैं अभिनव कोई उसी के नहीं, लेकिन फ़िक्र मत करो मैं उस के बारे में किसी से कुछ नहीं कहूँगी। देखो प्लीज मेरे सर से….. डोन्ट वरी तुम्हारे जितना गिरा लेवल मेरा नहीं है जानती हूँ तुम्हारे बॉस की बेटी हैं फिर भी मैं गलत सिद्धांत से जीतने को हार ही मानती हूँ और फिर लड़की कोई भी हो किसी फकीर की या अमीर की दोनों की इज्ज़त की एक ही कीमत होती हैं। काश ये बात तुम भी समझते तो… नंदिनी अपनी पर्स पकड़ के खड़ी हो गई…तो यहाँ हॉस्पिटल के बेड पर ना होतें। एक बात और अभिनव अबकी बार तुमने मेरे किरदार को मोहरा बनाकर खुद का महल बचाने की कोशिश की तो हॉस्पिटल के बेड पर पहुँच गए अगली बार अगर ऐसी घटिया कोशिश की तो हमारी मुलाकात सीधा श्मशान पर हो तो इसमें ज़रा भी हैरानी की बात नहीं। अभिनव कुछ नहीं बोल पाया बस उसके बाहर जाते-जाते उसने एक सवाल करने की हिम्मत ही की ,” तुम्हें हम दोनों के बारे में किसने बताया?” नंदिनी ने सवाल सुना तो बस एक मुस्कान के साथ अभिनव को छोड़ गई जिसमें कोई जवाब नहीं था।
मैम! डॉक्टर से बात हो गई है उन्होंने कहा हैं कि कोई खास परेशानी नहीं हैं ब्लडप्रेशर लो हो गया और एकदम से तेज सिरदर्द शुरू होने से ही इनकी तबियत खराब हो गई थी बस। नंदिनी के पीछे चलते हुए वेद डॉक्टर की कहीं हुई बातें दोहरा रहा था और तनु नंदिनी का सामान और फाइल सँभालते हुए दौड़ रही थी। आज का सारा दिन हो चुका था पर नंदिनी सुकून से दो पल भी नहीं बैठ पायी थी। सुबह मिस्टर शुक्ला को हॉस्पिटल में पहुचानें के बाद मीटिंग अटेंड की फिर कॉन्फ्रेन्स और फिर हॉस्पिटल सारा दिन उसका इसी तरह बीत गया अभी एक कार्यक्रम में भी जाना हैं उसे इसीलिए इतनी तेजी से चल रही है वो कि साथ चलने वालों को दौड़ना पड़ रहा हैं। कार के पास पहुँचते ही उसमें बैठने की बजाय वो एकदम से रुक गई और उनके पीछे तनु और वेद भी।
थैंक्यू वेद , आपने जो मुझे सच्चाई बताई उसने ही हिम्मत दी मुझे कि मैं उस कॉन्फ्रेन्स में जा सकी अगर आप मुझे ये हकीकत ना बताते तो शायद मैं थोड़ी कमजोर हो जाती थैंक यू। ये शब्द सुनने के बाद वेद को अपने कानों पर यकीन ही नहीं हुआ “अरे ये भी थैंक्स बोल सकती हैं ।” वो कुछ नहीं कह सका जवाब में बस मुस्कुरा दिया। मुझे नहीं पता कि मैंने ऐसा क्या बोल दिया जो आप मुस्कुरा रहें हैं सिर्फ शुक्रिया ही अदा किया मैंने।
To be continued…..