A wild heart episode -27

 10 दिन से वेद की सारी जिन्दगी नंदिनी और तनु की जिन्दगी को संभालने में ही बिगड़ गई थी। तनु ने उसे अपना विलेन बना लिया था , वेद उससे कुछ पूछता चाहे काम की बात हो या कोई पर्सनल वो दो टूक जवाब में उसकी सारी हिम्मत तोड़ देती,फिर भी मुस्कुराता हुआ वेद हर दिन उससे बात करने की उसे हँसाने की कोशिश करता रहता है।और नंदिनी उसे संभालना और मुश्किल हो चुका है वेद के लिए क्योंकि वो खुद ही संभलना नहीं चाहती। वेद ऑफिस की फाइल लिए घंटो उसके सामने बैठा रहता है , शेयर्स की बात करता है,निफ्टी का हाल बताता है,नए प्रपोजल्स सुनाता हैं लेकिन जानतें हैं नंदिनी क्या करती हैं ? रोती हैं, सोती हैं, गुस्सा करती हैं वेद के बार-बार फाइल्स पर सिग्नेचर करने के लिए फोर्स करने पर फाइल फाड़ के फेंक देती हैं , शराब पीती हैं और घंटो वायलिन बजाया करती हैं बस।

  ऐसे में वेद कितनी-कितनी बार टूटता है बिखरता है ये किसी को नहीं बता सकता जब बात उसके बर्दाश के बाहर हो जाती है तो समीर को कॉल मिला कर उससे थोड़ी देर बात करके खुद को संभाल लेता है और फिर कोशिश करने लगता है नंदिनी के टूटे हौसले को अपने भरोसे और हिम्मत से जोड़ने की।       

अभी कुछ दिन पहले भी वेद ने यही किया था जब उसे पता चला था कि नंदिनी ने कम्पनी बेचने की तैयारी कर ली है और जल्द से जल्द अपनी कम्पनी को किसी भी हाल में बेच देगी। वेद ने उसे समझाने की बहुत कोशिश की,कितना ज्यादा नुकसान होगा ये समझाया , कर्मचारियों का क्या होगा ये डेटा भी दिखाया , बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स से बात करवाने की कोशिश की ,तनु से मदद मांगी लेकिन जब किसी भी तरह नंदिनी को नहीं समझा पाया तो वो समीर को कॉल करके रोने लगा ना एक शब्द कहा न सुना सैम भी समझ चुका था कि वेद किसी ट्रामा में चला गया है उसने भी उसे एक शब्द बोलने को नहीं कहा रोने के बाद उसने कॉल काट दी तो उधर से सैम ने दोबारा कॉल करके पूछा भी नहीं की दिक्कत क्या है । 

 शायद दोनों में एक काफी गहरा आत्मिक सम्बन्ध बन चुका था जो सात समुंदर की दूरी को भी काफी कम साबित किये देता था।शायद दोनों प्यार करते थे एक ही औरत से बेइंतहा , बेपरवाह और बेमतलब और शायद दोनों ही उसी औरत से हारे थें बेइंतहा ,बेपरवाह और बेमतलब शायद तभी दोनों एक दूसरे से इतना जुड़ाव महसूस करते थे।                                  

 
 आज ऑफिस में नंदिनी के बिना वेद का 11वां दिन था कुछ भी खास नहीं था ,नंदिनी के केबिन की कुर्सी उसे वैसे ही चिढ़ा रही थी ऑफिस के सारे कर्मचारी वैसे ही नंदिनी पर कानाफूसी करते हुए अपने-अपने काम में मशगूल थे , वेद वैसे ही सारी फाइल्स में एक-एक पॉइंट को चेक करता हुआ नंदिनी की सिग्नेचर के लिए साइड में रखता जा रहा था। लेकिन अचानक से पूरे ऑफिस का माहौल बदल गया जब तनु के सिस्टम पर अमेरिका की नामी कम्पनियों में शामिल और अपने ब्रांडेड , स्ट्रांग और भरोसेमंद व्हीकल पार्ट्स के लिए दुनिया भर में जानी जाने वाली फ्लिंटाफ कंपनी की तरफ से ईमेल आया जिसमें उन्होंने सनराइज के साथ काम करने की इच्छा जाहिर की थी। ग्राउंड सर्वे , प्रॉडक्ट फीडबैक और 5 साल के डेटा एनालिसिस के बाद उन्होंने सनराइज के साथ इंडिया में काम करने की सोची थी। काफी वक्त से चर्चा थी कि क्लिंटाफ इंडिया में भी अपनी एक ब्रांच डालना चाहती हैं लेकिन सही पार्टनर न मिल पाने की वजह से वो अभी तक ऐसा नहीं कर पाएं थें ।                  
 लगभग 3 साल पहले ही नंदिनी ने क्लिंटाफ कम्पनी से संपर्क करके साथ में काम करने के लिए अप्रोच किया था लेकिन तब उन्होंने बड़ी विनम्रता से ये कहते हुए मना कर दिया था कि आप के पास अभी इस तरह के किसी ब्रांड के साथ काम करने का अनुभव नहीं हैं तो हम रिस्क नहीं ले सकते। लेकिन अब शायद उन्होंने सनराइज कंपनी की खुबियों को नोटिस करके ऐसा किया है क्योंकि नंदिनी की कंपनी ने लड़कियों के लिए न्यू कम्फर्ट ड्रेसेस से अपना बिज़नेस शुरू करके हर आयु, वर्ग के लोगों को टारगेट करना शुरू कर दिया था , कंपनी ने ऑटोमोबाइल्स में इन्वेस्ट किया तो हर युवा की चहेती बन गई ,और बुजुर्गों के लिए सनराइज के बनाएं हकले मुलायम शॉल और सफ़ेद प्यारे स्कार्फ ने उसे बुलंदी पर पहुँचाया था स्कूल में नंदिनी ने अपनी पहुँच बच्चों के बैग में पड़ी रहने वाली वॉटर बॉटल से बना ली थी तो कात्यायन ब्रदर्स के साथ डील करके उसने किसानों तक पहुँच बनाने की भी पूरी कोशिश कर ली थी। 10-12 सालों में सफलता की बुलंदियों को छूने वाली सनराइज इंडस्ट्री को भला कोई कैसे नज़रान्दाज़ कर सकता था ?

ऑफिस में जहाँ सब इस बात से घबराएं हुए थे कि इतनी बड़ी कम्पनी के साथ काम करने में कहीं कोई चूक हो गई तो ? वहीं वेद इन सब से परे काफी खुश था कि अब शायद नंदिनी अपने काम पर वापस आ जाए , सोच-सोच के पागल हुआ जा रहा था कि जब नंदिनी को ये पता चलेगा तो वो कितनी ज्यादा खुश होगी । तनु और वेद को अभी भी यकीन नहीं था कि जब सारे दरवाजे बंद हो रहें थें तो ये कैसे खुल गया। शायद ऊपरवाला भी चाहता है कि नंदिनी फिर से कार्पोरेट सेक्टर में धमाकेदार वापसी करें और अभिनव व कात्यायन ब्रदर्स को दिखा दे की वो है क्या चीज़ आखिर। वेद को देख कर ऐसा लग रहा था कि जैसे उसे आज ही यकीन हुआ है कि दुनिया में भगवान भी है। शाम को वेद हाथों में गुलदस्ता लिए नंदिनी से मिलने चल दिया वो जानता था कि नंदिनी को ये बात पता चल चुकी होगी लेकिन फिर भी वो अपनी तरफ से भी वही बात बता कर नंदिनी के चेहरे के भाव पढ़ना चाहता था।                                     

    मैम ! कमरे में खिड़की के पास कुर्सी डालकर बैठी नंदिनी का ध्यान अपनी तरफ करने के लिए उसने बड़े आराम से पुकारा और गुलदस्ते को बेड के पास लगी टेबल पर सजा दिया।        
   वेद जी बड़ी जल्दी आ गएँ आप? नंदिनी ने उसकी तरफ सरसरी निगाह से देखते हुए कहा।                                      
  जी हाँ,आपकी तबियत जानने चला आया।वेद ने मुस्कुरा कर कहा।                                                                       
   आप सुबह ही मुझे देख कर गए हैं इतनी जल्दी मुझे कुछ नहीं नहीं हो जाएगा लेकिन आप कुछ ज्यादा खुश लग रहें हैं आज? हो सकता है की कारण आप जानती हो ?                       
   ओह वैसे मैं बताना भूल गई कि सुखवन्त चड्ढा जी हमारी कंपनी के लिए एक बेहतर ऑनर होंगे, इन्हें जानतें हैं ना आप ?पंजाब के सबसे बेस्ट बिज़नेसमैन माने जाते है काफी दिलवाले हैं हमेशा दूसरों का भला ही सोचते हैं। इसीलिए मैंने सोचा कि…. मैम ! वेद के चेहरे के सारे भाव हवा हो चुके थें उसे लगा कि नंदिनी को क्लिंटाफ की तरफ से आएं ईमेल के बारे में कुछ नहीं पता है । ,”मैम आपको पता हैं कि आज क्लिंटाफ कम्पनी की तरफ से एक मेल आया था जिसमें वो चाहते हैं कि हम उनके साथ काम करें और पता हैं मैम आप यकीन नहीं करेंगी की वो जल्द से जल्द हमारे साथ काम करना चाहते हैं मैंने और तनु ने उनके मेल का जवाब भी दिया और …..                       
  खुशवंत जी अभी बिज़नेस टूर पर बाहर गए हैं कुछ दिन में आएँगे तो मैं चाहती हूँ कि आप उनसे इस सिलसिले में मिल लें। क्या..? वेद थोड़ी देर के लिए शून्य में चला गया । ओह क्या कोई परेशानी होगी आपको तो क्या मैं किसी और से बोल दूँ? नंदिनी की आवाज में किसी भी प्रकार की कोई बेचैनी नहीं थी वो आराम से बोल रही थी हाँ मगर एक बार भी वेद को देखती हुई नहीं बोली थी।

वेद एक शब्द भी नहीं बोल पाया वो समझ गया था कि नंदिनी ने उस डील को करने से साफ मना कर दिया है। वो साँस रोके सोफे पर बैठ गया। अपना सर अपने दोनों हाथों में कस के दबा लिया।

  उसका दिल कर रहा था कि वो नंदिनी से बात करें उसे समझाए लेकिन ये सब करके वो बहुत थक चुका था अब बस बहुत तेज चीखना चाह रहा था। पूरे कमरे में वेद की लम्बी-लम्बी साँसो और नंदिनी की निरसता के सिवा कुछ भी नहीं था। थोड़ी देर इसी तरह का सन्नाटा फैला रहा तो नंदिनी को उस सन्नाटे से डर लगने लगा और उसे खत्म करने के लिए नंदिनी ने बात करनी शुरू कर दी।                                                       

अच्छा एक बात पूछूँ ? नंदिनी ने बात करनी शुरू की लेकिन वेद ने कोई जवाब नहीं दिया।                                       
  प्लीज मुझसे बात करो वेद प्लीज । नंदिनी अपनी कुर्सी छोड़कर वेद के दोनों घुटनों पर हाथ रख के बैठ गई । ये उसके डर की पराकाष्ठा थी शायद कुछ हादसे याद आने लगते हैं उसे जब एक कमरे में बैठे दो लोगों में ऐसी ख़ामोशी पसरती हैं शायद अभिनव की याद आती है उसे और उसे वो बिलकुल याद नहीं करना चाहती। नंदिनी के यूँ हाथ लगाने से वेद फिर एक बार जाम हो गया वो भूल गया कि वो अभी किस बात पर यूँ बैठा था उसकी निगाहें नंदिनी के चेहरे पे ही टिक गई थी। लेकिन उसने अगले ही पल खुद को संभाला ,” जी मैम , पूछें ।” अपने घुटनों से नंदिनी के दोनों हाथ हटाकर वेद खड़ा हो गया। नंदिनी को भी अपने इस बर्ताव पर थोड़ा गुस्सा आया लेकिन उसे छुपाते हुए नंदिनी बिलकुल सामान्य दिखने की कोशिश करने लगी।                                                                      ” वो आप डेली मेरे लिए वक्त निकालते हैं सुबह-शाम और ऑफिस भी जातें हैं अपने काम भी करने होतें होंगे आपको,तो इतना सब कैसे कर लेते है आप ? वो सोफे के पास से हटकर खिडकी के पास खड़ी हो गई थी। 

  आपने कभी ये जानने की कोशिश की है कि मैं रहता कहाँ हूँ अगर आपको पता होता की मैं रहता कहाँ हूँ तो आप जान सकती थी कि मैं इतना टाइमली सब कैसे मैनेज कर लेता हूँ ! वेद की आवाज में उदासी उभर आयी थी वो जानता था नंदिनी सिर्फ बातें घूमा रही हैं फिर भी कुछ न कह के उसके हिसाब से ही बात करने लगा वेद।                                                 

 सॉरी मुझे ये काफी पहले ही पूछना चाहिए था लेकिन तब काफी बिजी थी बहुत ज्यादा, आज खाली हूँ एकदम खाली तो अब आराम से पूछ सकती हूँ आपसे आपके बारे में सबकुछ। ऊंह , यही रहता हूँ मैं आपके इस आलिशान और सुनसान से बँगले में ।                                                                  
   कुछ दिन आप हमारे घर आ लिए तो आपकी नज़र ही खराब हो गई मेरे बँगले पर । नंदिनी मजाक समझ के झूठा मुस्कुरा दी। आपको पता है मेरी जगह कोई दूसरा होता तो अब तक आपका पूरा घर हाथिया लेता क्योंकि आपको किरायेदार से तो कोई मतलब ही नहीं हैं बिना किसी वेरिफिकेशन के नौकरों के कहने पर तो आप किरायदार रख लेती हैं तो कैसे पता हो आपको की कौन रहता है आपके घर में । वेद के इतना कहते ही नंदिनी हैरानी से बिलकुल जाम हो गई इसलिए नहीं कि वेद उसी के घर में रहता हैं बल्कि इस लिए की उसे वो मजबूत,कसी हुई बाहें याद आ गई जिसने एक बार उसे बेहोशी की हालत में उठाया था अभिनव की छूअन नहीं थी वो , तो किसकी थी? इसका जवाब वो आज भी तलाशती हैं , क्या वो वेद की बाहें थीं? आप ने सब कुछ रूपा और उनके पति पर छोड़ रखा हैं इसीलिए तो कुछ पता नहीं रहता आपको, ये घर तो बस आपको तब याद आता है जब रेड ड्रेस पहन के आपका रेड वाइन पीने का दिल करता हैं । वेद अपनी तरफ से बोलता जा रहा था लेकिन नंदिनी बस उसे देखती ही जा रही थी। क्या सच में तुम यहाँ…. मैं यहाँ आपको किसी बात पे यकीन नहीं दिलाने आया था एक ख़ुशी थी जो आपको बांटना चाहता था आपके होठों पे हँसी देखना चाहता था
बस लेकिन …… वेद वापस से पुरानी बात पे लौट आया तो नंदिनी भी आत्मरक्षा को तैयार हो गई। मेरा यही फैसला है बार-बार मुझे फोर्स करने से न आपको कुछ हासिल होगा ना तनु को , मुझे मेरे हाल पे छोड़ दीजिये बस ! ओके ! वेद एक शब्द नहीं बोला इसके सिवा अपने कोट को उठाकर कंधे पर डालता हुआ कमरे के बाहर निकल गया जाते वक्त एक बार भी नंदिनी की तरफ नहीं देखा ।

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To be Continued……..

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