A Wild heart episode -38

 अगले दिन शाम को ऑफिस के बाद सीधा तनु के घर पहुँच गया। उस वक्त तनु कोई किताब पढ़ रही थी । इसीलिए वेद ने उसे डिस्टर्ब नहीं किया और अरुण के रूम में चला गया। अरुण सो रहा था उस वक्त ,उसके पास एक छोटे टेबल पर उसकी दवाइयां सजी थी कुछ फ्रूट्स रखे थे और कमरे में खुश्बूदार मोमबत्ती जल रही थी। कमरा काफी साफ था , एक म्यूजिक प्लेयर बज रहा था धीमी आवाज में। वेद पूरे कमरे में घूम रहा था । 

वैसे तो बो कल भी आया था लेकिन तब कमरा ऐसा नहीं था जैसा आज है । शायद इस कमरे को ठीक करने के लिए ही तनु आज ऑफिस नहीं आयी थी। वो इधर-उधर की चीजें उठा कर देख रहा था कि क्या है कैसी है। इसी बीच उसके हाथ से एक कांच का गिलास फर्श पर गिर कर टूट गया। वो डर गया की कहीं अरुण जग ना जाएँ पर वो अभी भी सो रहा था । आप कब आएं? ग्लास के टूटने की आवाज सुनकर तनु जरूर आ गई थी। 

बस अभी आया था। उसने धीमी आवाज में कहा । बाहर चलकर बात करते है। तनु ने वेद से बाहर चलने का इशारा किया ।

मुझे नहीं पता की उस वक्त क्या हुआ था तुम्हारे साथ, क्या महसूस किया तुमने लेकिन इतना जरूर पता है अपने गुनहगारों को वो कभी माफ़ नहीं करती है। उम्मीद नहीं थी की तुम इतने अच्छे से अरुण का ख्याल रखोगी लेकिन तुम तो जैसे सब भूल ही चुकी हो । 

सब याद है मुझे ,कुछ भी नहीं भूली मैं इसीलिए तो इतना ख्याल रख रही हूँ इसका ताकि जब ये ठीक हो जाएँ तो इनके गाल पर इतनी तेज थप्पड़ मार सकूँ कि इनकी सात पुश्ते इन्हें याद आ जाएँ और फिर बेइज्जत कर के अपने घर से निकाल दूँ ।

 मैं समझता हूँ तुम्हारी फीलिंग्स को। वेद ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा । 

मैम क्यों नहीं आयी ? 

वो आउट ऑफ सिटी गयी है एक कॉन्फ्रेंस के लिए । ओके! वैसे आपको क्या लगता है कि वेद अपने बयान पर काबिज रहेगा जबकी अरुण भी होश में आ चुका है ? उसे कायम तो रहना ही पड़ेगा मजबूरी है उसकी और जैसे ही उसे पता चलेगा की अरुण की यादाश्त चली गयी है तब तो ये रिस्क बिल्कुल भी नहीं लेगा।        

अगर ऐसा होगा तो नंदिनी की जिंदगी कितनी आसान हो जाएगी ! 

हाँ और इस आसान जिंदगी में अगर अपने भी साथ होंगे तो ये खूबसूरत भी हो जाएगी ।

अपने है ही कौन उनके समीर भैय्या और उनकी फैमिली ही है जिसे वो कभी अपना मानती ही नहीं । 

अच्छा क्या तुम ये बताओगी की इन दोनों भाई-बहन के बीच इतनी गलतफहमी कैसे आ गयी ? मैंने समीर से जितनी बात की है उस आधार पर कह सकता हूँ कि वो आज भी इसे उतना ही प्यार करतें हैं फिर ये क्यों उनसे इतना…..

17 की थी यें जब वो इसे छोड़कर अमेरिका चले गएँ थें आज 28 की हो चुकी है और इतने सालों में सिर्फ एक बार मुलाक़ात हुई है दोनों की। राखी पर भी समीर भैय्या चाहे जितना भी फोन करें ये ‘बिजी हूँ ‘ कहकर रख देती थी। इन्होने राखी भेजना तो बंद कर दिया लेकिन उन्होंने गिफ्ट भेजना आज तक नहीं बंद किया। इनके हर खुशी हर गम का उन्हें पता रहता हैं लेकिन इन्हें उनके बारे में कोई खबर नहीं रहती । समीर भाईया बड़ा आदमी बनने का सपना लेकर अमेरिका गएँ थें लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ वहां 9-7 की एक जॉब में ही सिमट के रह गएँ है। इन सब के लिए नंदिनी रोज को जिम्मेदार मानती है जिन्हे भैया पसंद करते थे और वो आज उनकी वाइफ भी है । रोज ने इंडियन कल्चर तो अपना लिया लेकिन नंदिनी आज भी रोज को नहीं अपना पाई है । बस इतना ही मालूम है मुझे जो कभी नंदिनी से सुना किसी कटिंग में पढ़ा या लोगों की बातों से पता चला। तुम्हें नहीं लगता कि इन दोनों को बात करनी चाहिए ? मेरे आपके लगने से क्या होता है उनको भी तो लगना चाहिए। उसे तो शायद कभी ऐसा नहीं लगेगा क्योंकि वो मानती है की वो जैसी है खुद के लिए अच्छी है ।

तो फिर हम क्या कर सकते है इसके लिए ? सही कहा हम कुछ कर सकते है … वेद के दिमाग़ में कोई आइडिया आ गया। ,’हम इन दोनो की मीटिंग करवा सकते हैं ।’ पर कैसे? ये इंडिया में हैं और वो अमेरिका में । मेरी माँ अमेरिका में रहती है । नंदिनी ने कहा था कि अगर कभी मेरी माँ इंडिया आएं तो मै उनसे जरूर मिलवाऊं। मै समीर को इंडिया बुला लूंगा और नंदिनी से ये कहूंगा की मेरी माँ आयी है। तुम समीर को किसी होटल में रोक देना और मै नंदिनी को लेकर पहुंच जाऊंगा जब दोनो आमने-सामने होंगे तो नंदिनी को बात तो करनी ही पड़ेगी । 

आइडिया तो अच्छा है लेकिन अगर समीर नहीं आएं तो ? अगर वो सच में नंदिनी से प्यार करतें होंगे तो मेरे एक फोन कॉल पर आएंगे ।

ओके तो इसी बात पर एक कप चाय हो जाये। तनु किचन में जाने के लिए मुड़ी लेकिन तुरंत चीखकर वेद के सीने में अपना सर छुपा लिया। वो लगभग रो ही पड़ी थी। वेद ने भी मुड़कर देखा तो अरुण दरवाजे के पास खड़ा था। वेद समझ गया की तनु किस बात पर इतना डरी है । 

सॉरी! शायद डिस्टर्ब किया आप दोनो को । अरुण वापस पलट पड़ा । 

हे मिस्टर , वेट ! ऐसी कोई बात नहीं है । अगर ऐसे करोगी तो उसका ख्याल कैसे रख पाओगी। उसके सिर पर आहिस्ते से हाथ फिराते हुए वो बोला। वेद ने तनु को अलग किया और उसे तीन कप चाय बनाने के लिए बोलकर अरुण के साथ चला गया। वो बोल रही है कि वो मेरी दोस्त है , तो आप मेरे कौन है ? अरुण ने गौर से वेद को देखते हुए पूछा । 

वो तुम्हारी दोस्त है और मै उसका भाई हूँ । अच्छा तब तो आप जानते होंगे की हम दोनो कब से दोस्त है ? मतलब..? हाँ हाँ जानता क्यों नहीं बचपन से मैं ही तो तुम दोनो के झगड़े मिटाता आया हूँ । एक बार पता है क्या हुआ था, तुमने उसके बालों में च्विंगम चिपका दिया था पूरे दो हफ्ते बात नहीं की थी उसने तुमसे तब मैंने ही उसे समझाया था। अच्छा तो वो मुझे देख के इतनी जोर चीखी क्यों थी अभी ? तुम्हें देख के …? अरे तुम ये कैसे भूल सकते हो की उसे छिपकली से बहुत डर लगता है तुमने कितनी ही बार उसे छिपकली से बचाया है याद है न ! आज भी तुम्हारे पीछे दीवार पर छिपकली घूम रही थी तभी वो चीख पड़ी। अपने दोस्त को देख के कोई चीखता है भला पागल । वेद को खुद पर बहुत खुशी हो रही थी इतना अच्छा झूठ बोल कर । लेकिन उसे नहीं इतना नहीं पता था तनु कमरे में आ चुकी है। वेद ने जब उसे देखा तो उसकी सिट्टी-पिट्टी गुम हो गयी, पता नहीं इस झूठ की क्या सजा मिलेगी उसे। तनु ने उसे तिरछी नजरों से घुरकर देखा और तीनों कप चाय टेबल पर रख दी ।

वेद ने जल्दी जल्दी से अपनी चाय ख़त्म की और वहाँ से निकल लेने में ही अपनी भलाई समझी।

अच्छा तो तुम दोनों आराम से बातें करो मुझे कुछ काम याद आ गया । कहकर वेद जाने के लिए खड़ा हो गया। चलिए मै आपको दरवाजे तक छोड़ देती हूँ । तनु भी वेद के साथ चल दी।

आपको ये सब झूठ बोलना जरूरी था ? 

नहीं मै तो फ्लो फ्लो में बोल गया था । 

वाह फ्लो फ्लो में कही ये न बोल दे कि मै उसकी गर्लफ्रेंड हूँ । नहीं ऐसा थोड़े होता है । 

हां ऐसा नहीं होता है और ऐसा होना भी नहीं चाहिए आगे से कोई भी बात इस लिहाज से बोलियेगा की मुझे कोई नुकसान न हो और अगर ऐसा नही हुया तो उसे और आपको दोनों को घर के बाहर फेंक दूंगी। 

इतना गुस्सा ना हो आगे से ऐसा नहीं होगा। वेद इतना कहकर बड़ी स्पीड से आगे बढ़ा ताकि तनु उसे ज्यादा कुछ न कह सके।

To be continued……..

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