वाऊ! तुम पॉवर नहीं सुपरपॉवर हो नंदिनी । वेद के मुँह से नंदिनी की तारीफ में बस इतना ही निकला । पता नहीं क्या हूँ क्या नहीं हूँ लेकिन जो भी हूँ अच्छी लगती हूँ खुद को। नंदिनी ने एक एक गहरी सांस में कहा ।
नहीं तुम सुपरपॉवर ही हो मुझे समझ नहीं आता कि इतनी पॉवर का पॉवर हाऊस क्या है । मेरे पापा। एक और घूंट वाइन उसने गले के नीचे उतार ली।
मतलब ?
जानते हो मै जब भी परेशान होती हूँ मुझे मेरे पापा याद आ जातें हैं भले ही वो मेरे पास नहीं रहें लेकिन उनकी बातें जब भी याद आती है लगता है कि वो मेरे पास ही है । जब-जब भी दुनिया मेरे खिलाफ हुई है मेरे पापा मेरे साथ रहें हैं । जानते हो मै अक्सर ये लाल ड्रेस पहन कर ही क्यों ड्रिंक करती हूँ । नंदिनी का सर अपने आप ही वेद के कंधे पर गिर गया। वेद को लगा कि जैसे उसकी सांसे ही रुक जाएगी । धड़कन इतनी तेज भागने लगी जैसे दौड़ में उसे कोई रिकॉर्ड सेट करना हो । चांदनी ठंडी रात में उसके बदन से पसीना ऐसे बहने लगा कि जेठ की भरी दोपहर हो। उसने खुद को सयंत करते हुए पूछा ,”क्यों? ”
लाल कलर उनका फेवोरिट है । वो जब भी मुझे कहीं ले जातें थे तो लाल…ला… उसकी आवाज़ से लग रहा था कि उसे नींद अपनी आगोश में घेर रही थी लेकिन वो बोलती जा रही थी। ,”हमेशा ही मेरे बर्थडे पर मै अक्सर लाल रंग का ही कुछ पहनती थी और पापा के साथ देर रात तक पार्टी करती थी फिर उन्ही की गोद में सो जाती थी। ….जानते हो …आखिरी… बार पा..के साथ मैंने… मै… जब ड्रिंक करी थी.. उ…स वक्त भी…हाँ ला..ल ड्रेस .. मुझे ब्लैक कलर पसंद …लेकिन पापा…को ला..ल। वेद उसकी टूटी-फूटी आवाज़ को भी बहुत ध्यान से सुन रहा था ।
अच्छा कभी समीर तुम्हे अपने पास महसूस नहीं हुआ ? वेद ने उसके सर को चूमते हुए पूछा।
नहीं कभी… नहीं वो मेरे पा…स कभी नही….वो …नई. .. वो क्यों नहीं वो भी तो प्यार करता है तुमसे । नहीं. ..कर..ता, वो सिर्फ.. रोज..मुझे..क..भ..ई.. वो झूठा है वो …धोखेबाज है …वो मुज..ए ..डिमो..टी. .वे..कर..ता… नंदिनी का सर वेद के कंधे से गिर कर उसकी गोद में आ गया। वेद आहिस्ते से उसे अपनी बांहों में ले लिया उसे अच्छा लग रहा था ऊपर के चांद से अपनी बांहों के चांद से तुलना करने में ।
नंदिनी की आँख सुबह दस बजे खुली ,हड़बड़ाहट में वो बिस्तर छोड़ तैयार होने के चली गयी। उसका सर अभी भी दर्द हो रहा था शायद रात में नशा बहुत ज्यादा हो गया था। फ्रेश होने के बाद उसने रूपा से अपने लिए एक स्ट्रांग कॉफी बनवाई। वो तैयार तो हो गयी थी लेकिन सिरदर्द की वजह से उसका ऑफिस जाने का मन नहीं हो रहा था फिर वेद और तनु पर उसे इतना ट्रस्ट है की वो अगर महीने भर भी ऑफिस ना जाएँ तो भी वो दोनो सब संभाल लेंगे और संभाला ही है तो एक दिन में क्या हो जायेगा। यही सोचकर नंदिनी आराम करने जा रही थी उसके फोन पर एक नम्बर घनघना उठा। उसने जब कॉल रिसीव की तो वो एक डॉक्टर की कॉल थी। नंदिनी को उसने बताया की अरुण होश में आ चुका है इससे ज्यादा की बात जानने के लिए उसे हॉस्पिटल आना होगा। नंदिनी ने तुरंत कार की चाभी ली और हॉस्पिटल के लिए निकल पड़ी।
हॉस्पिटल पहुंचने पर नंदिनी को पता चला की अरुण होश में तो आ गया है लेकिन उसकी मेमोरी चली गयी है अब उसे पिछला कुछ भी याद नही है। नंदिनी यहाँ पर डॉक्टर से मिलने इसलिए आयी थी ताकि वो अरुण को हमेशा हमेशा के लिए गहरी नींद में सुला सकें लेकिन जिसके पास अब दिमाग़ ही नहीं बचा है वो वैसे भी जिंदा नहीं रह गया है । उसकी आँखों में आंसू आ गएँ अरुण की हालत पर नहीं बल्कि अरुण के आगे हाथ जोड़ती हुई बेजान सी तनु के चेहरे को सोच कर । वो बदला लेना चाहती थी अरुण से तनु के उस डरे हुए रोते चेहरे का जो आज भी उसे आधी रात में डरा कर जगा देता है । उस वक्त भी नंदिनी बेबस हो गयी थी और आज भी ।
वो अरुण के रूम के सामने खड़ी हो उसे देखती रही। उसकी आँखे छत को निहार रहीं थीं जैसे खुद को तलाश रहीं हो, वो एक जिंदा लाश लग रहा था । नंदिनी अपने अंदर नफरत जगाना चाह रही थी लेकिन ऐसा हो ही नहीं पा रहा था । आखिर इनसे कोई किस हद तक नफरत करे भला। है ही कौन इनसे प्यार करने वाला झूठे मक्कार शातिर इन नामों से तो जाने गएँ हैं दोनों। परिवार के नाम पर दोनो ही थे एक दूसरे के साथ बस। तरुण ने जो सिखाया वो छोटे भाई ने सीख लिया। उसकी बीवी कैरेक्टरलेस निकली और इसे अभी तक कोई मिली ही नहीं। ये जो अभी तक हुआ है इन सब में इसका कुसूर कितना जोड़ा जाये ? नंदिनी काफी देर तक ऐसे ही सोच में डूबी रही फिर तनु और वेद को कॉल करके हॉस्पिटल बुला लिया ।
मुझे तरस आ रहा है उस पर मै कुछ नहीं कर सकी लेकिन तुम जो फैसला दोगी वो माना जायेगा । कहकर नंदिनी ने तनु को अरुण के वार्ड में भेज दिया और खुद वो वेद के साथ बाहर खड़ी रही ।
तुम्हें लगता है कि ये डिसीजन सही है ? उसे कभी भी सबकुछ याद आ सकता है और वो कभी भी तुम्हारा नाम ले सकता है। तो क्या करूँ बताओ इसे मार भी देंगे तो कोई रोने वाला नहीं बैठा है लाश का अंतिम संस्कार भी हम ही करेंगे और इसको नई जिंदगी भी हम ही दे सकते है । अगर वो ठीक होता तो मै ऐसा ही करती लेकिन मरे हुए को कैसे मारा जा सकता है ? वेद के चेहरे पर एक मुस्कान आ गयी और वो बोला I am so proud of me की मै तुम्हारा दोस्त हूँ । इस फैसले को सलाम मेरा। नंदिनी के चेहरे पर भी हलकी मुस्कान आ गयी । मैम आपको क्या सही लगता है क्या नहीं ये मै नही कह सकती लेकिन हमारा जो इशू था एक ठीक-ठाक, अभिमानी और शातिर लोगों से था मैं जिसे देख कर आयी हूँ वो किसी छोटे बच्चे के जैसा है वो अपने आसपास की चीजे सीखने की कोशिश कर रहा है ।
काफी देर तक तीनों इस पर बातचीत करते रहें। फिर ये तय किया की अरुण को डिस्चार्ज करवा कर घर ले जाया जायेगा। लेकिन किस के ? अगर नंदिनी अपने घर ले जाती है तो काफी बातें बननी शुरु हो जाएंगी लोग उसे लालची समझेंगे , उसकी कम्पनी हथियाने की साजिश बता सकतें हैं। वेद का तो यहाँ कोई घर ही नहीं हैं अब बाकी बची तनु पता नहीं वो कम्फर्ट फील करेगी या नहीं ।
आख़िरकार तनु अरुण को अपने घर में रखने के लिए तैयार हो गई लेकिन इस शर्त पर की उन दोनों को एक एक दिन करके रोज शाम को उससे मिलने आना होगा और तनु को अगर सही नही लगा तो वो अपना घर छोड़ के उनके साथ रहने आ जाएगी। अरुण भले ही होशो-हवास में नहीं था लेकिन तनु के दिल में वो आज भी डर पैदा कर रहा था ।
कुछ दिनों में वो लोग अरुण को डिस्चार्ज करवाकर तनु के घर पर रख आएं। उनके साथ उन्होंने रूपा के पति को रख दिया ताकि उसकी सारी जरूरतें भी सही समय पर पूरी हो सकें और तनु को भी कोई डर नहीं लगे वो सेफ फील करे ।
To be continued. ……
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