नंदिनी अपने व्यवहार पर शर्मिंदा थी लेकिन उसके मुँह से सॉरी शब्द नहीं निकल पाया। उसने कोशिश की लेकिन ये पाँच अक्षर उनके होठों तक पहुँच कर जुबान के नीचे दब गएँ। जब से वो ऑफिस से आयी है तब से सीधा अपने कमरे में घुस गयी थी। वेद भी अपनी छोटी सी दुनिया में दरवाजा बंद करके पड़ा था। इन दोनों के बीच बस 5 फ्लोर्स की ही दूरी थी लेकिन वेद का ऊपर जाने का मन नहीं था और नंदिनी की नीचे आने की हिम्मत नहीं थी। वेद पड़े-पड़े थोड़ी देर किताब पढ़ता रहा और फिर लाइट बंद करके सो गया। खाना भी नहीं खाया था क्योंकि उसे अंदर से अच्छा नहीं लग रहा था।
रात करीब दस बजे जब दरवाजे पर किसी की आवाज सुनाई दी तो उसकी आँख खुली। दरवाजा खोला तो रूपा बुआ थी। हाँ बुआ, क्या हुआ?
मेम साहब बुला रही है ।
क्या? कुछ हो तो नहीं गया ना ? वो ठीक तो हैं? वेद ने तुरंत अपना शर्ट पहना और ऊपर की तरफ चल दिया रूपा उसके पीछे-पीछे चल दी।
मैम आपने बुलाया था ? उसने अपनी भगती साँसो को संभालते हुए सामने बैठी नंदिनी से पूछा । जो रेड गाउन पहने डाइनिंग टेबल के पास बैठी थी।
जी हाँ, वो …..एक्चूली मैं पूछना चाहती थी कि. ….
जी पूछें ! वेद से शालीनता से जवाब दिया।
क्या आप मेरे साथ डिनर करना पसंद करेंगे ? नंदिनी की आँखों में उम्मीद झलक रही थी।
नहीं, मुझे भूख नहीं हैं आप अकेले कर लीजिये । वेद ने इतना ही कहा और दरवाजे की तरफ पलट गया ।
जी मैने बनाया था । नंदिनी ने बड़ी तेजी से कहा। आखिरी बार अभिनव के लिए बनाया था तब से इतने सालों बाद बनाया है। मुझे नहीं पता कैसा बना है फिर भी आपको बुला लिया शायद नहीं बुलाना चाहिए था! आप खा चुके होंगे पहले ही… नंदिनी जल्दी-जल्दी बोले जा रही थी जैसे किसी घबराहट में हो। ऐसा इसलिए की काफी वक्त हो गया उसने ना नहीं सुना था। ,’ मै देर से खाती हूँ मुझे लगा कि बाकी सब भी देर से खातें होंगे , लेकिन ऐसा थोड़ा होता है मै जैसा चाहू कोई दूसरा भी वैसा ही चाहे…. जाइये आप जाइये मै कर लूंगी …हां आप सो जाइये गुड नाईट । नंदिनी की ये बेतरतीब सी बातें सुनकर वेद समझ गया कि वो बहुत ही ज्यादा परेशान है। अभिनव के कुबूलनामे से उसकी मुश्किल में कोई कमी नहीं हुयी है । बेचारी होगी भी क्यों नहीं जिसकी इज्जत का ऐसे तमाशा बनाया जाये वो लड़की अंदर से कितनी ही मजबूत क्यों ना हो टूट ही जाती है।वेद चुपचाप बैठ गया लेकिन नंदिनी के बारे में कुछ नहीं बोला बस अपने ही बारे में बताने लगा।
जानती हो नंदिनी , मै बाहर से खाना खा कर आया था इसीलिए मुझे भूख नहीं थी लेकिन जैसे ही आपने मुझसे कहा कि ये आप ने अपने हाथों से बनाया है तो पता नहीं क्यों मुझे अपनी मम्मी की याद आ गयी। वो भी यही करती थी बाकी सारे दिन खाना मेड बनाती थी लेकिन जिस दिन मै बाहर से खा कर आता था पता नहीं उसी दिन माँ मेरे मन की कोई डिश बनाकर रखती थी। मुझे गुस्सा भी बहुत आता था और भूख भी बहुत लग जाती थी। पहले उनपर गुस्सा निकालता था फिर खाना खाता था । अब आप पर गुस्सा तो निकाल नहीं सकता इसीलिए चुपचाप खाना ही खा लेता हूँ ।
आप सच में खाना खा चुके है ?
अरे भाई हाँ, मै तो सो भी गया था चाहे बुआ से पूछ लो। अच्छा ।
तो खाना शुरु करें,मुझे बहुत तेज भूख लग आयी है । वेद ने अपनी प्लेट सीधी करते हुए नंदिनी की तरफ देखा । जी बिल्कुल। नंदिनी ने जैसे ही ये कहा रूपा दोनों को खाना परोसने लगी।
मुझे लगा था कि आप सिर्फ बिज़नेस में ही अच्छी हैं लेकिन आप तो कुकिंग में उससे ज्यादा एक्सपर्ट हैं । आप एक काम क्यों नहीं करती इसको भी अपने किसी बिज़नेस से अटैच कर लीजिये। हा..हा…हा फनी आपको बता रही हूँ की मैने इतने सालों से खाने को हाथ भी नहीं लगाया , फिर भी इतनी झूठी तारीफ के लिए आभार ।
लीजिये अब ये आपको मजाक लग रहा है मैने तो सच ही कहा था बाकी आपको जैसा लगे ।
खाना ख़त्म करने के बाद वेद हाथ धुलने के लिए वाश बेसिन की तरफ चला तो उसके चेहरे पर काफी लाइट पड़ी और उसी के साथ नंदिनी की नजर भी। वेद के चेहरे पर पाँच पतली उंगलियों के उभरे हुए गुलाबी निशान बने थे। नंदिनी एक दम से खुद से ही कांप गयी । उसे लगा की वो कोई जानवर है और वो वहाँ से रोते हुए भाग गयी। वेद ये देख भी नहीं पाया था वो तो हाथ धोने चला गया था। जब वेद वापस आया तो रूपा से पता चला कि वो शायद छत की तरफ गयी है । वो उसे ढूंढते हुए छत पर जा पहुँचा जहाँ एक कोने में बैठ कर नंदिनी सुबक रही थी लेकिन जैसे ही नंदिनी ने वेद को देखा तो वो चुप होने की कोशिश करते हुए इधर-उधर देखने लगी ।
रो क्यों रही हो ? वेद एक पैर पर थोड़ा ज्यादा जोर देते दूसरे पैर को मोड़ कर उसके सामने बैठ गया।
नहीं रो नहीं रही बस थोड़ी उलझन हो रही है । तुम्हें पता है कि आज तुम कितना ज्यादा परेशान हो ! तुम अंदर ही अंदर टूटी हुई खुद से ही डरी हुई हो । शायद कुछ अभिनव की वजह से और कुछ मेरी वजह से ।
नहीं तुम्हारी वजह से नहीं, माइंड मत करना लेकिन उस वक्त मुझे पता नहीं कितनी गुस्सा आ गयी थी और मै उस पर काबू नहीं रख पायी इसीलिए….. उसकी आँखें फिर छलछला आईं। उस बात के लिए गिल्टी फील मत करो उसे तो मै खुद ही भूल चुका हूँ सच में ।
कहने भर से नहीं होता वेद वो ,मुझे पता है आप बहुत हर्ट हुए है। वेद समझ गया की थप्पड़ वाली बात नंदिनी के दिमाग़ में बहुत गहरे से जा फसी है। इसे भूलना या मिटाना बहुत जरूरी है।
अच्छा अगर तुम्हें सच में मेरे लिए दर्द फील हो रहा है तो क्या तुम …इसका रीपे करोगी। इससे तुम्हारे थप्पड़ का हिसाब भी बराबर हो जाएगा और मेरा भी फायदा हो जायेगा।
क्या करना होगा ? नंदिनी सोचते हुए बोली । वेद ने अपना हाथ उसकी तरफ बढ़ा दिया ,”दोस्त बनोगी मेरी ?” नंदिनी कुछ वक्त तो उसे देखती रही फिर उसके दिमाग़ ने सवाल किया कि” एक इंसान जो सालों से तुम्हारी हर मुश्किल में साथ निभाता आ रहा है उससे दोस्ती तक नहीं तुम्हारी ?”। नंदिनी ने भी अपना हाथ उसकी तरफ बढ़ा दिया दोनों हाथ मिलकर एक नये रिश्ते में आ गएँ। अच्छा अब तो हम दोस्त हो गएँ है तो क्या तुम मुझे बता सकती हो की तुमने अभिनव से ऐसा क्या कहाँ की उसने सारा इल्जाम अपने सर ले लिया। वेद ने वाइन का गिलास उसे पास करते हुए पूछा । नंदिनी रेलिंग के सहारे खड़ी ग्लास को गोल गोल घूमती हुई मुस्कुरा उठी , उसे कुछ याद आ रहा था शायद अभिनव का वो पीला चेहरा जो आगे कुआं पीछे खाई में फस कर रंगहीन गया था ।
अब बताओगी भी की ऐसे ही मुस्कुराती रहोगी ? वेद ने नंदिनी के चेहरे पर अपनी आँखें टिका दी ।
तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरे घर में आने की ? अभी रुको सिक्योरिटी को बुला कर तुम्हें धक्के मारकर निकलवता हूँ यहाँ से । नंदिनी को देखते ही अभिनव भड़क उठा और वो उसे उल्टा सीधा सुनाने लगा । नंदिनी ने उसका कॉलर पकड़ के उसे सोफे पर पटक दिया ।
क्या बत्तमीजी है ये ! कुछ एथिकल वैल्यूज है या नहीं तुम्हारी । तुम्हारी तो जैसे एथिकल वैल्यूज की दुकान ही हो । नंदिनी उसके सामने एक कुर्सी खींच कर बैठ गयी। ओह , तो तुम यहाँ मुझे उन फोटोज के लिए सुनाने आयी हो , लेकिन बता दूँ कि शुरु तुमने किया था। अगर तुम मेरी इज्जत का तमाशा बना सकती हो तो क्या मै तुम्हारी इज्जत को अपनी सराँखों पर बिठा कर रखूँगा ।
जिसकी कोई इज्जत नहीं उसका कोई तमाशा कैसे बना सकता है ! तुम बेवजह अपनी इज्जत की मेरी इज्जत के साथ तुलना करके मेरी इज्जत को और भी गिरा रहे हो। जोकि तुम्हे नहीं करना चाहिए क्योंकि मेरी इतनी ज्यादा इज्जत से तुम्हारी भी थोड़ी इज्जत हो जाती है लोग आज भी तुम्हें नंदिनी सिंघानिया का एक्स हसबेंड ही मानते है ।
तुम्हारी ये जो दिखावटी …..
अबे चुप ! बिल्कुल चुप अब एक बार भी बीच में टोकने की कोशिश भी मत करना क्योकि आज मैं यहाँ सिर्फ अपनी बोलने आयी हूँ तुम्हारी सुनने के लिए मेरे पास एक मिनट का भी वक्त नहीं हैं । अभिनव इस बात का प्रतिरोध करना चाहता था लेकिन नंदिनी की आवाज में इतनी गरज थी कि वो कुछ बोल ही नहीं पाया।
तुम कहते थे कि तरुण की गाड़ी पर मैने हमला किया । तुम सही कहते थे मैने ही उन दोनों को मारने की कोशिश की , पता नहीं अरुण कैसे जिंदा है लेकिन उसे मै ज्यादा दिन जिंदा नहीं रहने दूंगी। वो सेक्स टेप भी मैंने ही वायरल किया लेकिन बस बात इतनी है कि उसमें तरुण की बीवी नहीं किसी की बेटी थी देखना चाहोगे किस की। नंदिनी ने अपना फोन निकाला और एक वीडियो को अभिनव के सामने चला दिया। अभिनव के चेहरे के रंग उड़ गएँ उसे एसी में भी पसीना आ गया। तुम ऐसा कैसे कर सकती हो , तुमने कहा था कि इसे डिलीट कर दोगी , प्लीज इसे डिलीट कर दो अभी। क्या हुआ पहचान लिया क्या?तुम्हारे बॉस की बेटी है, है न ! आजकल कहाँ है ये ?सुना है दुबई के किसी मिलेनियर से शादी की तैयारियां चल रही है । ऐसे में अगर ये वीडियो वायरल हो गया वो लोग तो तुम्हें 24 घंटे के अंदर दुनिया के किसी भी कोने से ढूंढ कर कुत्ते की मौत मार देंगे यार । वैसे भी तुम्हारा बॉस पहले से ही हिस्ट्रीशीतर रह चुका है आज भी दुबई , पाकिस्तान , ईरान जैसे देशों से हथियार सप्लाई करता है अगर मैने ये वीडियो उसे ही दिखा दिया तो….शायद तुम्हारे अंदर तुम्हारे बॉडी ऑर्गन्स से ज्यादा उसकी गन्स होंगी है ना ! देखो तुम क्या चाहती हो जैसा चाहती हो जो चाहती हो मै वही करूंगा वो फोटोज मै अभी सब जगह से हटवाता हूँ प्लीज उसे डिलीट कर दो। अभिनव अपना फोन निकाल कर जल्दी-जल्दी कुछ करने लगा ।
अब वो फोटो हर जगह से हट जाएंगी प्लीज इसे भी हटा दो । फोटो हटें चाहे न हटें मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता , मुझे तो बस तुम्हारी जिंदगी सही सलामत चाहिए क्योकि तुम मानो या ना मानो मै आज भी तुमसे उतना ही प्यार करती हूँ जितना पहले करती थी ।
तुम इधर-उधर की बातें मत करो जो चाहती हो बस वो बताओ मै तुरंत कर दूँगा ।
मै तुम्हारी जान की सलामती चाहती हूँ जोकि जेल जाने पर ही हो सकती है। देखो ये जो कांड हुआ है इसकी जिम्मेदारी तुम अपने सर लोगे और जेल जाओगे नहीं लोगे और बाहर रहोगे तो जान से जाओगे। अगर तुम इसे गैर इरादतन बना पाओ तो तुम्हें सजा भी कम होगी और मै ऐसा वकील करूंगी जो तुम्हें जल्द से जल्द जेल की दीवारों से आजाद करवा सकें। फिर तुम आराम से अपनी नई जिंदगी शुरु करना। चॉइस तुम्हारी है कि तुम क्या करते हो , मै तुम्हें फोर्स तो कर नहीं सकती । नहीं नंदिनी ऐसा मत करो मै तुम पर अब से कोई इल्जाम नहीं लगाऊंगा। अभिनव अपने हाथ जोड़ कर उसके कदमों में झुकने लगा और एकदम से उसके हाथ पकड़ कर उससे फोन छीनने की कोशिश करने लगा। नंदिनी ने अभिनव के पेट पर एक जोरदार लात मारी वो फिर से सोफे पर ही जा गिरा। नंदिनी उठकर उसके पास गयी और अपनी सैंडल से उसकी चिन को ऊपर उठाते हुए बोली ,” अबे गधे , इतना तो सोचना चाहिए था की नंदिनी तुझे ये वीडियो दिखा रही है तुझसे पहले और कितनो को दिखा चुकी होगी और कहाँ कहाँ इसे सेव करके रखा होगा। ” नंदिनी ने अपनी सैंडल उसके सीने पर रख दी। सोच ले जिंदगी तेरी तेरे हाथ , मौत भी तेरी तेरे हाथ। जेल में रहेगा तो जिंदा रहेगा और बाहर रहेगा तो किसी भी वक्त अल्लाह को प्यारा हो जायेगा । इतना कहकर नंदिनी ने अपना पैर टेबल पर मारा और वहाँ से निकल गयी। अभिनव किसी मुर्दे की तरह खुद को जलते हुए देखता रहा।
To be Continued. ……
Very interesting information!Perfect just what I was looking for!Raise your business