हर एक लम्हा खयाल उसका …
दिल ने उठाया है सवाल उसका!!
( एक गीत की पक्तिं)
लीजिए दोस्तों मैं फिर आ गया हूँ आपलोगों से मिलने के लिए।मैं जानता हूँ कि जितना मैं आप लोंगो से मिलने का इन्तेज़ार नहीं करता उससे ज्यादा आप मेरे आने का इन्तेज़ार करतें हैं ,और आपका यही इन्तेज़ार मुझें आप लोगों तक जल्दी – जल्दी खींच लाता है।
मैं जानता हूँ कि इन दिनो आप सिर्फ मेरा नहीं बल्कि “थोड़े से इश्क़ “का भी इन्तेज़ार करतें हैं, तो चलिए मेरे साथ इश्क़गली में, जहाँ मैं आपको एक बेहतरीन सैर करवाने की कोशिश करूंगा।
रितु जय के गले लगकर उतना ही सुरक्षित महसूस करती है जितना कोई बच्चा अपनी माँ की छाती से लगकर होता है ।कहने को रितु बीस की हो चुकी थी पर आज भी वो जय के सामने बच्चों से नखरे दिखाती है, और आज भी जय उसे आंखो के इशारों पर चला लेता है।
दोंनों में इन कॉलेज के दिनों में क्या 20 बार रुठना- मनाना न हुआ होगा! न जाने कितनी बार तो ऐसे झगड़े हुए कि लगा ये इनका आखिरी झगड़ा होगा लेकिन नहीं कहने को मनमुटाव जितना हो जायें पर दोनों एक दुसरे से ज्यादा देर दूर नहीं रह पातें थें।
जय जब भी रितु से नाराज होता था तो अक्सर पुरानी मुलाकातें याद करता था या यूं कहिए कि बीते हुए लम्हें जबर्दस्ती अपना अक्स हरा कर देते थे उसके जेहन में।
पहली दफा दोंनों की मुलाकात जब हुई थी ,तो जय कितना हंसा था उसे छोटे बच्चों की क्लास में उनके बस्ते सही करतें देख,
अरे समीर तुने बताया नहीं यार कि तेरे स्कूल में इतने बड़े बच्चे भी 1-2 में पढ़ सकतें हैं ,बेचारी न जाने कितनी बार Fail हुई होगी ,हँसते हुए उसने समीर की तरफ देखा तो पाया की वो उसे ही घूर रहा है,
उसकी तरफ़ से समर्थन न मिलता देख ,जय ने देव की तरफ सिर घुमाया था ,
हो गया तेरा ?washroom हाथ साफ करने आया था न कि गैलरी मे चलते हुए आसपास के लोगों पर अपनी राय देने ,देव ने भी उसे सीधे मुंह जवाब नहीं दिया था।
अरे भाई लोग!भूल -चूक,लेनी-देनी मगर मैंने ऐसा क्या कह दिया कि तुम दोनो की त्योंरियों पर बल पड़ गयें ,मजाक किया था बस।वो समीर और देव के पीछे चलते हुए उनके मिजाज़ जानने की कोशिश कर रहा था।
अबे वो दोस्त है हमारी और तुम हो कि मजाक बना रहें हो उसका ,समीर ने थोड़ा शिकायती लहजे में कहा।
इसे बता दे कि वो हमारी ही कक्षा में पढ़ती है वरना ये फिर हंसेगा ,कहेगा हम 1-2 कक्षा की लड़की से दोस्ती रखते हैं । देव ने क्लास के दरवाजे के अन्दर जाते हुए हल्का सा सिर निकालते हुए समीर को ये हिदायत दी थी…………..
रितु के बारे में सब जानने के बाद जय ने खुद को काफी करीब पाया था उसके ,ताजगी मिलती थी उसे देखकर और महसूस कर के दिल को राहत..॥
और जब रितु नाराज होती है तो वो अपने गुस्से पर भी जय के इश्क़ को ही तरजीह देती है। ऐसा लगता है कि रितु ने जय के प्यार में अपना वजूद भी मिला दिया हो।
कहने को तो जय कहता है कि रितु डरती है पर हकीकत ये है कि जय भी डरता है ,रितु के अहम मौके पर साथ न दे पाने के डर से, रितु के कदम पीछे खींच लेने के डर से
आपको क्या लगता है जहाँ अविश्वास हो ,असुरक्षा की भावना हो वहाँ कोई रिश्ता सांस भी ले सकताहै? पर इन दोनों का रिश्ता सांस भी ले रहा है और जिंदा भी है कैसै???
शायद इसकी वजह हैं इनका विपरीत स्वभाव , रितु एकदम शांत और धैर्यवान है ,जबकि जय एकदम चंचल और गुस्से वाला। Biochemistry मे जब इनके दोस्तों को कोई उदाहरण नहीं मिलता तब वो लोग रितु(+) और जय(-) को compound मान कर ऐसी तगड़ी reaction करवाते थे कि इन के Friendly teacher विवेक सर 5 नम्बर के सवाल पर भी मुस्काते हुए 6 नम्बर दें देते थे।
सच में, दोनों बहुत अच्छे लगते हैं साथ साथ।
रितु …जय ने आहिस्ते से कन्धे पर अलसाई पड़ी रितु को पुकारा।
हां .. रितु ने अलसाई आवाज में ही जवाब दिया। चल चलतें हैं क्लॉस में वरना वो देव मेरे ऊपर गुस्सा दिखाएगा ,मेरे को लगता है न कि इस पढ़या के जन्म के समय ऑण्टी जी किसी Library में होगी इसलिए ये ऐसा है फिर जिस क्लॉस में इसके जैसा सीआर हो तो वहां मौज मस्ती को दूर से ही नमस्कार।
देखो उसे इस तरह मत बोलो वो ….
हाँ हाँ पढैय्या को लडैय्या बोलूँ ,चलेगा?
मैं कह रहीं हूँ न कि….. पढैय्या … रितु भी एकदम खिलखिला कर हँस पड़ी।
Hello मैं इधर इश्क़गली के बाहर निकल आया हूँ, क्या आप लोग वहीं घूम रहे हैं अभी भी? अरे कुछ वक्त का भी खयाल रखना पड़ता है कि नहीं और इसी वक्त का लिहाज करते हुए ,मुझे आप से ईजाजत लेनी पड़ेंगी ।
लेकिन मैं जल्दी ही फिर से मुलाकात करुंगा इसी इश्क़गली में जय और रितु के साथ ,तब तक आप हम तीनों का इन्तेज़ार करें और स्वस्थ्य रहें ,मस्त रहें।
Fabulous love story 💞
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति