दरवाजे की खट की आवाज़ होते ही तनु धम्म से सोफे पर बैठ गई। न हिली न डुली बस सीधी बैठ गई जैसे कोई चाभी की गुड़िया हो जिसे कोई दूसरा कण्ट्रोल कर रहा हैं। तुम हम दोनों से डरो मत,मैं तुम्हारे साथ कुछ नहीं करुँगी सच में,सिर्फ गन पॉइंट पे ही रखूँगा। तुम एक बार मेरे भाई की तरफ देखो उसने तुम्हें जब मीटिंग में पहली बार देखा था तब से ही पागल हैं तुम्हारे लिए ,तो अगर वो तुम्हारे साथ कुछ करता है तो मैं रुकूंगा भी नहीं उसे और चाहता हूँ तुम भी ना रोको। तरुन गन थामे तनु के सामने पड़े सोफे पे बैठ गया और उसका छोटा भाई अरुण तनु का एक हाथ थाम उसके साथ बैठ गया। उसने उसके हाथों को चूमा लेकिन वो किसी मूर्ति की तरह ही बैठी रही बेजान बनकर। अरुण ने उसके गाल को चूमा तब भी वो उसी बंद दरवाजे की तरफ ही टकटकी लगाए थी उसे कुछ पता ही नहीं था कि उसके साथ क्या हो रहा है। आमतौर पर लड़कियों की सिक्स सेंस हमेशा ऐसी छूअन या नज़र के प्रति सचेत रहती हैं वो कभी भी ये जानने में धोखा नहीं खाती की कौन उन्हें किस नज़र से और कहाँ देख रहा हैं।
लेकिन तनु ऐसी जाम बैठी है कि लग रहा है किसी ने उसे स्टेचू बोल के छोड़ दिया हैं मूव अभी तक बोला ही नहीं। अरुण का हाथ अब उसके कंधे पर था लेकिन उसकी निगाहें वैसी ही उसी दरवाजे पे थी। अगर तरुन उठकर अपनी बन्दूक की सारी गोलियां अभी तनु के सर में उतार दे तो लगता हैं कि वो तब भी उसी तरह उसी बंद दरवाजे को ताकती रहेगी।हातिमताई में जैसे शैतान की जान एक तोते में बंद थी तनु को देख के लग रहा था कि उसकी जान भी उसी दरवाजे में बसी हो।
तनु की ये ख़ामोशी ये बेजानदार स्थिति तब टूटी जब उसे उस बंद दरवाजे से किसी के चीखने की आवाज़ आयी। दोनों भाई ऊपर की तरफ भागे क्योंकि वो आवाज अभिनव की थी। तनु बिलकुल सचेत अवस्था में बैठ गई जैसे लम्बी नींद से अभी अभी जगी हो। इससे पहले वो उठकर खुद को देखती, संभालती उसने देखा की नंदिनी ऊपर से दौड़ती हुई आयी और उसका हाथ पकड़ के मेन गेट की तरफ भागी।
मैम! सॉरी….मेरी वजह से….मुझे नहीं रुकना….चाहिए था… तनु ड्राइविंग सीट की बगल में बैठी सिसक- सिसक के रो रही थी। वो चाहती थी नंदिनी उससे कुछ बोले गालियां दे,थप्पड़ लगाए,जलील करे लेकिन बात करे मगर नंदिनी के सख्त चेहरे पर किसी भी तरह की नमी या नरमी नहीं दिख रही थी।आँखों से लगातार बह रहें आंसू भी गालों में समां जाने की हिम्मत नहीं कर पा रहें थें और गर्दन तक लुढ़कते हुए चलें जा रहें थें। मैम प्लीज…! उसकी सिसकियाँ हिचकियों में बंध गई थी वो मन ही मन खुद को कोसे जा रही थी कि क्यों वो नंदिनी के पीछे-पीछे अंदर तक गई थी जब उसने उसे बाहर रुकने को ही बोला था।
नंदिनी अभिनव के घर से काफी दूर आ चुकी थी चारों तरफ अँधेरा छाने लगा था लेकिन उसकी गाड़ी की स्पीड अभी भी 140 से ऊपर ही थी। वहाँ से काफी दूर निकलने के बाद अचानक से नंदिनी से कार में ब्रेक लगा दी और कार से उतर गई। उसने चारों तरफ ध्यान से देखा अपने बालों का जुड़ा बनाया, आंसू पोछे,अपने कपड़े ठीक किये फिर मुस्कुराई थोड़ी देर मुस्कुराने के बाद एक दम खामोश होकर एक गहरी साँस ली और फिर चीख पड़ी,अपने दोनों हाथों को अपने गले में डालकर नंदिनी बहुत तेज चीखने लगी ऐसा लग रहा था किसी ने उसके अंदर हाथ डाल के उसकी रूह को छील दिया हो और उसे बेतहाशा दर्द होने लगा हो, ऐसा दर्द जो किसी अपने के मरने पे होता है। उसकी चीख एक सुनसान पेड़ो से गिरे रास्ते पे निकली थी अगर आसपास कहीं ऊंचे पहाड़ या बर्फ होती तो वो भी डर के काँप जाते सड़क पे ये दूर तक काला अँधेरा नहीं बल्कि सफ़ेद रंग की बर्फ पड़ी होती।
तनु कार के अंदर बैठी कांप रही थी उसे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें।उसने जल्दी में अपना फोन तो उठा लिया था लेकिन उसे इस्तेमाल भी किया जाता है जैसे वो ये भूल ही गई थी। कार में बैठी-बैठी रो रही थी और दुआ भी माँग रही थी कि इस सुनसान रास्ते से कोई गुज़रे तो वो मदद माँग ले। काफी गुस्सा आ रहा था उसे कि शहर की सड़के रात 10 बजे ही कैसे खाली हो सकती है?कितने लापरवाह गैरजिम्मेदार लोग हैं? सर्दी की रातें हैं ठीक है लेकिन इतनी जल्दी सो जाना…क्या कोई और काम नहीं हैं उनके पास…? तनु चारों तरफ देख रही थी कि कोई तो दिखें लेकिन शायद उसे ये मालूम ही नहीं था कि नंदिनी ने कोई हाईवे नहीं बल्कि एक छोटा सा शॉर्टकट चुना था। ये उसे तब पता चला जब वो कार के नीचे उतरी। नंदिनी का मन रोने से भी हल्का नहीं हुआ तो वो गाड़ी की डिक्की से कुछ निकाल के ले गई।तनु ने देखने कि कोशिश कही मगर कुछ नहीं दिखा लेकिन वो जान गई थी कि नंदिनी क्या करने जा रही है। तनु पीछे-पीछे गई इससे पहले ही नंदिनी ने उसे रोक दिया वैसे तो वो पीठ तनु की तरफ करके बेंच पर बैठी थी लेकिन जैसे उसके कदमों की खामोश आहट के आधार पर उसे टोका था,”मुझे अकेले रहना है बिलकुल अकेले मुझसे बात ना करो मुझे देखो मत मुझे टोको मत…..चुपचाप गाड़ी में बैठ जाओ और डोर लॉक कर लो….या घर चली जाओ,मैं जिंदा रही तो आ जाउंगी मर गई तो तुम आ जाना मेरी लाश लेने छोड़ा है।नंदिनी ने गर्दन घूमा के ऐसी नजरों से तनु को देखा कि वो अंदर तक सिहर गई। वो जाने के लिए मुड़ी तो नंदिनी ने उसे फिर से आवाज़ दी,” सुनो, मेरे बाद ये कंपनी नीलाम कर देना और जिन्दगी में कभी भी टीचर,डॉक्टर या औरतों के लिए जो पेशे बने हैं उन्हीं में जाना दोबारा बिज़नेस लाइन में ना आना इसे तुम मेरी आखिरी ख्वाहिश समझ लेना क्योंकि मैं बहुत प्यार करती हूँ तुमसे, बर्दाश नहीं कर पाऊँगी अगर कुछ हो जाएगा तुम्हें तो…. इतना कहने के बाद वो फिर से तनु की तरफ पीठ करके बैठ गई।तनु को एक झटके में ऐसा लगा कि नंदिनी सच में ही मर गई हैं वो पागलों की तरह गाड़ी की तरफ भागी। चारों तरफ अँधेरा काफी गहरा गया था और कोहरा भी बढ़ रहा था बहुत तेजी से।
चारों तरफ से कोहरा छटने लगा था थोड़ा-थोड़ा उजाला अपने पैर फैलाने लगा। लेकिन वेद को पता ही नहीं चला क्योंकि उसे तो सब धुंधला ही दिख रहा था उसकी आँखे ही इतनी ज्यादा भरी थी।हाँ बहुत ज्यादा पानी टपक रहा था वेद की आँखों से जैसे बाहर पेड़ो से ओस टपक रही थी वैसे ही। लेकिन क्यों..?शायद अपने पुरुष होने पर शर्म आ रही थी उसे या एक बहन का भाई होने पर डर लग रहा था उसे। उसने शीशे में भी एक बार तनु को देखने की कोशिश नहीं की इतनी हिम्मत ही नहीं बची थी उसमें।वेद के फोन में जब पांच का अलार्म बचा तब उसे सुबह होने का अहसास हुआ।
ये जो भी कुछ हुआ है ये किसी को भी मत बताना मीडिआ में तो ये खबर बिलकुल भी नहीं आनी चाहिए। वेद ने दबी जुबान में तनु से जब ये कहा तो वो बिलकुल चौक गई उसे लगा था कि वेद कार सीधा पुलिस स्टेशन पर रोकेगा और पहले उनके खिलाफ fir लिखवाएगा तब घर जाएगा लेकिन….
मैं पुलिस कम्पलेंट करुँगी और मैम भी । ना तुम पुलिस कम्पलेंट करोगी और ना तुम्हारी मैम ही इफैक्ट जो भी हुआ है उसे तुम एक बुरा सपना समझ के भूल जाओगी।
बुरा सपना नहीं बुरी हकीकत थी वो उन्होंने हमारे साथ रेप करने की कोशिश की हैं….रेप….जानते भी हैं इसका मतलब?तनु गुस्से से फफक पड़ी।
तनु बात को समझो…. हर बात समझ गई मैं आपकी सर,अभिनव ने ठीक ही कहा था कि बिज़नेस इंडस्ट्री में सारे मर्द चाहे जितने ही बड़े दुश्मन क्यों ना हो उनसे सफल औरत को नीचे गिराने के लिए एक हो ही जाते हैं। आप उन्हीं का साथ देंगे ही मेल ईगो….
क्या तुम चुप करोगी…वेद ने कार में लगभग ब्रेक लगाते हुए कहा। क्या है मेल ईगो?नहीं होता क्या है मेल ईगो? मैं तुम दोनों को बचाने की कोशिश कर रहा हूँ ये है मेरा मेल ईगो? मैं आधी रात में दो लड़कियों के लिए रोता हूँ ये है मेरा मेल ईगो? अपनी कंपनी दांव पे लगा के मैं नंदिनी की कंपनी बनाने की कोशिश करता हूँ ये है मेरा मेल ईगो?तुम्हारे अंदर जो था तुमने शब्दों में बोल दिया लेकिन मुझ पे क्या गुजर रही है मैं तुम्हें बता भी नहीं सकता शर्म आ रही है मुझे मेरे आदमी होने पर क्या ये है मेरा मेल ईगो? उसने कार रोक दी क्योंकि लगभग चार घंटे का सफर करके वो तनु को उसके घर तक पहुँचा दिया था।
मैं नहीं चाहता की कोई नंदिनी को गलत कहे लेकिन अगर किसी को भी पता चला तो वो इसे ही गलत कहेंगे।आज की दुनिया में किसे पावर दिखाने का शौक नहीं है भला?ऐसे में नंदिनी गई अभिनव के घर बिना सिक्योरिटी के अभिनव नहीं ले गया था उसे।नंदिनी को शौक था उससे पर्सनल मीटिंग का उसकी कोई दिलचस्पी नहीं थी। शाम के वक़्त जब सब घर को निकलते है तब वो अभिनव के पास गई किसलिए?और सबसे बड़ी बात जब वो अपने दोस्तों के साथ अपनी बर्थडे पार्टी एन्जॉय कर रहा था उसी दिन नंदिनी का उससे मिलने जाना..!कोई यकीन करेगा की वो बिज़नेस से जुड़ी कोई मीटिंग हो सकती है। अब इन सब बातों के बाद हम उनपर कोई केस करेंगे तो तुम्हें क्या लगता हैं कि वो चुप बैठेंगे? उनके पास तो बहुत सुबूत हैं नंदिनी को गलत साबित करने के हम लोगों के पास क्या हैं? वो अगर कुछ उल्टा सीधा बोलेंगे जो कि तय है बोलेंगे ही तब क्या किया जाएगा?इसीलिए कहता हूँ कि अगर तुम दोनों चुप रहोगी तो वो भी कुछ नहीं बोलेंगे बाकी तुम दोनों की मर्जी। तनु ने ये बातें नहीं सोची थी लेकिन जब ये सब बातें उसे समझ आयी तो उसने कुछ नहीं कहा।उसका गुस्सा अंदर की उदासी मे बदल गया जैसे वेद ने उसे हर्ट किया हो। कोई भी आदमी चाहे कितना भी शांत क्यों ना हो लेकिन जब उसकी बहन दोस्त या उसकी पार्टनर के साथ कोई कुछ कर देता है तो उसका गुस्सा सातवें आसमान पर जाता ही है तब वो लड़की को नहीं समझाता बल्कि लड़की उसे समझाती हैं लेकिन वेद तो…..
ठीक हैं आप ध्यान रखना इनका। कहता हुई तनु पलट पड़ी। तनु…वेद ने उसे रोकते हुए उसे सीने से लगा लिया। जैसे कह रहा हो तुम परेशान न हो मैं जरूर कुछ करूँगा भरोसा रखो मुझ पर। “अपना ख्याल रखना” कहके वेद कार में बैठ गया और कार स्टार्ट कर दी। तनु वैसे ही खड़ी रही जैसे उसकी अनकही बात पे आँख बंद करके भरोसा करना चाह रही हो। किस की बात पर…..?वेद…नहीं….एक आदमी की बात पर…..
To be continued. …….
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