थोड़ा सा इश्क़ ( a little love )part 5

 आज तो उन्हें बहुत रुलाएंगे हम….         सुना है रोते हुए लिपट जाने की आदत है उनको!

मेरे प्यारे दोस्तों ,मैं आ गया हूँ आपलोगों के पास फिर से थोड़ा सा इश्क़ लेकर वहीं इश्क़ जिसमें थोड़ा सा दर्द ,थोड़ी सी उदासी , थोड़ी सी रुमानियत और बेहद ज्यादा ज़िम्मेदारियां, बेहद ज्यादा दुनियावी दखल और हैं बेहद ज्यादा असुरक्षित रहने की भावना ,इन सबसे मिलकर बना हैं ये थोड़ा सा इश्क़।

         < थोड़ा सा इश्क़ भाग 1

        <  थोड़ा सा इश्क़ भाग 2

        <  थोड़ा सा इश्क़ भाग 3

        <  थोड़ा सा इश्क़ भाग 4

क्या आपने भी कभी किसी से थोड़ा सा इश्क़ किया है???अगर हा तो हमें ईमेल कीजिए और बताइए अपनी कहानी। कहानी अच्छी लगी तो हम उसे जरूर लोगो तक शेयर करेंगे। चलिए आप को मैं इस सवाल के साथ छोड़कर अपनी कहानी के अगले पार्ट पर चलता हूँ।

जय ! रितु ने जय के कन्धे पर पीछे से हाथ रखते हुए एकदम मृदुल स्वर में पुकारा,पर जय उसका हाथ झटककर थोड़ा दूर जाकर उसकी तरह पीठ करके रेलिंग के सहारे खड़ा हो गया।

नाराज़ हो न मुझसे ,रितु दोबारा जय के पास खड़ी हो गयी।

मैं होता कौन हूँ तुम पर नाराज़ होने वाला? आख़िर क्या हक़ हैं मुझे तुम पर नाराज होने का? जो हक़ हैं वो उन लोंगो का हैं जो तुम्हें समाज में प्रतिष्ठा बनाए रखने के लिए अपने साथ रखे हुए हैं तुम्हारी ख्वाहिशें दफन करके , उनका हक है तुमपर शायद जो तुम्हें घर पर पड़े समान से ज्यादा कुछ नहीं समझतें ,मेरा क्या हक़ जो मैं तुम्हे अपनी जिन्दगी बनाए बैठा हूँ!

जय ने एक ही सांस में अपनी भड़ास रितु के ऊपर निकाल दी।

मेरी बात तो सु….

Don’t talk to me , जय ने लगभग चीखते हुए कहा।

अच्छा तुम ही बताओ तुम मेरी जगह होते तो क्या करते? रितु ने अपनी बेबसी जाहिर करने की कोशिश की पर शायद जय नहीं मानने वाला था किसी भी दलील को , वो शायद तैयार था उसकी भावनात्मक सीढी को तोड़ने के लिए जिसका सहारा लेकर अक्सर ही रितु उससे ऊँचाई पर बैठ जाती थी।

ओह! जरा तुम ये बताओ कि तुम मेरी जगह होती और मैं ऐसा करता तो तुम क्या करती ? रितु थोड़ी देर तक चुप रही और फिर बोली, मैं समझती हूँ तुम्हारी ……

जय ने रितु की बात बीच में ही काट दी,नहीं रितु तुम मुझे समझती ही तो नहीं हो, जय पैंट की जेब में दोनों हाथ रख रितु के चेहरे की तरह देखने लगा।

कुछ बातें मेरे हाथों में नहीं होती हैं जय , रितु ने लगभग रुन्धे हुए गले से कहा था।

कुछ बातें ? ओह जरा मैं भी तो सुनुं कि कौन सी बातें हैं तुम्हारे हाथों में कुछ बातों को छोड़कर !

बहुत सी बातें हैं मेरे हाथों में। रितु अपनी भरी हुई आवाज में इतना ही बोल पायी।

वाह बहुत सी बातें ? जय ने थोड़ा सर को टेढ़ा करके ,आसमान की तरफ देखाऔर फिर रितु की तरफ सिर घुमा लिया, क्या कहा बहुत सी बातें!!!


तुम्हें तो CA बनना था न…. तो इस Medical

institut में क्या कर रही हो तुम , तुम्हें Part time Computer सीखना था ,तो तुम अपनी भाभी के बच्चे पालना क्यों सीख रही हो? तुम्हें बाहर आराम से बिना Disturbance के कमरा लेकर पढ़ाई करनी थी न तो तुम यहाँ  लोंगों के लिए काम करते हुए क्यों अपना वक्त बर्बाद कर रही हो?

तुम्हें तो शादी भी नहीं करनी थी अभी तो तुम्हारे लिए लड़के क्यों तलाशें जा रहे हैं ?

किस बात पर तुम्हारा हक़ है बोलो तीन साल पहले एक अधूरा दिल दिया था पूरा करने को, जिसे पूरा करने में तुमनें 2 महीनें लगाए थे वो भी अपनी बड़ी दीदी से पूछकर,

बताओ जब तुम्हारे हां और न का फैसला नहीं ले सकती तुम ,तो किस बात पर अख़्तियार है तुम्हारा? बोलो जय गुस्से में बस बोले ही चला जा रहा था यूं लग रहा था कि उसके गुस्से से उसे बहुत राहत मिल रही हो, पर उसका दिल तो गवाह था उसके दर्द का ,उसकी बेचैनी का….

कोई शौक से तो गुस्सा नहीं कर रहा है जय रितु पर प्यार से भी तो कई बार यहीं तो समझाया हैं उसे ,किस बात का हक़ है बोलो

तुम्हारा प्यार तो मेरे हक़ में है ,मेरे अख़्तियार मे ,रितु के दोंनों गाल आँसुओ से भीग चुके थे । अभी तक जो जय उस पर आग की तरह बरस रहा था रितु के आंसुओ पर बिल्कुल मोम की तरह पिघल गया और आहिस्ते से उसके चेहरे को अपने हाथों मे भरते हुए कहा , मेरे दिल पर ,मेरी रुह ,मेरे जिस्म पर मेरी हर चीज पर तेरा हक है।लेकिन मैं तुझपर गुस्सा बस इसलिए करता हूँ ताकि तुझपर भी तेरा हक हो जाए।

मैं तुझे खुश देखना चाहता हूँ ,जिन्दगी को जीते हुए बस। मैं तुम्हे ऐसे डरते हुए नहीं देख सकता।जय ने रोती हुई रितु को अपने गले से लगा लिया।


तो मेरे प्यारे दोस्तों अब मैं आपसे विदा लेता हूँ मिलते हैं इश्क़गली के आगे के सफर मे तब तक आप अपना खयाल रखे और अपने आसपास का मौसम इश्क़नुमा रखे। ऐसी ही मजेदार कहानियों के लिए आप हमारे अपने परिवार superdupper पर लगातार आते रहे। 

                          धन्यवाद🙏🙏🙏🙏 

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