नमस्ते मेरे प्यारे दोस्तों! कैसे हैं आप सभी?
नमस्ते क्यों कर रहा हूँ, आप लोग ये सोचने लगे होंगेतो Bata Du की पश्चिम के हैलो, हाय! से अच्छा अपने पूरब का नमस्ते ही ठिक है कोई पास हो कि कोई दूर हो ..नमस्ते ही देना है और नमस्ते ही लेना है गले लगना है अगर किसी के तो इन्तजार किजिये जैसे कि अपने जय भाई कर रहें हैं इश्कगली में अपनी रितु भाभी से गले मिलने का इन्तजार….
अगर आपने इस स्टोरी के पिछले पार्ट नहीं पढ़े तो पहले उन्हे जरूर ज़रूर पढ़े
कॉलेज में तो बात आई गई हो गयी ,टेस्ट की टेंशन में ही सब व्यस्त रहें,तो बात भी जय के दोस्तों ने आसानी से बदल दी थी। लेकिन रुम पर तो वो अकेला था और कोई बात बदलने वाला भी नहीं था।
उसके जहन में आदित्य की बातें कि सी फिल्म के सीन की तरह बार बार क्लैस होने लगी। क्या वो सच में रितु को नहीं समझता? आखिर क्या कमी रह गई उसके प्यार में जो कोई बाहरी आकर ये कह जाता है कि उन दोनों में Understanding नहीं है ? जय यही सब बातें सोच कर बहुत परेशान हो रहा था जब उसे कुछ समझ न आया तो उसने रितु को कॉल करने की सोची लेकिन ये खयाल भी झट से आया कि फोन अगर उसकी भाभी ने उठाया तो…?
जय ने आज आर-पार करने की नियत से ये कहते हुए “आज या तो रितु का डर खत्म या हमारा रिश्ता” फोन उठाया ही था तब देखा कि रितु की उस पर चार Missed calls लगी हुई थीं।
उसने तुरंत कॉल बैक की। है लो रितु ! क्या हुआ, तुमने इतनी कॉल की? सब ठीक तो है न? जय का लहजा घबराया हुआ था। नहीं जय कुछ भी ठीक नहीं है,उधर से एक नम आवाज सुनाई दी।
तुम बहुत परेशान लग रही हो,जय भी काफी परेशान हो गया रितु की आवाज़ सुनकर।
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जय…. जय भैय्या मुझे बाहर ले जा रहें हैं कह रहें हैं कि वहीं एक कॉलेज देखा है वहीं मेरा एडमिशन करवाने को कहा है, ये भी बोला है कि यहाँ सिर्फ फाइनल टर्म देने आ पाऊंगी, भैय्या मुझे कोई हाई प्रोफाइल कोर्स करावायेगे वहा से भैय्या ये भी बोल……भैय्या की छोड़ो रितु तुमने क्या कहा मुझे ये बताओ।जय ने इतना कह के एक लम्बी सांस ली जैसे कि वो रितु का जवाब जानता हो!
मैं क्या कहती जब घर वाले ही यही तय कर चुके हैं मेरे लिए तो, भैय्या को कुछ बोलती तो सब नाराज हो जाते ।तुम्हें उनकी नाराजगी की फिक्र है अपनी जिन्दगी की नहीं न तुम्हें याद है तुमने मुझसे कुछ दिन पहले ये वादा किया था कि तुम ऐसा कोई काम नहीं करोगी जो मुझे नहीं पसंद घर वाले चाहे जितना भी नाराज हो…
जय ने खुद पर काबू करने की कोशिश की।
हाँ कहा था लेकिन…….लेकिन अब क्या हो गया बो लो ,तुम जानती हो जो हो रहा है तुम्हारे भले के लिए नहीं हो रहा है। जय भैय्या ने मेरे लिए कुछ सोचा है तो कुछ सोच……. ओह चुप रहो ! भैय्या… भैय्या…. भैय्या मैं थक गया हूं उतनी देर से भैय्या.. भैय्या सुनकर , भैय्या क्यों कुछ सोचें तुम नहीं सोच सकती अपने लिए भला-बुरा। जय का गुस्सा अब फूट गया जो उसने इतनी देर से जब्त करके रक्खा हुआ था।
जय के इस गुस्से से रितु बहुत सहम गई उधर से बस सिसकी ही सुनाई दी। देखो रितु मेरा मकसद तुम्हें डांटना या रुलाना नहीं है बल्कि ये है कि तुम्हें ऐसा बना दूं कि तुम्हें न किसी से डर लगे और तुम अपने निर्णय खुद ले सको बिना किसी कीमदद के, लाइफ में तुम्हारा भी कोई अच्छा सा मुकाम हो बस। ।।मैं नहीं बताऊंगा कि क्या सही है क्या गलत बता भी दिया तो कौन सा मान ही लोगी…
जय का गला भर आया…आज रितु तुम वो करो जो तुम्हारा दिल कहें ताकि तुम्हें जिन्दगी भर मलाल न रहे कि तुम अपना कोई ख्वाब पूरा नहीं कर पायी, बाकी अगर भविष्य में तुम कुछ बन गई तो सबसे ज्यादा खुशी मुझे ही होगी। पता नहीं वो किस रौ में आकर ये सब बातें कहे जा रहा था उसे लग रहा था कि शायद आज की उसकी कोशिश काम कर जाए , आज तो रितु का डर मिटे थोड़ा सा ही भले क्यों न।
जय बाद में बात करती हूँ भाभी आ रही है, उधर से एक सधी आवाज बोली और फोन डिसकनेक्ट…. जय ने मुस्कुरा के कान्धे से फोन हटा दिया एक लम्बी सांस ली और कहा ” उफ कितना थक गया हूं मुझे अब आराम करना चाहिए काफी लम्बा आराम।”
तो आज का पार्ट यही तक आगे क्या होगा , रितु कुछ करेगी या हर बार की तरह ही डर कर चुप हो जाएगी , ये पता चलेगा अगले पार्ट में तब तक आप दूर से ही सही लेकिन अपनो से जुड़ें रहिए। हैलो करने का मन ज्यादा हो तो राम-राम से काम चला लिजिएगा।