आदाब तबस्सुम ; A love story part 2

   

       आदाब तबस्सुम part-2

सबसे पहले तो मैं आज आप लोगों को कुछ बताना चाहूंगा, वो है तबस्सुम नाम का मतलब, क्योंकि मेरे एक प्रिय पाठक के ईमेल से मेरा ध्यान इधर गया और उन्हें मैं धन्यवाद करते हुए इस नाम का मतलब बताता हूँ “मुस्कान”, जी हाँ यही प्यारा अर्थ होता है इस नाम का ।

वैसे तो इसके कई और भी अर्थ निकलते है जो मैं यहाँ नहीं बताऊंगा क्योंकि मैं आपको स्टोरी बताने का काम करता हूँ आपकी उर्दू क्लास नहीं लगाता, पिछ्ले भाग में मैंने इस नाम का हिंट दिया था अबकी साफ-साफ बता ही दिया। खैर चलिए शुरू करते है कहानी का दूसरा भाग –

👉 पढ़े आदाब तबस्सुम भाग 1

👉 पढ़े ऋषभ पंत की स्ट्रगल स्टोरी

👉 पढ़े जामनगर का छोटा रमेश कैसे बना भारत का डांस गुरु

अम्मी, रात को आपने हमें जगाया क्यों नहीं था । सुबह उठते ही तबस्सुम अपनी अम्मी पर टूट पड़ी।

तुझे जगाना मतलब दीवार से सर टकराना, अम्मी अपनी पाकशाला (रसोई )से बोलीं ।

ठीक है, ठीक है बस बेइज्जत करना आता है आपको, खैर आपने नाश्ता तैयार कर दिया? जी हाँ ।

तो जल्दी से टिफिन पैक कर दीजिए ।

अरे पहले कुछ खा तो ले हर वक्त हवा के घोड़े पर सवार रहती है।

नहीं अम्मी हमें सच में लेट हो रहा है बस आ जाएगी आप हुसैन को बुला दो।

ठीक है रुक, बुलाकर लाती हूँ उसे ।

हुसैन, मैंने अपने नोट्स तेरे बैग में रखें हैं ध्यान रखना। तबस्सुम ने चलते हुए अपने भाई से कहा।

आदाब… तबस्सुम ! बड़ी नजाकत के साथ अपने हाथ की उंगलियों पर सर झुकाते हुए बोलें। जी वही सदफ मियां जिनके घर का दरवाजा पिंक कलर में पेन्ट है।

कल शाम को आप नज़र नहीं आयी थीं।

जी आपके खाला के वलीमे में गए थें।

पर हमारी तो कोई खाला हैं ही नहीं, शायद गलती से आप किसी और की खाला के वलीमे में शामिल हो गईं। अच्छा just a minut मैं भी आ रहा हूँ। इतना कहकर वो अपनी बाइक निकालने लगा।

तबस्सुम हुसैन का हाथ पकड़कर और तेज चलने लगती ,अरे मैंने आपको रुकने के लिए कहा था और आप है।

तो बिलकुल बुलेट ट्रेन हो गईं। पीछे से सदफ ने बाइक रोकते हुए कहा।

हम क्यों रुके आपकी खातिर ?

कोई बात नहीं जी पर हम जरूर रुके थे कल रात छतपर देर तक आपकी खातिर ।

हमने कहा था ? तबस्सुम हल्का गुस्से में बोली। नहीं। सदफ बड़ी मासूमियत से बोला।

तो फिर…?  बस ऐसे ही ।

तो ठीक है रुका किजिये आप रोज़, बस ऐसे ही, चल हुसैन। उसने हुसैन का हाथ खीचते हुए कहा।

अच्छा सुनिए… क्या हम आपके लिफ्ट दे सकते हैं? नहीं, शुक्रिया।

ओके हुसैन हम तुमको तो लिफ्ट दे ही सकतें हैं! सदफ ने बाइक हुसैन की तरफ कर दी। नहीं हुसैन हमारे साथ ही जाएंगे, क्यों हुसैन ?

हुसैन हम तुमको तुम्हारे स्कूल 10 मिनट में पंहुचा देंगे और बाइक चलाना भी सिखाएंगे। सदफ ने थोड़ा अपना तास्सुर जमाते हुए कहा।

नहीं हुसैन आप हमारे साथ ही चल रहें हैं । तबस्सुम ने जोर देकर कहा ।


ठीक है तो तुम सोच लो ।

हाँ जल्दी decide कीजिये हमें देर हो रहीं हैं ।

सदफ के साथ। हुसैन बोला।

ओह यस! सदफ उछल कर बोला, इसे कहतें हैं पक्की वाली यारी।

देखो, शाम को हम अब्बू को सब बता देंगे की आप हमें अकेला छोड़कर सदफ के साथ जातें हैं।

अरे, आप क्या बताएंगी हम खुद ही बता देंगे, फिर सदफ बड़े सधे अंदाज में बोला, वैसे आप कहें तो आप को भी आपके कॉलेज तक छोड़ सकता हूँ, बड़ी अदा से मुस्कुराते  हुए कहा उसने ।

नहीं हम अपनी बस से चलें जाएँगे।

देखिये आप पहले ही लेट हो चुकी हैं बस आपको और लेट कराएगी।

चाहे जितनी लेट कराए आपकी बाइक से तो पहले ही पहुँचाएगी।

तो इसी बात पर लगी शर्त एक-एक कप कॉफी की। तबस्सुम ने भी जोश में आकर शर्त लगा डाली। अब दोनों ने अपनी-अपनी मंजिल पकड़ी सदफ स्कूल की ओर और तबस्सुम कॉलेज की ओर।

आज का वक्त शायद सदफ के साथ था पहले तो बस 5 मिनट लेट आयी फिर रास्ते में जाम की वजह से भी 5 मिनट फस गई। फिर भी तबस्सुम को सुकून था क्योंकि हुसैन के स्कूल से उसके कॉलेज के बीच की दूरी 4 km थी जिसे तय करने में वहाँ के खराब रास्तों के हिसाब से 30 मिनट लगते। और इससे पहले तो तबस्सुम अपने कॉलेज आराम से पहुँच जाएगी।

बस कॉलेज के गेट पर रुकी। तबस्सुम ने चारों तरफ देखा, सदफ नज़र नहीं आया तो उछलकर बोली” i am winer”और गेट के अंदर जाती है फिर उसे अचानक शॉक लगता है क्योंकि सामने सदफ खड़ा था, हाथ में कुछ लिए हुए।

thank God! आपकी बस ने आपको पहुँचा तो दिया वरना मैं तो 20 मिनट से खड़ा खड़ा सोच रहा था कि शायद दोपहर तक वेट करना पड़ेगा ।

खैर… ये लीजिये, सदफ ने हाथ में पकड़ी चीज़ को तबस्सुम की ओर बढ़ा दिया।

हमें तोहफे लेना पसंद नहीं हैं लड़कों से ।

अरे तोहफा नहीं नोट्स हैं हुसैन ने दिए है, बोल रहा था दीदी को दे देना।और वैसे भी मुझे तोहफे देने का शौक नहीं है,फिर कान के पास मुँह लाकर धीरे से बोला लड़कियों को, और हाँ आप शर्त हार गयीं है हुजूरेआला ।

 इतना कहकर सदफ तबस्सुम को bye कहता हुआ निकल जाता है क्योंकि आज खुद उसे देर हो गई थी हॉस्पिटल पहुंचने में।

बताना जरूर | ओफ्फ्! प्यार में पड़े आशिकों को क्या कुछ नहीं करना पड़ता खासकर तब जब लड़की तबस्सुम जैसी हो। क्या आपको भी करना पड़ा है ऐसा कुछ किसी लड़की की वजह से, कभी लेट हुए हो अपने काम पर याकि झूठ बोला हो, वैसे ये तो पर्सनल है आपका लेकिन suoerdupper family में आपकी निजता का पूरा सम्मान रखा जायेगा।

 तो अपना दिल आप हमारे साथ खोलने के लिए स्वतंत्र है। आप हमें ईमेल पर अपनी कहानी शेयर कर सकते है। 

इन्ही बातों के साथ अब मैं चला किसी तबस्सुम की तलाश में अगर मेरे से पहले आपको मिले तो बताना जरूर। 

👉 आप हमे ईमेल कर सकते है।

share also

Leave a comment

error: Content is protected !!