कैसे बना जामनगर का छोटा बच्चा, India का डांस गुरु

हेलो दोस्तो kaise है आप सभी आज मैं आपको संघर्ष की एक ऐसी कहानी सुनाऊंगा, जिसे सुनकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे, और आपके दिल में मोटीवेशन की आग लग जायेगी ।  
 ये कहानी है जामनगर के एक सिंपल से परिवार की, गोपी फैमिली की……
गोपी फैमिली में एक छोटा सा बच्चा रहता था, जिसका नाम रमेश था। रमेश  पढ़ाई में उतना अच्छा नहीं था। रमेश  को डांस करना पसंद था। लेकिन रमेश  के पिता चाहते से उनका बेटा पढ़ लिखकर अच्छी नौकरी करें। रमेश  के पिता रमेश  के रिजल्ट आने पर उसे बहुत डांटते थे क्योंकि उसके नंबर हमेशा कम आते थे।
“बंद कर ये अपना नाच गाना ’’ ऐसे ताने  छोटे रमेश को रोज सुनने पड़ते थे।ये ताने केवल घर से ही नहीं बल्कि जामनगर की हर गली से सुनने पड़ते थे। सब रमेश को निकम्मा कहते थे।
इन्ही तानों की गूंज में रमेश बड़ा हुआ। उम्र से साथ ये ताने और भी बढ़ने लगे । तानों के साथ एक और चीज बढ़ रही थी वो थी रमेश की जिद्द, ये जिद्द थी कुछ कर दिखाने की, अपने सपनो को हकीकत में बदलने की।डांस के प्रति रमेश का जूनून इतना था कि  वह डांस के लिए कुछ भी कर सकता था, एक हिसाब से कहे तो डांस ही उसकी जिंदगी थी।
लेकिन रमेश के सपने जामनगर के खुले मैदान  पर दौड़ नही पा रहे थे इसीलिए एक दिन आंखो में ख्वाब और मां के दिए हुए मात्र 2600 रुपए लेकर, रमेश मुंबई के लिए निकला उन तानों को चुप कराने के लिए। मुंबई तो कहा ही जाता है सपनो का शहर, यहां या तो सपने पूरे होते है या तो एक ख्वाब ही रह जाते है।
विज्ञान  के अनुसार  सपने तो तब आते है जब चैन की नींद आए। मुंबई ने रमेश का स्वागत परेशानियों के साथ किया। मुंबई में रमेश के पास न सोने के लिए छत थी, ना खाने के लिए खाना, ना ही पहनने के लिए कपड़े थे। रमेश के पास केवल एक ही चीज थी वो था डांस के प्रति रमेश का जूनून ।
मुंबई में रमेश हार रहा था, उसकी उम्मीदें टूट रही थी,तभी रमेश हो उसी के जैसे लड़के मिले जो डांस से प्यार करते थे, उनमें भी डांस करने की जिद्द थी। इन लड़कों से  मिलकर रमेश को एक नई उम्मीद मिली और रमेश का पुनर्जन्म जन्म हुआ। अब वह अपनी मेहनत के बल पर रमेश से रेमो डिसूजा बन चुका था।
धीरे धीरे रेमो के लिए बॉलीवुड के दरवाजे खुल गए लेकिन वहा रेमो को इस चका चौंध भरी दुनिया से दूर रखा गया। रेमो बॉलीवुड में केवल back stage dancer था। रंग सांवला होने के कारण रेमो को सबसे पीछे डांस करना पड़ता था। उसकी मेहनत कभी कैमरे के सामने नहीं आती थी। लेकिन कहते है जब मेहनत पूरी शिद्दत के साथ करो तो एक न एक  दिन उसका फल जरूर मिलता है।
 रेमो की मेहनत रंग लाई और अब डांस के बल अब वह आगे डांस करने लगा। 
रेमो को हमेशा यही डर रहता था कि वह Dancers की भीड़ में  कहीं खो न जाए तभी उसे एक हाथ मिला अहमद खान का। इसके बाद वह अहमद खान को असिस्ट करने लग गया। 
इसी दौरान रेमो की जिंदगी में आई उनकी सबसे बड़ी प्लस लिजेल। रेमो ने लीजेल से शादी की।कोरियोग्राफर गीता कपूर ने एक कार्यक्रम में बताया था कि रेमो और लिज़ेल की पहली मुलाकात डांस फ्लोर पर ही हुई थी।
अब सब कुछ सही जा रहा था लेकिन रेमो अभी खुश नहीं था, उसके सपनो को उड़ान तो मिल चुकी थी लेकिन  उस उड़ान को इज्जत और सम्मान नही मिला था। तभी रेमो को मिले अनुभव सिन्हा सर जिन्होंने रेमो डिसूजा को दिया पहला प्रोजक्ट बतौर कोरियोग्राफर का, रेमो अब कोरियोग्राफर बन चुका था। इस शुरुआती journey में रेमो का था दिया यूसुफ और  इलिहास ने । 
अब रेमो को काम मिलने लगा था लेकिन पैसों की अब भी दिक्कत थी। रेमो अब अभी खुश ना थे जिस इज्जत को ढूंढते ढूंढते रेमो जामनगर से मुंबई आए थे,जिस इज्जत की वजह से वह रमेश से रेमो सर बन गए वह अभी कहीं ना कहीं अधूरी थी। 
रेमो ने ठान लिया की डांसिंग कम्यूनिटी को सारी दुनिया से मिलवाऊंगा और डांस पर एक फिल्म बनाऊंगा। डांस की पहली फिल्म abcd बन चुकी थी । अब हर पल रेमो सर की लेगसी तैयार हो रही थी। सब सही जा रहा था लेकिन रेमो सर अब भी खुश नहीं थे। फिर रेमो ने डांस प्लस नाम के एक रीयल्टी शो की नींव रखीं। इस रियल्टी शो ने डांस को बहुत सारे हीरे दिए। ये कहानी थी जामनगर से निकले एक छोटे रमेश की। 
दोस्तों  Alexander the Great ने सही ही कहा था “There is nothing impossible to they who will try’’ 
अगर अपने ने भी कोई सपना देखा है तो कोशिश करते रहिए कुछ भी असंभव नहीं है। आप एक दिन जरूर सफल होंगे। मिलते है अगले मोटीवेशन ब्लॉग में, अगर ब्लॉग अच्छा लगा हो तो दूसरे लोगों तक भी शेयर करें ताकि मोटीवेशन के ये आग हर दिल तक पहुंचे।
                                  जय हिंद 
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