आदाब तबस्सुम a love story part 4

 मैं आप लोगों को एकदम अलग फ्लेवर की love story सुना रहा हूँ जिसके पिछले तीन भाग आप लोग पढ़ चुके है। और मुझे पूरी उम्मीद है की अब तक आपको एक ढीठ लड़की और समझदार लड़के की कहानी जरूर पसंद आ रही होगी। तो चलिए इसी उम्मीद के साथ आज का भाग भी आपकी नज़र करतें हैं-

   👉 आदाब तबस्सुम भाग 1

   👉 आदाब तबस्सुम भाग 2

  👉 आदाब तबस्सुम भाग 3 

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सदफ एक दम से अंदर ही अंदर डर जाता है कहीं तबस्सुम को कुछ इसी खयाल के साथ वो बस के पास पहुँच चुका था। बस में चढ़ते ही उसकी नजरों ने सबसे पहले तबस्सुम को ढूंढा जो ख़ुशी की सीट के पीछे वाली सीट पर बैठी रो रही थी। सदफ ने देखा की ख़ुशी बेहोश हो चुकी है और उसे खून भी बहुत बह रहा हैं। सदफ तुरंत उसे उठाता है और बस के नीचे उतरने को बढ़ता है तो उसे बस का ड्राइवर भी दिखाई देता है जो होश में तो था लेकिन चोटें काफी थी और बगल की सीट पर बैठा कंडक्टर शायद मर चुका था। 

सदफ तुरंत ख़ुशी और ड्राइवर को नीचे लेकर आया और उन्हें अपनी बाइक पर बिठा लिया क्योंकि एम्बुलेंस का वेट करते तो शायद फिर बहुत मुश्किल हो जाती।

ज्योति देखो अंदर के लोगों का ध्यान रखो, और एम्बुलेंस को कॉल कर देना।

कर दिया है। ट्रक का ड्राइवर मौके पर ही मर गया है तो पुलिस केस …अब किस पर बनेगा भला,

 तुम उन लोगों को नीचे उतरो तब तक मैं इन्हें हॉस्पिटल में छोड़ कर आया। और हाँ हॉस्पिटल में कॉल कर दो emergency के लिए डॉक्टर्स तैयार रहें । सदफ बिलकुल हवा की तरह हॉस्पिटल गया और उन्हें emergency में एडमिट करा कर वापस उसी स्पीड में वापस भी चल दिया । शायद उसे तबस्सुम का ख्याल इतनी परेशानी में भी energetic रखे हुए था ।

एम्बुलेंस को कॉल की थी। सदफ ने बाइक रोकते हुए पूछा। हाँ।

तो अभी तक आई क्यों नहीं।

सरकारी काम है तुम्हें नहीं पता।

अच्छा सब नीचे आ गए ? चारों तरफ उसकी नजरों ने तबस्सुम को ढूंढते हुए पूछा। नहीं दो लडकियां नहीं आयी है एक उसे नीचे ला रही है लेकिन वो नहीं आ रही बस रोये ही जा रही है बहुत चीख रही है उसके चक्कर में हम दूसरी लड़की का ट्रीटमेंट नहीं कर पा रहे जबकि उसे चोट भी लगी है। 

सदफ समझ गया की यहाँ किसकी बात हो रही है वो अंदर गया, वाकई तबस्सुम उन लोगों के मुक़ाबले ज्यादा रो रही थी जिन्हें बहुत चोटें लगी है। सदफ ने राधिका को देखा उसके भी हाथ में कुछ चोटें लगी। राधिका की तो परसो हल्दी रस्म है …! उसे याद आया। तबस्सुम फिर एक बार चीखी तो सदफ का सारा ध्यान फिर से उसी की तरफ चला गया।

तबस्सुम, उसने आहिस्ते से पुकारा।

आह! सदफ… हमें बहुत दर्द हो रहा है, हमारे पैरों में चोट लग गई है हमारी कमर भी दुःख रही है, आँखे लाल हो गई हमारी, हमारी heartbeat भी बहुत तेज……

बस…बस समझ गया मैं। सदफ ने अपनी हँसी छुपाते हुए कहा।

क्या समझ गए?

यही की आप एक serious pesent हैं, आपको जल्दी ट्रीटमेंट की जरुरत है। जल्दी चलिए हॉस्पिटल लेकर चलते है आपको लेकिन…. अपनी बाइक पर।

लेकिन हम serious pesent है । रोते हुए तबस्सुम बोली।

तो कहाँ लिखा है की गंभीर मरीज को बाइक पर हॉस्पिटल नहीं ले जा सकते। अब जल्दी चलिए आपसे serious राधिका है जो नीचे खड़ी हैं बेचारी।

सदफ ने दोनों को जनरल वार्ड में शिफ्ट करवा कर उनका ट्रीटमेंट अपने अंडर ले लिया। सदफ … हमें जनरल वार्ड में क्यों शिफ्ट करवाया? क्यों ? जनरल वार्ड आप जैसे पेशेंट्स के लिए ही तो है। लेकिन हम तो serious हैं!

ओह! मैं तो भूल ही गया खैर शाम को शिफ्ट करवा दूँगा, इतना कह कर वो वार्ड के बाहर निकल कर अपनी बाइक के पास गया इससे पहले वो बाइक स्टार्ट करता ऐम्बुलेंस आती दिखाई दे गई उसने राहत की सांस ली।उसने जल्दी जल्दी सभी पेशेंट्स को नीचे उतरवाया और उन्हें अलग-अलग वार्ड में शिफ्ट करवाया।

सदफ ने ज्योति की फाइल देखी उसने ख़ुशी का केस लिया था जो की काफी serious situation में थी और अभी-अभी उसकी सर्जरी हुई है।

तुम ये कर पाओगी? उसने ज्योति से पूछा।

ऑफकोर्स।

ओके,all the best..!

thank you, 

अच्छा सुनो तुमने उन दोनों लड़कियों के केस क्यों लिए दोनों ज्यादा गंभीर भी नहीं है 4-5 दिन में तो छुट्टी भी मिल जाएगी इन्हें ।

क्योंकि ये दोनों केस मेरे लिए काफी चैलेंजिंग हैं। वो कैसे?

वो ऐसे कि जो राधिका है न उनकी परसों हल्दी रस्म है उससे पहले मुझे उनके चेहरे के और हाथों के जख्म भरनें हैं।

 हाँ, हैं तो वाकई complicated

अच्छा दूसरा उसड्रामेबाज लड़की का कैसे चैलेंजिंग है? वो… वन मिनट में आया सर बुला रहें हैं। इतना कह कर सदफ वहाँ से रफ्फूचक्कर हो कर सीधा जेनरल वार्ड में पंहुचा।

 सिस्टर आपने दोनों पेशेंट्स की पट्टी कर दी? 

राधिका के बेड की तरफ बढ़ता हुआ पूछता है। हाँ कर दी है।

ओके थैंक यू अब आप जा सकती हैं मैं देख लूँगा अब।

अब कैसी तबियत हैं आपकी? वो राधिका के बेड के पास एक स्टूल खींच कर बैठ जाता है ।

जी अब पहले से बेहतर हूँ… वैसे आप मिस्टर सदफ हैं क्या ?

जी मैं ही हूँ क्यों?

जी कुछ नहीं बड़ी तारीफ सुनी थी आपकी तबस्सुम से तभी । 

अच्छा .. उसके मुँह से हमारी तारीफ…!

हैरानी हुई सदफ को वैसे क्या कहती हैं मेरे बारे में?

बहुत कुछ।

जैसे…।

जैसे-अगर सदफ के पास बाइक के जगह cycle होती तो मैं रोज़ सुबह उसे पंक्चर कर देती,…..सदफ ग्रे कलर की शर्ट पहनते हैं तो बन्दर लगते हैं……, सदफ के बाल देखिएगा आप लोग ऐसा लगता है कि बिल्ली ने नोचे हो,…. उनकी नाक चिपकी हुई हैं… और…..  और सदफ बड़ी बेसब्री से पूछता हैं।

आपकी आँखो के बारे में बोलतीं है कि उनकी नीली-नीली आँखे बिल्कुल नील कमल की तरह है जो उसे बहुत पसंद हैं। सदफ खिलखिला के हँस पड़ा।

सदफ धीरे-धीरे हसिये वरना वो जग जायेगी।

sorry, लेकिन आपसे एक बात पूछूं।

पूछिए।

इत्तेफाकन हमने आज किस कलर की ड्रेस पहनी है ?wow! आपने तो ग्रे कलर की शर्ट ही पहनी है।

क्या हम आपको कहीं से भी बन्दर नजर आ रहे है। 

नहीं तो, बल्कि आप तो इसमे बिलकुल ब्यूटीफुल लग रहे हो। ठीक है.. क्या हमारे बाल जानवर से नुचे लग रहे हैं?

मुझे तो स्टाइलिश लग रहें हैं।

क्या हमारी नोज फ्लैट है? जी नहीं ये तो बिलकुल आपकी तरह फिट है।

तो आप ये दावे के साथ कह सकती होंगी की आपकी दोस्त पागल है। हाँ, मगर थोड़ी-थोड़ी, फिर दोनों हंसने लगते हैं जिससे तबस्सुम की नींद टूट जाती है। 

सच में तबस्सुम जैसी लड़कियों की मासूमियत अक्सर दूसरे के चेहरे पर मुस्कान लाने का काम करती है। इसीलिए ऐसी लड़कियों की मासूमियत का हमेशा खास ख्याल रखा जाना चाहिये। आप रखतें हैं न अपनी जिन्दगी की तबस्सुम की मासूमियत का पूरा ख्याल…?

मिलते है अगले ब्लॉग में।

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