झूम कर आ गई फिर सुबह प्यार की 1

 दोस्तों!आपको पता है मैं इतनी लव स्टोरियां लाता हूँ आपके लिये कि कभी-कभी लगने लगता है अपुन ही लव गुरु है। लेकिन मैं जानता हूँ की मैं लव गुरु नहीं,लेकिन कहानियाँ क्रिएट करते समय दिल को ये बात समझाना बहुत मुश्किल होता है। लेकिन चलिए यहाँ बात मेरे दिल की नहीं यश और श्वेता के दिल की करतें हैं। यश और श्वेता …? जी ये है मेरी इस कहानी के मुख्य कलाकार। यह प्रेम कहानी एक गंभीर और संवेदनशील मुद्दे पर लिखी हुई है। ज्यादा बड़ी तो नहीं है लेकिन इसका मैसेज बहुत बड़ा है। इसको दिमाग से नहीं दिल से पढ़िएगा।

मम्मी, मुझे पापा से मिलने जाना है।अपनी डॉल को सीने से लगाए फाल्गुनी किचन में आकर खड़ी हो जाती है। फिर वही ज़िद मैंने कहा ना पापा अभी बहुत व्यस्त हैं जब उन्हें फुर्सत मिलेगी आ जाएंगे अपनी प्यारी बिटिया के पास। श्वेता वही Dialongue दुहरा देती है जो पिछले कई महीने से दोहरा रही थी।

सात महीने से उन्हें फुर्सत ही नहीं मिली हमारे लिए ? श्वेता खाना बनाना छोड़ फाल्गुनी को दुलराते हुए बोली “, बेटा ऑफिस का काम है , कभी-कभी ऐसे प्रोजेक्ट मिल जाते हैं कि सालों फुर्सत नहीं मिलती, फिर ये तो महीनों की बात है। तो हम क्यों नहीं मिल आतें उनसे थोड़ी देर के लिए ?    

               

 फिर मम्मी का ऑफिस मिस होगा, बॉस की डांट पड़ेगी, और हो सकता है कि मम्मी को लम्बी छुट्टी पर भेज दे , बोलिए क्या आप ऐसा चाहेंगी?

नहीं मम्मी पर पापा से मिलने का दिल करता है।वो थोड़ा उदास होकर बोली।

मेरा भी उनसे मिलने को बहुत दिल करता है ।लेकिन ना हम उनसे मिलने जा सकते हैं ना वो हमसे मिलने आ सकतें हैं मेरे बच्चे। श्वेता ने दोगुना प्यार लुटाते हुए कहा। फाल्गुनी श्वेता के गले से लिपटते हुए बोली,” मम्मी हम पापा से बहुत नाराज हैं।

हम भी उनसे बहुत नाराज है। फाल्गुनी की पीठ सहलाते हुए वो बोली।

फाल्गुनी काफी दिनों से अपने पापा से नहीं मिली थी इसीलिए अपसेट रहने लगी थी।ऐसा नहीं हैं कि श्वेता की मुलाकात भी यश से नहीं होती थी, भले ही मंथ के एन्ड में ही सही लेकिन पेरेंट-टीचर मीटिंग में दोनों साथ जाते थें।दो-तीन महीने के अन्तराल पर जब भी दोनों को साथ बुलाया जाता। मीटिंग खत्म होते ही यश अपने रास्ते और श्वेता अपने रास्ते। यश अगर लिफ्ट देने की कोशिश करता तो वो मना कर देती, अगर वो बात करने की कोशिश करता तो साफ कह देती कि “अब बात करने को क्या बचा है?” थोड़ी सी बात पर ऐसा होते देखना दिल तोड़ देने वाला होता है। लेकिन यश के लिए भले ही छोटी बात थी लेकिन श्वेता के लिए अपने फर्ज की अपने स्वाभिमान की बात थी। वैसे भी कोई बेटी भले दुनिया भर के लिए सुन ले लेकिन बाप के बारे में कुछ नहीं सुन सकती। श्वेता तो अपने माँ-पापा की एकलौती संतान थी। सात महीने से श्वेता फाल्गुनी को अकेले ही संभाल रही थी। उसकी हर जरुरत पूरी करती थी ,लेकिन अगर यश भी फाल्गुनी के लिए कुछ लेकर देता उसे तो वो कभी मना नहीं करती क्योंकि वो जानती है एक लड़की के लिए उसका पिता क्या होता है उसकी दी हुई चीजें क्या होतीं हैं। हालांकि अगर यश उसके लिए कुछ लाता तो श्वेता साफ मना कर देती थी। हर महीने वो फाल्गुनी की एक फोटो भी यश को भिजवा देती थी ताकि उसे लगे की फाल्गुनी उसी की आँखों के सामने बढ़ रही है बड़ी हो रही है।

मम्मी क्या पापा दूसरी मम्मी लाने जा रहें हैं? पार्क में तितली पकड़ते हुए नादान फाल्गुनी ने माँ से सवाल पूछा । श्वेता एकदम अवाक रह जाती है उसका सवाल सुनकर ,”तुमसे भला किसने कहा ये ?” श्वेता फाल्गुनी को अपनी तरफ कसके खीचते हुए पूछती है। 

वो कुमकुम की मम्मी ने बोला मुझसे।

आप फिर गयीं कुमकुम के घर?हमने मना किया था ना वहाँ जाने से फिर क्यों गई उनके घर ?

मैं नहीं जाती…मैं तो नहीं जाती उन्होंने ही बुलाया था। आइंदा से वहाँ मत जाना ना कोई बात मनना उनकी। तो उन्होंने मुझसे झूठ क्यों बोला?

क्योंकि उन्हें कुछ नहीं पता रहता और उनमे अक्ल भी नहीं है कि बच्चों से किस तरह की बातें की जाती हैं। आगे से उनकी कोई बात ना सुनना आपके पापा ऐसा कुछ नहीं करेंगे, चलो अब घर चलते हैं शाम खत्म होने वाली हैं। श्वेता फल्गुनी को गोद में उठा लेती है।

श्वेता ने चेहरे पर भाव नहीं आने दिए लेकिन काफी डर गई वो यश की दूसरी शादी का सुनकर। ये बात सिर्फ फाल्गुनी के मुँह से सुनी होती तो इतना ना डरती उस दिन यश की करीबी पड़ोस में ही रहने वाली चाची भी यही कह रहीं थी। पड़ोस में भी कुछ लोग कहते हैं की यश ने दूसरी शादी कर ली हैं और कुमकुम की माँ तो हद ही खत्म करती हैं पता नहीं उनको क्या जलन है श्वेता से या यश से। काफी दुःखी करती हैं श्वेता को मिसेस तिवारी की बातें। पता नहीं क्यों वो हमेशा ही फाल्गुनी को यश के खिलाफ भड़काती रहतीं हैं। क्या इसलिए की उनकी बड़ी बेटी जिसके लिए उन्होंने यश को चुना था , यश ने उसे ठुकरा कर श्वेता से शादी की थी। क्या इसलिए की मिसेस और मिस्टर तिवारी में रोज़ झगड़ा होता है और वो और यश बिना झगडे ही ख़ामोशी से अलग रह रहें हैं?ये पहली दफा नहीं था जब उन्होंने फाल्गुनी को बरगलाया हो एक दिन तो उन्होंने यहाँ तक कह दिया था उससे कि उसके मम्मी-पापा का तलाक हो गया है अब वो कभी साथ नहीं रहेंगे। शुक्र है की फाल्गुनी तलाक का मतलब नहीं जानती थी।

ऊफ्फ!ऐसा कैसे हो जाता है यार अपने मासूम फूल को छोड़कर दो माली आपस के विवाद में उलझ जातें हैं? यही जानने की कोशिश करता हुआ मैं,ये कहानी आपको सुना रहा हूँ। हम कोशिश करतें हैं ये जानने की कि श्वेता जिसे इतना प्यार करती थी ऐसा क्या हुआ की अब उससे इतनी नाराज हैं? क्या सारी गलती यश की थी या कोई गलतफहमी हुई थी उसे ये हमें आगे पता चलेगा लेकिन आपके आसपास भी ऐसी कोई ना कोई कहानी जरूर होगी और उसके होने की शायद आपको वजह भी पता हो! अगर ऐसा है तो क्यों ना आप थोड़ी सी पहल करें उन्हें दोबारा से मिलवाने की, एक लव स्टोरी तैयार करने की। लेकिन अगर आपको उनके बीच की दूरियों का कारण ना पता हो तो मिसेस तिवारी कतई ना बनिएगा भले ही खामोश रहिएगा।

मिलते हैं इस कहानी के अगले एपिसोड में।

share also

Leave a comment

error: Content is protected !!