इस एक महीने में कात्यायन ब्रदर्स की तरफ से कोई सुगबुगाहट उठी हो या नहीं लेकिन बाकी कम्पनीज़ जरूर नंदिनी की हिम्मत को मान गई थी। इसकी वजह ये थी कि उन लोगों की आम लोगों से जुड़े होने की वजह से कई कम्पनीज़ उनके साथ काम करना चाहती थी लेकिन जैसा की कात्यायन ब्रदर्स का उन्होंने रुख देख के रखा था तो उसके आधार पर रिस्क लेने को बिलकुल तैयार नहीं थें। एक तो अभी दो साल पहले ही सुनने में आया था कि जब कनाडा,जापान, और बेल्जियन में अपनी कंपनी खोलने के बाद जब अमेरिका में क्लिंटास इंडस्ट्रीज से डील करने गए थे तो वहाँ के CEO ने तो उन्हें मिलने के लिए टाइम तक नहीं दिया था। अब जब ऐसी बड़ी कंपनी हाथ खींच ले तो यहाँ की कम्पनीज़ कैसे रिस्क़ ले ले, लेकिन पता नहीं नंदिनी सिंघानिया को क्या सूझा जो आग में हाथ दे दी।
Previous parts – 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19
मिस्टर वेद अब आप क्या कहना चाहेंगे आप इस डील को पूरा एक महीना हो रहा है। मेरा फैसला सही दिशा में जा रहा हैं कि अभी भी आपको कुछ गलत लग रहा हैं? वेद के साथ कंपनी के लिए नए प्लान्स डिस्कस करते हुए अचानक से नंदिनी ने ये सवाल उससे पूछ लिया।
मैम मैं इसमें सिर्फ अपनी राय दे सकता था जो मैं दे चुका हूँ बाकी आपके फैसले के बारे में कुछ कहना मेरे अधिकार क्षेत्र के बाहर हैं। मैं अपने फैसले पर कुछ नहीं पूछना चाह रही थी मेरा मतलब तो ये जानना था कि क्या आपको लगता हैं कि इस डील में आगे कोई खतरा हैं? जिस तरह से अग्रीमेंट बनवाया हैं आपने उसके हिसाब से तो जब तक आप ना चाहे वो दूसरी कम्पनी से डील नहीं कर सकते तो मुझे तो कोई खतरा नज़र नहीं आ रहा है फिलहाल तो बल्कि हमारी कम्पनी का फायदा ही है क्योंकि आपने 80% शेयर्स पर दाँव लगाया हैं उनके तो केवल 20%ही हैं।
हाँ सही हैं। नंदिनी के चेहरे पर मुस्कान थी घमंड की या जीत की ये समझ नहीं आ रहा था।शायद घमंड की ही क्योंकि उसने ऐसा दांव चला हैं कि उसके सभी विरोधी चारों खाने चित हो गए हैं उसका सबसे बड़ा आलोचक भी कह रहा हैं कि खतरा नहीं कोई वो भी आज मेरे दिमाग को मान गया। उसकी निगाह सामने लगे कांच के फ्रेम वर्क पर पड़ी तो उसकी मुस्कुराहट थोड़ी और चौड़ी हो गई लेकिन ज्यादा देर तक उसके होठो की लम्बाई उसके गालों को नसीब ना हुई क्योंकि शीशे के उधर उसे कोई और चेहरा भी नज़र आया। समीर…….?
मैम…. मिस्टर शुक्ला आएं हैं आप से अभी मिलना चाहते हैं। तनु ने दरवाजे पर दस्तक दी जिससे नंदिनी का ध्यान टूट गया। मिस्टर शुक्ला आए हैं। वेद की आवाज मे हैरानी दिखी। लेकिन नंदिनी ज़रा भी हैरान नहीं लगी “,बिठाओ चल के उन्हें मैं आती हूँ।” जी मैम, तनु ने कहा और चली गई।नंदिनी ने अपना सेलफोन उठाया और किसी को कॉल कर दी।
आप ऐसा कैसे कर सकती हैं? एक बार पहले मिल तो लीजिये उनसे क्या पता किसलिए आए हो?हो सकता हैं कि कोई मदद मांगने आए हो या मदद करने…. मिस्टर भारद्वाज,नंदिनी की अगर कोई मदद कर सकता है तो वो है खुद नंदिनी,रही बाकी बातें तो आप ही सोचिए उस इंसिडेंट को लगभग एक साल होने को आया है इतने दिनों बाद क्यों आए?जाहिर सी बात है कोई ऐसा वकील देख रहे होंगे जो मोटे पैसे लेने वाले के साथ मोटी हिम्मत वाला भी हो।
आप हर आने वाली सिचुएशन के लिए इतनी sure कैसे हो सकती हैं? मुझे हैरानी होती हैं आपका ये परफेक्शन देखकर। जिस बात के होने के आसार भी नज़र नहीं आतें आप उसके होने के कारण भी सोच लेती हैं।
Why are you so judgmental about me? इतना कहते ही नंदिनी उठकर केबिन के बाहर चली गई।
To be continued……