A Wild heart part-19

 वेद ने अभी चाय की केवल दो सिप ही ली थी कि जेब में फोन वाईब्रेट करने लगा उसने चाय टेबल पर रख फोन निकला तो तनु की कॉल शो हुई। तनु की कॉल से वेद को ज्यादा हैरानी नहीं हुई क्योंकि वो अक्सर ही कॉल करके कोई ना कोई जरुरी बात किया ही करती हैं लेकिन इतनी सुबह उसकी कॉल आना जरूर थोड़ी हलचल पैदा कर गया।                                     हाँ तनु।वेद ने चाय का कप फिर से उंगलियों के बीच फंसा लिया था।                                                                     सर आपने मैम को रोका क्यों नहीं,मुझे जितनी समझ है उसके हिसाब से कात्यायन ब्रदर्स पर मैम को भरोसा नहीं करना था आप तो इन आंकड़ों को मुझसे बेहतर समझते हैं तो आपको उन्हें मना करना था ना उनका प्रपोजल एक्सेप्ट करने से।                                                          क्या….उसने चाय फिर से टेबल के हवाले कर दी। मैंने उन्हें सजेस्ट तो किया था कि इस डील में हाई रिस्क है और ये भी कहा था कि directors की meeting में भी उन सब की राय जान ले । फिर कुछ देर सोच कर बोला,हो सकता है कि directors ने इस बात पर सहमति जताई हो..?                 जब मैम ने डायरेक्टर्स की मीटिंग ही नहीं बुलाई तो उनकी सहमति का तो सवाल ही नहीं,बस मुझसे कहा कि कात्यायन ब्रदर्स से मीटिंग फिक्स करो और उसके बाद शाम को जाकर Unofficially तरीके से डॉक्यूमेंट्स sign कर लिए।   

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ओके तुम परेशान ना हो उन्होंने ऐसा कुछ किया हैं तो जरूर उनके माइंड में plan-B भी तैयार ही होगा। भरोसा रखना चाहिए हम सब को उनपर और शायद….. उन्हें भी हम लोगों पर भरोसा रखना चाहिए था…. थोड़ी उदासी झलकी वेद की आवाज में। जब सारे डायरेक्टर्स को पता लगेगा, think tank के मेंबर्स को पता लगेगा तो उन्हें निराशा होगी शायद कुछ गुस्सा भी होंगे जब सारे फैसले अपने मन से करने हैं तो उनकी जरुरत ही नहीं है कोई, शायद मेरी भी जरुरत नहीं उन्हें कोई। इतना कह कर वेद ने फोन रख दिया उधर से तनु क्या बोल रही थी कुछ सुना ही नहीं।टेबल पर रखी चाय को अपने सांवलेपन पर गुस्सा आ रहा था क्योंकि वेद उसे देखे बिना वहाँ से चला गया,शायद वो कॉफी जितनी गोरी होती तो वेद कुछ और वक्त बिताता उसके साथ !                                                 ऑफिस में तरह-तरह की बातें चल रही थी कि 300 करोड़ के शेयर्स खरीदने से पहले एक बार तो सोचना चाहिए था। पता नहीं पॉवर हैं तो सही गलत जो मन करेगा अपने आप से ही करेंगी, माना कंपनी उनकी हैं लेकिन इस में हम भी तो कोई हैसियत रखते हैं। लेकिन जैसे ही नंदिनी ऑफिस में दाखिल हुई सब अपने-अपने कामों में व्यस्त हो गए जैसे कोई बात ही नहीं कर रहें थें। लेकिन नंदिनी सब समझती थी उसने अपनी पीछे चल रही तनु को डायरेक्टर्स की मीटिंग बुलाने का कहते हुए अपने केबिन में चली गई।

मैं जानती हूँ आप सब क्या सोच रहें हैं, मैंने आप लोगों से बिना पूछें निर्णय जरूर लिया लेकिन मैं आपको इतना भरोसा दिलाती हूँ कि ये डिसीजन कहीं से भी गलत नहीं है।मैं आप लोगों से आपकी राय ना जानने के लिए माफ़ी मांगती हूँ लेकिन आप सभी देख ही सकते हैं कि 400 करोड़ के शेयर्स जब 300 करोड़ में मिल रहें हो तो कितने ही लोग उसे खरीदना चाहते हैं। एक और बात तो ये कि आप सभी जानते हैं कि आपकी कंपनी एग्रीकल्चरल प्रोड्क्टस लॉन्च करना चाहती हैं ताकि हमारी सफलता का एक और क्षेत्र बनकर तैयार हो और इस चीज़ की सहूलियत हमें कात्यायन ब्रदर्स की एक ब्रांच से मिल रहा है जिसे मैंने 80% खरीद लिया हैं और अगर आप मुझ पर भरोसा करते हैं तो मैं पूरी सौ खरीदना चाहूंगी।                                    नंदिनी जी, आपकी बात से तो हम सहमत हैं लेकिन जैसा की पूरी कॉर्पोरेट इंडस्ट्री जानती हैं कि ये लोग हमेशा से लालची रहें हैं इन्हें कल कोई और ज्यादा का लालच देगा तो ये उसकी तरफ हो जाएंगे कोई ना कोई दांव-पेच लगाकर। कितनी ही बार इन पर केस हो चुके हैं एक और केस हो जाएगा आपकी तरफ से भी तो उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ेगा।एक अनुभवी और बुजुर्ग से दिखने वाले व्यक्ति ने चिंता व्यक्त की।                             आपकी बात से पूरी तरह सहमत हूँ जोशी जी, इसके लिए मैंने आईडिया पहले ही सोच लिया हैं। जैसा की पूरा शेयर मार्केट इनके धोखे की बात से वाकिफ है तो कोई अगर इनसे डील करना भी चाहेगा तो उतना ही दाम लगाएगा जितना वो इनकी कम्पनी से उसूल सके मैं मान लेती हूँ ज्यादा से ज्यादा 400 या 500 करोड़ बस। इससे ऊपर जो इनपर पैसा लगा सकता हैं वो बस एक ही कंपनी है और वो है सनराइज इंडस्ट्री यानी कि हम और हम अगर इतना पैसा लगाएंगे तो कहीं ना कहीं से दोगुना वसूल भी लेंगे। एक बात तो ये भी हैं कि पिछले 6 महीने के डेटा को आधार मान ले तो अगले दो-तीन महीने में इनकी कम्पनी को दोगुना फायदा होता दिख रहा है मतलब हम उम्मीद कर सकते हैं कि 300 करोड़ का हमें 600 करोड़ मिल सकता हैं अगर सब कुछ सही रहा तो। अब बताइए क्या कहना चाहते है आप लोग? नंदिनी के इतना कहते ही सारी मेज तालियों से थपथपा गई।     

  मैम आपको लगता है कि व्हाइटमून कंपनी इस सौदे को तोड़ने की कोशिश नहीं करेगी?                                               जानते हैं मैं इस डील में ज्यादा इंटरेस्ट नहीं दिखा रही थी लेकिन मुझे जैसे पता चला कि वाइटमून भी इस डील को करना चाहती हैं तो तुरंत मैंने हाँ कह दिया, ताकि किसी भी कीमत पर ये उनके हाथ ना चली जाए तो सोचिए जब मैंने अभी उन्हें ये डील नहीं करने दी तो आगे कैसे हो सकता है ऐसा और ना ही कात्यायन ब्रदर्स ने उनके अप्रोच को एक्सेप्ट किया था जबकि वो हफ्ते भर से कोशिश कर रहें थें तो आप समझ ही सकते हैं कि वो आगे भी भले किसी के साथ डील करें उनके साथ तो नहीं करेंगे।                                                                   मैम आपको नहीं लगता कि आपका पर्सनल इशु आपकी प्रोफेशनल करिअर को डाउन कर सकता हैं? ये सवाल वेद का था।                                                                              it’s totally professional mr. Ved. नंदिनी ने बस इतना ही जवाब दिया और अपनी जगह पर बैठ गई। एक बार पहले भी वेद नंदिनी को समझा चुका था कि जो बीत गई सो बात गई प्रोफेशनल फाइट को पर्सनल झगडे से अलग रखो लेकिन जब आदमी को चोट दी जाती हैं तो वो खुद के मरहम पर ध्यान देने से ज्यादा चोट देने वाले को चोट पहुचना चाहता हैं। नंदिनी की बात से सब सहमत हो गए थे किसी अगर-मगर का सवाल ही बाकी नहीं रहने दिया था नंदिनी ने इन दो घंटे की मीटिंग में।तनु भी नंदिनी के समर्थन में थी और थोड़ा- बहुत वेद भी इससे सहमत हो चुका था।

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