इश्क़ का अंजाम पार्ट-3

 आज उसने कुछ खाया अभी तक ? कमरे में कॉफी लेकर आयी कल्पना से उसने सबसे पहले यही सवाल किया।

अभी तो नहीं कॉफी रख आयी हूँ पर वैसे ही लेटी हुई हैं । कल्पना ने कॉफी की प्लेट सार्थक के सामने रखते हुए कहा । ठीक है मैं देखता हूँ चलकर । उसने अपनी कॉफी को हाथ भी नहीं लगाया और उठकर उस कमरे में चल दिया जहाँ मंजिल थी।

जल्दी से कॉफी पी कर नीचे आ जाओ , हमें कहीं जाना है। उसने डोर ओपन किया और वहीं खड़ा हो गया। सार्थक को देखते ही मंजिल बिस्तर से उतरकर एक कोने में खड़ी हो गयी।

 

देखो प्लीज,मुझसे ऐसे डरने की कोई जरूरत नहीं है। मैं तुम्हारे साथ कुछ भी गलत नहीं करूंगा, ख़याल रखूँगा तुम्हारा और तुम्हारी जरूरतों का इसीलिए यहां तुम्हें थोड़ा बाहर ले जाने के लिए आना हूँ ताकि तुम अपनी जरूरतों का सामान ले सको। तो तुम्हारा मतलब की तुम मुझे मेरे मम्मी-पापा के पास नहीं जाने दोगे? मंजिल की निगाहें सार्थक को बहुत बुरी तरह से घूर रहीं थी।

ये तुम्हारे बिहेवियर पर डिपेंड करेगा कि तुम अपनी फैमिली से कब मिल सकोगी । सार्थक ने बिल्कुल आराम से जवाब दिया। कल तुमने ही कहा था कि अगर मैंने खाना खा लिया तो तुम…. सार्थक ने उसकी बात बीच में ही काटते हुए कहा ,” मैंने कहा था सोचूंगा , जोकि मैं कर रहा हूँ अब बाकी तुम पर निर्भर है तुम कब अपनी फैमिली से मिल सकती हो या कब तक तुम यहाँ ऐसे मेरे साथ रहना चाहती हो।”

तुम्हें क्या लगता है मिस्टर , तुम मुझे ज्यादा दिन तक यहाँ रख सकोगे? जानते हो मेरे पापा को वो पुलिस में…..

थें.., तुम्हारे पापा पुलिस में एक मामूली सी पोस्ट पर थें जिसमें उन्हें रिश्वत लेते पकड़ा गया था इसीलिये जॉब से हाथ धोना पड़ा । तुम्हारे दादा जी के जौहरी के धंधे से इकट्ठा किये पैसों से और कुछ बैंक से कर्ज लेकर फिर से वहीं कारोबार शुरु करना चाहा लेकिन वो भी नहीं कर पाएं और कर्जदार बन गएँ। उनकी जिंदगी में ऐसे दिन तबसे शुरु हुए जबसे तुम्हारी माँ गुजर गयीं और तुम्हारी दूसरी माँ की ख्वाहिशें पूरी करतें हुए वो तुम्हारा ध्यान भी नहीं रख पाएं सही से। बंद कमरे में अक्सर घुटी-घुटी सी रहने वाली तुम , तुम्हें तो यहाँ मैं पूरा आसमान दे रहा हूँ फिर भी इतना गुस्सा। सार्थक अपने दोनों हाथ क्रॉस करके पास लगे अलमीरा के सहारे खड़ा था और मुस्कुराते हुए मंजिल को वो सब बता रहा था जो वो सुनना नहीं चाह रही थी। मंजिल उसी को बड़ी-बड़ी हैरानी भरी आँखों से देखती रही। उसे इतना सब कैसे पता चला मंजिल के बारे में? अभी तक तो मंजिल को लगता था कि सार्थक ने उसकी खूबसूरती को देखकर ही उसे प्रपोज किया था और इंकार करने पर उसे उसके घर से किडनैप कर लिया है लेकिन उसकी बातों को सुनकर मंजिल को लगा कि जैसे वो सालों से उसे जानता है। सार्थक ने उसे इस तरह अपनी तरफ देखते देखा तो शरारती लहजे में बोला ,” क्या सोच रही हो, कि मैं इतना समझदार कैसे हूँ मुझे ये सब कैसे पता? भई, बहुत बड़े आशिक हैं आपके, इतनी इनफार्मेशन तो रखतें ही हैं आपकी । 

मैं तो ये सोच रही हूँ कि शक्ल से तो कम ही दीखते हो लेकिन अंदर से तो तुम बहुत ही कमीने इंसान हो । तारीफ के लिए शुक्रिया । सार्थक ने एक हाथ सीने पर रखकर उसके आगे सिर झुकाते हुए कहा।

तुम जो सोच रहे हो कि तुम अपने इरादों में कामयाब हो जाओगे तो कभी नहीं, मेरे पापा मुझे जल्द से जल्द ले जाएंगे यहाँ से। उन्हें जिंदगी में कभी पता ही चल जाये कि उनकी बेटी कहाँ हैं ले जाना तो बड़ी दूर की बात है। सार्थक की आवाज में इतना आत्मविश्वास झलक रहा था कि उसने मुंबई में नहीं बल्कि दुनिया के ऐसे कोने में मंजिल को छुपा कर रखा है जहाँ कोई नहीं पहुंच सकता।

मैं तुमसे बेवजह कि बहस नहीं करने आया हूँ जो हो ही नहीं सकता उसपर बहस करना बेकार है । मैं ये बोलने आया था कि तैयार हो जाओ तो कुछ शॉपिंग कर लो चलकर अपने लिए। शॉपिंग वो भी तुम्हारे साथ…! उसने सार्थक का मजाक उड़ाते हुए कहा ,” मुझे लगा था तुम एक्टर लोग सिर्फ पार्टीज में ही नशा करते हो लेकिन मुझे लग रहा हैं तुमने सुबह सुबह ही कुछ सूंघ लिया है।

माइंड योर लैंग्वेज मिस! सार्थक ने एकदम से तेज आवाज कर कहा ,” तुम मुझे गाली दे सकती हो क्योंकि मैं तुमसें प्यार करता हूँ लेकिन तुम मेरे प्रोफेशन को गाली नहीं दे सकती क्योंकि मैं उसे भी प्यार करता हूँ । अगर दोबारा तुमने ऐसा कुछ कहा या किया तो मैं भी नहीं जानता कि मैं कितना बुरा करूंगा तुम्हारे साथ समझी। मंजिल उसकी ऊँची आवाज से सहम गयी थी वो भी इसका जवाब देना चाहती थी लेकिन उसकी हिम्मत पहले ही जवाब दे चुकी थी। वो बस चुपचाप खड़ी रही। उसकी चुप्पी को सार्थक ने नोटिस कर लिया था इसीलिए अपनी आवाज में बहुत सी नरमी लाते हुए कहा ,” तुम यहाँ मेरे साथ रह रही हो और तुम्हारे पास अभी कुछ भी नहीं है मैं तुम्हें ऐसे नहीं देख सकता इसीलिए प्लीज अपनी जरूरत का कुछ सामान खरीद लो चलकर। देखो आज मैं फ्री हूँ इसीलिए बोल रहा हूँ बाकी मेरा शेड्यूल इतना बिजी रहता है कि कभी-कभी एक सीन में जो कपड़े पहन के शूट कर रहा हूँ दूसरी फिल्म के सेट पर भी उसी कपड़े में शूट करने लग जाता हूँ । चाहे तो शक्ति से पूछ सकती हो। उसने मंजिल को समझाते हुए कहा, उसे पूरी उम्मीद थी की जवाब ना होगा । मंजिल कुछ देर शांत खड़ी सोचती रही ,फिर नजरें उठाकर उसने सार्थक की तरफ देखा जिसके चेहरे पर दबा हुआ गुस्सा साफ झलक रहा था। 

मैं चलती हूँ, उसने बिल्कुल धीरे से कहा। उसका जवाब सुनकर सार्थक उसे हैरानगी से देखता रहा , वो तो सोच रहा था कि इसके लिए कपड़े उसे खुद लाने पड़ेंगे या किसी से यहीं मंगवाने पड़ेंगे वो साथ चलने को तैयार हो सकती है उसने ये सोचा ही नही था। 

कल्पना…..! सार्थक ने दरवाजे को थोड़ा खोल कर नीचे की तरफ आवाज लगायी। थोड़ी ही देर में कल्पना हाथ में एक पैकेट लिए आ गयी। जिसे सार्थक ने मंजिल को देने का इशारा करते हुए कहा ,” मुझे नहीं पता ये ड्रेस तुम पर फिट आएगी या नहीं,लेकिन फिर भी इसे ही पहन के तुम्हें मेरे साथ चलना होगा ,मॉल में जो भी ड्रेसेस तुम्हें पसंद आएँगी मैं दिला दूँगा। अभी तो कल्पना को सिर्फ यही मिली थी तो…प्लीज । इतना कहकर सार्थक कमरे के बाहर निकल गया ।

शुरु शुरु में मंजिल को मॉल में सबकुछ ही नॉर्मल लगा था लेकिन जैसे-जैसे वो आगे की ओर बढ़ती रही उसकी ये गलतफहमी दूर होती गयी। पूरे मॉल में मंजिल के सिवा कुछ ही लोग थें वो भी सिर्फ लड़कियां या महिलाएं जोकि इसी शॉपिंग मॉल की स्टॉफ मेंबर्स थीं बस। काफी शहर का सबसे बड़ा मॉल आज पूरा खाली थी जिसमें एक-एक मेल स्टॉफ को जैसे चुन-चुन के गायब किया गया था। मंजिल को सार्थक के इस पागलपन पर बहुत गुस्सा आ रहा था ,पता नहीं समझता क्या है अपने आप को ? कहीं का तानाशाह है ये ? साइको है पूरा का पूरा! ढीठ हैं बेवकूफ। वो आगे बढ़ ही रही थी कि एक आदमी उनकी ओर बढ़ता दिखाई दिया। इतनी देर में उसे अब कोई आदमी दिखा था। ब्लैक सूट और चेक टाई में वो उन दोनों के पास आया , मंजिल को उससे कुछ मदद मिलने की आस जग ही रही थी कि उसने आते ही सार्थक से हाथ मिलाते हुए कहा ,” बोलिये मिस्टर मल्होत्रा, आज क्या मदद करें हम आपकी? आप रहने दे , आज हम खुद अपनी दोस्त को कपड़े सेलेक्ट करने में मदद करना चाहतें हैं । सार्थक की आवाज धीमी थी और चेहरे पर प्यार भरी मुस्कुराहट भी जो ये बताने के लिए काफी थी कि वो दोनों एक-दूसरे की कितनी रिस्पेक्ट करतें हैं । ओके, लेकिन फिर भी अगर कोई तकलीफ हो तो हमारा स्टॉफ मौजूद है…. इतना कहते-कहते वो थोड़ा हँसा फिर बोला ,’ सारा मेल स्टॉफ तो आपने आधे दिन की छुट्टी पर भेज दिया फिर भी फीमेल स्टॉफ भी आप दोनों. ….!

दीक्षित जी , पहले ही आपने मेरे लिए इतना किया है अब आप को कोई तकलीफ नहीं दूंगा। इतना कहकर वो मुस्कुराया और एस्केलेटर की ओर बढ़ गया उससे थोड़ी दूरी बनाकर मंजिल भी उसके साथ चलती रही। अब तक वो समझ चुकी थी कि ये आदमी कोई और नहीं यहाँ का मैनेजर है ।

सार्थक मंजिल को एक के बाद एक ड्रेस पसंद करता देख बहुत खुश हो रहा था । यहाँ भी मंजिल का बर्ताव उसकी सोच के उलट था। सार्थक रास्ते भर सोच रहा था कि अगर वो शॉपिंग मॉल में ऐसे ही घूमती रही और कुछ भी खरीदने की बजाय बस टाइम वेस्ट करती रही तब वो क्या करेगा? लेकिन यहाँ पर तो कुछ और ही चल रहा था उसकी नजरों के आगे । कपड़े और सैंडिल्स खरीदने के बाद सार्थक उसे मेकअप और ऐसेसरीज वाले सेक्शन में ले जाना चाहता था लेकिन उसने मना कर दिया। सार्थक थोड़ा हैरान रह गया मंजिल से पहले जितनी भी लड़कियों के साथ वो यहाँ आया है वो सबसे पहले उसी सेक्शन में जाती थीं, इनफैक्ट आज तक उसकी जितनी भी गर्लफ्रेंड रहीं हैं सबको उसने यही चीजें सबसे ज्यादा बार गिफ्ट की हैं । तो फिर और क्या चाहिए तुम्हें ? सार्थक की नजरें मंजिल के चेहरे पर टिक गयी। 

मैं तुम्हें बता नहीं सकती, लेकिन मुझे किसी और चीज की भी जरूरत है । मंजिल ने दूसरी तरफ देखते हुए जवाब दिया। चलो मैं दिलवा दूँ. ….

कहा न , न तुम वहाँ आ सकतें हो न कोई तुम्हारा कोई आदमी हाँ अगर कोई फीमेल जासूस हो तुम्हारी तो उसे भेज सकते हो तुम मेरे साथ। उसकी बात सुनकर सार्थक थोड़ा अनकम्फर्ट हो गया , मतलब मंजिल को पता था कि मेरे आदमी हमारे चारों तरफ चल रहें हैं। 

बोलो मैं अकेले जाऊँ प्लीज… मैं वो चीजें किसी आदमी के सामने नहीं खरीद सकती , तुम लोगों को तो पता भी नहीं होगा कि लड़कियों की जो पर्सनल जरूरतें हैं वो इन ड्रेसेस से ज्यादा इम्पोर्टेंट हैं जो तुमने अभी खरीदवायी हैं। 

हाँ ठीक हैं मैं यहीं वेट करता हूँ । सार्थक सारे शॉपिंग बैग पकड़े रेलिंग के सहारे खड़ा हो गया। मंजिल जाने को आगे बढ़ी लेकिन एकदम से पलट के बोली ,” देखो प्लीज , तुम अपने किसी आदमी को मेरा पीछा करने मत भेजना वरना मैं खरीद भी नहीं पाऊँगी, अगर कोई फीमेल हो तो….!

 उसने चारों तरफ अपनी चुटकियों को बजाते हुए घुमाया और फिर बोला,” तुम जाओ कोई पीछा नहीं करेगा तुम्हारा ।” जब मंजिल वहाँ से चली गयी तो सार्थक तेजी से हँसने लगा । सीरियसली ….! लड़के जानतें ही नहीं लड़कियों की बेसिक नीड्स….! ओ गॉड आज भी आपकी कम्पनी में ऐसी लड़कियाँ मैन्यूफैक्चर होती हैं, यकीन करना मुश्किल है । यार न जाने कितनी टू पीस वाली हीरोइन्स के साथ मैंने सीन दिये है , स्विमिंग पूल में बिकिनी पहनी मॉडल्स के साथ फोटोशूट कराया है और तो और जब खुद भी 4-5 गर्लफ्रेंड्स बना चुका हूँ, ये लड़की मुझे बोलती है कि उसकी बेसिक नीड्स नहीं मालूम होंगी लड़कों को। सार्थक के चेहरे पर मुस्कुराहट अभी तक बरकरार थी। वो यही सोच रहा था कि इस 5G के जमाने में ये पार्ले-G के जमाने के आइटम को कैसे सरंक्षित करें। 

मंजिल ने कुछ देर तो लॉन्जरीज ही देखी और फिर चारों तरफ नजर घुमाई। थोड़ी देर तक ऐसे ही चारों तरफ घूमने के बाद वो वहाँ से तेजी से निकलने लगी। वो जहाँ जहाँ कपड़े ज्यादा लगे थें उसी की आड़ में झुके-झुके ही आगे बढ़ रही थी। वो इस मॉल में एक बार अपने पापा के साथ आ चुकी थी हालांकि उस बात को 4 साल से ज्यादा हो चुका है फिर भी उसे आज भी एग्जिट गेट किधर पड़ता है ये अच्छे से याद था। मंजिल जानती थी की अब तक सार्थक के आदमी उसे ढूंढने लगे होंगे इसीलिए उसने पूरी सावधानी बरतते हुए अपने कपड़े बदल डाले थे और एक स्कार्फ से अपना पूरा चेहरा कवर कर लिया था सर पर हैट भी रख ली थी। जैसा की मंजिल को उम्मीद थी सार्थक को पता चल चुका था कि वो वहाँ से कहीं और निकलने की फिराक में हैं । उसे पता था हद से ज्यादा मीठी चीज में कीड़े पड़ ही जातें हैं आज मंजिल का बर्ताव भी उसे इसी कहावत की याद दिला रहा था ।इसीलिए वो इस बात के लिए पहले से ही सतर्क था ।

जब सार्थक के आदमी और बाकी स्टॉफ मंजिल को ढूंढने की कोशिश करने लगा तो सार्थक ने सबको ये कहते हुए मना कर दिया कि, “वो अभी खुद मुझ तक आ जाएगी।” इसके बाद वो अपने लिए शॉपिंग करने में बिजी हो गया।

मंजिल की परेशानी बढ़ती ही जा रही थी उतनी देर से एग्जिट का हैंडल खुल ही नहीं रहा था , जब पहली बार वो यहाँ आयी थी तब तो ये हैंडल आसानी से खुल गया था लेकिन आज इतना खींचने के बाद भी नहीं खुल रहा था। मंजिल ने अंदर बाहर हर तरफ से धक्का दे कर देख लिया उसे समझ नहीं आ रहा था की इतने बड़े शॉपिंग मॉल का दरवाजा खराब कैसे हो सकता है? अगर ये खराब है तो जरूर पास ही कहीं दूसरा दरवाजा भी लगा होगा ! ये सोचते हुए मंजिल दीवार पर हाथ फेरती हुई आगे बढ़ रही थी। उसके पेट में बहुत तेज दर्द हो रहा था प्यास भी काफी तेज लगी थी, गला बिल्कुल सूख गया था उसका । लेकिन वो फिर भी सार्थक के पास वापस नहीं जाना चाहती थी जल्द से जल्द वो यहाँ से निकल कर खुली हवा में सांस लेना चाहती थी। लोगों से छिपते-छिपाते, इधर-उधर भागते हुए उसके माथे से पसीने की बूँदे गिरने लगी थी , उसने अपने सर से कैप निकाल के फेंक दी। उसे पता था कि सार्थक के आदमी उसके पीछे हैं इसीलिए वो मैक्सी ड्रेस को नहीं उतार सकी लेकिन अब उस ड्रेस में उसे चलने में दिक्कत आने लगी थी। इसी तरह 2-3 घंटे मॉल में भटकते रहने के बाद उसने हिम्मत करके एंट्री गेट से ही भागने की सोची। हो सकता है वहाँ सार्थक का कोई आदमी नहीं मौजूद हो ? वैसे भी सब उसे पूरे मॉल में ढूंढ रहें होंगे वहाँ कोई नहीं मौजूद होगा! हो सकता है वो सब चले गये हो ? और अगर उसे देख भी लिया तो उसे पहचान भी तो नहीं पाएंगे इस गेटअप में! उसने एक लम्बी सांस ली और एंट्री गेट की तरफ दीवार का सहारा लेते हुए बढ़ने लगी।                   

 एंट्री गेट के पास किसी को न देखकर मंजिल की खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा , वो अपनी भूख-प्यास सब भूल गयी और लम्बे-लम्बे कदमों से आगे बढ़ने लगी। मंजिल वहाँ पहुंच कर गेट का हैंडल अंदर की तरफ खोलने लगी लेकिन शायद उसके अंदर अब इतनी सी भी एनर्जी नहीं बची थी कि वो उस हैंडल को पूरी ताकत से खींच सके।

हो गया तुम्हारा अली बाबा चालीस चोर , खोल लिया दरवाजा तुमने ! एंट्री गेट के पास दीवार के सहारे टेक लगाए हुए सार्थक आ कर खड़ा हो गया था। ये देखकर मंजिल के हाथ दरवाजे के हैंडल पर ही रुक गये। 

लाओ मैं हेल्प करता हूँ तुम्हारी । उसने दरवाजे के हैंडल की तरफ हाथ बढ़ाया तो मंजिल तुरंत उससे दो कदम दूर हो गयी। लेकिन उसने हैंडल के बजाय अपना हाथ दीवार पर उसी रंग में रंगे सेंसर पर रखा हल्की सी ब्लू लाइट जली और दरवाजा खुल गया। 

 ये मेरा फेवरिट मॉल है इसके बारे में मुझे सब पता है इसीलिए भागने की कोशिश करने से पहले मुझसे पूछ तो लेती कि यहाँ के दरवाजे कैसे खुलते है ? वो देखो…! उसने मंजिल को सेकंड फ्लोर पर लगे बड़े से TV की तरफ इशारा किया जो की सीसीटीवी फुटेज था जिसमे सबकुछ दिख रहा था ,उसका वहाँ से भागना भी और यहाँ तक पहुंचना भी। ,”शायद तुम ज्यादा घूमने नहीं जाती न इसीलिए ऐसा हुआ था,काश तुम्हारी स्टेपमदर तुम्हें थोड़ा बाहर घूमने-फिरने भी देती ।” मंजिल को लगा था कि अगर वो सार्थक के हाथ में दोबारा पड़ गयी तो वो उस पर गुस्सा करेगा और चिल्लायेगा लेकिन सार्थक ने ऐसा कुछ नहीं किया बल्कि इससे ज्यादा बुरा कर रहा था उसकी सिचुएशन का , उसकी फैमिली का उसके मुँह पर मजाक बना रहा था उसे ये जता रहा था कि उसे किसी बात की अक्ल नहीं हैं, उसे ये बता रहा था कि उसे इस मॉल में परेशान होता देख उसे कितना मजा आ रहा रहा था। मंजिल का सारा सब्र जवाब दे चुका था अब वो बस सार्थक के गाल पर पूरी ताकत से दो थप्पड़ लगाना चाहती थी। उसने गुस्से में अपने कदम सार्थक की ओर बढ़ा दिये लेकिन उसे लगा कि उसके पैर में तो जान ही नहीं बची है उसका शरीर बिल्कुल हलका होने लगा था उसका सर घूम रहा था, उसने सार्थक के चेहरे को देखा जो धुंधला-सा हो गया था , फिर और धुंधला और फिर एकदम काला. …! मंजिल…! सार्थक ने तुरंत आगे बढ़कर उसे नीचे गिरने से रोक लिया। मंजिल….. उसने उसके गालों को थपथपाते हुए उसे उठाने की कोशिश की। सार्थक ने जब उसे छुआ तो उसे महसूस हुआ कि मंजिल का शरीर सामान्य से ज्यादा गर्म है,मतलब उसे बुखार आ गया था ।

कोई पानी लेकर आओ ! सार्थक ने आसपास खड़े स्टॉफ की तरफ देखा और फिर मंजिल को उठाने की कोशिश करने लगा। सार्थक मंजिल की हालत देखकर घबरा गया था,उसे डर लग रहा था कि मंजिल को कुछ हो गया तो…? होश में क्यों नहीं आ रही है ये लड़की..?सब मेरी ही गलती है उसे जाते ही तुरंत पकड़ लेता तो ये नौबत ही न आती , इतनी देर से भूखी प्यासी घूम रही है दिक्कत तो होगी ही ! सार्थक ने उसके चेहरे पर पानी छिड़का और पानी पिलाने की भी कोशिश की लेकिन मंजिल को होश नहीं आ रहा था बल्कि उसे सर्दी लगनी भी शुरु हो गयी थी। सार्थक अब और इंतजार नहीं कर सकता था उसने मंजिल को अपनी बाहों में उठाया और बाहर की तरफ भागा।

To be Continued. … 🙏🙏

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7 thoughts on “इश्क़ का अंजाम पार्ट-3”

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