“वक्त से लड़कर जो नसीब बदल दे,
इंसान वहीं है जो अपनी तकदीर बदल दे ’’ये पंक्तियां उत्तराखंड के छोटे से गांव से निकले ऋषभ पंत पर बिलकुल सटीक बैठती है।
जहां पंत के जीवन में संघर्षों की दास्तान है, तो वही इसकी बदौलत हासिल की गई उपलब्धियां आसमान की बुलंदिया छूने की प्रेरणा भी देती है। आज ऋषभ पंत को भारतीय टीम की अगुवाई करने का मौका मिला है। ये मौका उनकी इस मेहनत के कारण ही मिला है। लोग पंत को महेंद्र सिंह धोनी का उत्तराधिकारी मानते है। आइए जानते है ऋषभ की कहानी…….
हम सभी बचपन में सपने देखते है, और ठानते है कि बड़े होकर हमे ये बनना है, लेकिन कुछ लोग ही अपने इन सपने को पूरा कर पाते है। कुछ ऐसे ही एक सपना बचपन में ऋषभ पंत ने भी देखा था,उत्तराखंड के छोटे से गांव में पैदा हुए पंत के लिए क्रिकेटर बनने के अपने सपने को हकीकत में बदलना बिलकुल भी आसान नहीं था। परिस्थितियां ऐसी थी कि जहां पंत ने अपना सपना देखा था इस उत्तराखंड में क्रिकेट का कोई भविष्य नहीं था। लेकिन कहते है जब जिद्द सकारात्मक हो तो सफलता स्वयं दौड़ी चली आती है।
पंत की जिद्द कुछ ऐसी ही थी, परिस्थितियां चाहें जैसी भी हो उसे तो केवल क्रिकेटर ही बनना था।
मात्र १२ साल की उम्र में छोड़ा घर
पंत ने मात्र १२ साल की उम्र में उत्तराखंड से अपनी मां के साथ दिल्ली चले आए। पंत दिल्ली आ तो गए थे लेकिन उनके पास पैसे नहीं थे की वह एक कमरा किराए पर लेकर रहे तो पंत दिल्ली के एक गुरुद्वारे में अपनी मां के साथ रहते थे और वही लंगर खाना खा कर रोज प्रैक्टिस के लिए जाते थे। उनकी मां वही गुरुद्वारे में लोगों की सेवा करती थी। दिल्ली में क्रिकेट के लिए ज्यादा कंपीटिशन था तो उनके कोच ने पंत की राजस्थान जाने हो कहा, पंत दिल्ली से राजस्थान चले गए। जहां उन्होंने अंडर १६ लेवल पर महिपाल लोमोर के साथ मिलकर बहुत सारे रन बनाए। इनकी जोड़ी को जय-वीरू की जोड़ी कहा जाने लगा, लेकिन बाहरी होने के कारण पंत राजस्थान में आगे मौका न मिला।
पंत दोबारा दिल्ली लौट आए और जुनून के साथ क्रिकेट खेलने लगे।
पंत को पहली पहचान तब मिली जब इनको 2016 अंडर 19 वर्ल्ड कप टीम जगह मिली। वहां से पंत ने कभी पीछे मुड़कर नही देखा और सफलता की सीढ़ी पर चढ़ते ही गए।
अक्सर लोग कहते है की ऋषभ पंत को बहुत ही कम उम्र में नाम और शोहरत मिल गई है, लेकिन इसके पीछे कितना बड़ा संघर्ष है लोग ये नही जानते।
आज ऋषभ पंत भारतीय टीम के नियमित सदस्य है, और भारतीय टीम उन्हे भविष्य में कप्तान के रूप में देख रही है।
आज ऋषभ पंत केएल राहुल के चोटिल होने के कारण भारतीय टीम की अगुवाई करने जा रहे है। वह भारत के 8 वें T20 कप्तान बने है।
हम उम्मीद करते है भविष्य में ऋषभ पंत भारतीय टीम को एक नए मुकाम ले जायेंगे। मुझे लगता है भारतीय टीम को दूसरा धोनी तो नही लेकिन उनकी जगह भरने के लिए पंत सबसे होनहार खिलाड़ी है ।
मिलते है अगले मोटीवेशन ब्लॉग में अगर आपको हमे ये मोटीवेशन ब्लॉग पसन्द आ रहे है तो इनको दूसरे लोगों तक भी पहुंचाए ज्यादा से ज्यादा लोग मोटिवेट हो सके।
जय हिंद जय भारत
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