मैंने कह दिया कि मैं नहीं दूंगी तो नहीं दूंगी बस बात को आगे बढ़ाने से कोई फायदा नहीं हैं समझे आप लोग। उसने सफ़ेद रंग के कपड़े से ढकी हुई किसी ऊंची और लम्बी चीज को अपनी तरफ खींचते हुए कहा जो उसकी कमर तक आ रही थी ।
मैम प्लीज जरा आप ही देख लीजिये न अब ये तो आपको पूरे पैसे से कुछ ज्यादा भी देने को राजी हो गईं हैं । वहाँ मौजूद स्टाफ ने समझौता कराने की कोशिश की ।
इतने ही पैसे थें तो थोड़ा जल्दी आ जाती फिर चाहे बीस हजार में लेतीं या बीस लाख में मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन अब मैंने इसे खरीद लिया है तो अब मैं इसे नहीं बेचूँगी चाहे जितने भी पैसे मिले। उसने गुस्से में कहा ।
ओके, मिसेस माथुर चलिए आप ही कोई दूसरी….
सवाल ही नहीं उठता ,भले मैं आज देर से आयी लेकिन आप भी जानते है की मैं आपकी रेगुलर क्लाइंट हूँ मेरी वजह से ही आप लोग लाखों-लाख रूपए कमा लेते है , और आज मुझी को न कह रहें हैं वो भी सिर्फ इसलिए क्योंकि जो पेंटिंग मुझे पसंद आयी है किसी नये कस्टमर ने उसे पहले ही खरीद लिया है। सिर्फ 5 मिनट लेट होने की वजह से आप मुझे मेरी पसंद की पेंटिंग बेचने से मना कर रहें हैं । सुर्ख नीले रंग की मोतियों से कढ़ी हुई साड़ी पहने , और उसी के मैचिंग का हैंडबैग अपने दाएं हाथ से पकड़े खड़ी औरत ने स्टाफ पर गुस्सा निकालते हुए कहा।
अब स्टॉफ ने फिर से पहली वाली महिला की तरफ उम्मीद से देखते हुए कहा ,”मैम चलिए आप इससे भी अच्छी पेंटिंग्स देख लीजिये चलके , भले ही एग्जिबीशन ख़त्म हो गयी है लेकिन फिर भी हमारे पास अब भी इससे भी कहीं ज्यादा बेहतर….. जी नहीं , यहाँ बात अच्छे या बुरे की नहीं अपने हक़ की है और मैं अपना हक़ किसी ऐरे-गैरे को ऐसे नहीं ले देने जा सकती । उसकी बात सुनकर मिसेज़ माथुर को अपनी प्रतिष्ठा में आघात लगता दिखाई पड़ा तो वे बिफर पड़ी और इसी जिद पर अड़ गई कि अब वो पेंटिंग लिए बिना यहाँ से हिलेंगी तक नहीं । काफी देर तक जब ऐसे ही कहा-सुनी होती रही तो ये खबर वीर के कानों तक पहुंची और वो खुद इन दोनो के बीच आ पहुँचा ।
ये किस बात पर बहस कर रहीं हैं आप दोनों क्या हम जान सकतें हैं ? वीर ने अपने दोनो हाथ पीछे की तरफ किये हुए नर्म लहजे से पूछा ।
देखिये न वीर जी , आपका स्टॉफ किस तरह से मुझसे बदसलूकी कर रहा है ? ऐसे लोगों को काम पर रख ही क्यों लेतें हैं जो कस्टमर्स से डील ही नहीं कर पातें ? मिसेज़ माथुर वीर को देखते ही अपनी आवाज में शिकायती पुट ले आयीं। गलती आपके स्टॉफ की नहीं हैं वो बस अपना काम कर रहें हैं और ये बेवजह की जिद कर रहीं हैं । उस महिला ने मिसेज़ माथुर को तिरछी आँखों से देखते हुए कहा । वीर ने अब उसकी तरफ ध्यान से देखा जो कुर्ती के ऊपर डेनिम जैकेट के साथ नीचे प्लाजो पहने हुए थी , कान में छोटे-छोटे झुमके लटक रहें थें, काले और घुघरालें बालों का उसने सिर पर जुड़ा बना रखा था चेहरे से थकान झलक रही थी शायद किसी काम से भागती हुई यहाँ आयी होगी ! देखने में किसी संपन्न परिवार से लगती थी, बॉडी हेल्दी थी हाईट भी ठीक थी और चेहरा गंभीर था उसे देखकर वीर के मन में एक सवाल खड़ा हो गया कि उसे मिस बोले या मिसेस…? थोड़ी देर सोचने के बाद उसने एक तीसरा रास्ता निकाला ।
मैडम ! आप कहना क्या चाहतीं हैं प्लीज आराम से बताएंगी हमें? वीर की आवाज में निवेदन था ।
अरे ये क्या बताएगी , मैं बताती हूँ न आपको वीर जी। ये जो पेंटिंग आप इसके हाथ में देख रहें हैं ये पेंटिंग मुझे चाहिए थी लेकिन मेरे इस पेंटिंग के पास आने से पहले ही आपका स्टॉफ इसे उतार कर इनके लिए पैक करने लगा। अब मैं बोल रही हूँ कि मुझे दूर से ही ये पसंद आ गयी थी मैं इसे ही लेने आ रही थी लेकिन ये अब मुझे दे नहीं रहीं हैं। अब आप ही बताइये ऐसा कहीं होता है भला ?
होता क्यों नहीं हैं मैम ! जब दो लोगों को एक ही चीज पसंद आती है तो जो इंसान उसके लिए पहले पे करता है वो उसकी हो जाती है । ये आप भी अच्छे से जानती हैं ।
तो मतलब आप मुझे ये पेंटिंग नहीं दिलवा सकतें? मिसेस माथुर ने गुस्से से कहा।
जब तक पेटिंग हमारी एगजीबिशन में है या बिकी नहीं है तब तक हम उसे आपको दिलवा सकतें थें लेकिन अब ये उनके पास है तो ये उनपर निर्भर है कि वो आपको देतीं हैं या नहीं ।
मैं उस पेंटिंग के दोगुने पैसे देने के लिए तैयार हूँ उसके बावजूद आप वो पेटिंग मुझे देने से मना कर रहें हैं? उसका गुस्सा काफी बढ़ गया था।
वो नहीं मैं मना कर रही हूँ । दूसरी महिला ने जवाब दिया ।
फाइन ! चौहान साहब आप शायद भूल रहे हैं कि मेरी वजह से आपकी लाखों-करोड़ो की पेंटिंग्स बिकी हैं, मैं आपकी कला की सबसे बड़ी प्रशंसक हूँ लेकिन लगता है कि आपने इसे मेरी मजबूरी समझ लिया है तो ठीक है अगर ये पेंटिंग मुझे आज नहीं मिली तो फिर कभी मैं न आपकी किसी प्रदर्शनी में आऊंगी न कभी कोई पेंटिंग ही खरीदूँगी । मेरे न आने से मेरे दोस्त और फैमिली मेंबर्स भी कभी सपोर्ट नहीं करेंगे । अब शायद आपको अंदाजा लग गया होगा की बीस हजार की पेंटिंग के बदले आपका कितना लॉस होगा । मिसेस माथुर के चेहरे पर धमकी वाली मुस्कुराहट तैर गयी थी। उनकी इस धमकी का असर वीर पर हुआ तो लेकिन उसने ये न जाहिर करते हुए मिसेस माथुर से कहा ,” मैम हम चाहेंगे की एक बार आप हमारी बनाई कुछ दूसरी पेंटिंग्स भी देख लें हमें पूरी उम्मीद हैं कि आपको वो पेंटिंग्स इस पेंटिग से कहीं ज्यादा अच्छी लगेंगी ।
वीर जी कोई और चाहिए होती तो मैं इसके लिए इतनी जिद क्यों कर रहीं होती , खैर… मैंने जो कहा है वो आपको मानना तो हैं नहीं तो मैं तो अब चली । मिसेस माथुर चलने के लिए जैसे ही मुड़ी वीर का स्टॉफ उनके आगे आकर खड़ा हो गया । पीछे से वीर ने समझाते हुए कहा ,”प्लीज मैम कुछ तो समझिये , हम मजबूर है वरना आज से पहले हमने आपको कभी मना भी किया है ।
तो आप मुझे मजबूरियां गिना रहें हैं मुझे ? उस इंसान को जिसने मजबूरियों में आपको सहारा दिया आप उसी को मजबूरियों का हवाला दे रहें हैं ! मिसेस माथुर वीर की तरफ खड़ी हो गयी । ऐसा कुछ नहीं हैं मिसेस माथुर आप समझने की कोशिश तो करिये। वीर अब परेशान सा होने लगा था ।
हाँ समझ तो मैं गई ही कि मुझे यहाँ रहकर अपनी और बेइज्जती नही करानी है ।
मैम प्लीज ।
वीर ने उसे रोकने की कोशिश की। इतनी देर में तो वहां खड़ी दूसरी महिला भी समझ चुकी थी कि वाकई में मिसेस माथुर मिस्टर वीर के लिए न सिर्फ एक इम्पोर्टेंट क्लाइंट हैं बल्कि शायद उनके कुछ अहसान भी है उनके ऊपर। अब उसका अपनी जिद और अधिकार के लिए उन दोनों के रिश्ते को खराब ठीक नहीं होगा। यही सब सोचते हुए वो बोली ,” आप ऐसे नाराज होकर मत जाइये। आप सही कह रहीं हैं कि मुझ जैसी नयी कस्टमर के लिए आप से नाराजगी लेना बिल्कुल भी ठीक नहीं हैं । इसीलिए प्लीज आप ये पेंटिंग ले लीजिए मैं अपने पैसे लिए लेती हूँ । इतना कहकर उसने वो पेंटिंग मिसेस माथुर की तरफ बढ़ा दी । मैडम आप हमारे लिए क्यों परेशान हो रहीं हैं मिसेज माथुर तो समझदार है ज्यादा देर नाराज थोड़े रहतीं हैं, आज नहीं तो कल मान ही जाएंगी लेकिन ये पेंटिंग आपको दोबारा थोड़े… ! वीर उस महिला से ये बोल ही रहा था कि मिसेज माथुर ने बीच में ही उसकी बात काटते हुए कहा ,” वीर जी इस गलतफहमी में मत रहिएगा कि मेरा ये गुस्सा दिखावटी है अगर मुझे ये पेंटिंग नहीं मिली तो वाकई में मैं आपके यहाँ फिर कभी नही …! मैम प्लीज अब बहस ख़त्म भी कीजिये और अपनी अमानत संभालिये वरना कहीं फिर मेरा दिल न बदल जाये और मैं इसे न दे पाऊँ । उसने पेंटिंग को एक बार सफ़ेद कपड़े के ऊपर से ही निहारा । पेंटिंग में इतना भी कुछ खास नहीं था कि उसपर झगड़ा किया जाता लेकिन उसपर जो समुंदर किनारे रेत पर भागते हुए दो घोड़े बने थें एक सफ़ेद और एक काला जो बराबरी से दौड़ रहें थें उनके चेहरे पर एक अलग ही ऊर्जा नजर आ रही थी और पेंटिंग के एक कोने से उगता हुआ लाल सूरज किसी मोटिवेशन के जैसा काम कर रहा था। किनारों पर उगी हरियाली और बीच में फैली रेत शायद जिंदगी में आने वाली खुशी और गम का सार समझा रहीं थीं ।
मिसेज माथुर ने वो पेंटिंग अपनी तरफ खींच ली और साथ खड़े हुए ड्राइवर के हाथ में दे दी। उन्होंने अपनी पर्स से चेकबुक निकालते हुए उसपर कुछ अमाउंट भरा और सिग्नेचर करके वीर के हाथों में थमा दिया और तुरंत वहाँ से निकल गईं।
थैंक यू मैडम आपने हमारे लिए इतना किया। वीर ने विनम्रतापूर्वक थोड़ा सा सर झुकाते हुए कहा ।
नहीं…नहीं… आपको थैंक्स बोलने की जरूरत नहीं हैं, मैने आपके लिए कुछ नहीं किया वो तो आपकी उन क्लाइंट का गुस्सा ही इतना हाईपॉवर का था कि उसके आगे मेरी जिद टिकी नहीं। वो थोड़ा सा मुस्कुराते हुए बोली ।
आपने सही कहा , वो थोड़ा ज्यादा गुस्से वाली है। खैर ! ये लीजिये आपका रिफंड । वीर ने वो चेक अपने दोनो हाथों में रखकर उसकी तरफ बढ़ा दिया । उसने वो चेक मुस्कुराते हुए ले लिया लेकिन उसपर लिखा अमाउंट देखकर उसने वापस से वीर को वो चेक देते हुए कहा ।
मुझे सिर्फ मेरे पैसे चाहिए इन एक्ट्रा पैसों का मुझे क्या करना । लेकिन बात तो यही हुई थी कि पेटिंग की असल कीमत से दुगना वो आपको देंगी तो उस हिसाब से ये चालीस हजार आप ही के हुए ।
उन्होंने कहा था लेकिन मैने एग्री तो नहीं किया था। आप प्लीज ये चेक रख लीजिये और जब वो दुबारा आएं तो उन्हें सौप दीजियेगा या चाहे तो अपने ही पास रखकर किसी पेंटिंग में एडजस्ट कर लीजियेगा।
तो मतलब आपको सिर्फ बीस हजार ही चाहिए ? वीर ने थोड़ा भौहें सिकोड़ते हुए कहा ।
जी सिर्फ बीस हजार ही। उसने मुस्कुराते हुए जवाब दिया । ओके , जसवंत जी …..! वो अपने साथ खड़े आदमी की तरफ मुड़ा और उसे चेक देते हुए कुछ बोला ।वो आदमी वहाँ से चला गया तो वीर दोबारा उन मोहतरमा से मुख़ातिब होते हुए बोला ,” चलिए जब तक जसवंत जी आपके पैसे लेकर आतें हैं तब तक आप कोई दूसरी पेंटिंग पसंद कर लीजिये चलकर । नहीं अब इसकी कोई जरूरत नहीं है , मुझे वही पेंटिंग पसंद आयी थी और मैं वही अफोर्ड भी कर सकती थी ।
देखिये अगर आप पैसे के लिए हिचक रहीं हैं तो हम बता दें कि जब आप हमारे लिए इतना कर सकती हैं तो हमारा भी कर्तव्य हैं की हम आपको सस्ती से सस्ती और अच्छी से बेहद अच्छी पेंटिंग दिखाएं चलकर ।
आपने इतने बड़े कलाकार होकर मेरे लिए ये बात कह दी यही बहुत है बस इसके अलावा मुझे कुछ और नहीं चाहिए । देखिये हम सिर्फ आपकी मदद करने की कोशिश…. यकीन मानिये मुझे सिर्फ वही पेंटिंग सबसे ज्यादा पसंद आयी थी।
जब आपको इतनी ज्यादा पसंद आयी थी तो आपको देना ही नहीं चाहिए था उन्हें। वीर की आवाज में थोड़ी-सी नाराजगी झलक आयी।
मैं आप दोनों के रिश्ते खराब करने की वजह नहीं बनना चाहती थी और फिर उनकी बातों से लग रहा था कि उन्होंने काफी मदद की है आपकी तो मैं कैसे भला….
मदद इतनी भी नहीं की थी जितनी आपने समझ ली उन्होंने बस हमें कुछ सालों पहले इस शहर में एग्जीबिशन करवाने में हेल्प की थी बस। इस बात के लिए हम उनका अहसान भी मानते हैं लेकिन उनके यहाँ न आने भर से हमारा कोई ज्यादा नुकसान नहीं होता हमारे पास उनसे भी हाई पोजीशन के क्लाइंट हैं। करोड़ो का नुकसान आपके लिए ज्यादा नहीं हैं? उसे थोड़ी हैरानी हुई लेकिन उसे तुरंत समझ आ गया कि सामने वाला कोई मिडिल क्लास फैमिली से नहीं आता वो सेल्फ मेड आर्टिस्ट है जिसकी पेंटिंग्स की मांग पूरे इंडिया में होती है । एक दिन में करोड़ो कमाने वाले के लिए एक दो करोड़ का क्या ही नुकसान! उसने तुरंत अपनी ही बात काट दी।
मेरा वो मतलब नहीं था मैं सिर्फ अपने पैसे के बारे में सोच रही थी।
काका लेकर आतें होंगे। वीर ने जवाब दिया और चुप हो गया थोड़ी देर शांत रहने के बाद कुछ सोच कर बोलते हुए कहा ,” चलिए आपको तो कोई और पसंद नहीं आयी मैं ही आपको अपनी पसंद की कोई पेंटिंग….
तकलीफ मत कीजिये मेरे लिए वीर जी। मुझे वही अच्छी लगी थी वो नहीं मिली तो मैं कोई दूसरा गिफ्ट तलाश करूंगी पापा के लिए लेकिन उसके बदले कोई दूसरी पेंटिंग नहीं लूंगी वरना मुझे याद आता रहेगा कि मैं अपने पापा के लिए परफेक्ट गिफ्ट नहीं खरीद पायी। उसने ये बात मुस्कुराते हुए कहीं थीं लेकिन इससे वीर थोड़ा भावुक और इमोशनल हो गया ।
वो पेंटिंग आपने अपने पिताजी के लिए खरीदी थी ?
जी अगले हफ्ते उनका बर्थडे आने वाला है और उन्हें घोड़ो की पेंटिंग्स बहुत अच्छी लगती है इसीलिए ।
I am sorry, हमारी वजह से आपका इतना कीमती तोहफा चला गया लेकिन अगर आप कहें तो तब तक मैं वैसी ही दूसरी पेंटिंग बना सकता हूँ!
क्या वाकई में वैसी ही दोबारा बना सकतें हैं आप । जी हाँ आप कहें तो उससे भी बेहतर । अभी दोनों बात कर ही रहें थें तभी जसवंत काका ने आकर नोटों की कुछ गड्डियां वीर के हाथ में दे दी और फिर थोड़ी दूर जाकर खड़े हो गएँ। वीर ने वो पैसे उसकी तरफ बढ़ा दिये ।
नहीं ये पैसे आप ही रख लीजिये वरना मेरे पास खर्च हो जाएंगे तो पेंटिंग भी नहीं ले पाऊँगी ।
मैम प्लीज आप इन्हें रख ले जैसे ही पेंटिंग का काम ख़त्म होगा हम आपको खबर कर देंगे तब अगर आपको पेंटिंग सही लगे तो पैसे दीजियेगा वरना कोई बात नहीं।
अरे ये क्या बात कर रहें हैं आप ? आपकी कला किसे नहीं पसंद आती हैं भला इसीलिए तो मैं अभी से ये पैसे….
मैम प्लीज ! उसने उसकी बात बीच में ही काट दी। अभी आप इस पैसों को रखकर न सिर्फ हमें खुलके मेरा काम करने की परमिशन देंगी बल्कि हमारी चिंता को भी दूर करेंगी। वीर ने फोर्स करके कहा तो उसने वो पैसे ले लिए।
थैंक्स मैम । अब आप बेफिक्र होकर घर जा सकती हैं आपके पिताजी के जन्मदिन से पहले ही उनका तोहफा तैयार हो जायेगा।
मैं आपसे फिर कहूँगी की सोच लीजिये क्योंकि पहले से ही इतना काम रहता है आपका उसपर से मैंने सुना है कि कलाकार किसी के कहने पर अपनी कला को मोडिफाई नहीं करतें वो वहीं करतें हैं जो उनके मन में आता हैं ।
सही सुना है आपने इसीलिए तो हम ये पेंटिंग बनाएंगे क्योंकि हमारा मन है इसे दोबारा से बनाने का ।
ओके तो फिर मैं चलती हूँ और हाँ थैंक्स कि आप मेरे लिए समय निकालेंगे। अच्छा हाँ मुझे कैसे पता चलेगा की मेरी पेंटिंग बन गयी है ?
ओह हाँ , क्षमा कीजिये । इतना कहकर वीर ने अपनी पॉकेट में हाथ डाला और एक कार्ड उसके तरफ बढ़ाते हुए बोला ,” आप इस पर कॉल कर लीजियेगा। उसने मुस्कुराते हुए वो कार्ड ले लिया और जाने लगी तो पीछे से फिर वीर ने उसे आवाज दी।
अच्छा सुनिए , अगर आप बुरा ना माने तो क्या हम आपके पिता जी का शुभ नाम जान सकतें हैं ?
जी जरूर , नागेश रंजन । वो अब भी मुस्कुरा रही थी।
और…. वीर ने अपना गला साफ करते हुए कुछ और पूछा । और जी क्या आप हमें …. अपना शुभ नाम बता सकती हैं । इतना तो उसने तेजी से कहा लेकिन बाद के वाक्य वो एक साथ बोल गया ,”हमें गलत मत समझियेगा हम तो बस इतना जानना चाहते थें कि हम ये पेंटिंग किसके लिए बना रहें हैं अगर आपको नहीं बताना तो मत बताइये।
करन. …!
जी ? सॉरी! वीर को लगा कि उसने कुछ गलत सुन लिया है। करन रंजन । वो दोबारा बोली ।
आपका नाम करन है ? वीर हैरानी से आँखें फैलाये हुए बोला । क्यों किसी लड़की का नाम करन नहीं हो सकता क्या? अब आप लोग नाम में भी अपनी ही मर्जी चाहतें हैं । उसने थोड़ा रूखेपन से कहा।
नहीं मैडम , ऐसा कुछ नहीं हैं आपने गलत समझ लिया हमें । दरअसल हमने आज तक किसी लड़की का नाम करन नहीं सुना था इसीलिए ।
आज सुन लिया ? उसकी आवाज से ही लग रहा था कि वो अंदर से काफी गुस्सा हो गयी है कोई मामूली आदमी होता तो हमेशा की तरह अच्छी-खासी बहस हो जाती अब तक लेकिन सामने जो था भले ही उसकी उम्र ज्यादा नहीं लग रही थी लेकिन समाज में सम्मान , रुतबा और कला सब करन से बड़े थें इसीलिये उसने ज्यादा कुछ नहीं कहा।
जी हाँ । वीर के मुँह से बस इतना ही निकल पाया क्योंकि वो खुद भी जान चुका था कि वो किस हद तक नाराज होगी। भले ही उसे हैरानी हुई थी लेकिन उसे दिखाना नहीं चाहिए था। पता नहीं क्या सोच रही होगी हमारे बारे में कि बनते तो बड़े कलाकार हैं लेकिन सोच है छोटी ही।
ओके थैंक यू । इतना बोलकर वो वहाँ से निकल गई और वीर उसे जाता देखता रहा ।
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