A Wild heart part – 26

 आधे घंटे तक वेद बँगले की छत पर घूम-घूम कर समीर को कुछ समझाने और समीर से कुछ समझने की कोशिश कर रहा था।सैम को यकीन दिला रहा था कि वो नंदिनी को संभाल सकता है और सैम से इजाजत पाने की कोशिश कर रहा था ये सब करने की। बहुत देर तक वो दोनों नंदिनी की हालत पर चर्चा कर रहें थें वेद ने नंदिनी कि जो बातें बतानी थीं बताई और जो बातें नहीं बताना चाह रहा था वो छुपा भी ली।पूरी बातचीत के दौरान वेद को लग रहा था कि वो समीर को समझा रहा हैं कि उन्हें नंदिनी पर भरोसा रखना चाहिए वो संभल सकती है लेकिन वेद का ये भ्रम टूट गया जब समीर ने ये कहते हुए फोन रखा कि ,” जानते हो तुम वहाँ हो तो वो संभल जाएगी तुम वहाँ न भी होते तो भी वो संभल जाती क्योंकि नंदिनी गिरती है टूटती है थकती है पर हारती कभी नहीं है और बिज़नेस में. …भाई बिज़नेस उनके खून में बहता हैं सनसाइन उसकी धड़कन है उसके बिना जिंदा नहीं रह पाएगी। वो शेरनी है अभी थक गई है तो क्या हुआ अभिनव को उसकी अगली और बहुत तेज दहाड़ के लिए तैयार रहना चाहिए क्योंकि उसके कान के परदे जाने की आशंका है।और हाँ उसका ख्याल रखना या ना रखना लेकिन उसके बारे में कोई गलतफहमी मत रखना। bye. …..! 

 फोन कट चुका था लेकिन वेद अभी भी फोन कान से चिपकाए खड़ा था शायद उसकी ये गलतफहमी कि वो नंदिनी को सबसे बेहतर समझता है , ये अभी-अभी दूर हुई थी इसीलिए खुद को नॉर्मल करने की कोशिश कर रहा था।

वेद छत पर था इसीलिए उसे नहीं पता चला कि नंदिनी के कमरे में कौन आया या गया लेकिन जब कमरे में दाखिल हुआ और अभिनव पर उसकी नज़र पड़ी तो उसका खून बिलकुल खौल गया लेकिन उसने खुद पर काबू पाने की जद्दोजहद शुरू कर दी और धीरे-धीरे करके पैर आगे बढ़ा दिए। नंदिनी हाथ में एक तकिये को दबाए बेड के सिरहाने बैठी थी और पूरी कोशिश कर रही थी सामान्य दिखने की लेकिन उसकी आँखों का डर , बेबसी दर्द वेद साफतौर पर देख पा रहा था इसीलिए उसके पास आकर वेद उसके कंधे पर एक हाथ रख के खड़ा हो गया बोला कुछ नहीं ना अभिनव से न नंदिनी से लेकिन उसका ये स्पर्श ही नंदिनी को हिम्मत बांधने के लिए काफी था।लेकिन अभिनव को अंदर से थोड़ा जलन महसूस होने लगी उसने अपने इमोशन को छुपाते हुए उस हाथ को पूरी तरह अनदेखा करने की कोशिश की। 

 चलो जो हुआ सो हुआ भूल जाओ सब ,मैं भी भूल गया हूँ कि कल तुमने मेरा सर फोड़ दिया था वैसे ही तुम भी भूल जाओ कि कल कुछ हुआ था। मैं नशे में था और नशे में ऐसा हो जाना कोई भारी चूक नहीं इससे तो तुम्हें सीख ही लेनी चाहिए क्योंकि वो मेरे हाथ थें जिनका छूना शायद तुम्हें अच्छा ही लगा हो लेकिन बिज़नेस लाइन में अगर कोई लड़की ऐसी ही जिद्दी बने रहें तो तो जाने कितने ही गंदे-गंदे हाथ उसे छूने की कोशिश करतें हैं। अभिनव पूरी कोशिश करने के बाद भी अपनी जलन नहीं रोक पा रहा था। तुम्हें मानना चाहिए कि वक्त आ गया है की तुम परदे के पीछे से बिज़नेस सम्भालो क्योंकि जिसका जो काम होता है उसी पे सूट करता है ये बात तुम्हें समझनी…..                          

 क्या खूब कही…..मगर किसने….? नन्दनी को कोई जवाब ना देता देख आखिरकार वेद बोल ही पड़ा “,ये बात आप पर सूट नहीं करती क्योंकि जंगलीपन,दरिंदगी जानवरों का काम होता है सो तो आप बखूबी करतें हैं फिर बिज़नेस तो इंसानों का ही काम है नंदिनी जी क्यों नहीं कर सकती। अब समझा कि इनकी कम्पनी लॉस की तरफ क्यों बढ़ रही हैं आखिर जिस कंपनी के CFO को ये न पता हो इंसान और जानवर में फर्क क्या होता हैं वो कम्पनी का फाइनेंशियल एस्टेट्स क्या खाक संभालेगा। I can’t believe that आपको CFO, CCO, CHO या फाइनेंशियल एस्टेट्स जैसे टर्म्स भी आतें होंगे मुझे लगा कि ऑफिस आप बॉस की लड़की पटाने, माल घुमाने ,धोखा देने और रेप करने की ट्रेनिंग लेने के लिए ही जातें हैं । दोनों की बहस के बीच ही रूपा बुआ कॉफी लेकर आतीं हैं और अभिनव को देने लगती हैं तो वेद उन्हें टोकते हुए बोलता हैं, ” बुआ ,कॉफी नहीं आस्तीन के सांप के लिए मलाई वाला दूध लाना था आपको। इसपर अभिनव गुस्से में अपनी कार की चाभी उठाकर बाहर चल देता हैं,वेद भी उसके पीछे ही कमरे के बाहर आ जाता है । 

तुम्हें नहीं मालूम तुमने कितनी बड़ी मुसीबत मोल ले ली है इसका अंजाम जब भुगतोगे न तो तुम्हारी रूह तक कांप जाएगी, तुम्हारा पूरा बदन रहम की भीख मांगेगा । 

 लो भाई मतलब की कसाई का काम भी करने लगे तुम , कुछ तो इंसानों वाला करो । 

 मेरा जंगलीपन तुमने देखा कहाँ हैं वो तो तुम अब देखोगे। सुन…..तुझे क्या लगता है कि मुझे तेरी तरह बेवजह के डायलॉग मरना आता हैं नहीं मैं जो करता हूँ सीधा करता हूँ चाहूं तो इन सब बातों का हिसाब यही पर बराबर कर लूं लेकिन बात ये है कि तू मेरा गुनहगार नहीं हैं और जिनका तू गुनाहगार हैं उनकी जगह मैं तेरे साथ कुछ करके उनका गुनाहगार नहीं बनूँगा लेकिन मेरी दिली ख्वाहिश है कि तू मेरे साथ कुछ कर ताकि मैं तुझे तेरी औकात दिखा सकूँ । इतना कह के वेद ने अभिनव की कार का दरवाजा बंद कर दिया और जाते-जाते बोला ,” और हाँ सुनो मेरे साथ कुछ करने से पहले ज़रा गूगल पे मेरे बारे में सर्च कर लेना वरना बाद में न बोलना कि बताया नहीं था कि मैं कौन हूँ।”

शाम में तनु जब नंदिनी से मिलने आयी तो उस वक्त वेद वहाँ नहीं था । जब रूपा से पुछा तो उसने बताया कि वो बाहर किसी काम से गएँ हैं । तो तनु सीधा नंदिनी के पास जाकर बैठ गई।वो लेटी थी तनु ने माथे पे हाथ रख देखा तो पाया कि नंदिनी को बहुत तेज बुखार है।उसे वेद पर बहुत गुस्सा आया कि वो इन्हें इस हालत में कैसे अकेला छोड़ सकतें हैं लेकिन फिर उसे ख्याल आया कि नंदिनी के सिवा भी उन्हें काम रहतें हैं कोई 24 घंटे एक ही इंसान को नहीं दे सकता। तनु ने रूपा से बर्फ और एक सूती कपड़ा मंगवाया ताकि नंदिनी के माथे पर पट्टी रख सके। जब रूपा पट्टी लेकर आयी तो बातों ही बातों में उसने आज अभिनव के यहाँ आने के बारे में बता दिया। इस पर तो कुछ खास नहीं हुआ तनु को लेकिन जब पता चला कि अभिनव ने नंदिनी को उलटी-सीधी सलाहें दी है और वेद उसे कार तक छोड़ के आया हैं तो तनु का खून खौल गया। गुस्से में उसने पानी से भरे कपड़े को इतनी तेजी से मुट्ठी में भींचा कि वो रुई का निचोड़ा हुआ फिहा मालूम देने लगा। इतना डर….? क्या उनकी बहन के साथ ऐसा हुआ होता तो भी ऐसे ही डरते वो? तब भी गलत के खिलाफ चुप रहते , मीडिया से डरते अभिनव से डरते..? चलो मैं ना सही लेकिन मैम के लिए तो एक बार……! उनकी जगह कोई भी दूसरा आदमी होता तो पता नहीं इन 24 घंटो में क्या से क्या कर दिया होता उसने..! तब तो जरूर जब अभिनव यहाँ तक आया था शायद अभिनव की लाश ही जाती यहाँ से ! यकीन नहीं होता खट््टहोंने उस अभिनव से बात की उसे कार तक छोड़ा?इतना डर गएँ वेद अभिनव से ?कोई मर्द इतना फट्टू, कायर और डरपोक हो सकता है ये इनसे पहले कभी नहीं देखा था। 

काश उनकी जगह आज मैं मैम के साथ होती या तो खुद मर जाती या उसे मार देती,वेद की तरह दुबक नहीं जाती। तनु का चेहरा लाल था और उसका हाथ अभी भी बर्फ के बर्तन में कपड़ा लिए जाम पड़ा था। मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था…..मुझे वेद पर भरोसा नहीं करना था,मैं ही बेवकूफ थी जो सोच लिया था कि वो हर मोड़ पर हर दर्द में मैम का साथ देंगे उनकी हिफाजत करेंगे, मुझे नहीं करना चाहिए था ऐसा इतना सोच के गलती ही कर दी मैंने।अच्छा ही करती है मैम जो इतनी सख्त है उन्हें हमेशा ही ऐसा रहना चाहिए और शायद मुझे भी….क्या फायदा ऐसी बाहों का जिनमें एक औरत की हिफाजत की ताकत ही ना हो? अपना बदला खुद लो कहके कोई बहुत बड़ा स्त्रीवादी तो बन सकता हैं लेकिन घर आए दुश्मन को सही-सलामत जाने देने पर वो मर्द तो नहीं रह जाता….। कितनी आसानी से कह दिया कि बाहर बात जाएगी तो बदनामी होगी….अरे अंदर बात छुपा के भी क्या हुआ नासूर ही तो बना, उनकी हिम्मत ही तो बढ़ी। कल उसका घर था हिम्मत बढ़ने से अब कभी मैम का घर होगा तो कभी मेरा और मिस्टर वेद बैठ के तमाशा देखेंगे बस हम दोनों की इज्ज़त का। तनु की आँखों से मूसलाधार आंसू निकल पड़े उसने वैसे ही पट्टी को वहाँ डाल दिया और अपना पर्स उठा कर घर जाने लगी,नंदिनी के आँखे खोलने का कुछ बोलने का इन्तजार भी नहीं किया ।                                                                 

 हवा के वेग से कमरे के बाहर निकली तनु कॉरिडोर में सामने से आतें वेद को देख एक पल को रुकी वेद ने उसे देखा मुस्कुरा कर अपना हाथ उसके कंधे पर रखने की कोशिश की लेकिन तनु ने कन्धा झुकाकर वेद को ऐसी धधकती आँखों से देखा जैसे भोलेनाथ ने त्रिनेत्र से कामदेव को देखा था।वेद ने तुरंत हाथ पीछे खींच लिया क्योंकि उन आग बरसाती आँखों का सामना करना उसके बस की बात नहीं थी और न इतनी हिम्मत ही थी कि इनकी वजह पूछ पाता। बस चुपचाप खड़ा उन आग के गोलों को दूर जाते देखता रहा,तनु ने धाड़ की आवाज के साथ दरवाजे को बंद करते हुए अपने और वेद के बीच एक मौन संग्राम का बिगुल बजाया था। 

 वेद हाथ में दवा की थैली लिए आगे बढ़ गया और तनु के बर्ताव को जहन से उतारने की कोशिश करने लगा शायद वो समझ गया था कि तनु को अभिनव के यहाँ आने के बारे में पता चल गया है।वैसे तो वो खुद बता देता लेकिन अब जैसी ऊपरवाले की मर्जी। अपनी बात को कन्फर्म करने के लिए उसने एक बार रूपा से पूछा और सारी बात जानकर रूपा के हाथ से पट्टी लेकर नंदिनी के माथे पर रखने लगा। बुआ थोड़ा गर्म पानी ले आइये इन्हें दवा खिलानी है। पता नहीं क्यों ये कहते-कहते वेद की आँखों में भी थोड़ा गर्म पानी भर गया था। रूपा के जाने के बाद वेद ने अपनी आँखों को अपनी ब्लैक कलर की शर्ट की बांह में पोछ लिया । उसने पानी की पट्टी नन्दिनी के माथे से हटाई वो पूरी गर्म हो चुकी थी पट्टी को निचोड़ा ठंडे पानी में डुबोया और उस पट्टी को नंदिनी के माथे पर रखने के बजाय अपने गर्म,नर्म और तपते होंठ उसके माथे पे रख दिए आँखे बंद करतें ही उसकी आँखों के दो गर्म आंसू लुढ़क कर नंदिनी के माथे पर गिर गए और उसकी आँखे खुल गई।


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