थोड़ा सा इश्क़ पार्ट 11

 हेलो दोस्तो कैसे हो आप आज आपको यह जानकर खुशी होंगी इश्कगली में थोड़ा सा इश्क़ का ये आखिरी सफर है यानी थोड़ा सा इश्क का ये अंतिम भाग है। ये कहीं emotionसे भरी हुई यदि आपने इस कहानी के पिछले भाग नही पढ़े तो पहले उन्हें जरूर पढ़े वरना अधे अधूरे सफर से मजा नही आयेगा। 

Parts= 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10

(अब आगे तभी जय का फोन बजा)

Aa

तभी उस का फोन बजा उसने फोन उठाया ।हाँ !उधर से देव की आवाज़ आयी।                             बोलो! जय ने कहा ।                              ये क्या सुन रहा हूँ मैं? (रितु देव को अपने दोस्त के साथ-साथ अपना भाई भी मानती थी जब भी जय से झगड़ा होता तो उसे ही सब बताती थी।)                        

 क्या ?जय यों बोला जैसे उसे कुछ पता ही नहीं हो।                                              

तुम रितु का फोन क्यूँ……                     

 जय-तुम्हें पता है मैंने उसका डर निकालने के चक्कर में उसे डर ही दिया है , और मैं ये भी जान गया हूँ कि वो मुझसे ज्यादा डर से प्यार करती है ,मैं समझ गया हूँ कि ये डर ही उसकी जिन्दगी है जिस दिन  ये डर खत्म समझो वो खत्म । अब उसके रास्ते अलग और मेरे अलग वो जिन्दगी भर अपने डर से प्यार करती रहे और मैं अपनी आवारगी पे वापस आ जाता हूँ जब वो थी तो जिन्दगी में एक ढहराव आ गया था अब वो नहीं है तो मैं फिर से आजाद पक्षी….। वैसे भी वो अपने भाई के साथ जा रही है तो अब हमारा साथ ही नहीं बचा। उसने एक अंगड़ाई ली और बोला “यार मेरे को नींद क्यूँ आ रही है इतनी?

  -तो तुमने सोच लिया है न ,

क्या तुम मुझे फ़ोर्स कर रहे हो?

नहीं भाई मैं कोई नहीं होता फ़ोर्स करने वाला , मैं बस पूछ रहा हूँ कि अबकी बार भी हर बार कि तरह ही की लड़ाई है न , तुम दोनों हर बार एक दूसरे को छोड़ देते हो और हर बार ही दो दिन बाद साथ में दिखते हो?काश इस बार भी ऐसा ही होता? 

लेकिन पता है हर बार दिल उससे नाराज़ होता था अबकी बार दिल उससे भर सा गया है , हर बार दिमाग ठिकाने से हट जाता था, इस बर दिमाग भी ठिकाने पे रहा और  दिल ठिकाने पर आ गया है , हर बार लगता था वो मुझसे प्यार करती है अबकी बार जाना की वो सिर्फ मुझसे डरती है।

जय, मेरे दोस्त मैं समझता हूँ तू क्या कह रहा है लेकिन एक बार अगर रितु का फोन उठा ले तो शायद वो कुछ कह पाये..?

अपनी मज़बूरी के सिवा वो कुछ और कह सकती है? जय ने सवाल किया।

देव जानता है कि उसका बेवकूफ दोस्त बिना रितु के रह नहीं पायेगा लेकिन वो सिर्फ जय को सलाह दे सकता है उसे बाध्य नहीं कर सकता रितु से बात करने के लिए…। फिर इन दोनों के रिश्ते की हकीकत जो लोग काफी पहले से जानते थे उनमे एक देव भी था।

अक्षय कुमार की नई मूवी आयी है कल कॉलेज के बाद देखने चलतें है बड़ा जबरदस्त एक्शन है यार उसमें। देव ने अक्की की आयी नई मूवी की तरफ पुरानी बात मोड़ दी

चल चल साथ में देखेंगे और मुदित ,अमित लोगों को भी ले लेंगे बड़ा मज़ा आएगा।

हाँ बड़ा मज़ा लेने से पहले छोटे मज़े के लिए भी तैयार रहना ।

मतलब? जय ने हैरानी से कहा।

विनीता मैम कल टेस्ट लेंगी यही बताने को कॉल की थी तुझे। देव ने पूरे मज़े के साथ  कहा उसका मज़ा दोगुना होता अगर वो जय के चेहरे की हवाइयां देख पाता इस वक्त ।

यार भाई क्या तू भी, कल मेरे को आना ही नहीं है मूवी किसी और दिन देख लेंगे।

फाइन पड़ेगा सोच ले । यकिनन ये देव के आनंद का चरमस्तर था।

अरे हाँ! जय ख़ुशी से बोला ,अपना भाई समीर जिंदाबाद है ना।  अब ये जय की ख़ुशी का चरमस्तर था और देव के दुःख का।

यार अब तो एग्जाम भी आने वाले है तुम लोग चीटिंग करोगे वो भी…..

रितु ने पहले ही मूड खराब कर दिया है अब  तू भी खराब कर ले ।जय ने हल्के गुस्से में कहा।

नहीं यार मतलब नकल से किसका भला होता है भाई?   

होता है भला होता है लेकिन तेरे जैसे दोस्त हो जिसके उनका भला नहीं होता, तू अपने भाई को दो पेज नहीं कॉपी करने देगा?

यार जाओ जो करना हो करो तुम लोगों का कुछ नहीं हो सकता।

तो तुझे हमारा कुछ करने को कहता ही कौन है ?

चल तू फोन रख …।

तूने मिलाया तू रख।

दोनों ने ही बात बदलने कि एक सफल कोशिश की हलाकि दोनों जान गए की बात बदली गई।

अगले दिन पूरे कॉलेज में ही सबको पता चल गया कि रितु अपने भाई के साथ चली गई है। लोग जय के लिए परेशान हो उठे जब उसे ढूंढ़ने लगे तो पता चला कि जय अपने ग्रुप के साथ मूवी देखने गया है।

  तो दोस्तों ये कहानी बस यही तक । उम्मीद करता हूँ आपको मेरे साथ इश्क़गली में सफर करने में काफी अच्छा लगा होगा। हो सकता है आप लोगों को मुझसे शिकायत हो कि इनकी प्रेम कहानी अधूरी क्यूँ? तो मेरा भी एक सवाल कि  जो प्रेम कहानियाँ पूरी नहीं होतीं तो क्या वे प्रेम कहानियाँ नहीं होती?  और वैसे भी ये कहानी सच्ची घटना से प्रेरित है। मैंने इसे दिमाग से रचा नहीं हैं बल्कि दिल से इसे संजो कर आपके सामने लाया हूँ। कैसी हैरानी हो आपको जो कहुँ कि इसमे एक किरदार मेरा भी है?

 जो लोग मुझसे पूछते हैं कि आप प्रेम कहानियाँ क्यों लिखते है उनके लिए जवाब है ये गुमनाम प्रेम कहानी , कि देखो भाई आसपास ही इतना ज्यादा प्रेम है तो कोई क्यूँ बेवजह कि दिल दुखाने वाली बातें लिखें। ना जाने आप में से कितनी ही लोगों कि लाइफ में कोई जयनेन्द्र (जय) हो , ना जाने कितनी रितु अक्सर आपके सामने से गुजर जातीं हो!

  तो बने रहिये मेरे साथ मैं वादा करता हूँ ऐसी गुमनाम सच्ची प्रेम कहानियाँ आपके सामने लाता रहूँगा जो आपको प्रेम करना सिखायेगी, अरे हाँ ये सब पढ़ने के बाद अगर आप सोच रहें हैं कि मैं प्यार में हूँ तो हाँ …. I am in love with myself 

      




share also

Leave a comment

error: Content is protected !!