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हैलो दोस्तों! आ गया हूँ आज मैं फिर वही दिल लेकर… अरे मेरा मतलबlove story in Hindi( A Wild Heart) का चौथा भाग लेकर यार। उम्मीद है आपने पिछले भाग खूब enjoy किये होंगे और कहानी आपको अच्छी भी लगी होगी। बस तो फिर क्या आज का भी भाग शुरू करते है बिना किसी देरी के।
तो क्या सोचा मैम? तनु ने टेबल पर फाइल जमाते हुए कहा। सोचना क्या है तुमने उनका सालाना टर्नओवर देखा कितना कम है, और शेयर भी Low prices पर हैं ऐसे में ये डील कर लेना रिश्की है काफी। नंदिनी पेन को उंगलियों के बीच घुमाती हुई कुछ सोच रही थी।
तो मैं मिस्टर अरोरा को बोल दूँ कि ये डील हम नहीं कर…. may I come in maam ! तनु की बात पूरी हो इससे पहले पहले ही एक आवाज़ आयी दरवाजे पर से। yes! come in!
मैम आपने अरोरा ग्रुप की सारी Financial reports study करने को कहा था तो मैंने पिछले 10 सालों का पूरा डाटा ध्यान से देखा,कहीं कोई भी गड़बड़ी नहीं और market rate कभी low नहीं हुआ high ही रहा हैं, 0.5%, 0.7% से लेकर पिछले साल 2% और इस साल तो 5% कभी भी 0.1% भी low नहीं गई हैं मार्केट वैल्यू। छोटी कम्पनी है लेकिन ईमानदार और मेहनती तो मुझे लगता है कि हमारी कंपनी को ये डील कर लेनी चाहि… wait … wait… क्या कहा आपने? नन्दिनी ने टेबल की तरफ झुकते हुए ऐसे कहा जैसे उसने सुना ही ना हो।
जी…मैं आपको अरोरा ग्रुप के fina….. ना …ना इसके बाद का। इसके बाद मैंने आपको ये बताया कि उनकी मार्केट वैल्यू……. हाँ बस सबसे लास्ट का बताओ।
मैंने ये कहा कि हमारी कम्पनी को उनके साथ डील करनी चाहिए, बस मैम इसके अलावा कुछ नहीं कहा। आपने कहा, मुझे मैम कहा लेकिन सर इस कंपनी के हेड तो आप हैं मुझे मैम क्यों कह रहें हैं? नन्दिनी अपनी कुर्सी छोड़कर वेद के चारों तरफ चक्कर लगाने लगी थी। आप इस कम्पनी के बॉस हैं सर आप जैसा कहें, Infact कहें ही क्यों सीधा sign ही कर दे कागजों पर…ये लीजिये। नंदिनी ने फाइल उठाकर वेद के आगे कर दी। I am sorry ma’am मैं सिर्फ अपनी राय दे….
हाँ हाँ जरूर ये कंपनी आपकी राय से ही तो चलती हैं, इतने सालों में मैं तो यहाँ peon का काम करती हूँ। नन्दिनी ने टेबल पर फाइल पटकते हुए कहा, look mr. आपका जो काम हैं वहीं करें किसके साथ क्या डील करनी है क्या नहीं ये आप मुझसे ज्यादा नहीं जानते सो ये मुझी पर छोड़ दें। फिर भी अगर सलाह देने का मन हो तो पहले खुद को उस लेवल पर लेकर आए कि सलाह दे सके । Now आप जा सकते है और प्लीज अपना ध्यान अपने काम पर ही रखे।
ओके मैम। वेद मुड़कर चल दिया दरवाजे तक ही पहुँचा था कि रुक गया और बोला,” मैं तो यहाँ अपना काम ही करने आया था लेकिन मैम शायद आपको allrounder बनाने की आदत है तो मेरा काम आप ही कर ले,मुझे कुछ ना करना भी बहुत अच्छा लगता है।” thank you maam . दरवाजा हलकी सी आवाज के साथ बंद किया जा चुका था। लेकिन नन्दिनी के लिए वो हलकी आवाज ऐसी थी कि किसी देश पर परमाणु फटा हो जिससे उसके कान के पर्दे फटे जा रहें हो। उसे ऐसा लग रहा था कि allrounder नहीं failure कहा हो। उसकी इतनी हिम्मत मुझे यानि नन्दिनी सिंघानिया को failure बोले ! हैं क्या वो मेरे सामने? जरूर अभिनव ने ही इसे बताया हैं कि नन्दिनी नाकाम हैं, नाकारा है। हाँ…. हाँ अभिनव ही मेरे फैसले पर अपनी राय देता था ये जरूर अभिनव की तरह मेरी कम्पनी बर्बाद करने … तनु ये कौन था? खैर जो भी था उसका Resignation letter उसको भिजवा देना शाम तक।
मैम! तनु बिलकुल हैरान रह गई। हाँ जैसे मैंने कहा वैसा ही करो क्योंकि मैं कोई दूसरा अभिनव नहीं बर्दाश्त कर सकती अब।
आप एक बार उनकी फाइल तो देख लेती मैम, अगर directors ने खुद उन्हें select किया हैं तो….. Director’s ने ? कैसे? ऐसे गैर जिम्मेदार , मुँहफट ,और दूसरों के काम में टांग अड़ाने वाले को…!खैर क्या खास है इसमें , जल्दी से इसके बारे में बताओ only 2 मिनट इससे ज्यादा वक्त मैं इसे नहीं दे सकती। नंदिनी कुर्सी पर गर्दन टिका कर बैठ गई लेकिन उसके इस अंदाज से ही लग रहा था कि वो कुछ भी सुनने को तैयार नहीं हैं। तनु ने तुरंत वेद की फाइल खोली और बताना शुरू किया ,” इनका नाम वेद भारद्वाज है, इन्होने 2 साल श्रीधर ब्रदर्स के साथ काम किया है उसके बाद अमरिका चलें गए वहाँ इन्होने केलिफोर्निया में क्लिंटान्स( एक प्रतिष्ठित कंपनी) के अंडर रहकर 7 साल तक बतौर CFO ……. what? नन्दिनी ने हैरान होकर तनु के हाथ से फाइल ले ली। yes मैम , अपने 9 साल के अनुभव के साथ उन्होंने 8 महीने पहले वो जॉब छोड़ दी, और हमारी कंपनी के Business analyst manager के Under काम कर रहें हैं। उनके बारे में उनके पुराने सहयोगियों का कहना है कि आंकड़ों को वो गिनते नहीं उनके साथ खेलते हैं। नन्दिनी ने जो सुना और फाइल में जो पढ़ा उसे यकीन नहीं हो रहा था कोई 38000 dollars की सैलरी छोड़ कर 70 हज़ार पर कैसे जॉब कर सकता हैं वो भी इतनी काबिलियत से भरा हुआ!
नन्दिनी का दिमाग चीते की चाल से भी तेज चलने लगा।वो पूरे कमरे में इधर से उधर चक्कर लगाते हुए अपने दिमाग की नसों को मकड़जाल की तरह उलझने लगी उसका ध्यान और किसी चीज़ पर नहीं था तनु पर भी नहीं जो फाइल और पेन लिए उसके सिग्नेचर का इंतजार कर रही थी।
वेद… वेद…वेद नहीं ऐसे कोई इतना बड़ा रिस्क नहीं उठाता ये जरूर कुछ गड़बड़ हैं ये वो नहीं है जिसे मैंने देखा ये वो है जिसे मैं देख नहीं पा रही लेकिन मैं क्या नहीं देख पा रही हूँ क्या बच रहा है मेरी नजरों से ? अभी तो मैंने उसकी पूरी फाइल पढ़ी। 38000 हज़ार डॉलर्स पाने वाले के खर्चे 70 हज़ार में तो नहीं पूरे हो सकते..! तो बाहर से भी पैसा? कौन? क्यों? क्या अभिनव? हाँ हाँ नंदिनी बस वहीं ये बिलकुल अभिनव की तरह ही है अभिनव का ही सिखाया हुआ। अभिनव ने ही भेजा है इसे अब देखो मैं क्या करती हूँ…
” मैम! पानी पी लीजिये” तनु उतनी देर से सोच में डूबी हुई नंदिनी के सामने गिलास कर देती है इस उम्मीद से की पानी पीने से उनका मन थोड़ा शांत हो तो वो फाइल पर हस्ताक्षर करवा कर चली जाए। नन्दिनी ने पानी का गिलास उठाकर बस एक घूँट पिया ही था कि गिलास वापस से प्लेट में रखते हुए बोली , ” तनु कल से तुम काम पे मत आना।” क्या…? एकदम से तनु के मुँह से आवाज़ निकली,वो पिछले 5 सालों से जबसे कंपनी बनी है तब से नन्दिनी की personal secretory है आज तक उसने ऐसा कोई काम ही नहीं किया जो उसे नंदिनी ने डांटा भी हो और आज…? मैम अगर कोई गलती हुई हो तो माफ़ी तो मिलनी…. आप ऐसा नहीं कर … मैंने कभी… नहीं…नहीं ऐसा कुछ नहीं है तनु, नन्दिनी ने उसके कंधों को अपनी दो हथेलियों से मजबूती से पकड़ लिया। ” मैं बस इतना देखना चाहती हूँ की मिस्टर वेद के दिमाग में चल क्या रहा है , कितने रुपये दिए है अभिनव ने इन्हें हमारी कंपनी बर्बाद करने के लिए? इन्हें तुम्हारी जगह पर रखकर कंपनी की हर बात बता कर देखना चाहती हूँ कि क्या ये मेरे हौसले को तोड़ पाएंगे, मेरे सपने को मेरी कंपनी को मिटा पाएंगे। इस बार मैं आरपार खेलना चाहती हूँ तनु ये लुकाछिपी वाला खेल मुझसे नहीं होगा। मुझे अभिनव से कोई दुश्मनी नहीं है लेकिन अगर वो मुझे अपना दुश्मन समझता है तो मैं उसे दिखाना चाहती हूँ कि असली दुश्मनी कहते किसे है। मैंने जब प्यार किया था उससे तब भरपूर किया था अब दुश्मनी करनी है वो भी जी भर के करुँगी, क्या है ना कि नंदिनी सिंघानिया कुछ भी बेदिली से नहीं करती जो भी करती है पूरी शिद्दत से करती है।
मैम….
जानती हूँ तुम क्या कहना चाहती हो यही ना की तब तक तुम क्या करोगी? तुमने कब से छुट्टी नहीं ली तनु अब वक्त है तुम हफ्ते-दो हफ्ते रेस्ट करो तब तक तो मैं उन दोनों के मंसूबे को ठिकाने लगा दूंगी और फिर तुमको…… नहीं मैम मैं ये नहीं कहना चाह रही थी बस जानना चाहती थी कि क्या एक हादसे के बाद जिन्दगी उसी पर ही घूमा करती है? हर आता-जाता शख्स, हर त्यौहार, हर मातम और हर मौका क्या उसी हादसे के बुलावे पर ही आते हैं? कोई भी खुशी सारी जिन्दगी को गुलनार बनाकर नहीं रख सकती तो कोई भी दर्द सारी जिन्दगी को बंजर बना कर कैसे रख देता है? कैसे किसी एक पर भरोसा टूटने से हर इंसान धोखेबाज नज़र आ सकता है? हर मौके को शक की नजरिये से देखना ठीक लगता है आपको मैम? तनु ये कहते हुए फाइल टेबल पर रख देती है और बाहर जाने लगती है, 6 बज चुका था मैम इसीलिए आपसे ये सब कहा अब मैं ऑफ ड्यूटी हूँ तो आप भी मुझसे कुछ कहना चाहे तो कह ले लेकिन बॉस बनकर नहीं। ये कहने के बाद तनु ने थोड़ी देर वेट किया लेकिन नंदिनी कुछ नहीं बोली चुपचाप अपनी कुर्सी पर बैठकर मैगजीन खोल के चेहरे के आगे कर लिया।
Then ok ma’am, आप मुझे भी मिस्टर अभिनव की पार्टनर समझे तो कोई हैरानी नहीं मुझे। चलती हूँ अपना ध्यान रखियेगा और शक से दूर रहिएगा।
दरवाजा फिर एक बार उसी अंदाज से बंद होता है लेकिन अबकी उसमें शोर नहीं था ज़रा भी नहीं वो जो हलकी सी आवाज़ उठी भी थी किसी कंचे की आवाज़ लगी वो जैसे किसी खाली फर्श पर गिरा हो छन्न् … की आवाज से पूरे फर्श पर लुढकने लगा हो…… उसकी फर्श जैसी सपाट जिन्दगी में क्या कोई पारदर्शी कंचा गिर सकता है कभी? जिसपर शक करने की कोई वजह ही ना हो उसके पास? आरपार देख ही उसके सारे शक दूर हो जाएँ? नंदिनी वो मैगजीन टेबल पर ही फेंक कर छत को निहार रही थी।
To be continued…..