Love story in Hindi (A Wild heart part-3)

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 अभी तक मैंने आपको Bold Boss lady नंदिनी की पिछली जिन्दगी से मुखातिब कराया है जो कि Business Industries की नई Queen बनती जा रहीं हैं। हर कम्पनी उनके साथ एक बार तो काम करना ही चाहती है। अभिनव से अलग होने की वजह से उसका कुछ नुकसान हुआ है शेयर मार्केट में शेयर भी गिर गए थे लेकिन जल्द ही उसने साबित कर दिया था कि एक औरत बिना आदमी के साथ के भी कुछ कर सकती है। अब कुछ चुनिंदा कम्पनियां ही है जो अभिनव के दबाव में आकर नन्दिनी के साथ कोई डील sign नहीं करना चाहती। अब मैं सोच रहा हूँ कि चलो नन्दिनी की वर्तमान जिन्दगी में भी झाँक कर देखते हैं क्या चल रहा हैं तो चलिए move करते हैं  कहानी के तीसरे पार्ट की ओर – 

👉a wild heart part1 

👉a wild heart part 2

दो बार पूरी-पूरी बेल बजने के बाद भी नंदिनी ने कॉल नहीं उठाई उसे कॉल से ज्यादा अपनी फाइल जरुरी लग रही थीं जिनपर वो sign कर रही थी लेकिन तीसरी बार जब कॉल आयी तो ना चाहते हुए भी उसे recieve करना पड़ा।     sorry bro! मीटिंग में थी so….                  
  जानता हूँ ये कुछ नया नहीं हैं तुम्हारा हमेशा से ही व्यस्त रहती हो तुम्हें 
फ्री रहना पसंद नहीं शायद…?                              
नहीं ऐसा नहीं हैं सैम मिलता हैं वक्त मुझे भी लेकिन सोचती हूँ कि पता नहीं आप फ्री हो ना हो…!                                        
बहाने ना बनाया करो नन्दिनी भले सालों से नहीं मिला हूँ तुमसे लेकिन आज भी तुम्हें उतना ही जानता हूँ जितना पहले जानता था समझी छोटी। खैर मैं भी किस बात को लेकर बैठ गया मैं तुमसे कुछ और बात करना चाहता था… टाइम होगा तुम्हारे पास अभी?

कोई जरुरी बात है क्या ? नंदिनी ने फोन बाएं कान से हटाकर दाएं कान में लगा लिया।         तो अब एक भाई को अपनी बहन से सिर्फ जरुरी बातें ही करने का हक़ है ऐसे कोई बात नहीं कर सकता क्या? हाँ ये भी सही ही हैं इससे तुम्हारा टाइम वेस्ट नहीं होगा मेरा क्या है मैं जैसा इंडिया में फालतू था यहाँ भी वैसा ही हूँ।                            

 आप छोटी-छोटी बातों पर ओवर रिएक्ट करना कब बंद करेंगे? इतना सोचना ठीक लगता है आपको सैम? मुझे व्यस्त कहकर और खुद को फालतू बोलकर क्या कहना चाहते हैं आप? अगर मैं इस बात को आपकी तरह ही सीरियस ले लूँ तो ये जवाब होता मेरा कि पापा के साथ महीने भर अस्पताल में रहने वाली मैं थी और उनके अंतिम दर्शन के लिए एक दिन की खातिर आने वाले इंसान आप थे भैय्या। नंदिनी गुस्से में थी ये अंदाजा उसकी सेकेट्री ने डोर से ही लगा लिया था और फिर चुपचाप बिना पीछे पलटे अंदर जाने से पहले ही बाहर आ गई थी।

love story in Hindi 

गुड़िया,पिछली बातें ना याद दिलाओ मुझे क्योंकि मैं जो समझाऊंगा तुम समझ नहीं पाओगी मैं आगे की बात करना चाहता हूँ तुम्हारी जिन्दगी की, तुमने तो अब कुछ समझना ही बंद कर दिया है लेकिन मीडिया में खबर सुनी तो रहा नहीं गया सोचा तुम अपना फर्ज भूलती हो तो क्या मुझे तो याद रखना चाहिए कि मैं तुम्हारा बड़ा भाई हूँ।                  

 नंदिनी ने किसी बात पर गौर नहीं किया सिवाय इसके की “मीडिया में खबर सुनी ” वो समझ गई की कौन सी बात करना चाहता है समीर, उसने पहले ही मना कर दिया ” सैम अगर तुम अभिनव के बारे में बात करने वाले हो तो पहले ही बता दूँ This is not good time for that bullshit.

मैं क्या करुँगा उसके बारे में बात करके जिसे मैं जानता तक नहीं। मैं तो हमारे बारे में सोच रहा था कि कब मैं तुम्हारे लिए इतना अजनबी हो गया कि तुमने ना मुझे अपनी सबसे बड़ी ख़ुशी में शरीक किया था ना सबसे बड़े दर्द में. ….. न्यूज़पेपर से पता चला था कि तुमने शादी कर ली उसी में ही पढ़ा की तुमने तलाक भी ले लिया। इतना बेगानापन…. एक फीकी हँसी उठी उधर से , मैं जानता हूँ की तुम रोज़ को बिलकुल पसंद नहीं करती लेकिन ये नहीं जानता था कि तुमको मुझसे या मेरे बच्चों से भी chidh हो सकती है।                                                          

जैसा आप सोच रहें हैं सैम वैसा बिलकुल भी नहीं हैं मुझे आन्या और आदित्य उतने ही प्यारे हैं जितने आप, अब तो रोज़ भी मुझे अच्छी लग…..हेलो आप सुन रहें हैं ना मुझे … हेलो, नंदिनी ने फोन कान से हटाकर देखा तो कॉल काटी जा चुकी थी। एक लम्बी साँस लेकर वो कुर्सी के सहारे गर्दन टीकाकार बैठ गई और फोन में कुछ करने लगी। तभी उसकी सेकेट्री ने आवाज़ दी। मैम आज अरोरा ग्रुप ऑफ फैमिली के CEO से मिलना था आपको at 11am , अगर आप अच्छा नहीं feel कर रहीं हैं तो मैं आपकी मीटिंग कल या जब आप कहें तब शिफ्ट कर दूँ? रहने दीजिए तनु, यही तो एक लोग हैं जो मेरे एक बार बुलाने पर चलें आतें हैं अपना हर जरुरी काम छोड़ कर बिना एक भी बहाने के। तुम चलो उन्हें बैठाओ मैं आती हूँ।       

 Are you sure ma’am ?                         Yes why not? I’m absolutely fine.                    

 नंदिनी ने अपना फोन औंधे मुँह टेबल पर फेक दिया, और उसी टेबल के सहारे ही खड़ी हो गई। खिड़की से आती धूप को देख कर उसका मन हुआ कि थोड़ी देर Sunbathe ले ले लेकिन डर गई की कहीं बदन ना चल जाए। 

अभी उस दिन बारिश से जल गई थी अब धूप से भी जलेगी क्या ? अभिनव के जिन्दगी में आने के बाद से पता नहीं क्यों हर चीज़ उसे जलाने लगी है। बच्चों की हँसी जला देती है बूढ़ो की दुआ से जलन उठती हैं हवा तक जलाने लगती हैं कभी-कभी उसे। ऐसा इसलिए की ये रिश्ता प्यार का परिणाम नहीं जलन का परिणाम था। उसे हमेशा से ही डर था कि कहीं अभिनव वापस से पुरानी कंपनी में ना चला जाए जो उसके स्वाभिमान को धक्का लगे। ऐसे में जब अभिनव आगे बढ़कर आया और उसका हाथ माँगा उसके पिता से तो उसने भी मना नहीं किया इससे एक तीर से दो शिकार किये थे तब नंदिनी ने एक तो अपने पापा की आखिरी इच्छा पूरी की थी और दूसरे हमेशा हमेशा के लिए अभिनव उसके पास रह जाएगा फिर कोई वजह कोई डर कोई जलन नहीं बेचेगी उसको उस कंपनी से। पुरानी कंपनी से नंदिनी को इस हद तक जलन थी कि उसने वही जलन वही गुस्सा अपनी जिन्दगी में घोल लिया सबसे पहले उसे अभिनव ने ही जलाया फिर धीरे-धीरे उसे हर चीज़ जलाने लगी। अपने घर में भी महीने के 5-7 दिन ही रहती हैं नंदिनी क्योंकि उसे वो घर भी जलाता है यही वजह हैं कि शहर में भी ज्यादा नहीं रहती। उसे हर चीज़ जलाती हैं क्योंकि शायद उसके दिल में ही आग सी लगी रहती है कभी उसका दिल शांत हो तो शायद उसे कुछ ठंडक लगे।                                           Ma’am! वो लोग आ गए हैं। लगभग आधे घंटे बाद तनु उसे बुलाने आयी तब भी नंदिनी वैसी ही खिड़की से खड़ी देख रही थी बाहर। इतनी जल्दी..? उसने मन में ही सोचा। अभी बस वो कुर्सी से उठी भर ही तो है। लेकिन उसने मन की बातों में ना आकर घड़ी की तरफ देखना ठीक समझा क्योंकि वो जानती हैं कि मन की बातें जितनी झूठी, जितनी अकाल्पनिक होती है उतना तो नींद में आया सपना भी नहीं होता। और सच में यहाँ मन का झूठ फिर पकड़ा गया दीवार घड़ी 11:10 बजा रही थी। oh no… वो कभी किसी काम के लिए लेट नहीं होती 1 मिनट भी पता नहीं कैसे आज 10 मिनट से ज्यादा लेट कर दिया उसने। वो तुरंत वाशरूम की तरफ गई। हे भगवान, शुक्र है घड़ी बनाने वालों का वरना इंसान की पर्सनालिटी ही खराब हो जाए। गँवार मन के चक्कर में पढ़ा लिखा वक्त बर्बाद हो जाता है। अगर घड़ी ना होती तो कितनी मनमानियां करता ये मन? घड़ी, घड़ी नहीं कभी-कभी जिन्दगी की सुई होती है उसकी tik – tik में लगता हैं जैसे इंसान का दिल धक्-धक् कर रहा हो। नंदिनी जैसी समय की पाबंद लड़की के लिए तो घड़ी ना हो गई किसी मंदिर में रखी मूर्ति, जिसका दिन में 2 बार दीदार ना करें तो जीवन व्यर्थ लगने लगता हैं उसका।                     

   नंदिनी लपक कर वाशरूम से बाहर आयी तब तक तनु सारी फाइल्स समेट कर पकड़ चुकी थी। नंदिनी आगे आगे चल दी और पीछे-पीछे तनु।

                           To be continued…..

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