Love story in Hindi (A wild heart part-6)

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 ये शक भी बड़ी बुरी बीमारी हैं बाबूमोशाय,आदमी को चैन से जीने ही नहीं देती! अभी नन्दिनी को ही ले लीजिये कितनी साहसी,हिम्मती,फौलादी,जिद्दी और निडर हैं फिर भी एक शक नाम की बला उसकी इन सारी खूबियों पर हावी रहती हैं। मानता हूँ मैं कि जब बार-बार भरोसा टूटे तो आदमी हर रिश्ते पर शक करने लगता हैं लेकिन इतना शक…?कि अपने वजूद पर ही ना यकीन न रह जाए। ये मुझे ठीक नहीं लगता और किसी की नजरों में होगा पर मैं इसे फिर भी सही नहीं मानूंगा। ज़रा देख लीजिये कहीं आप भी तो किसी शक का शिकार नहीं हैं! क्योंकि अगर ऐसा हैं तो ये शक भले ही आपको बाद में खाए लेकिन आपके रिश्तों को पहले खा जाएगा ।इसीलिए ज़रा सावधान रहें इससे। खैर हम नंदिनी की बात पर वापस आतें हैं कि क्यों वो इतने शक्की मिजाज की हैं कि पत्ते के हिलने पर भी उसे आंधी आने का शक होता है। अगर आपने अभी तक इस कहानी के पिछले पार्ट नहीं पढ़े तो पहले उन्हें जरूर पढ़े ।

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भैया ये क्या है? नंदिनी पूरे आवेग से समीर के आगे कागजों का बंडल फेंकते हुए कहती हैं।                                               

 ये क्या बत्तमीजी हैं छोटी, समीर त्योरियां चढ़ाते हुए बोला। बदतमीजी ये नहीं है जिसपर आप ध्यान दे रहें हैं बत्तमीजी वो हैं जिसपर आप ध्यान नहीं दे रहें हैं ,आप ऐसा कैसे कर सकतें हैं सैम।

देखो मैंने जो भी किया हैं ना वो मेरा तुम्हारा भविष्य बनाने के लिए किया हैं। सैम नंदिनी के पास जाते हुए हलके अंदाज़ मे बोला।

कैसा फ्यूचर भैया? पापा का प्रेजेंट खराब करके आप अपने फ्यूचर की सोच रहें हैं , शर्म नहीं आती आप….               

 नंदू…. कितनी तेज चीखा था सैम उसके ऊपर! तुम्हें मैं चोर या झूठा नज़र आता हूँ जो शर्म करुँ?                                       

हाँ हैं आप झूठे वरना डैड की रिपोर्ट्स में ये …ये प्रॉपर्टी के कागज नहीं मिलते मुझे। नंदिनी का गुस्सा उसके शब्दोंं के साथ-साथ उसकी आँखों से भी बहने लगा था।          .              

छोटी समझ बात को मुझे अमेरिका जाना है फिर इस साल तेरा भी तो स्कूल कम्प्लीट हो जाएगा तो तुझे भी तो बाहर किसी यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेना होगा ना। सैम ने उसे समझाने के लहज़े में कहा। 

जाना हैं भैया पर डैड की प्रॉपर्टी बेचकर नहीं अपनी मेहनत से।तो मैं कहाँ डैड के पैसों पर ऐश करने जा रहा हूँ वहाँ मुझे जॉब मिल रही हैं नंदिनी, वो जॉब ज्वाइन करते ही मैं ये प्रॉपर्टी वापस खरीद लूँगा। वैसे भी ये ज़मीन ऐसे ही पड़ी है कबसे और आगे भी ना जाने कब तक पड़ी रहे। इसीलिए मैंने सोचा कि….और फिर बेची भी तो रिश्तेदारी में ही हैं और उनसे कह भी दिया है दो चार साल में ये ज़मीन मैं उन्हीं से ही वापस खरीदूंगा। डैड के पास तो अभी इतने पैसे है नहीं कि मुझे बाहर भेज सके ये जानते हुए भी मैं उनसे पैसों के लिए कहूँ तो वो दुःखी हो जाएँगे फिर तबियत तो वैसे भी नहीं सही चल रही आजकल।इसीलिए उन्हें बिना बताए मैंने उनके सिग्नेचर ले लिए है इसपर ।   



नहीं ऐसे नहीं आपको एक बार डैड से पूछ तो…..                    
 तुम पागल हो? डैड भला माँ की ये आखिरी निशानी बेचने देंगे मुझे? मत भूलो ये माँ को नाना जी ने दी थी और उन दोनों के बाद डैड इसकी देखभाल कर रहें हैं। भैय्या मुझे ये सही नहीं लगता फिर क्यों कर रहें हैं आप ऐसा हॉस्पिटल के बहाने आप एक हफ्ते से कोर्ट के चक्कर लगा…. तुम्हारी उम्र ही क्या हुई है सही या गलत लगने की? अभी 16 की हो तुम, मैं जब तुम्हारी उम्र में था तो स्कूल से घर और घर से स्कूल इतना ही मतलब रखता था मैं।कभी अपनों से बड़ो के काम में कोई दखल नहीं देता था। उस दिन की बहसबाजी पता नहीं आज क्यों याद आ रही है नंदिनी को शायद इसलिए क्योंकि आज वेद उसे शक्की बोल रहा है और वो अपने शक्की होने की वजह से तलाश रही है। कितना ही तो उसने वो प्रॉपर्टी वापस लेने की कोशिश की थी उन लोगों से मामला कोर्ट तक पहुँच गया था। थक-हारकर नंदिनी ने अपनी ही ज़मीन तिगुने दाम पर खरीदी थी पर उसका भाई समीर एक भी सुनवाई के लिए वापस नहीं आया था अमेरिका से बल्कि जो रुपये भी ले गया था वो भी रोज़ को दे दिए थे। जब उसने इसकी वजह पूछी थी तो कहा था कि रोज़ को बहुत जरुरत थी इसीलिए वो पैसे उसे दे दिए। धोखा खाने की शुरुआत उसी कच्ची उम्र से ही हो गई थी और शक करने के भी।

वेद इतना सब कह रहा था लेकिन नंदिनी को ज़रा भी अफ़सोस नहीं लग रहा था,बल्कि वेद जब जाने लगा तो उसे रोकते हुए नंदिनी बोली ” मिस्टर वेद, हमारे यहाँ काम करने वाले लोगों को हमारे यहाँ के रुल्स भी फॉलो करने होते हैं। हमने आपको नौकरी दी है आपकी एबिलिटी पर, वैसे ही अगर आपमें कोई कमी निकली तो आपको जॉब से भी निकाल देंगे।बिना किसी कारण या कमी के ना हम आपको निकाल सकते हैं और ना आप ये जॉब छोड़ सकते हैं सो प्लीज इसे ले जाइये और कल से अपनी CFO की position संभालिए, और हाँ मुझे नहीं लगता कि पर्सनल इश्यूज का असर प्रोफेशनल वर्क पर पड़ना चाहिए Am I right mr Ved? वो लेटर को वेद की तरफ बढ़ा चुकी थी। 

 मैम, मुझे नहीं पता आप सही हैं या नहीं लेकिन मुझे इतना जरूर पता है कि जब आप किसी गलती पर हो और आपको ये अहसास हो जाए कि ये गलती मुझसे हुई हैं तो माफ़ी मांगने में कोई हर्ज नहीं होती बल्कि दिल को ही अच्छा लगता हैं। आप अपनी गिल्ट को उसकी मदद करके, उससे प्यार से बात करके या कुछ ले-देकर कम तो कर सकते हैं लेकिन खत्म नहीं कर सकते लेकिन जब खुले दिल से गलती मानते हुए माफ़ी मांगते हैं तो खुद को भी अच्छा लगता है उसको भी। 

                      भले ही माफ़ी सुनाने में काफी छोटा शब्द हैं लेकिन इसे कहते हुए पूरी जुबान टेढी हो जाती हैं मैम। काफी जिगर वाले लोग होते है वो जो खुले दिल से माफ़ी मांगते हैं am I right ma’am? वेद आहिस्ते से लेटर नंदिनी की उंगलियों से खींच लेता हैं और बिना पलटे ही बाहर निकल जाता है। नंदिनी का हाथ वैसे का वैसा ही बढ़ा हुआ रह जाता है वो उसे वापस से पीछे खींच ही नहीं पाती।ऐसा मालूम हो रहा है उसे कि वेद कुछ लेकर नहीं अपनी तरफ उसका हाथ खींच कर उसपे कुछ देकर गया हैं क्या? माफ़ी? और उसे? उसे क्यों ? वो तो कभी कोई गलती करती ही नहीं उससे फिर जब गलती नहीं हुई तो माफ़ी क्यों देगा वो, फिर किस हक़ से माफ़ी देगा वो उसे…?…. क्या गलती करने वाले और गलती सहने वाले में किसी हक़ के सम्बन्ध का होना जरुरी हैं? नंदिनी ने झट से अपना हाथ पीछे खींच लिया इससे पहले की किसी की नज़र पड़ती उसपर।वो अपनी कुर्सी की तरफ गई एक उसपर ऐसे बैठी कि लग रहा था गिर गई हो। अपने ही हाथ से उसे पानी का गिलास उठाना पड़ा। काश! तनु होती तो उसे तुरंत संभालती और अपने हाथ से पानी पिलाती। इस…इस वेद को भी सही करके आती की उसे मुझसे कैसे बात करनी चाहिए। पर उसने भला क्या कहा मुझसे? सिर्फ इतना ही ना कि गलती होने पर माफ़ी माँग लेनी चाहिए। लेकिन मेरी गलती..? थोड़ा सा शक हो गया था मुझे उसपर बस… किसी पर शक कर लेना तो कोई गलती नहीं हो जाती..? क्या मैं सच में गलती कर बैठी हूँ…? नंदिनी एकदम से कुर्सी से उठ खड़ी हुई टेबल पर से कार की चाभी उठाई और तुरंत केबिन के बाहर निकल गई आज शायद वो अपने उसी भरे शहर में तन्हा से बने घर जा रही हैं। उसका दिल भारी हैं वो उदास है शायद उसे लग रहा है कि उससे कोई गलती हुई है लेकिन नंदिनी सिंघानिया से गलती? नहीं कभी नहीं , मुझसे सिर्फ एक बार गलती हुई थी सिर्फ एक बार जब मैंने अभिनव पर भरोसा किया था बस बाकी मुझसे कभी कोई गलती नहीं हुई। नंदिनी अपनी कार सड़को पर दौड़ाने लगी अकेली। वो हस्ती तो बहुत बड़ी है लेकिन अपनी कार ड्राइव करना उसे खुद ही पसंद है। 

शायद वो आज घर पर जाकर बियर पीना पसंद करेगी क्योंकि वो जब भी परेशान होती है उसे अपनी पसंद कि रेड वाइन ज्यादा हमदर्द लगती है।

             To be continued……

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