Love story in Hindi(A wild heart PART 7)

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 हैलो दोस्तो कैसे है आप सब, आशा है आप सब मस्त होंगे और बड़ी ही बेशब्री से इंतजार कर रहे होंगे love story in hindi ( A wild heart )के अगले पार्ट का, तो मैं आपको  ज्यादा इंतजार  नही कराऊंगा इतना busy होने के बाद भी आपके लिए आपकी favorite story,A wild heart का सातवां पार्ट लेकर आया हूं। दोस्तों यदि स्टोरी अच्छी लग रही हो तो प्लीज इस मजेदार कहानी को शेयर करते रहे और हां किसी ने यदि इस कहानी के पिछले भाग नहीं पढ़े तो पहले उन्हें जरूर पढ़े।

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छत से कुछ गिरकर टूटने कि आवाज़ सुनकर, रूपा सीढ़ियों पर ही एकदम से रुक गई। एक दो बार नंदिनी को आवाज भी दी, मेमसाब…. मेमसा… रूपा सोच में पड़ गई कि अचानक क्या हो गया अभी तो दोबारा बर्फ मंगाई थी उन्होंने वही तो देकर पलटी ही है इतने में ग्लास टूटने की आवाज…कुछ हो-हवा तो नहीं गया हाय राम ! रूपा लंबे-लंबे डग भरकर वापस छत की तरफ बढ़ी ही थी कि उन्हीं सीढ़ियों पर फिर जम गई ।

नंदिनी को बिलकुल नहीं पसंद होता है जब वो अकेले बैठकर पार्टी कर रही हो तो कोई भी उसके पास आए, जब अभिनव से अलग हुई थी तो सारी रात शराब पी थी और वहीं गिर पड़ी थी किसी इंग्लिश सॉंग पर नाचते-नाचते। उसके गिरने की आवाज सुनकर तेजू और रूपा बेचारे दौड़े-दौड़े उसके पास पहुंचे थे लेकिन नंदिनी ने उनका अहसान मानने के बजाय खूब सुनाया था, बहुत गालियां बकी थी उन दोनों को बिना ये देखें कि उन दोनों की उम्र उससे दोगुनी है और जितनी उम्र की वो है उसी के आसपास उन दोनों की एक बेटी है ,इतना ही नहीं धमकी भी दी थी कि अगर आगे से कभी उन दोनों ने उसे डिस्टर्ब किया तो दोनों को ही नौकरी से निकाल देगी। रूपा थोड़ा और आगे बढ़ी लेकिन उसका दिल जोर-जोर से धडकने लगा था और पिछला वाला सारा किस्सा आँखो के सामने बेशर्म बनकर नाच रहा था। 

A wild heart love story in HINDI


 उसने साड़ी के पल्लू से अपने माथे का पसीना पोछ दो सीढिया और पार कर ली। क्या करुँ…? चुपके से देख के वापस आ जाउंगी… हाँ ये सही रहेगा चुपके से देखूंगी कोई दिक्कत तो नहीं है फिर दबे पाँव वापस आ जाउंगी उनको डिसटरब भी नहीं होगा।मात्र इसी एक युक्ति से रूपा के पैर पहले से स्थिर और तेज हो गए थे वो छत के पास पहुंची तो हलके से छत का दरवाजा खोला कि नंदिनी देख ना ले जो नाराज हो। लेकिन छत पर जो देखा तो डर गई नंदिनी फर्श पर पड़ी थी और उसके हाथ में टूटा हुआ ग्लास दिख रहा था। रूपा ने अपने डर को भरसक रोकने के बाद दो बार नंदिनी को आवाज दी लेकिन कोई जवाब नहीं मिलने पर उसने कांपते पैरों से छत का रुख लिया। वो हलके-हलके पैर बढ़ा रही थी कि अगर वो होश में हुई तो अभी बिगड़ जाएँगी और उसकी वजह से उसके पति की भी नौकरी चली जाएगी। लेकिन मानना पड़ेगा रूपा की हिम्मत को वो नंदिनी के पास तक पहुँच ही गई। मेम… मेम.. वो झुककर नंदिनी को छूने ही वाली थी कि नंदिनी आ..अ.. ह कि हलकी सी सिसकी के साथ पलट के पीठ के बल हो गई। रूपा डर गई और सोचा कि चुपचाप नीचे चली जाए और वो ऐसा करती भी लेकिन उसके कानों में फिर नंदिनी की अ.. अ.. ह की आवाज पड़ी तो वो उसका चेहरा देखने लगी। उसके बाद ऊपर आसमान की तरफ देखा, आसमान बिलकुल नीला तारों से भरा हुआ था हाँ कुछ तारों पर सफ़ेद-सफ़ेद कुहरे का कम्बल जरूर पड़ा था जो ये बताने के लिए काफी था कि सर्दी दस्तक दे चुकी है। हवा भी बह-बह के उन कोहरे के कम्बलों को नोच-नोच कर नीचे फेंक रही थी,

A wild heart love story in HINDI


फिर उसने नीचे देखा एक 25-26 साल की कुम्भलायी और चोट खायी हुई लड़की पड़ी है उसके हाथों से और सर से भी थोड़ा खून बह रहा है, और आसपास बिखरी पड़ी शराब इस बात की गवाही दे रही हैं कि उसके अंदर कोई दर्द आज फिर चीख रहा होगाउसकी सलोनी भी तो तो कभी-कभी ऐसे ही छत पर सो जाती है तो दोनों माँ-बाप कैसे उस 19 साल की लड़की को 9 साल की बच्ची समझ कर उठा लाते हैं कमरे में सुलाने के लिए। क्या इसे ऐसे ही पड़े रहने दूँ दर्द और ठण्ड में क्योंकि इसके माँ-बाप नहीं हैं….? अचानक से ही रूपा के दिल में नंदिनी के लिए ममता आ गई अभी जिस जगह पर डर कुंडली मारे बैठा था वहाँ ममता पैर पसार कर लेट गई। सफ़ेद चांदनी में नंदिनी का सफ़ेद चेहरा भी रौशनी फैलाने में उसकी मदद कर रहा था लेकिन माथे पर बहते लाल रंग के कतरे कुछ मनहूसियत कर रहें थे जिन्हें रूपा ने अपने आंचल से पोछ कर मिटाने की कोशिश की। उसने नंदिनी को बाहों में भर लिया और उठाने के लिए थोड़ी ताकत भी लगाई लेकिन उसे जल्द अहसास हो गया कि 53 साल के उसके बूढ़े कंधे एक 26 साल की लड़की का जवान जिस्म सँभालने के लिए काफी कमज़ोर है। वो असहाय हो इधर-उधर देखने लगी। आज तो सलोनी के पापा भी नहीं आए हैं जो उन्हें ही आवाज़ लगा देती उन्हें भी आज ही बीमार पड़ना था..! वो बहुत परेशान सी हो गई एक बार फिर उठाने की कोशिश की लेकिन नहीं उठा पायी,थक कर उसे सीधा ही लिटा कर कुछ सोचने लगी। यहाँ किसे बुलाने जाउँ.. आसपास तो कोई घर भी नहीं हैं.. नासिक बाबू का घर भी 8-9 सौ कदमों की दूरी पर होगा… पंडिताइन का….अरे… इतना सोच डाला… नीचे वाले भारद्वाज बाबू का तो याद ही नहीं आया… आज वो भी देख ले जिनके घर में रहते हैं उस घर कि मालकिन का चेहरा कैसा हैं? अभी तो वो जग ही रहें होंगे बखत ही कितना हुआ है 12 बजने वाले होंगे शहर वाले तो 12 पीते-पिलाते ही बजा देतें हैं। अगर सो भी गए होंगे तो क्या कुछ हर्ज होगा जागने में? जिसके घर रहते हैं कुछ तो फर्ज बनता हैं ना उसके लिए! ये खयाल आते ही रूपा नंदिनी को छोड़कर नीचे की तरफ लंबे पैरों से भागी।

बुआ, आप मुझे इनका कमरा दिखाओ आगे-आगे चलकर मैं इन्हें लेकर आपके पीछे चलता हूँ। इतना कहकर उसने नंदिनी को अपनी मजबूत बाहों में उठा लिया। इस सफ़ेद चांदनी के माहौल में उसकी बांहों में लालपरी थी वो भी लाल रंग से रंगी हुई

A wild heart love story in HINDI

 हाँ सच में नंदिनी लाल रंग के हलके से gown में लालपरी ही लग रही थी और उसके हाथों पर और चेहरे पर लाल लाल खून की बुँदे पड़ी थी जो शायद उसके हाथ से ग्लास छूटने और फिर उसी ग्लास पर उसके गिर जाने से उसे लगी होंगी, नशे में होने की वजह से खुद को थोड़ा भी संभाल नहीं पायी होगी जब सर के बल गिरी है तो इसीलिए शायद माथे पर भी चोट लगी हुई है। भारद्वाज बाबू क्या इसे हॉस्पिटल लेकर चलना पड़ेगा? देखिये खून बह रहा है अभी भी। नंदिनी के बिस्तर पर लेट जाने के बाद उसकी चोटें देखते हुए रूपा बोली। उसकी कोई जरुरत नहीं है बुआ आप मुझे फर्स्ट एड बॉक्स दीजिये अगर हो तो..। वो स्टूल खींचकर नंदिनी के ही पास बैठ गया और अपने रुमाल से उसके जख्मों को साफ करने लगा। हाँ देखती हूँ। रूपा इतना कहकर कमरे के बाहर चली गई।          वो उसी तन्मयता से उसके घाव को साफ कर रहा था जैसे पहले। इतनी नरमी बरत रहा था उसके हाथ से कांच निकालते हुए जैसे चोट नंदिनी के नहीं उसके बदन पर हो। तरस आ रहा था उसे नंदिनी पर… बेचारी… सारा दिन कितनी मजबूती से पूरी मुस्कुराहट से लोगों से मिलती हैं , पूरी हिम्मत से हर फैसला लेती है,जज्बे से दुश्मनी भी लेती है, सबके सामने कितनी परफेक्ट लगती है! कोई अभी देखें इस कमज़ोर, टूटी, थकी-हारी लड़की को कोई मानेगा सुबह वाली नंदिनी रात में ऐसी हो जाती है?

A wild heart love story in HINDI 


किस चीज़ की तलाश में आयी होगी आज इतने दिन बाद यहाँ? उसके जहन में ये सवाल आया और साथ में जवाब भी मिल गया, सुकून की, सुकून…? जोकि उसे दुनिया के किसे कोने में नहीं मिलता यहाँ क्या खाक मिलेगा! हाँ शराब की बोतलों में जो नशा बंद है उसे अगर ये शराब मानती हैं तो मैं ये सोच सकता हूँ कि दुनियाभर का सुकून इसने यहाँ अलमारियों में बंद रखा हैं। एक भरी-पूरी नज़र उसने फिर नंदिनी के चेहरे पर डाली, कितना टूटा-बिखरा सही लेकिन उसका चेहरा अभी भी बेहद दिलकश लग रहा था। वो चेहरा जो उसने कभी इतने करीब से नहीं देखा आज पहली बार उसे इतने करीब से देखा रहा है इतने करीब से कि लग रहा हैं बस सांसें ही बीच में एकमात्र दिवार हैं, वो चेहरा जो हमेशा बोलता हुआ ही नज़र आया हैं आज पहली बार ऐसे खामोश है जैसे कभी बोलता ही ना हो……। रूपा दवाई का डिब्बा ले आयी तो उसने नंदिनी के घाव की पट्टी कर दी। डिब्बे में कोई खाने वाली दवाई नहीं मिली तो नीचे जाकर अपनी ही दवाइयां ले आया। वैसे तो वो दवाई खाता नहीं हैं लेकिन रखे जरूर रहता है कि क्या पता कब काम लग जाए। बेहोशी की हालत में उसे दवा खिलाना काफी मुश्किल था लेकिन उसने और रूपा ने मिलकर इसे भी आसान बना दिया। सब हो जाने के पास वो वहीं कमरे में कुर्सी पर बैठ गया और रूपा से सोने को बोल दिया।

A wild heart love story in HINDI

 नहीं बाबू, आप ने इतना कर दिया यही बहुत हैं अब आप सो जाइये जाकर मैं यहाँ जग लूंगी पता नहीं मेम को कब होश आ जाए कब किसी चीज़ की जरुरत लग जाए। रूपा वही फर्श पर कुछ बिछाने लगी। बुआ ये उम्र नहीं हैं आपकी अब जगने की, फिर मैं हूँ ना नंदिनी जी के पास, मैं जानता हूँ इन्हें सच में। अब आप जाइये सोने अगर मुझे कुछ समझ नहीं आया तो मैं आपके पास आकर पूछ लूँगा ना।

पर बाबू…..  

पर वर कुछ नहीं आप सोइये जाकर अब मुझे वैसे भी नींद नहीं आ रही है। उसके इतना कहने पर रूपा नीचे सोने चली गई और वो उसी कुर्सी पर रतजगा करने के लिए बैठ गया। उसकी आँखे अभी भी नंदिनी के चेहरे पर ही टिकी थी जैसे वो नंदिनी का सारा दर्द पढ़ रहा हो अपनी आँखों से,जैसे वो कोशिश कर रहा हो एक मासूम और खूबसूरत कहानी के भयानक और दर्द भरी बनाने वाले लोगों के बारे में जानने की, जैसे वो कोशिश कर रहा हो एक 14 साल की लड़की को 10 साल बाद भी 14 साल की ही देखने के लिए, जैसे वो कोशिश कर रहा हो पहला प्यार दोबारा होने के लिए……।       

       To be continued……

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