A Wild heart( love story in hindi) episode -33

 सच में बहुत डर गया था मुझे लगा कि कहीं तुम्हारे मुँह से कुछ सच ना निकल जाये । वेद नंदिनी और तनु वार्ड में बैठे बातचीत कर रहें थें।आज वेद को डिस्चार्ज होना था इसीलिए इसीलिए वो हॉस्पिटल की फॉर्मेलिटीज पूरा कर रहा था ।

कैसा सच? मैंने कोई झूठ बोला है क्या ? मै तो वहां सच ही बोल रही थी की तरुण की जान अभिनव ने ही ली है । अगर अभिनव तरुण के साथ मिलकर मेरे साथ ये सब नही करता तो उसकी जान जाती ही क्यों । नंदिनी ने बिल्कुल शांत लहज़े में वेद की बात का जवाब दिया । 

मुझे लगता है कि मै आप दोनो के लिए कॉफी मंगवा लूँ? क्योंकि मैम तो काफी थक चुकी है और सर आप भी थोड़ा अनकम्फर्ट है। तनु ने दोनो के चेहरे को गौर करते हुए कहा ।

नहीं तो , मैं बिल्कुल रिलैक्स हूँ, हाँ मैम जरूर परेशानी में दिख रही है। शायद कोई बड़ी बात है। वेद नंदिनी के चेहरे पर आ जा रहें भावों को उतनी देर से पढ़ने की कोशिश कर रहा था । 

हूँ तो..लेकिन ज्यादा नहीं जो होगा वो भी देखा ही जायेगा जैसे अभी तक मैनेज किया है आगे भी करूंगी ।  

कोई बड़ी बात है क्या मैम जो इतना परेशान कर रही है आपको? तनु नंदिनी की कुर्सी के पास आकर खड़ी हो गयी । जाहिर सी बात है नंदिनी जी कभी छोटी बातों पर तो परेशान नही होती हैं! क्या हम जान सकते है कि क्या प्रॉब्लम है आपको? वेद की आवाज में काफी नरमी थी ।

बस एक ही तो परेशानी है की एक भाई बच कैसे गया दोनो को साथ ही मर जाना चाहिए था। अगर अरुण होश में आ गया तो मेरे लिए बहुत मुश्किलें खड़ी हो सकती है। उसने उस रात मेरा चेहरा भी देख लिया था । इसका अगर कुछ ना किया…. नंदिनी की बात पूरी होती इससे पहले ही वेद को हँसी आ गयी,लेकिन नंदिनी ने जैसे ही उसे घूर कर देखा तो वो खामोश होने की कोशिश करने लगा ।

हंस क्यों रहें हैं आप ? 

कुछ नहीं बस ये सोच कर कि आपके अच्छे में आपके बुरे में हर सिचुएशन में मैने आपका साथ दिया है अहसान मानना तो दूर आप खुद को ही वन मैन आर्मी समझती हैं। कम से कम कभी तो भरोसा किया कीजिये मुझ पर भी । कितनी बार कहूँ इतना शक ठीक नहीं होता । 

क्या मतलब है इन बातों का यहाँ पर ?

कुछ खास नहीं बस मैने एक डॉक्टर से पहले ही अरुण की रिपोर्ट के बारे में पूछा था उसके माइंड पर काफी छोटे हैं, दिमाग़ की नसों में खून जाम हो गया था इसीलिए इतने ट्रीटमेंट के बाद भी कुछ ज्यादा उम्मीद नहीं है उसके होश में आने की,और अगर कभी बॉडी में जरा सी भी मूवमेंट दिखी तो डॉक्टर सबसे पहले आपको कॉल करेंगे । वेद ने अपनी बात ख़त्म की और उसके बाद वहाँ से चला गया। दो लड़कियों के ऐसे सामने बैठे होने के बावजूद इतनी बेरुखी से बाहर जाना,किसी भी लड़के की बत्तमीजी मानी जानी चाहिए थी।लेकिन तनु इस बर्ताव का कारण जानती थी और शायद नंदिनी भी। दोनों एक दूसरे को ही देखती रही । थोड़ी देर ऐसे ही रहने के बाद जब नंदिनी चलने के लिए खड़ी हुई तो वेद कोई पेपर लेकर आता हुआ दिखाई दिया । वो…सिग्नेचर चाहिए थें आपके ।आपने ही एडमिट कराया था इसीलिए एक डाक्यूमेंट पर आपके साइन….। दीजिए मुझे। नंदिनी ने पूरी शालीनता से वेद के हाथ से पेन और वो कागज ले लिया । 

तनु तुमने कॉफी मंगवाई थी ? आयी नहीं अब तक ! देखो जरा। नंदिनी ने कागज टेबल पर रखकर तनु की तरफ देखा। जी मैम यस यस. .. बस आती ही होगी मै देखती हूँ बस एक मिनट मैम । तनु अपने चेहरे पर मुस्कान सजाए दरवाजे से बाहर निकली। चलो उसकी आँखे भी गवाह बनी एक मासूम से लम्हें की जिसकी पहल नंदिनी ने की थी। साइन तो कर दी है मैने , लेकिन अगर आप अभी इसे लेकर चले जाएंगे तो तनु की एक कप कॉफी खराब हो जाएगी। वेद ने कोई जवाब नहीं दिया लेकिन वो नंदिनी की बात समझ गया था। सॉरी की उम्मीद उससे करना बेकार है तो नखरे दिखाने का भी कोई तुक नहीं बनता था इसीलिए वेद चुपचाप कुर्सी पर जाकर बैठ गया था ।

पिछले 2 महीने से कात्यायन इंडस्ट्री के सारे शेयर्स कमजोर हो रहें थें और तरुण की मौत के बाद उसकी कंपनी को काफी नुकसान हुआ है । शेयर होल्डर्स अपने शेयर्स निकलना चाहते है नए लोग ट्रस्ट नहीं कर रहें हैं । ऐसे में आपको बहुत घाटा हो रहा है नंदिनी जी । वेद ने 10 मिनट से छाई चुप्पी को तोड़ते हुए कॉफी के घूंट के साथ बात का टॉपिक भी बदल दिया। 

मुझे नही हमारी कंपनी को , जिसकी भरपाई मैं करके रहूंगी । आप भूल रहीं हैं कि कात्यायन ब्रदर्स के कुछ प्रोडक्ट्स में आप 80% की भागीदार हैं तो आपका घाटा पूरा होने से रहा और तरुण की मौत के बाद दूसरों के नुकसान की भरपाई जिसे करनी होगी वो आप हैं ।

हाँ जानती हूँ की वो फैसला मेरा ज्यादा सही नही था लेकिन इसका ये मतलब नही है की मेरे आगे आने वाले फैसलों पर मै उसका कोई इफेक्ट पड़ने दूंगी।

तो क्या करेंगी आप कोई ऑप्शन हैं ?

मै कात्यायन ब्रदर्स की कंपनी खरीद कर अपने नुकसान की भरपाई करूंगी।

आपको लगता है कि अभिनव ऐसा करने में कोई दिक्कत नहीं खड़ी करेगा ?

करेगा..? अच्छा तो चलो,उसी के हाथों कंपनी बिकवा देतें हैं । किस दुनिया कि बातें कहती रहती हो तुम ? कोई बिज़नेस पर्सन हो की स्क्रिजोफ्रेनिया की पेसेंट। वेद के दिमाग़ में यही था लेकिन उसने मुँह पर “अच्छा कैसे” बस इतना ही कहा ।

 भरोसा रखिये मुझ पर । 

हाँ भरोसा तो रखना ही होगा आप पर,आप कुछ भी करें हम हर सिचुएशन में आप पर भरोसा रखेंगे। वेद के इस जवाब से नंदिनी के खुद के अंदर से ही सवाल उठ गया कि “क्या सच में वो किसी का अहसान नहीं मानती,किसी बात पर भी ?”। घर जा रहें हैं? चलिए मैं ड्राप कर दूंगी आपको, मैं भी अब सीधा घर के ही लिए निकल रहीं हूँ न।

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