तनु का फोन तीन चार बार आने के बाद वेद हड़बड़ा के जागा उसने फोन उठाया तो घड़ी रात के 12:27 बजा रही थी वेद के शरीर पर पसीना आ गया था और उसकी हार्टबीट उस वक्त किसी धावक की धड़कन से भी तेज चल रही थी। ऐसा हो भी क्यों ना तनु कभी रात में कॉल नहीं करती दिन मे भी तब कॉल करती हैं जब कोई काम होता हैं या नंदिनी को कोई दिक्कत हुई होती हैं। तो क्या नंदिनी को…. आज जब शुक्ला जी से मिली थी तो उसके बाद तुरंत गुस्से में कहीं चली गई थी तभी से वेद को कुछ गड़बड़ लग रही थी। वेद बिस्तर से उतर कर पूरे रूम में घूमते हुए तीसरी बार तनु को कॉल कर रहा था। पता नहीं क्या हो गया इसे अभी तो कॉल की थी अब मैं कर रहा हूँ तो उठा नहीं रही।वेद बार-बार अपने माथे के पसीने को अपने हाथों से झटक रहा था। इस भीनी ठण्ड में भी उसके अंदर कुछ उबलने लगा था। अभी थोड़ी देर पहले तक वो गर्म चादर में सोया हुआ भी ठण्ड का अहसास कर रहा था लेकिन अभी वो हॉफ पैंट और पतली सी कमीज में भी गर्म महसूस कर रहा हैं।तनु के तीसरी बार भी फोन ना उठाने पर उसके जहन में आ रहा था कि वो अभी अपना फोन पटक के तोड़ दे या किसी दीवार से अपना सर टकरा के फोड़ दे। उसे समझ नहीं आ रहा था कुछ् भी। इस वक़्त वेद का दिमाग चार नहीं चौरासी दिशाओं में भाग रहा था।कहीं नंदिनी ने फिर से तो मिस्टर शुक्ला को कुछ नहीं कर दिया?कहीं वाइटमून कंपनी ने कात्यायन ब्रदर्स के साथ कोई डील…? मिस्टर शुक्ला ने डील तो नहीं तुडवाने की कोशिश…. वेद का दिमाग भागता ही जा रहा था बिना किसी स्टॉप के इससे पहले कि उसका दिमाग काम करना बंद कर देता तनु का फोन आ गया।
सर कहाँ हैं आप? तनु की आवाज काफी सहमी हुई और भीगी हुई लग रही थी। ये क्या बकवास सा सवाल हैं रात में सब कहाँ होतें हैं ? घर पर।यहाँ पर तो बात ये हैं कि तुम कहाँ पे हो? नंदिनी कहाँ हैं? और क्या हुआ हैं तुम दोनों के साथ?मुझे तुम्हारी आवाज से लग रहा हैं कि तुम बिलकुल ठीक नहीं हो और शायद नंदिनी भी नहीं.. हाँ सर! तनु की आवाज़ और गीली हो गई। क्या हुआ तनु कुछ बोलो कहाँ हो? क्यों हो?किसीने कोई बद्तमीजी…. सर बस आप आ जाइए यहाँ पर फिर मैं आपको सबकुछ बताती हूँ। कहाँ हो तुम लोग मैं आता हूँ। कहते हुए वेद चाभी उठाकर बाहर की तरफ निकल गया उसे इतना भी नहीं याद रहा कि ठण्ड के लिहाज से उसके कपड़े बस नाममात्र के हैं। वेद गाड़ी से उतरा तो पाया तनु एक पेड़ के नीचे खड़ी हो उसी का इंतजार कर रही थी। आसपास जितनी भी सर्दी थी ऐसा लग रहा था वो सारी सर्दी तनु के चेहरे पर जा चिपकी हैं। अमूमन ज्यादा ठण्ड लग जाने से लड़कियों का चेहरा गुलाबी हो जाता हैं लेकिन तनु का चेहरा सर्द सफ़ेद था जैसे उसके चेहरे पर खून हैं ही नहीं, वो कोई बर्फ की मूर्ति हैं जो ठण्ड पड़ने पर सफ़ेद होती जा रही थी।
तनु क्या हुआ? तुम इतनी परेशान क्यों हो? नंदिनी कहाँ हैं? और…और तुम लोग यहाँ कर क्या…? इससे पहले वेद के सारे सवाल पूरे होते तनु सिसकती हुए उसके सीने से जा लगी। वेद बिलकुल शॉक होकर खड़ा ही रह गया। भले ही वेद अमेरिका में रहा हैं लेकिन फिर भी उसे अपनी माँ और बहन के अलावा शायद ही किसी और लड़की ने इतने करीब से स्पर्श किया हो।लेकिन तनु डरी हुई भी तो काफी हैं और जब लड़कियां बहुत डर जाती हैं तो जिन पर उन्हें भरोसा होता हैं उसे देखते ही बिलकुल वैसे ही लिपटती हैं जैसे तनु लिपटी।
उन्हें ज़रा भी अहसास नहीं होता कि सामने वाला उनका भाई हैं,दोस्त हैं, बॉस हैं या…. तुम रो नहीं मैं हूँ, वेद ने आहिस्ते से पीठ पर अपना एक हाथ रखते हुए कहा,”तुम गाड़ी में चलकर बैठो मैं नंदिनी को देखता हूँ।” मैम उधर सड़क की तरफ बेंच पर बैठी होंगी।तनु ने खुद को सँभालते हुए कहा। वहाँ पे? मुझे समझ नहीं आता तुम लोग यहाँ कर क्या रहें थें? अभिनव के घर से आ रहें थें, मैम को उल्टियां होने लगी तो हम यही रुक गए उसके बाद…उसके बाद मैम यहाँ से चलने को तैयार ही नहीं हो रही काफी देर तक रोती रहीं और…शराब भी पी बहुत ज्यादा। for God sake सही से बताओगी कि क्या हुआ है? तब से रीकैप पे रीकैप दिए जा रही हो कुछ सही से बताना भी हैं….? ओफ्फो तुमको क्या कहूँ ? कहना तो मुझे उस बेवकूफ लड़की से चाहिए जो खुद को बहुत होशियार समझती हैं,उसे लगता हैं कि उसके पास पैसा है पॉवर हैं तो कोई कुछ नहीं कर सकता उसका। जहाँ चाहे वहाँ घूमो जैसे चाहे वैसे घूमो अपने एक फोन से ये इंडियन आर्मी ही खड़ा कर लेंगी ना अपने सामने जो दो-चार बॉडीगॉर्ड, थोड़ी सिक्योरिटी अपने साथ लेकर नहीं चल सकती। ही-मैन हैं वो या वन मन आर्मी….अरे निहायत ही बेवकूफ हैं यार वो… वेद को ज़रा भी याद नहीं रहा कि वो जिसके बारे में कह रहा हैं वो कौन है? या किस हक़ से वो कह रहा है ? क्यों कह रहा हैं? क्या कह रहा हैं? ये सब सोच पाने की क्षमता उसमें नहीं हैं इस वक़्त उसे बस इतना पता हैं कि वो कह रहा हैं और उसका दिल हल्का हो रहा हैं। लेकिन जब उसने तनु के चेहरे की तरफ देखा तो उसे गिल्ट फील हुआ और मन ही मन खुद से कहने लगा,” क्यों ? इसके सामने क्यों बक रहा हूँ ये सब? इसका तो कोई कसूर भी नहीं हैं ये भी तो मेरी ही तरह है उसके हाथों से सताई हुई।”। मैं नंदिनी को लेकर आता हूँ तुम कार में बैठो चलकर, बाहर बहुत ठण्ड हो रही है। वेद पेड़ो के झुरमुटो को अनदेखा करते हुए आगे बढ़ गया। सड़क के पार जाने पर उसे एक बेंच पर बेसुध पड़ी नंदिनी दिखाई दी जो ठण्ड कि वजह से खुद के ही शरीर में समाई जा रही थी। उसे देख के वेद को भी ठंडक का अहसास हुआ और तब उसे याद आया कि ना उसने सही से कपड़े ही पहने हैं और ना उसके पास कोई ओवरकोट ही हैं। उसने नंदिनी को अपनी बाहों में उठाया तो ऐसा लग रहा था कि उसने शराब पी नहीं बल्कि शराब से नहाई है। हाँ वाकई , क्योंकि उसके शरीर से तो शराब की स्मेल आ रही थी और उसकी बेंच के पास भी बोतलें ऐसे ही पड़ी थी कि लग रहा था नंदिनी कोई बिज़नेस ट्रेंड सेटर नहीं बल्कि कोई शराबी हो…..
वेद ने ध्यान से उसके चेहरे को देखा तो पाया कि उसका चेहरा तनु के चेहरे से बिलकुल विपरीत था। उसका चेहरा गुलाबी था उसमें खून दौड़ रहा था,आँखे बंद थी फिर भी उसमें गुस्सा नज़र आ रहा था।उसकी तरह देख के वेद को लगा हाँ असल में वो बहुत बहादुर हैं, लेकिन ऐसी बहादुरी भी किस काम की जो आपकी जिदंगी से दूर ले जाती हो। कार तक पहुंचने में वेद का शरीर भी ठण्ड से कांपने लगा था। बड़ी मुश्किल से उसने नंदिनी को तनु की गोद में लिटाकर खुद को ड्राइविंग सीट पर बिठाया था।
मिरर सीधा करते हुए वो तनु से बोला,” हमें कुछ कपड़े लेने होंगे इसके लिए मैं गाड़ी स्टोर की तरफ घूमा रहा हूँ।मुझे पता है कि रात के दो बजे शायद ही कोई शॉप वगैरह खुली हो लेकिन मेरे कुछ दोस्त हैं जो स्टोर्स में काम करतें हैं तो…. जी। तनु की स्वीकृति मिलने पर वेद ने गाड़ी स्टार्ट कर दी। मिस्टर शुक्ला क्यों आए थे? उसने मिरर से तनु की तरफ देखते हुए कहा। सर , आप जानतें थें कि अगर आप थोड़ा सख्ती से पेश आतें और बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की मीटिंग में इतने शांत ना रहते, थिंक टैंक के मेंबर्स को समझाते तो मैम चाहे कितनी भी कोशिश करती कात्यायन ब्रदर्स के साथ वो डील कभी नहीं होती। ओह! मतलब मेरा अंदाजा सही था कि उस डील में कुछ दिक्कत हुई है लेकिन…… उसने नंदिनी के चेहरे की तरफ देखा,” लेकिन ये इतनी कमज़ोर नहीं कि इतनी सी बात पर ऐसे टूटे? कोई और भी बात हुई है ना? कुछ बड़ी, कुछ भयानक? उसकी नज़र शीशे पर ही थी लेकिन तनु ने खिडकी की तरफ देखना शुरू कर दिया क्योंकि उसकी आँखों से आंसू बह निकले थे। तनु… उसने गर्दन पीछे करते हुए कहा,”शुक्ला ने फिर से कोई घटिया हरकत करने की कोशिश की?” ऊंहू… तनु ने सीधे देखते हुए कहा ,” मैम ने जब-जब भी किसी के साथ अच्छा किया हैं तो बदले में उसने कभी भी अहसान फरामोशी की कोशिश नहीं की,पता नहीं अभिनव किस मिट्टी से बनाया गया…है…कि…. उसके साथ चाहे कितना भी अच्छा करो उसका घटियापन….जाता ही न्…हीं… कहते-कहते तनु फिर से खिड़की के बाहर देखने लगी। वेद ने उसे घूम कर देखा लेकिन पूछा कुछ नहीं। बस अपने ही दिमाग में कनेक्श बनाने लगा, मिस्टर शुक्ला- कात्यायन ब्रदर्स- अभिनव? एक ही वक्त में तीन लोग? किसने सही किया, किसने गलत? मिस्टर शुक्ला और कात्यायन ब्रदर्स का क्या सम्बन्ध ? या… अभिनव और कात्याय… वेद ने सवाल का जवाब पाने के लिए फिर से पीछे गर्दन घुमाई लेकिन तनु अभी भी बाहर ही देख रही थी। कुछ बहुत भयानक हुआ हैं दोनों के साथ! उसने मन में सोचा और कार की स्टियरिंग पर ध्यान देने की कोशिश करने लगा।
Story To be continued……...
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