थोड़ा सा इश्क़ 8 (A little love part 8)

बात-बे-बात बीच में आ जाते हैं दोस्त कमीनें….
आंखों का सावन, माथे की शिकन, सीने की
जलन तक भूला जातें हैं दोस्त कमीनें……

हैलो दोस्तों! कैसे हैं आप सब ?उम्मीद करता हूं कि बिल्कुल मेरी तरह ही होंगे ,खुश मस्त और अपनो से प्यार करते हुए है ना!आज बहुत दिन हो गए तो मैने सोचा की आप सभी को इश्क की गली का सैर करा दूं। वैसे आप लोगो को ढेर सारा इंतजार करवाने के लिए मैं क्षमा प्राथी हूं। मैं थोड़ा व्यस्त चल रहा था। वैसे अगर आप ने अभी तक इस कहानी के पिछले पार्ट नही पढ़े तो पहले उन्हे जरूर पढ़े।
तो बताइए इतने वक्त मे आपने किसी अपने को समझने की कोशिश की या नहीं ,अरे पिछली बार कहा था न आपसे कि थोड़ा सा वक्त अपने रिश्ते को समझने में भी बिताया करिए तो अपने कोशिश की या नहीं ? मुझे बताइएगा नीचे कमेंट बॉक्स में ।
तो  चलिए इश्क़गली में चलतें हैं जय की परेशानी का हल ढूंढनें शायद मैं या आप
नहीं हम कुछ मदद ही कर पाएँ जय की आखिर वो भी तो हमारे ही परिवार का सदस्य है।

बताया नहीं ,क्या तुम लोग भी ऐसा ही सोच सकते हो ? जय के अन्दर जैसे डर ने एक जगह बना ली एकदम से ,शायद ये वहीं डर है जिसे वो रितु के जहन से निकालना चाहता था ।
हाँ ,जय रितु को खो देने से ही तो डरता था, उसे निडर बनाने के लिए क्या कुछ नहीं किया उसने! रितु को तरह-तरह से समझाया कभी खुद रोया कभी उसे रुलाया , दो तीन बार उसकी बड़ी बहन से बहस तक कर दी लेकिन रितु का डर कभी नहीं गया और आज वहीं डर कहीं से चुपके से आकर जय के सीने में बैठ गया ।एक अन्जाने शख्स ने उसके दिल का दरवाजा
जरा सा क्या खोला डर संकरी दराज से ही घसिटकर जय के भीतर दाखिल हो गया ।
किसी और का तो मुझे पता नही लेकिन मैं जरुर सोच सकता हूँ ,नोट्स में ही सिर घुसाए हुए देव बोला।सारे दोस्त चौक उठे देव ऐसा कैसे बोल गया जय के सामने!
तेरा दिमाग तो ठिकाने पर है ये क्या बोल गया तू ये अभी ।अमित ने आंखों से घूरा उसे जैसे आंखों ही आंखों में कई गालियाँ गिफ्ट कर दी हो उसे ।

मैंने कहा क्योंकि मैं सोच सकता हूँ कि अभी दस मिनट में हम सब का काम खत्म होने वाला है जब हम टेस्ट देने जाएंगे तब देखना एक एक को क्लास के बाहर निकाल कर खड़ा कर देंगीं, group study तो कभी करने ही नहीं देंगी। नम्बर कम आए तो Junior’s हमारा मजाक बनाएंगे और Classmates चिढ़ाएंगे।
हाँ यार ,बात तो लड़के ने पते की कही हैं अब क्या होगा भाई ,मुदित ने भी अपना सिर पीट लिया। अरे तुम दोनों क्यों परेशान होते हो तुम लोगों को तो बढ़िया से सब आता हैं वाट तो हम बेचारों की लगेगी
ये सब इस जय की वजह से हुआ फालतू की बातों में खुद दिमाग लगाया हमारा भी लगवा दिया। अमित जय को कोसने लगा।
मेरी वजह से क्यों मैंने थोड़े कहा था कि किताब बन्द कर के गप्पे मारो। शालो खुद तो तुम लोगों से कुछ होता नहीं उसपर से दूसरों पर इल्ज़ाम लगाने को मिल जाए तो वल्लाह । जय ने अमित की गर्दन दबोच ली।

अरे तुम लोग क्यों परेशान होते हो तुम्हारा भाई जिंदा है अभी ,समीर सीट से पूरी स्टाइल में उठा , एक  ब्लैंक पेज दो और एक किताब पांच मिनट में पर्चियां तैयार किए देता हूँ बोलो कैसा रहेगा । 
समीर थोड़ी अदा के साथ सीट का सहारा लेते हुए उन लोगों की तरफ झुका।
तुम लोग cheating करोगे वो भी विनी….
अरे इस विनीता मैम के चमचे को कोई चुप कराओ यार । समीर ने तीन कोने का मुंह बनाते हुए कहा।
मैं हूँ इसके लिए ,जय तुरन्त देव की तरफ बढ़ गया।
हाँ तो क्या कह रहा था तू जय ने अपना हाथ उसके कन्धे पर जमाते हुए कहा।
मैं तो कह रहा था नकल क्यों करनी मेहनत करते हैं….. देव ने अपनी छोटी सी गर्दन उठाकर जय की सिर चढ़ा रखी बड़ी-बड़ी आंखों से जवाब-तलब करने की कोशिश की।
मेहनत वो भी बाकी के बचे पांच मिनट में…. क्या नहीं- नहीं बताओ बैल समझ रखे हो क्या हमको ?
अमित अपनी सीट से कूद कर देव के सामने खड़ा हो गया।
इसमें समझने की क्या बात है वो तो तुम लोग हो ही देव ने मुस्कुराते हुए कहा लेकिन मन ही मन में अगर मुंह से बोला होता तो जय ने अब तक उसके दांतो का एक सेट तो हिला ही देना था।

यार तुझे दोस्ती की कसम अब चुप रह ,जय ने भावनात्मक पहलू का सहारा लिया।
हाँ मैं तो चुप ही रहूंगा मगर Exams में क्या करोगे?
तू Exams की tension न ले तब तक तो हम लोग सारा Syllabus 10 बार पढ़ लेंगें, Revision भी कर लेगें बस खुश । अमित ने कहा ।

तो दोस्तों आपने कुछ नोटिस किया इश्क़गली में घूमते हुए क्या ?…अरे यही कि दोस्त इतनी आसानी से बात बदलने में माहिर होतें हैं कि पता ही नहीं चलता कि बात क्या चल रही थी ,और दोस्त सिर्फ बात ही नहीं शख्शियत बदलने में भी बहुत माहिर होते हैं इसीलिए कहा जाता है कि दोस्ती अच्छी संगत में ही करनी चाहिए क्योंकि संगत चाहे कैसी भी हो रंगत जरुर लाती है।

और आपने तो देखा ही कि कैसे जय ने देव को दोस्ती की कसम देकर माना लिया था छोटे से गलत  काम के लिए , तो सोचिए अगर किसी गलत इन्सान से आपकी दोस्ती हो जाए तो वो कितने गलत काम करवा सकता है आपसे दोस्ती की कसम देकर।
मै भला आपको ये सलाह क्यों दे रहा हूँ? अरे मैं भी तो आपलोगों का दोस्त हूँ अच्छा वाला दोस्त हैं ना !
तो मेरे प्यारे दोस्तों अपना खयाल रखे मिलते हैं अगले ब्लॉग में तब तक आप प्यार करते रहिए खुद से भी मुझसे भी।
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