A Wild heart episode -40

 वेद नंदिनी को होटल में छोड़कर वापस आ गया था । उसका सर बहुत भारी था और दिन भर की भागदौड़ ने उसे थका दिया था। वो चाहता था कि वो वही रुके लेकिन वो नतीजा जानता था की समीर कहता रहेगा और नंदिनी एक कान से सुनकर दूसरे कान से निकालती रहेगी । इसीलिए वो वहाँ नहीं रुका कार को वही छोड़कर खुद कैब करके अपने फ्लैट में आ गया । वेद दवा खा कर लेटा ही था कि उसके दरवाजे पर दस्तक हुई। उसने सोचा रूपा आयी होगी उसे बुलाने नंदिनी के कहने पर इसीलिए उसने एक बार में दरवाजा नहीं खोला चुपचाप लेटा रहा। लेकिन जब तीन चार बार दरवाजे को नॉक किया गया तो उसे मजबूरी में खोलना पड़ा । जैसे ही उसने दरवाजा खोला नंदिनी उससे लिपट गयी। क्या हुआ कैसे हुआ ? वेद ये सब समझ ही नहीं पाया उसे तो बस इतना लगा की हवा के किसी झोंके ने उसे घेर लिया हो। लेकिन जब नंदिनी तेज-तेज रोने लगी तो उसे अहसास हुआ की ये हवा के झोंके नहीं नंदिनी का बदन है जो उसे खुद में कसे हुए है। इन दोनों के बीच इतनी भी जगह नहीं थी कि हवा भी उनके बीच से गुजर सकें। 

Sad romantic image

क्या हुआ नंदिनी ? समीर ने कुछ कहा ? उसने कमरे का दरवाजा बंद कर लिया और उसे चुप कराने लगा। नंदिनी कुछ नहीं बोली बल्कि उसे और कसके जकड़ लिया। वेद को लगा की उसकी सांसे ही ना रुक जाएँ या कहीं हड्डियाँ ही न क्रैक हो जाएँ। कोई कमजोर शरीर का आदमी होता तो शायद क्रैक भी हो जाती। वेद ने उसके सर पर हाथ फेरते हुए उसे संभालने की कोशिश की लेकिन नंदिनी का सारा शरीर वेद के सहारे ही था। अगर उसने खुद को मजबूती से न संभाला होता तो दोनों ही गिर जातें । वेद जितना उसे चुप करने को बोलता वो उतना ही रोती, जितनी बार पूछता क्या हुआ ?उसकी सिसकियाँ उतनी ही तेज बढ़ जाती। 

Hug

उसका दिल कर रहा था कि वो समीर को कॉल करके पूछे की क्या हुआ है ? लेकिन फोन स्टूल पर रखा हुआ था बेड के पास और वो यहाँ जकड़ा हुआ था। 

 वेद को उसे ऐसे खुद से लिपटाएं हुए अलग ही फीलिंग आ रही थी । उसकी थकान उसका सिरदर्द सब छू-मंतर हो गएँ थे नंदिनी के स्पर्श मात्र से । वैसे तो नंदिनी उस रात नशे की हालत में उसकी बांहो में गिरी थी लेकिन तब भी वैसी फीलिंग नहीं आयी थी । तनु भी उससे कई बार लिपटी है फिर भी उसे जैसी स्पेशल फीलिंग आज आ रही है पहले कभी नहीं आयी। वेद मन ही मन इस बात का निष्कर्ष निकालने की कोशिश कर रहा था कि ऐसा क्या हुआ होगा जो नंदिनी इतना रो रही है? ऐसा क्यों लग रहा है कि कुछ अच्छा हुआ होगा? लेकिन अच्छा हुआ होता तो ये ऐसे रोती? जिनके साथ कभी अच्छा नहीं होता उनके साथ अगर कुछ अच्छा हो जाये तो वो ऐसे ही रोते है । वेद इसी असमंजस में था क्या हुआ और क्या नहीं उसने महसूस किया कि नंदिनी के रोने की आवाज धीमी पड़ने लगी है और उसके हाथ ढीले हो रहें हैं । थोड़ी देर शांत रहने के बाद वेद ने नंदिनी का चेहरा अपने सीने से हटाकर अपने हाथ में रख लिया। वो सो चुकी थी किसी खेल कर आएं थके बच्चे की तरह नींद की आगोश में समा गयी थी। वाकई बहुत मासूम लग रही थी वो इतनी ज्यादा कि न चाहते हुए भी वेद के चेहरे पर एक छोटी और राहत भरी मुस्कान फैल गयी। वेद उसके चेहरे को ध्यान से देख ही रहा था और उसे हल्की-हल्की आवाज़ में कोई गीत बजता महसूस हुआ । उसे लगा की ये दिल का वहम है ज्यादा खुशी की वजह से उसे ऐसा सुनाई दे रहा है लेकिन फिर गाने के बोल भी स्पष्ट सुनाई देने लगे ,”बांहों में चले आओ हमसे सनम क्या पर्दा…” ये गीत नीचे किसी शॉप पे बज रहा था जिसकी आवाज़ ऊपर तक आ रही थी । 

वेद ने नंदिनी को आहिस्ते से संभाल कर उठाया और अपने बिस्तर पर लिटा दिया ऊपर से अपनी चादर भी डाल दी । जब उसने एक राहत की सांस ली तो देखा की उसकी पूरी शर्ट भीगी हुई थी नंदिनी के आंसूओं ने सिर्फ उसके मन को ही नहीं उसके कपड़ो को भी भिगो दिया था। वेद ने अपने हाथों से अपनी शर्ट को छुआ , उसके आँसुओ को महसूस किया फिर अलमीरा से दूसरी शर्ट निकाल कर उसे पहन लिया और भीगी हुई शर्ट को तह करके सबसे अंदर छुपा के रख दिया। उसके बाद वापस नंदिनी के पास आकर एक कुर्सी पर बैठ गया और एक हाथ के बल सर टिका कर उसे देखता रहा । 

वेद और नंदिनी

बाहर अंधेरा छाने लगा था , सड़को पर लाइट्स ऑन हो चुकी थी और आसमान में सितारे भी अपनी चमक बिखेर रहें थें हवा भी मद्धम हो चुकी थी और थके-हारे पक्षी कब का अपने घोंसले में लौट चुके थे । कमरे के अंदर वेद अभी भी नंदिनी को वैसे ही देख रहा था जैसे आसमान पर चांद चकोर को निहारता है, नजरों में कोई छल-कपट नहीं , निगाहों में कोई वासना नहीं है तो बस एक चीज दिल में मोहब्बत और बहुत सारी मोहब्बत । क्या ये मोहब्बत उसे नंदिनी को भी दिखानी चाहिए ? उसे बताना चाहिए की मै उससे कितना प्यार करता हूँ? अरे छोड़ो वो बाद की बातें सारी! अभी मुझे बस एक मासूम सी लड़की का चेहरा देखना चाहिए । 

वेद उसे देखते-देखते ही कब सो गया पता ही नहीं चला। दोनो भूखे ही सो गएँ रूपा ने भी उन्हें जगाया नहीं या शायद उसे पता ही न हो कि नंदिनी यहाँ है । 

सुबह जब वेद का अलार्म बजा तब दोनो की नींद टूटी , उसमें भी पहले नंदिनी की आँख खुली थी तब वेद कुर्सी के सहारे उसके बिस्तर पर अपना सर रखे जस्ट उसके पास ही सोया हुआ था इससे पहले नंदिनी पूरी तरह से जगती तब तक वेद की आँख भी खुल गयी थी। उसने तुरंत अलार्म बंद किया। रात को कभी 12 बजे सोया तो कभी 2 बजे तक भी नींद नहीं आती तब सुबह उठने में टाइम हो जाता है इसीलिए 5 बजे का अलार्म सेट करके रखता हूँ । वेद ने बात शुरु करने के इरादे से कहा । लेकिन नंदिनी चुपचाप बिस्तर से उतर गयी उसकी बात का को जवाब भी नहीं दिया। बहुत अनकम्फर्ट लग रही थी जैसे कोई जुर्म कर दिया है। हाँ भाई जुर्म तो था ही ये उसकी किताब की नंदिनी सिंघानिया किसी लड़के से लिपट जाएँ और सारी रात उसी के कमरे में रहें । 

थैंक……यू. …! सधी आवाज में नंदिनी इतना बोलकर निकल गयी लेकिन वेद को जैसे कोई शॉक लग गया हो, उसे अपने कानों पर भरोसा ही नहीं हुआ । नहीं. ..नहीं. ..नहीं. ..नंदिनी सिंघानिया के शब्दकोष में दो शब्द ही तो नहीं थें एक सॉरी दूसरा थैंक यू । ये कैसे हो सकता है भला की वो थैंक यू बोल दे ! क्या उसे अपने कान की सफाई करवानी चाहिए ? लेकिन वाकई में वो थैंक यू ही बोल कर गयी है ।

yes…..ss । वेद खुशी से उछलता हुआ ऐसे बोला कि जैसे उसे कोई मेडल मिल गया हो।

To be Continued. ……

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