A Wild heart episode -42

 वेद को नहीं पता था कि नंदिनी तनु के घर गयी थी । ये उसे तब मालूम हुआ जब तनु ने फोन करके बताया कि कल मैम आयीं थीं उनके आने के बाद से ही अरुण अपसेट था और आज सुबह होते ही पता नहीं किधर निकल गया । 

तुम परेशान न हो यहीं कहीं आसपास तक गया होगा , आ जायेगा बाकी हम आकर देखते है कि और कहाँ जा सकता है भला । तुम घर पर ही रहना घबराना बिल्कुल भी मत । मैम मुझे न डांटने लगे ? तनु की आवाज सहमी थी । तुम्हें क्यों डाटेंगी वो ? तुम्हारी क्या गलती है इसमे ? वो ठीक तो होगा किसी ने कुछ कर न दिया हो उसे ? देखो किसी में अभी इतनी हिम्मत तो है नहीं की वो नंदिनी से सीधी टक्कर ले और अगर मान लो कुछ कर भी दिया होगा तो तुम्हें इससे क्या ? जो तुम शायद बाद में करती किसी ने पहले कर दिया बस । वेद उसे समझाते हुए फोन रख देता है और नंदिनी को सारी बात बताता है । नंदिनी भी बहुत परेशान हो जाती है ।

UPSET NANDINI

ये अभिनव का काम नहीं लगता वो तो जेल में है ? किसका काम है ये बाद में सोचेंगे पहले तनु के पास चलते है कहीं कोई उसे न कुछ कर दे । 

उसे हाथ लगा कर भी दिखाएँ वो सिर्फ मेरी सेक्रेटरी ही नहीं मेरी फैमिली भी है उसे अगर किसी ने कुछ भी किया न तो मै उसका पूरा खानदान ही तबाह कर दूंगी । नंदिनी ने कार स्टार्ट करते हुए कहा।

दोनों जब तनु के घर पहुँचे तो तनु सहमी सी बैठी थी । सब मेरी गलती है , मैने काका को सब्जी लेने भेज दिया उसके साथ मै थी लेकिन ऑफिस में आज कुछ ज्यादा थक गयी थी तो आँख लग गयी इतने में पता नहीं कहाँ चला गया वो । इसमे तुम्हारी कोई गलती नहीं है , तुम पानी पियो आराम से हम देखते है । नंदिनी ने उसके पास बैठते हुए उसकी तरफ पानी का गिलास बढ़ा दिया ।

हाँ और क्या मैने कुछ लोगों को कॉल किया है वो लोग ढूढ़ लेंगे उसे , नंदिनी के आदमी भी सर्च कर रहें हैं अरुण को । थोड़ा टाइम हो जाएँ तो पुलिस को इन्फॉर्म कर देंगे । मिलेगा नहीं तो जायेगा कहाँ । 

काका कहाँ हैं? नंदिनी ने पूछा ।

उन्हें कुछ मत कहना वो खुद उसके जाने से परेशान है और उसे ढूंढ रहें हैं ।

मै किसी को कुछ कहने नहीं आई हूँ बस देख रही थी की घर पर तुम अकेली ही हो ।

मुझे तो समझ नहीं आता कि वो घर के बाहर गया कैसे? उसे ज्यादा दूर की रास्ता मालूम हो ही नहीं सकती। अगर खुद से गया है तो वो जा ही नहीं सकता कहीं पर भी उसे ले जाया गया है जबरदस्ती , वरना जिसे रास्ता नहीं मालूम वो….. रास्ता मालूम था उसे । तनु ने सुबकते हुए कहा । मालूम था ? वो तो घर से निकला ही नहीं! गया है मेरे साथ एक बार शॉपिंग पर , फिर मूवी और एक बार डिनर के लिए ।

व्हाट तुम उसे बाहर लेकर गयी और हमसे पूछा भी नहीं ? नंदिनी चौक गयी तनु की इस बात पर ।

कोई भी आदमी अगर 24 घंटे एक ही कमरे में बंद रहें चाहे उसमे दुनिया की सारी सुख- सुविधा हो लेकिन मन उब ही जाता है । इसलिए मै उसे बाहर ले गई थी कभी-कभी। उसके पास कपड़े भी सही के नहीं थें तो वो भी दिलवाने के लिए । हम समझते है तनु, तुमने कुछ गलत नहीं किया। कल नंदिनी से मिलने के बाद वो डर गया होगा और उसे लगा होगा की वो यहाँ सुरक्षित नहीं हैं इसीलिए वो कहीं और चला गया होगा । जानती तो हो ही इन दिनों वो खुद को कितना तलाशने खुद को बचाने की कोशिश कर रहा है । हाँ यही हुआ होगा । नंदिनी ने वेद के हाँ में हाँ मिलाई। और क्या वो कोई छोटा बच्चा तो है नहीं जो घूम हो जायेगा या कोई उसे उठा ले जाएगा । देखना कहीं पर सेफली पहुँच कर तुम्हारे पास कॉल करेगा तो तुम उसे वापस बुला लेना । हाँ और क्या …. नंदिनी ने बात का समर्थन किया। तनु का डर कुछ कम हुआ तो वो बोली ,” मतलब उसे कोई उठा के नहीं ले गया है उसे कुछ नहीं हुआ है मतलब मै नहीं फसूंगी ! ” हां न उसे कुछ हुआ है न तुम्हें कुछ होगा ओके । तीनो बात कर ही रहें थें कि काका वापस आ गएँ उनके उतरे हुए चेहरे से साफ पता चल गया कि उन्हें अरुण नही मिला है । काका आप तनु के लिए एक कप काफी बना लाइये। वेद ने उनसे कहा और तनु के बालों पर हाथ फेरते हुए नंदिनी को इशारा करके खड़ा हो गया । नंदिनी उसका इशारा समझ गयी थी और उसके पीछे-पीछे बाहर लॉन में आ गयी । क्या हुआ ? तुम्हें कुछ गड़बड़ लग रही है ? हाँ ।

क्या ?

उसे उठाया ही गया है । वेद के माथे पर चिंता की लकीरें थी। क्या? ये तुम कैसे कह सकते हो ? हो सकता है अपने आप ….. अपने आप वो कहीं जायगा ही नहीं थोड़ी दूर भले घूम टहल लिया फिर घर वापस इतनी देर के लिए कभी नहीं जा सकता। तुम इतना यकीन के साथ कैसे कह सकतें हो ? यार…! तुम लड़कियों को लड़को की आँखें उनका व्यवहार पढ़ना नहीं आता क्या ? वो कब क्या सोच रहें हैं क्या नहीं, कुछ नहीं पता चलता तुम लोगों को ? वेद भड़क गया । मतलब क्या है तुम्हारा ? नंदिनी अभी वही अंजान थी। साफ-साफ बोलूं? He likes Tanu. ..बस खुश । नहीं ये सिर्फ बकवास है उसके जैसे घटिया इंसान …. यार बस भी करो हर इंसान की पसंद होती है चाहे अच्छा हो या बुरा। जानती हो वो तनु को लेकर ये सब कब से सोच रहा है उसे तो जरा भी याद नहीं और तुमने नोटिस नहीं किया लेकिन जब वो दोनों भाई हमारी कंपनी में आएं थें जो तुम लोगों की शायद दूसरी मीटिंग थी । उस वक्त पूरी मीटिंग में बंदा तनु को ही ताड़ता रहा था तब मुझे इतना गुस्सा आ रहा था की वो डील ही कैंसिल करवा दूँ लेकिन तुम तो पहले ही डील साइन कर चुकी थी।

वो यादाश्त जाने के पहले की बात थी बाद में ऐसा हो जरूरी… मुझे ये एक कोइनसिडेंस से ज्यादा कुछ नहीं लगता लेकिन आउट ऑफ माइंड होने के बाद उसे जो दूसरी लड़की पहली बसर पसंद आयी वो तनु ही थी । अब तुम पूछोगी मुझे कैसे पता? तो बता दूँ मैने उससे बोला था कि मै तनु का भाई हूँ करेक्ट , मैंने उससे ये भी बोला की वो तनु के स्कूल का दोस्त है करेक्ट । इसके बाद उसने सोचा होगा कि मै उसका भाई हूँ तो मुझे उसके बारे में सब पता ही होगा। जैसे की उसे क्या पसंद है ? क्या नहीं पसंद है ? वो क्या करती है ? उसकी फैमिली में मेरे अलावा कौन है ? ऐसे ही न जाने कितने सवाल । मैने मजे के लिए उसे जो मन में आया वो जवाब भी दिया । लेकिन उसकी सीरियसनेस का पता तब चला मुझे जब मैने उससे कहा कि तनु को वाइट शर्ट और ब्लैक पैन्ट वाले लड़के ज्यादा अट्रेक्टिव लगतें हैं । उसके बाद मै जितनी बार भी यहाँ उससे मिलने आया हूँ उनमें से आधे से ज्यादा समय उसे मैने वाइट…… चुप रहो अब , कुछ भी मत बोलो । 

अजीब हो यार पहले खुद पूछो और जब बताऊँ तो …. बेवकूफ हो तुम , चुप रहो तुम ।

क्या ? मै तुम्हें बेवकू….. हाँ मैं बेवकूफ हूँ वाकई में । इतनी देर में शायद उसकी नजर भी तनु पर पड़ चुकी थी । उन दोनों को नंदिनी के चेहरे का कोई भाव समझ नहीं आया कि उसमें गुस्सा है,दुख है उदासी है या नफरत है ? दोनो चुप हो गएँ और एक-एक करके वापस घर में चले गएँ उनके पीछे से तनु भी । आप दोनों ये क्या बातें कर रहें थें ? 

मैं कहाँ वो तो नंदिनी बात कर रही थी ।

मै बात कर रही थी ? उतनी देर से तो तुम ही बोले जा रहें थें । मै ? हाँ मै बोल रहा था की मुझे खुद अरुण को ढूंढने जाना चाहिए तुम दोनो अपना ख्याल रखना मै उसे ढूंढ कर जल्द से जल्द लौटूंगा और अगर न लौटूं तो समझ लेना मुझे भी कोई उठा ले गया । कहकर वेद ने टेबल से चाभी उठाई और जाने के लिए पलटा ही थी कि देखा अरुण एक पॉलीथीन में कुछ लिए हुए घर में दाखिल हुआ । 

आप लोग कब आ गएँ..? अरुण अपने स्लीपर्स चेंज करने लगा। क्या हुआ ? आप सभी मुझे ऐसे क्यों देख रहें है ? अरुण को कुछ समझ नहीं आ रहा था । 

कहाँ गएँ थे तुम ? तनु ने गुस्से में लगभग रोते हुए पूछा । सॉरी आपको बिना बताएँ चला……

TANU

पता भी है कितना परेशान थें हम सब ? लेकिन तुम्हारी तो आदत ही है हम लोगों को परेशान करने की । शायद तुम्हें नहीं पता कि तुम एक नम्बर के सेंसलेस, बेवकूफ और पागल किस्म के लड़के हो , तुम्हें कुछ नहीं आता मुझे रुलाने के अलावा “I hate you. ..” तनु रोते हुए अपने कमरे की तरफ भाग गयी । अरुण भी रुआँसा सा खड़ा था उसे समझ नहीं आ रहा था की ये किस तरफ का बर्ताव कर गयी है तनु उसके साथ ? उसके मात्र बिना बताएँ बाहर जाने पर इतना ज्यादा हंगामा करने की क्या जरूरत थी?वो तो बस तनु के लिए ही तो गया था बाहर । कहाँ गएँ थें भाई बता कर जाते ? वेद एक लम्बी सांस लेते हुए बोला और चाभी वापस टेबल पर फेंक दी। यही पास के मेडिकल स्टोर तक गया था । मेडिकल स्टोर? क्या करने गएँ थें वहाँ? कुछ उल्टा सीधा खरीदने गएँ थें या कोई जह……  

shut up नंदिनी ! वेद ने नंदिनी को बीच में ही टोक दिया। वहां क्या लेने गएँ थें तुम मुझे बताओ मै तनु को समझा दूँगा । आपने कहा था कि तनु को छिपकली से डर लगता है । जब वो सो रही थी तो एक छिपकली कमरें में घूम रही थी उसे हमेशा-हमेशा के लिए मारने के लिए मै स्टोर पर दवा लेने चला गया फिर…. कहते-कहते उसने नंदिनी की तरफ देखा । हाँ हाँ बताओ मुझे बताते रहो । वेद ने दिलासा दिया । फिर मै आ रहा था तो सोचा की बाहर आया ही हूँ तो कुछ फ्रूट्स ही ले लूँ तो मै पाइन एप्पल लेने चला गया , फिर सोचा सब्जी भी ले लूँ आज अपने हाथों से बनाऊंगा उसके बाद जब मै आने के लिए घूमा तो रास्ता भूल गया। पड़ोस की जो आंटी रहती है उन्होंने मुझे देख लिया तो बोली की वो अपना काम करवा लें फिर मुझे यहाँ लेती आएँगी। उन्होंने अभी मुझे यहाँ छोड़ा है । तो ये थी पूरी बात ! अच्छा चलो जाओ अब तनु को ये फल दे आओ । 

नहीं जाऊंगा वो बहुत गुस्से में है आप चलकर पहले बात कर लीजिये। अरुण अभी भी डरा हुआ था ।

कुछ नहीं कहेगी वो मैने बात कर ली है उससे ।

कैसे ? आप तो अभी भी यही खड़े है ।

मैने कर ली है तुम जाओ तो सही । वेद के कहने पर अरुण तनु से मिलने चल दिया। वेद मुस्कुराते हुए जैसे ही नंदिनी के चेहरे की तरफ देखने लगा उसने पाया की नंदिनी की आँखे उसे खा जाने की फिराक में थी ।

तुमने तनु से बात कैसे कर ली ?

रिकॉर्डिंग कर रहा था सब तनु को व्हाट्सअप कर दिया था । तुम्हे पता है कि वो लड़का कैसा है उसके बावजूद तुमने उसे अकेले तनु के रूम में भेजा ये ठीक है तुम्हारे नजरिये से? कहती हुई नंदिनी भी तनु के पास जाने लगी। पीछे से वेद ने उसका हाथ पकड़ लिया लेकिन जैसे ही उसे ये गलत लगा तुरंत उसका हाथ छोड़कर सीधा खड़ा हो गया और उससे बोला ,” तनु बच्ची नहीं है तुम उसकी माँ नहीं हो ,अरुण की हालत ठीक नहीं हैं और तनु पहले से बेहतर स्थिति में हैं । इसीलिए मुझे लगता है की हमें चलना चाहिए ।

ऐसे कैसे चले जाएँ तनु को अकेले छोड़कर ……? पहली बात तनु बड़ी है दूसरी बात काका यहाँ हैं तीसरी बात हमें अपने पैरों से जाना है तनु के पैरों से नहीं।

लेकिन ये गलत है वेद?

उनके नजरिये से ये सही भी हो सकता है क्योंकि दुनिया में गलत से गलत चीज भी किसी के लिए सही होती है समझी अब चलो। वेद नंदिनी को अपने साथ ले जाकर ही माना ।

To be Continued. ……

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