समीर के इंडिया आने पर नंदिनी की जिंदगी बदल सी गयी थी अब न उसे किसी अभिनव से कोई दिक्कत थी न किसी अरुण से कोई गुस्सा । उसका सारा दायरा सिमटकर रोज आदित्य और समीर तक ही रह गया था । शहर का सबसे वीरान बांग्ला अब देर रात तक चहकता रहता , शहर दर शहर इधर उधर रहने वाली नंदिनी शाम 5 बजे अपने घर पर होती थी । 9 साल के आदित्य को अपने सीने से ऐसे लगाकर रखती कि उसकी खुद की औलाद हो । तनु अब सिर्फ नंदिनी की ही पर्सनल सेकेट्री नहीं रह गयी थी अब वो रोज की मैनेजर बन गयी थी।रोज कब जाएगी कहाँ जाएगी ? कौन-कौन उससे मिल सकता है ? यहाँ तक की उसकी दवाई तक का हिसाब तनु को रखना पड़ता था । जब समीर रोज और आदित्य को लेकर इंडिया लौटा था तो नंदिनी ने पूरे शहर में मिठाई बंटवाई थी ।
Nandini singhaniya |
नंदिनी को बेरंग , कंजूस , शांतिप्रिय समझने वाले लोगों को झटका ही लगा था जब नंदिनी ने अपने घर पर ग्रैंड पार्टी की थी देश के नामी लोग शामिल हुए थें उसमें, दुश्मन-दोस्त नये-पूराने सभी लोगों को उसने बुलाया था पार्टी में । बस दो ही लोग उस पार्टी में नहीं शामिल हो पाएं थें एक अभिनव और एक मिस्टर शुक्ला। अभिनव जेल में था और मिस्टर शुक्ला अब अपने बेटे के साथ इंडिया से बाहर रहतें थें। हर जीत का जश्न अकेले मानने वाली लड़की पूरी महफ़िल के साथ खिलखिलाई थी उस दिन । अब नंदिनी को कोई परेशानी नहीं थी , उसे कोई फर्क नहीं पड़ रहा था की उसकी कंपनी देश की टॉप-7 कम्पनीज से बाहर हो चुकी है। उसके जिंदगी देखने के नजरिये ने करवट ले ली थी इसीलिए ये नंबर्स उसके लिए ज्यादा मायने नहीं रखते थें। ऐसा नहीं हैं कि वो कम्पनी के लिए उदासीन हो गयी हो बल्कि वो तो अपनी कंपनी के लिए कुछ अलग ही सपने बुन रहीं थीं , इसीलिए अमेरिका का द ग्रेट कम्पनी क्लिंटाफ से सम्पर्क करने की कोशिश कर रही थी । वो अच्छे से जानती थी कि क्लिंटाफ से एक भी डील अगर हो गयी तो उसकी कंपनी देश की टॉप-3 कंपनी में तो शामिल हो ही जाएगी और देश के बाहर भी उसकी पकड़ मजबूत होगी। क्लिंटाफ के अलावा सनराइज इंडस्ट्री को नुक्सान से निकालने का कोई दूसरा रास्ता भी है उसके पास ये उसे अंदाजा नहीं था जब तक की दूसरा रास्ता खुद उस तक चल कर नहीं आया ।
सुबह-सुबह अरुण को देखकर समीर चौक गया । समीर जितनी भी बार मिला है इन दो हफ्तों में कोई न कोई उसके साथ था ही लेकिन वो आज यहाँ अकेला आकर खड़ा था और आतें ही उसने नंदिनी के लिए मैम , मैडम जैसे शब्द न प्रयोग करके “नंदिनी जी से मिलना है ” कहा तो समीर का हैरान होना लाज़मी था , उसपर से वेद का कमरा नीचे था अक्सर वो वहीं तक आता था लेकिन आज ऊपर…..
छोटी…. समीर ने आवाज लगाई ।
हाँ सैम ।
अरुण आया है तुमसे मिलने ।
अरुण ?सुबह-सुबह? अच्छा बिठाइये उसे मै आती हूँ । समीर ने अरुण को ड्राइंगरुम में बिठा दिया और उसके लिए चाय-नाश्ता मंगवाया । लेकिन उसने मना कर दिया । थोड़ी ही देर में नंदिनी भी वहाँ आ गई । उसके आने के बाद समीर वहाँ से चला गया।
इतनी सुबह-सुबह कैसे आना हुआ तनु ने डांट दिया क्या आपको? नंदिनी ने सोफे पर आराम से बैठकर बात शुरु की। नहीं बहुत प्यारी लड़की है वो किसी को डांटती नहीं । हाँ सही कहा वो प्यारी व समझदार दोनों है। बायदवे आपने कुछ लिया नहीं क्या पीना पसंद करेंगे आप ? जी कुछ नहीं बस बात करने का मन था तो चला आया । अच्छा तो बताइये क्या बात करनी है ? बस पूछना चाह रहा था आपसे कि अभी तक आपने मुझे मारा क्यों नहीं?
सही सवाल पूछा , उम्मीद थी मुझे इसकी ? नंदिनी मुस्कुराई और कुशन के नीचे से एक गन निकाल कर टेबल पर रख दी। इसका मतलब क्या समझूँ ?
यही की तुम्हें यहाँ सब सच बोलना है क्योंकि 28 मंजिल का घर हैं मेरा। मै अगर तुम्हें यहाँ से मारकर फेंकूँगी तो पता भी नहीं चलेगा बीच में ही चील-कौवों ने नोच लिया कि किसी तार-वार में लटक गएँ।
सच तो यही है जो शायद आप जानती भी है कि मैंने tv में खुद को देखने के बाद और तनु की छुपाई न्यूजपेपर्स की कटिंग पढ़ने के बाद ही खुद को पहचाना है और यहाँ सिर्फ मै माफ़ी के लिए आया हूँ मैने जो किया वो सही नहीं था लेकिन आपने भी जो किया वो भी तो….
तुम मुझे वेद या तनु की तरफ भोला या बेवकूफ समझ रहें हो ? तुम्हारी यादाश्त लगभग हफ्ते भर पहले ही आ चुकी है, तुम्हें लगता है कि उन दोनों की तरफ मै भी अंधी हो जाऊंगी और तुम्हारे व्यवहार को नोटिस नहीं करूंगी! चलो अब बताओ जो काम हफ्ते भर पहले नहीं किया वो आज करने आएं हो ! कैसे मान लूँ कि अपने भाई की कातिल से तुम माफी मांगने आएं हो ? मै एक बार को ये मान लेती की तुम मेरा कन्फेशन रिकॉर्ड कर सकतें हो लेकिन तुम अभिनव की तरह चालाक नहीं हो और फिर तुम जिस दरवाजे से अंदर आएं हो अगर तुम्हारे पास रिकॉर्डर या स्पाई कैमरा जैसा कुछ होता तो तुरंत सेंसर करके इसका मैसेज मेरे फोन पर पहुँचता लेकिन यहाँ ऐसा कुछ नहीं हुआ है । तो अपना रियल पर्पज बताओ यहाँ आने का ।
आपने हमारे साथ क्या किया क्या नहीं?उसपर बहस बेकार है चाहे बात कितनी भी बढ़ जाएँ आप अब मेरे पिता समान भाई को कभी वापस नहीं ला सकती। इसके लिए मै आपको कभी माफ़ भी नहीं करने वाला और न ही आप इसके लिए माफ़ी ही मांगेंगी लेकिन हमने जो किया है जिसके लिए आपको इतना बड़ा कदम उठाना पड़ा उसके लिए मै माफ़ी मांग ही सकता हूँ । तरुण कात्यायन का छोटा भाई अरुण कात्यायन यहाँ नंदिनी सिघानियाँ से माफ़ी मांगने आया है, वो तरुण कात्यायन जिसका एकमात्र मकसद ही नंदिनी को तबाह करना था जिसके लिए उसने इतना बड़ा गेम खेला । इंट्रेस्टिंग…और कहानी बनाओ। नंदिनी अपने पैर पर पैर रखती हुए पीछे की तरफ हाथों के सहारे झुक गयी।
ये कहानी नहीं हकीकत है ।
हकीकत? अच्छा चलो मान लेतें हैं तुम्हारी बात । लेकिन तुम ये समझाओ तो जरा कि तुम्हारा हृदय परिवर्तन हुआ कैसे ? डॉक्टर ने कोई गलत दवा दे दी कि किसी ने डबल पैसे दे दियें ऐसी एक्टिंग करने के लिए ।
मै हैरान हूँ कि आपकी ऐसी बातें सुनने के बाद भी मुझे गुस्सा क्यों नहीं आ रहा ? शायद तनु की वजह से ! उससे जितना भी सुना है मैने आपके बारे में तो दिल में श्रद्धा ही जगी है । तनु….जानते हो ये नाम दोबारा तुम्हारी जुबान पर आया तो इसका अंजाम बहुत बुरा होगा। इतने अच्छी किस्मत नहीं हैं तुम्हारी की उसका नाम तुम्हारे होठो पर आएं। नंदिनी ने अरुण की तरफ चुटकी बजाते हुए कहा ।
सही कहा आपने मैम कि उसका नाम किस्मत वाले ही ले सकते हैं! लेकिन बताइये इस दुनिया में मुझसे ज्यादा किस्मत वाला कौन हो सकता है। एक बार नहीं दो-दो बार मौत से बचा हूँ और आज तीसरी बार मौत की आँखों में आँखें डालकर देख रहा हूँ फिर भी जिंदा हूँ । तो बताइये मै दुनिया का सबसे किस्मती इंसान नहीं हूँ?
हाँ अभी तक तो हो लेकिन आगे नहीं रहोगे जो इसी तरह हमारी तनु को बहकाने की कोशिश की तो। मै उसे बहका नहीं रहा मै सच में उससे प्यार करता….. क्या कहा ? नंदिनी ने अपनी लोडेड गन उसके माथे से सटा दी। यहीं कि I love her madly,deeply and purely. …. लगता है कि तुम्हारी यादाश्त अभी भी सही से आयी नहीं हैं तो मैं याद दिला दूँ कि तुम वही हो जिसने तनु के साथ रेप करने की कोशिश की थी उसके बाद भी इस तरफ के शब्द बोलते हुए तुम्हें खुद पर जरा भी घिन नहीं आयी? नंदिनी ने उसकी आँखों में झांकते हुए जवाब की तलाश की लेकिन वो सर झुका कर बैठ गया ।”अब नहीं बोलना कुछ ,नहीं साबित करना अपना प्यार आएं बड़े प्यार करता हूँ”नंदिनी वापस अपनी जगह पर बैठ गयी। तब मुझे लगता था कि वही प्यार है लेकिन तनु के साथ रहकर…वेद को देखकर उनकी कहानी सुनकर मुझे सही मायनों में पता चला की प्यार होता क्या है । फिर तनु ने जिस तरफ मेरी देखभाल की , एक बच्चे की तरफ रखा उससे तो पत्थर भी प्यार कर बैठता मैं तो बस एक इंसान ही हूँ । मुझे पता है कि वो हादसा उसे आज भी डराता है, आज भी मेरे आसपास होने से वो अनकम्फर्ट हो जाती है। उसे जब भी देखता हूँ तो वही सब याद आता है मुझे भी और घिन आने लगती है कि किस तरह मैंने बंदूक की नोक पर एक मासूम सी रोती हुई बेसुध लड़की की इज्जत से खेलने की कोशिश की थी…. अरुण के आँसू गालों तक बह कर उसके पश्चाताप की गवाही देने की कोशिश करने लगें थें । आज भी मैं आपका अहसान ही मानता हूँ जो उस दिन आपने उसे मुझसे बचा लिया था वरना उसका तो पता नहीं….लेकिन मैं जरुर कहीं जाकर मर गया होता । तुम्हें ऐसा क्यों लगता है कि मैं तुम्हारी इन बातों पर यकीन कर लूंगी?
मै यहाँ आपको किसी भी बात पर यकीन दिलाने नहीं आया हूँ बस माफ़ी मांगने आया था क्योंकि मैं अब जहाँ भी जाऊंगा मुझे पता है वहाँ से दोबारा मैं आप लोगों की जिंदगी में नहीं लौटूंगा। कहाँ जा रहें हो ?
मुझे नहीं पता। मुझमें तनु का सामना करने की हिम्मत नहीं है न आप लोगों के सामने आने की। मुझे पता है तनु को उस सदमे से निकालने के लिए मैं कुछ नहीं कर सकता उसके सामने रहकर उसकी टेंशन ही बढ़ाऊंगा । इसीलिए जब वो सो रही थी तो मैंने उसके तकिये के नीचे एक लेटर और जितनी भी मेरे पास बैंक सेविंग थी उसका चेक रख दिया है उसने मेरे साथ जितना किया है मै उतना तो नहीं कर पाया लेकिन…. खैर जाने से पहले आप से मिलने भी इसीलिए चला आया क्योंकि हमारी वजह से आपका बहुत नुकसान हुआ है इसीलिए उसकी भरपाई के लिए….. अरुण बोलते-बोलते रुक गया और अपने सूटकेस से कुछ निकालने लगा।,” आप पूछ रहीं थीं की हफ्ते भर पहले क्यों नहीं आया ? दरअसल कंपनी के सारे कागज बनवाने इकठ्ठा करने में हफ्ते भर का टाइम लग लाया। अब मेरी कंपनी आपके नाम हो गयी है इन कागजात पर मेरे सिग्नेचर है, बाकी आप उसके सिग्नेचर कर लीजियेगा जिसको ये कम्पनी बेचें या सौपें। कागज नंदिनी के हाथ में थें और वो उन्हें बारीकी से देख रहा था। इससे तुम्हें क्या फायदा होगा? क्या करोगे तुम इसके सिवा? आपने कभी किसी से प्यार किया है ? अरुण ने उल्टा ही सवाल कर दिया । नंदिनी ने उस सवाल का कोई जवाब नहीं दिया क्योंकि वो जान चुकी थी कि अरुण सच बोल रहा है । जानती हैं मरने से ज्यादा क्या बुरा होता है ? जिस इंसान से आप सबसे ज्यादा प्यार करते हो उसी की नजरों में गिर कर रहना। खैर मैं अब चलता हूँ आप लोगों ने जिस तरफ मेरा ख्याल रखा वैसे कोई परिवार ही रख पता है मेरी बदकिस्मती हैं कि मै आपके परिवार का सदस्य बनने के लायक नहीं था । अरुण ने हाथ जोड़े और खड़ा हो गया ।
रुको! नंदिनी ने उसे बैठने का इशारा किया । ,” तनु से पूछ कर आएं हो कि जा रहा हूँ हमेशा के लिए ?” उसका सामना करने की हिम्मत नहीं थी इसीलिए खत में ही सबकुछ लिख दिया । अरुण उसी तरह खड़ा रहा । अगर वो आकर मुझसे पूछेगी की अरुण कहाँ हैं तो क्या जवाब दूंगी मैं? अगर कहूँगी आएं थें तो पूछेगी कि रोका क्यों नहीं? अगर कहूँगी की नहीं आएं थें तो ये झूठ होगा और अपनों से झूठ बोलना मुझे पसंद नहीं कतई ।
आप घबराइये नहीं वो ऐसा कुछ नहीं पूछेगी । तुम मर्द लोग अनपढ़ होतें हो क्या जिन्हें भावनाएं पढ़ना नहीं आता? औरत का दिल ऐसा होता है वैसा होता है बस कह देना भर होता है तुम लोगों का, कभी उनके दिल को समझने की उनकी भावनाएं पढ़ने की कला तुम लोगों को आती ही नहीं या उन्हें पढ़ना चाहते ही नहीं! कुछ याद है उसका चेहरा जब उसे बिना बताएँ चले गएँ थें कुछ दिन पहले तुम ! रो-रोकर चेहरे पर सूजन कर ली थी उसने । बेवजह की बकवास नहीं पूछेगी वो…. अब चुपचाप यहीं बैठ जाओ जब तक वो न आ जाएँ तब तक यहाँ से हिलना नहीं क्योंकि मेरी गन वाकई लोडेड है । नंदिनी वहाँ से उठ गयी और बाहर जाने लगी।” और हाँ पूछ रहें थें पेपर्स पर किसका नाम होगा तो उसमें तनु डाल दो आज से तुम्हारी कंपनी की मालकिन वो है और शायद….. पता नहीं कहाँ- कहाँ से आ जातें हैं मूड खराब करने । बड़बड़ाते हुए नंदिनी कमरे से निकल गयी ।
To be Continued. …….
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