नंदिनी ने कमरे का दरवाजा बाहर से भी लॉक करवा दिया था ताकि अरुण निकल न सकें अगर वो ऐसा न करती तो शायद वेद वहां से निकल कर तनु से मिले बिना ही चला जाता। तनु ने अरुण से एक शब्द नहीं बोला सीधा अंदर पहुंचते ही अरुण के गाल पर एक थप्पड़ जड़ दिया , पूरे गाल पर उंगलियों के लाल-लाल निशान छप गएँ अगर वो इस बात के लिए पहले से ही तैयार न होता तो पक्का नीचे गिर जाता । बाहर खड़े वेद और नंदिनी जोकि ग्लास विंडो से कमरे में देख रहें थें ताकि कोई बात हो तो दोनों पहुँच कर संभाल सकें। उन्हें समझ नहीं आया कि इस थप्पड़ के बाद उन्हें अंदर जाना चाहिए या नहीं । अरुण ने अगर हाथ उठा दिया ? नंदिनी ने वेद की तरफ देखा । अगर प्यार करता होगा तो नहीं उठाएगा। वेद ने संशय में कहा। दोनों अंदर की तरफ ऐसे देख रहें थें जैसे tv पर कोई मूवी देखी जाती है। तनु उसपर चिल्ला रही थी और वो खड़ा सुन रहा था, थोड़ी देर ऐसे ही चुपचाप खड़ा रहने के बाद वो अपने घुटनों के पर जमीन पर बैठ गया और रोने लगा । तनु भी दीवार की तरफ जाकर खड़ी हो गयी और दीवार से सर सटाकर रोने लगी । हमें जाना चाहिए अंदर क्या ?
हाँ शायद जाना जरूरी है । वेद ने भी समर्थन किया । नहीं जाना चाहिए उन्हें इस वक्त खुद के दिलोंदिमाग का इस्तेमाल करने दो, तुम लोगों के शोर में उन्हें अपने दिल की सुनने में दिक्कत होगी । पीछे से आजार समीर ने अपनी राय दी। वो दोनों रो रहें हैं सैम ! नंदिनी थोड़ा परेशान थी । मुझे भी दिख रहा है ।
तनु अरुण से प्यार नहीं करती है उसे अब भी पहले का सब याद है लग रहा है अभी भी दुश्मनी बांधे बैठी है। कभी-कभी हम आदमी की एक साइड देखकर ही उसे जज करते है लेकिन जब उसके साथ वक्त बिताते हैं तो वो धारणा बदल जाती है, तनु के साथ भी ऐसा हो सकता है। अरुण ने एक गलती की उसे इस बात का अहसास है तनु भी अगर ये समझ चुकी होगी तो वो हादसा भुला देगी और शायद अरुण की दोस्त…… लो ऊधर देखो ! तीनों ने एक साथ कमरे में नजरें घुमाई। तनु अरुण के गले लगकर रो रही थी।
शायद अब जा सकते हो तुम दोनो अंदर । इतना कहकर समीर वहाँ से चला गया ।
कहते है अंत भला तो सब भला। दोनों गले मिल लिए अब कोई शिकवा-शिकायत तो नहीं रह गयी! अगर रह गयी हो तो बोलो हम दोनों बाहर चले जातें हैं और मारपीट कर सकते हो आप दोनो ! वेद ने माहौल को हलका करने की कोशिश की । नहीं ऐसा कुछ नहीं हैं सर । तनु ने आँसू पोछते हुए जवाब दिया। थैंक यू नंदिनी जी ! अरुण का सर झुका हुआ था । बस करो मै तुमसे बात नहीं करने आयी मैं तो तनु से पूछना चाहती थी कि तुम्हारी कंपनी की मालकिन बनने के बाद क्या वो मेरी सेकेट्री रहना पसंद करेंगी या ओनली बॉस। वैसे हम लोग बिजनेस पार्टनर्स भी तो बन सकतें है ? वेद ने सुझाव दिया ।
मुझे कुछ नहीं चाहिए मैं पहले की तरह ही रहना चाहती हूँ । तनु ने अपना जवाब दिया ।
जिसको जैसे रहना है रह लेना लेकिन अभी चलकर सब लोग नाश्ता कर लो चलकर , आज मैनें किचन में हेल्प की है । उन लोगों को डिस्टर्ब करने रोज पहुँच चुकी थी वहां। सादी कुर्ती – लेगिंग, पैर में पायल और बिल्कुल दूध सी सफ़ेद। कोई उसे देखें तो शायद ही कहें की इंडिया की नहीं हैं या ईसाई लड़की है। उसने खुद को हिंदुस्तानी घरेलू औरत बना लिया था । ऐसा करने के लिए कभी समीर ने उससे नहीं कहा लेकिन वो बोलती है कि उसे इंडियन कल्चर बहुत पसंद है ।
अच्छा वेद क्या ऐसा सच में हो सकता है कि जिससे आप नफरत करते हो , एक दिन पता चलता है कि उससे आपको प्यार हो गया है । चंदिनी रात में लॉन में टहलते हुए नंदिनी के दिमाग़ में अब भी सुबह का सारा नजारा घूम रहा था । प्यार ,नफरत , गुस्सा ये सब इमोशंस हैं जो सिचुएशन के हिसाब से शो होतें हैं । उस वक्त जैसे हालात थें तब तनु को अरुण से नफरत होना और आज जैसी परिस्थिति है तब उससे प्यार होना, कहीं से भी गलत नहीं हैं । तनु जिस अरुण से नफरत करती थी वो गुस्से वाला , घमंडी , बिगड़ा हुआ था आज तनु जिस अरुण से प्यार करती है वो शांत , प्यारा और समझदार है । जैसे अरुण को उसका प्यार मिल गया है मै दुआ करूंगी कि तुम्हें भी तुम्हारी स्कूल क्रश मिल जाये । मिल तो गयी है लेकिन अभी तक अपने दिल की बात नहीं की मैंने । वेद ने चेहरे पर हलकी सी मुस्कुराहट आ गयी । कहाँ हैं? मिलवाया क्यों नहीं अभी तक मुझे? नंदिनी ने नाराजगी दिखलाई ।
यही तो हैं मेरे सामने, नीले आसमान के नीचे और ओंस की बूंदो के ऊपर बिल्कुल मेरे साथ मेरे पास मुझसे बात करती हुई । वेद ने नर्म लहजे में नंदिनी के करीब जातें हुए कहा । तुम मुझे कह रहें हो ? अभी भी तुमको मजाक सूझ रहा है । मजाक नहीं नंदिनी हकीकत है , हकीकत हैं की मै तुम्हें बेइंतहा मोहब्बत करता हूँ जितना तुम सोच नहीं सकती जितना मैं जता नहीं सकता लेकिन हकीकत है की मै तुमसे, तुम्हारी रूह से , तुम्हारे जिस्म से, तुम्हारी साँसो से , तुम्हारे जूनून से , तुम्हारी जिद से…..बेइंतहा मोहब्बत करता हूँ हकीकत है ये…. वेद नंदिनी के बिल्कुल करीब था बिल्कुल करीब उसकी अधखुली आँखें नंदिनी के चेहरे पर टिकी थी । ,’ हकीकत है नंदिनी मैं आज से नहीं काफी पहले से तुम्हें प्यार करता हूँ, रोता हूँ तुम्हारे लिए, हँसता हूँ तुम्हारे लिए , मेरी रूह में तुम हो मेरी सांसों में तुम हो, मेरी हर चीज में मैने तुमको बसाया है । तुम्हारे जिस्म की खुश्बू मेरे अंदर तक समाई है ,तुम्हारी हँसी, तुम्हारा गुस्सा तुम्हारी हर चीज को मैंने खुद में बंद करके रखा है हकीकत है ये नंदी…’ वेद का एक हाथ नंदिनी की कमर पर था और दूसरा हाथ उसकी गर्दन पर । ,’ मैं नहीं जानता तुमसे इतनी मोहब्बत क्यों हैं लेकिन इतना पता है की मोहब्बत है तो है , तुम मुझे जान से प्यारी हो तो हो , तुम मेरी जिंदगी हो तो हो , मैं तुम्हारे लिए कुछ भी कर सकता हूँ लेकिन इस हकीकत को नहीं बदल सकता की तुमसे प्यार करता हूँ ।’ वेद की आवाज काफी धीमी और नशीली हो चुकी थी। ,’ तुमसे मोहब्बत है नंदिनी बेइंतहा, बेवजह , बेतहाशा, बेसबब , मोहब्बत है नंदिनी तुमसे हाँ मोहब्बत हैं मैं इसमें कुछ नहीं कर सकता चाहता हूँ. …तुम भी कुछ न करो सिर्फ प्यार करो नंदिनी इस लम्हें में प्यार करो मुझसे….Love me nandinii….please. ….love me just once. …I love you. ..you love. … वेद के होंठ नंदिनी के होठों को चूमना चाहतें थें उसकी गर्म साँसो को महसूस करना चाहते थें। वेद ने नंदिनी की कमर को तेजी से पकड़ कर अपनी तरफ खिंचा और …
इससे पहले वेद नंदिनी को किस करता उसने वेद को धक्का दे दिया ।
दूर रहो मुझसे । नंदिनी ने चीख कर कहा और रोती हुई वहाँ से भाग गयी। वेद किसी पागल इंसान की तरफ नीले आसमान के नीचे और ओंस की बूंदो के ऊपर तन्हा खड़ा रह गया । तेज हवा के झोंको ने उसे होश में लाने की कोशिश की लेकिन वो उलझा हुआ बेसुध खड़ा रहा । “क्या मतलब है इसका ? क्या वो मुझसे प्यार नहीं करती ? मेरा तरीका गलत था शायद? पता नहीं क्या हो गया था मुझे इस मौसम से ? क्या उसने मुझे गिरा हुआ तो नहीं समझ लिया? मैने उसे रुला दिया, क्या वो वैसे ही डरी है मुझसे जैसे तनु अरुण से डरी थी ? हे भगवान कुछ भी कर लो मेरे साथ लेकिन मेरे लिए उसके दिल में डर मत बनने देना,वो चाहे मुझसे प्यार करें या न करें लेकिन मुझसे डरे नहीं! वेद..वेद वो तुझसे डर गयी है हाँ वेद….तु दरिंदा हैं तूने एक मासूम लड़की को परेशान किया है…. नहीं मैने उसे परेशान नहीं किया मैने तो उसे इतना बताया की मैं उससे प्यार करता हूँ मैंने उसे डराया नहीं हैं । वो डर गयी वेद….तुमसे डर लगा वेद उसे…जानते हो जब एक लड़की किसी लड़के से डरने लगे तो क्या मतलब होता है इसका…. वो अब कभी नशे में भी बेफिक्र होकर तुम्हारी बांहों में नहीं गिरेगी…. वो कभी रात में बाहर नहीं जाएगी तुम्हारे साथ … उसका प्यार पाने के लिए तुमने उसकी दोस्ती को खो दिया…. नहीं नहीं मैने ऐसा कुछ नहीं किया मैने सिर्फ अपने दिल की बात बोली उसे , सिर्फ अपने दिल की बात । वेद अपने कान बंद करके चीखने लगा और जमीन पर बैठकर अपना सर हरी घास में गड़ा दिया। मैंने कुछ नहीं किया मैंने तो….. मैं प्यार करता हूँ उससे…उससे कहो की मुझसे डरे नहीं वरना मर जाऊंगा मैं… वेद जमीन में मुँह छुपायें खुद ही से बातें कर-कर कर बिलख रहा था । उसकी आवाजें सुनने वाला वहाँ कोई नहीं था ऊपर नीला आसमान , नीचे ओंस और सड़को पर घूम रहें आवारा कुत्ते बस …. यही वेद की आवाज सुन पा रहें थें।
To be Continued. …….