A Wild heart episode -45

 नंदिनी आज सुबह से अपने कमरे से बाहर नही निकली है। घर के नौकरों को और रूपा सबको बोल दिया है की कोई उसके कमरे में न आने पाएँ ‘कोई भी ‘। समीर और रोज तो सुबह ही आदित्य को लेकर डॉक्टर को दूसरी बार दिखाने ले गएँ हैं । जाने को तो नंदिनी ने कहा था लेकिन आज सुबह ही उसने जाने से मना कर दिया कहा कि उसका सरदर्द हो रहा है ।

नंदिनी मुझे तुमसे बात करनी है । अपनी लाल और सूजी हुई आँखों के साथ वेद नंदिनी के बेड के पास खड़ा हो गया। कोई भी उसे देखता तो तुरंत समझ जाता कि वो रातभर सोया नहीं हैं और बहुत रोया है ।

Ved

तुम अंदर कैसे आएं? नंदिनी चौक गयी थी की उसके मना करने के बाद भी नौकरों ने उसे रोका क्यों नहीं? शायद उन्हें लगा हो की वो रोक वेद के लिए नहीं थी , वेद तो अक्सर ही आता-जाता रहता है ।

नंदिनी , मुझे पता है कि कल मैंने जो किया वो तुम्हें अच्छा नहीं लगा। मुझे ये भी पता चल गया है कि तुम मुझसे प्यार नहीं करती कोई बात नहीं मैं तुम्हारे इस फैसले का दिल से सम्मान करता हूँ। मैं नहीं कह रहा तुमसे कि तुम प्यार करो मुझसे लेकिन प्लीज ऐसे दुखी मत रहो । मैनें सिर्फ ये सोच कर कहा था कि बहुत अकेले रह ली तुम अब तुम्हें भी किसी के हाथ की जरूरत हो शायद…..

तुम मर्दों को ऐसा क्यों लगता हैं कि औरत अकेली नहीं चल सकती ! क्यों लगता है कि उसे किसी आदमी के प्यार की , सहारे की जरूरत है तो है ! मैंने इतनी जिंदगी अकेले जी है 29 की होने वाली हूँ और आगे के 29 साल भी मैं बिना किसी सहारे के जी सकती हूँ । क्या सोचा तुमने की मैनें इसकी इतनी मदद की है, इसके भाई से मिलवाया है , इसके लिए बहुत कुछ झेला है तो इसे मेरा एहसान का बदला चुकाने के लिए मुझसे शादी करनी चाहिए….

नंदिनी मेरे दिमाग़ में ऐसा कुछ नहीं चल रहा था मैनें तुम्हें एक बार बताया ही था कि मैं एक लड़की के लिए इंडिया आया हूँ और…..

और वो लड़की मैं हूँ है न! यही कहना चाहते हो ? मेरा तलाक हो चुका है मैं डिवोर्सी हूँ ऐसे में अगर तुम मुझे ऐसी कहानी बताओगे तो मुझे ये लगेगा कि हाँ वाकई तुम मुझसे सच्चा प्यार करते हो तुम्हें कभी खटकेगा ही नहीं कि तुम्हारी बीवी पहले किसी और की बीवी थी ।

तुम जो भी बकवास कर रही हो वो मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा हैं क्योंकि आज तक मैंने तुम्हारे बारे में न ऐसा सोचा है न ही कभी सोच सकता हूँ। मैंने बस इतना सोचा कि इतने सालों से जो बात मैंने दिल में दबा कर रखी थी वो तुमसे बोल दूँ बस मेरा ये मतलब कतई नहीं था कि तुम भी मुझे प्यार करो। मैं कोई नहीं हूँ इस तरह की…

हाँ तुम कोई नहीं हो मेरे इस तरह क्या किसी भी तरह की बात करने वाले । मैंने तुमसे दोस्ती कर ली, साथ में हँस-बोल लिया तो तुमने सोचा की लड़की तो मुझपर फ्लैट हो गयी है बोल तो इससे अपने दिल की बात । तलाकशुदा है कोई सहारा ढूंढ रही होगी इससे पहले कोई और मौके का फायदा उठा ले मैं ही….. नंदिनी तकिये में मुँह छुपा कर सिसक-सिसक कर रोने लगी । जानते हो वेद जब से तुम जिंदगी में आएं हो सब अच्छा होने लगा था मेरी लाइफ मैं तुम्हारा अहसान मानती हूँ ,सोचा की चलो बड़ी मुसीबतों बाद सही एक अच्छा दोस्त तो मिल गया मुझे । लेकिन तुम्हारी कसम वेद मुझे नहीं पता था की और लोगों की तरफ तुम भी मुझे इस रिश्ते में धोखा दे रहें हों । तुम्हारे इन अहसानों की कीमत चुकाने की कीमत मैं हूँ वेद ? तुम जो समझ रही हो वैसा कुछ नहीं है और पता नहीं क्यों मैं तुम्हें समझा भी नहीं पा रहा हूँ लेकिन जो भी हो जो तुम्हें सही लगे सब स्वीकार हैं मुझे मैं माफ़ी भी मांगता हूँ तुमसे अपने दिल की बात कहने के लिए पर प्लीज अब रोना बंद कर दो। मैं अमेरिका से जब 7 साल पहले चला था तब मैंने कसम खायी थी की तुम्हारी आँखों का एक एक आँसू पोछूंगा अब अगर तुम ऐसे रोवोगी तो वो कसम झूठी हो जाएगी। वेद की आँखों से आँसू एक धार में बहते हुए उसकी गर्दन तक को भिगो रहें थें । कैसे वेद कैसे ? तुम अब भी मुझसे इस तरह का झूठ बोलकर कैसे मुझे चुप करा सकते हो! तुम्हें पता भी हैं की मेरी स्कूलिंग कहाँ हुई हैं? किस क्लास तक पढ़ी हूँ ? तुम्हें पता है मुझे मेरे सारे क्लासमेट्स आज भी याद है 4th स्टैण्डर्ड के बाद के , उनमें कोई भी वेद नाम का लड़का मेरे साथ नहीं पढ़ा हैं । फिर कैसे तुम मुझे बेवकूफ बना सकते हो ?

नंदिनी मैं तुम्हें बेवकूफ नहीं बना रहा हूँ मैंने तुम्हें पहली बार 6th स्टैण्डर्ड में देखा था तब मैं खुद …..

बस करो वेद… नंदिनी अपना मुँह दबाकर फिर रोने लगी । मेरे दोस्त तुमने मुझपर बहुत अहसान किये है अब कोई अहसान नहीं चाहिए । मैं जानती हूँ तुम मुझे खुश देखना चाहते हो लेकिन ऐसी खुशी देने से अच्छा तुम हमेशा हमेशा के लिए मेरी जिंदगी से दूर चले जाओ। तुम मेरे लिए अमेरिका से आएं थें न तो अब मुझे तुम्हारी कोई जरूरत नहीं हैं तुम वापस वहीं चले जाओ। याद हैं तुमने कहा था कि अगर वो लड़की न कह देगी तो तुम वापस चले जाओगे तो उसकी न है वेद न ,वो तुमसे प्यार नहीं करती । नंदिनी अपने घुटने अपने सीने से लगाए उसमें अपना मुँह छुपाये बैठी सिसक- सिसक के बोली । ,’ वेद तुम ये न समझना की तुम काबिल नहीं हो या तुम्हारे पास मेरे जितनी शोहरत और दौलत नहीं हैं इसलिए मना कर रहीं हूँ ,नहीं ऐसा बिल्कुल नहीं हैं । तुमने मुझसे झूठ बोला , मुझे कमजोर समझा मेरा साथ इतने इतने अहसान सिर्फ इसलिये किये ताकि उसकी कीमत मांग सको , तुम वैसे नहीं निकले जैसे मैने सोचा था तुम जाओ यहाँ से जाओ । नंदिनी चीख पड़ी ।

ठीक है नंदिनी तुम्हें मेरी कोई बात नहीं सुननी, समझनी तो ठीक है , मै अब तुमसे एक शब्द नहीं बोलूंगा रही बात अमेरिका जाने की तो कल रात को ही मैंने अपनी टिकट कन्फर्म कर ली थी, 5 दिन बात मैं हमेशा-हमेशा के लिए अमेरिका चला जाऊंगा , आज यहाँ मैं सिर्फ तुमसे माफ़ी मांगने के लिए आया था। मैं अभी ऑफिस जाकर अपना रेजिग्नेशन लेटर दे दूँगा और तुम्हें जब फुर्सत मिले एक्सेप्ट कर लेना उसे । जाने से पहले एक आखिरी सलाह देना चाहता हूँ तुम्हें नंदिनी की इस दुनिया में सबसे बड़ी ताकत और सबसे बड़ी कमजोरी प्यार ही हैं। अगर तुम्हारे पास सच्चा प्यार है तो तुम दुनिया के सबसे ताकतवर इंसान हो। अगर तुमको लगता है कि ये रूपया-पैसा ये रुतबा तुम्हें जिंदगी भर की ताकत दे गएँ हैं तो तुम गलत हो, लाइफ में अगर कभी 30 के बाद 40 के बाद या 50 के बाद भी तुम्हें लगे की तुम्हारा सच्चा प्यार तुम्हें मिल गया है तो उसे पकड़ लेना , छिन लेना , दबोच लेना लेकिन खोने मत देना वो तुम्हें तब-तब तुम्हारी ताकत का अंदाजा कराएगा जब-जब तुम सबसे कमजोर होने का अहसास करोगी । मैं तुम्हारी जिंदगी का हिस्सा न बन सका ये मेरी बदकिस्मती है लेकिन मुझे पता है कि दुनिया में सबसे खुशकिस्मत इंसान भी कहीं हैं देखना एक दिन वो जरूर तुम्हारे सामने होगा । जाने से पहले एक और बात कहना चाहता हूँ कि तुम बोलती हो कि मैंने तुम पर अहसान किये और तुम उन अहसानों का बदला भी चुकाना चाहती हो तो वाकई अगर ऐसा है तो मेरे सामने बस एक बार मुस्कुरा दो ताकि मुझे लगे की मैं इंडिया में जो करने आया तो वो कर पाया। अगर तुम्हें ये झूठ लगता है तो इसलिए मुस्कुरा दो की मुझे तुम्हारा मुस्कुराना बहुत अच्छा लगता है । वेद की लाल आँखों में अभी भी एक उम्मीद पूरी होने की आस बाकी थी ।

पूरे कमरे में सन्नाटा था वेद नंदिनी की तरफ देख रहा था और नंदिनी अपने फोन की तरफ जिस पर बार-बार अहलावत जी का फोन आ रहा था जोकि देश के नामी क्रिमिनल लॉयर हैं और अभिनव का केस भी यहीं देख रहें हैं आज उसको बेल मिलनी थी पता नहीं मिली भी या नहीं। अभिनव और नंदीनी में यही तो तय हुआ था कि गैर इरादतन हत्या में उसे ज्यादा से ज्यादा 5 साल की जेल होगी या 7 साल की । लेकिन जितने भी साल की हो अधिकतर वो बेल पर ही बाहर रहेगा । वेद ने भी उनके फोन को देखा था लेकिन कुछ कहने का कोई सलाह देने का हक़ नंदिनी अभी-अभी उससे छिन चुकी थी और उसे अपनी जिंदगी से बेदखल कर दिया था ।

नंदिनी प्लीज एक बार ! वेद की आँखों में उम्मीद के टुकड़े बिखरते नजर आने लगे । नंदिनी अपने सारे आँसू पोछ चुकी थी। थोड़ी देर इधर-उधर देखती रही फिर बोली ,” मिस्टर वेद नंदिनी को आपने इतना बेदिल समझा है वो तो अपने दुश्मनों का भी दिल रखती हैं आप तो फिर भी कभी मेरे दोस्त है।” कहकर नंदिनी मुस्कुराने लगी । उसे मुस्कुराता देख वेद भी हँसता हुआ कमरे के बाहर चला गया। वेद के जाते ही नंदिनी तकिये में मुँह दबा कर तेजी से रोने लगी । उधर वेद भी दीवार के सहारे खड़ा हो कर देर तक सिसकता रहा ।

To be Continued. …….

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