A Wild heart episode -49

 जिस तरह तेज बारिश के बाद आसमान साफ हो जाता है और धूप चमकने लगती है। उसी तरफ नंदिनी के जीवन में भी इतने उतार-चढ़ाव के बाद एक ठहराव ने दस्तक दे दी थी । वो खुशियाँ जो उसे मांगने से भी नहीं मिलती थी वो आप ही आप उसकी झोली में आ गिरीं। एक तरफ जहाँ आदित्य के ठीक होने की उम्मीदें बढ़ती जा रहीं थीं दूसरी तरफ उसकी कम्पनी फिर से देश की टॉप-7 में पहुँच गयी थी । समीर और रोज उसके लिए पेरेंट्स बन चुके है, वो उन दोनों को वैसे ही नखरे दिखाती है जैसे आदित्य । समीर के साथ तो अब उसका रिश्ता बॉस और एम्प्लॉय का भी बन चुका है क्योंकि तनु और वेद के जाने के बाद कम्पनी को एक मजबूत सहारे की जरूरत थी जिसपर नंदिनी को आँख मुंद कर भरोसा हो इसीलिए उसने समीर को अपना साथ देने के लिए तैयार कर लिया था। वो लोग चाहते थें कि रोज भी उनके साथ जुड़े लेकिन रोज ने साफ कह दिया कि ये उसके बस की बात नहीं हैं उसे बस एक हाउस होल्डर का काम ही सौपा जाये ताकि वो आदित्य का ध्यान अच्छे से रख सकें और उसे स्कूल से लाने ले जाने खुद जा सके ।

तनु वेद की तरफ नंदिनी और अरुण को छोड़कर अमेरिका नहीं जा सकी। अरुण ने तो उसे समझाया भी था की अगर वहाँ आराम है तुम्हें तो वहाँ जा सकती हो, लेकिन तनु कहाँ जाने वाली थी भला। अब वो दोनों पार्टनर्स बन गएँ हैं सिर्फ लाइफ पार्टनर नहीं बिजनेस पार्टनर भी।

 तनु और अरुण लिव-इन में रहने लगे है और कंपनी के काम का बंटवारा भी कर लिया है। दोनो कंपनी को फिर से खड़ा करना चाहते है जैसे कभी वो थी लेकिन इस बार पूरी ईमानदारी के साथ , इसके लिए नंदिनी उनकी कम्पनी का पूरा सपोर्ट कर रही है। अरुण ने अभी तक उसकी कम्पनी की वजह से जिन लोगों को नुकसान पहुँचा जिन्हें चीट किया गया सबसे माफी मांगी साथ ही उनका पैसा चुकाने के लिए कुछ मोहलत भी । कात्यायन ब्रदर्स से कम्पनी का नाम बदल कर T.K Industries कर दिया गया है। कुछ लोग कहते है कि जो T लगाया गया है वो तरुण का नाम है तो कुछ दावा करते हैं कि ये तनु के नाम का है हालांकि अरुण ने अभी तक इस पर चुप्पी नहीं तोड़ी है ।

वेद इंडिया छोड़कर जाना नहीं चाहता था लेकिन वो जिस काम के लिए इंडिया आया था वो पूरा हो चुका था अब उसे अपनी कम्पनी भी देखनी थी। सारा दिन ऑफिस में बिताने के बाद हर रात को उसे नंदिनी की याद आती थी। जिस लड़की के साथ इतने सालों रहा अचानक ही उससे अलग होने पर उसकी आदत ही नहीं छूट रही थी । 4-5 महीने से ऊपर हो गये होंगे उसे यहाँ पर आएं लेकिन आज भी बारिश की वो भीगती रात उसे अच्छे से याद है। उस रात के बाद तो वेद का मन हुआ था कि जितनी कसके वो नंदिनी को गले लगाए है उतनी कसके समीर को भी सीने से लगा ले क्योंकि उसी की वजह से तो वो रात आयी थी। भैया नंदिनी ठीक तो है ? तनु बोल रही है कि बेहोश हो गयी है सर पर चोट लग गयी है ? 

हाँ लगी है पर ज्यादा नहीं ठीक हो जाएगी, तुम अपनी बताओ कहाँ हो किस हाल में हो ? 

मैं बस आ रहा हूँ निकल चुका हूँ यहाँ से ।

कहाँ आ रहें हो यहाँ ? नंदिनी के पास?अमेरिका नहीं जाना ? तनु ने मुझे सब बता दिया है भैय्या और उसने जो बताया है उसके आधार पर मैं कह सकता हूँ कि. …..मैं कह सकता हूँ कि शायद वो भी मुझे प्यार करने लगी है ।

शायद ! पर कन्फर्म तो हैं नहीं? उसने अपने मुँह से तो तुमसे कहाँ हैं नहीं बाकी अगर अपनी इज्जत फिर से उतरवानी हो तो आ जाओ तुम्हारा ही घर है ।

तो क्या करूँ मैं आप ही बताइये , मुझे उसकी बहुत फ़िक्र हो रही है क्योंकि मैंने सिर्फ उससे प्यार नहीं किया उसे अपना दोस्त भी माना है ।

हाँ वही तो मैं भी कह रहा हूँ कि अगर दोस्ती के साथ उसे प्यार भी करना चाहते हो तो यहाँ मत आओ जहाँ हो वहीं रुको वरना जिंदगी भर उसके दोस्त बनके रह जाओगे । 

ठीक है उसके बाद मुझे क्या करना है ?

तुम्हें कुछ नहीं करना अब क्योंकि तुम पहले ही बहुत कर चुके हो मेरे लिए नंदिनी के लिए सबके लिए ही अब बारी हम लोगों की है। आज हमें मौका मिला है तुम्हारे लिए कुछ करने का । मैं जितना अंदाजा लगा रहा हूँ उसके हिसाब से तुम एयरपोर्ट के आसपास कहीं होगे ?

जी यहीं हूँ दोस्त के साथ….

तुम वहीं रहो, मैं और अरुण वहीं आकर मिल रहे है तुमसे फिर तुम अरुण के घर चले जाना मैं यहाँ नंदिनी से आकर कहूंगा कि तुम नहीं मिले वो परेशान हो जाएगी रोयेगी फिर तुम कल अचानक से उसके सामने आ जाना कोई रिंग या बुके वगैरह लेकर देखना कैसे वो लिपट जाएगी फिर तुमसे । अब तुम सोच रहे होगे कि कल क्यों आज क्यों नहीं? तो बात ये है कि अगर बच्चे को खिलौना जिद पर मिल जाता है तो वो उसकी कदर नहीं करता और कुछ दिन में ही तोड़ देता है लेकिन जब वहीं खिलौना बहुत रोने-धोने के बाद थोड़ा वक्त लेने के बाद उसे मिलता है तो वो उसे बड़ा संभाल कर रखता है । फिर मैं जानता हूँ कि नंदिनी आज तुम्हारे लिए पहली और आखिरी बार रो रही है इसके बाद तुम उसे कभी नहीं रोने दोगे, इतना भरोसा है मुझे तुम पर । इसीलिए उससे दूर रहो उसे कदर होने तो तुम्हारी , तुम क्या थे उसके लिए ये पता चलने दो, उसे महसूस करने दो की वो तुमसे कितना प्यार करती है । 

वेद के कानों में आज भी समीर की वो बातें गूंजती हैं, “महसूस करने दो उसे……!” समीर का बनाया प्लान कामयाब नहीं हो पाया था लेकिन उसके बाद जो हुआ था वो समीर के बनाये प्लान से भी ज्यादा खूबसूरत और रोमांटिक था । नंदिनी खुद उसे ढूंढने निकल पड़ी थी जोकि आउट ऑफ प्लान था , समीर ने कितनी ही कोशिश की थी कि वो घर चली जाये और उसे लगा भी कि वो चली गयी होगी लेकिन नंदिनी कभी भी पैर आगे बढ़ा के पीछे नहीं खींचती है ये वेद अच्छे से जानता था । वेद की बांहों से लिपटी वो बेतहाशा कांप रही थी , उसे 104° से ज्यादा बुखार चढ़ चुका था लेकिन वो वहाँ से जरा भी उठने का नाम नहीं ले रही थी। उसी तरह बारिश में पड़े रहकर उसके साथ ही भीगने की जिद कर रही थी, आधी बेहोश सी हो चुकी थी लेकिन फिर भी आँखें वेद के चेहरे पर ही टिकाएं रखना चाहती थी। शायद उसे लग रहा था कि आँखे बंद करते ही वेद गायब हो जायेगा। उस रात वेद ने उसे खुद से लिपटाए हुए ही कार ड्राइव की थी बेहोश होने के बाद भी उसके हाथ उसकी गर्दन पर टिके हुए थे । अगली सुबह जब उठी थी तो सबसे पहले रोज को देखते ही बोली थी ,” वेद कहाँ है ?” अगर उस वक्त वो सामने आकर उसे सीने से न लगाता तो पक्का वो दोबारा बेहोश हो जाती । नंदिनी को जब पता चला था कि समीर ने ऐसा प्लान बनाया था तो बहुत झगड़ी थी उससे सारा दिन बात भी नहीं की थी समीर से । उसी शाम को वेद इंडिया से निकल चुका था मन नहीं था उसका नंदिनी को इस हालत में छोड़ने का और न नंदिनी का ही लेकिन 6 दिन पहले ही वो जो इतनी सारी मीटिंग्स बुक कर चुका था उसका क्या ? इसीलिए नंदिनी ने भी उसे नहीं रोका था। वेद के जाने से पहले सबने उसे नंदिनी के साथ अकेला छोड़ दिया था ताकि अगर उसे कुछ जरूरी बात करनी हो तो । वेद नंदिनी के करीब झुका बेहद करीब गया और आहिस्ते से पूछा कल जो तुमने किया जो कहा वो सब होश में तो कहा था न ! मुकर तो नहीं जाओगी बाद में कि नशे में थी मैं, ऐसे ही बोल दिया। नंदिनी ने कुछ नहीं किया बस गुस्से में उसे देखा ,” नशे में कौन झूठ बोलता है बेवकूफ!” उसका दिमाग़ ने कहा था । बड़ी बड़ी आँखों से ऐसे क्या देख रही हो, देखा नहीं कभी मुझे? नंदिनी ने पलकें झुका ली। अच्छा चलो मजाक में कहा था जानता हूँ वो सब उतना ही सच था जितना चांद और सूरज। अब मैं चलूँ? फ्लाइट मिस हो जाएगी वरना फिर, ध्यान रखना अपना। उसने नंदिनी के माथे को चूमते हुए कहा था ।

जैसे ही वो जाने के लिए मुड़ा नंदिनी ने उसकी शर्ट की बांह पकड़ ली । जानती हो मैंने अभी तक कोट क्यों नहीं पहना था ? क्योंकि उसके लिए मुझे अपनी वाइट शर्ट की स्लीव्स डाउन करनी पड़ती अगर मैं इनको नीचे कर लेता….उसने नंदिनी की कमर में हाथ डाल कर उसे अपने से सटा लिया ।… तो जो तुम्हारी नियत है न वो डाउन नहीं होती। उसकी नजरें नंदिनी के चेहरे पर थी और नंदिनी की नजरें नीची । तो…. ? वेद ने आहिस्ते से पूछा । नंदिनी ने कोई जवाब नहीं दिया ।” फिर बाद में रोका तो सोच लेना…!” नंदिनी ने एक बार नजरें उठाई और फिर झुका ली ये मौन स्वीकृति थी उसकी। स्वीकृति मौन हो या उच्चारित लेकिन प्रेम में यह सदैव जरूरी होती है। हर मौन अस्वीकृति नहीं होती और हर हाँ स्वीकृति नहीं होती इस में जो बहुत बारीक सा अंतर होता है ये कुछ ही लोग समझ सकते है जो प्रेम में इस कदर डूबे हो जैसे दूध में जलेबी।

वेद ने नंदिनी को थोड़ा और करीब खींचा अब वो उसकी साँसो को साफ महसूस कर पा रहा था । वेद ने उसके पूरे चेहरे पर नजर दौड़ाई जिसपर सिर्फ समर्पण प्रदर्शित हो रहा था। फिर उसने अपनी भी आँखे बंद कर ली। 

अपने कहा था कि जाने से पहले मुझे चॉकलेट्स दिलाने ले चलेंगे, फिर भी अभी तक यहीं है ! आदित्य के आते ही नंदिनी बिजली से भी तेज उसकी बांहों से निकल कर अलग खड़ी हो गयी थी। 

तो आपको क्या लगा मैं भूल जाऊंगा । उसने आदित्य की तरफ बढ़ते हुए कहा । चलिए आपको दिलाता हूँ चलकर बहुत सारी चॉकलेट्स…। वेद ने उसे गोद में उठा लिया , जाते हुए सर घूमा के देखा था वो अब भी नजरें झुकाये खड़ी थी । आदित्य 5 मिनट और देर बाद आता तो क्या बिगड़ जाता उसका । वेद जब भी उन यादों में खो जाता है तो खाना तक भूल जाता है। अब उसकी मां तो उसे चिढ़ाने तक लगी है “खाना खा कर क्या होगा उसी को याद करके पेट भर ले न ।” हफ्ते में दो से तीन बार बात हो जाती है दोनो की भले ही थोड़ी देर के लिए सही , दूर से ही सही लेकिन दोनो करीब आ जातें है, सहारा देते है और महसूस करते हैं एक दूसरे को । देखो अभी बात चल रही है दोनो कम्पनीज साथ में कोई डील कर रहीं हैं तब शायद नंदिनी को यहीं आना पड़े, समीर भी साथ में आएगा रोज भी , तनु भी अरुण भी और कुछ दोस्त भी….! आपको क्या लगा शादी करने वाले है दोनो ? नहीं ऐसा कुछ नहीं है हाँ सगाई की तारीख जरूर पक्की मानी जा रही है ।

अभिनव का क्या हुआ ? अब ये सवाल ठंडा पड़ गया है उसपर जो उसकी मौत का केस भी क्लोज हो गया है। जेल से आने के बाद गिल्ट की वजह से उसने सुसाइड कर लिया था पुलिस ने वो लेटर भी जब्त कर लिया था जिसमें उसने लिखा था की उसने जो किया है उसकी सजा 5-7 साल नहीं बल्कि सीधा मौत ही है। उसकी बॉडी मिली थी जिसका कुछ परिचितों की मौजूदगी में अंतिम संस्कार भी कर दिया गया था ।

नंदिनी के विरोधियों को आज भी इस बात का यकीन नहीं हैं कुछ बोलते है उसने अभिनव की हत्या करवाई कुछ बोलते है कि उसने अभिनव को पहचान बदलने के लिया मजबूर किया जिससे उसने आत्महत्या का ढोंग किया और पुलिस को पैसे खिलाकर किसी और की बॉडी को अभिनव की बॉडी बता दिया बस केस क्लोज। अभिनव आज भी जिंदा है लेकिन कहाँ हैं ये सिर्फ नंदिनी ही जानती है। ऐसा दावा करने वाले कभी खुल कर नंदिनी के सामने नहीं आएं इसीलिए इस बात पर कोई यकीन नहीं करता। हाँ लेकिन ये सच है की अभिनव जिंदा है या नहीं ये बात तो केवल ऊपर वाला जानता होगा या नंदिनी।

                              THE END .

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